Central Vista Project in Hindi
केंद्र सरकार के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट (Central Vista Project) के तहत, प्रस्तावित नए संसद भवन का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 10 दिसंबर 2020 को किया था. शिलान्यास के लिए भूमि पूजन श्रृंगेरी में स्थित शारदा पीठ द्वारा शीतला माता मंदिर में चलाए जा रहे गुरुकुल के आचार्य श्री राघवेंद्र भट्ट ने कराया था. साल 2026 में संसदीय सीटों के परिसीमन के बाद संसद सदस्यों की संख्या में वृद्धि हो सकती है, जिसे ध्यान में रखते हुए सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत ज्यादा क्षमता वाले संसद भवन के निर्माण की योजना बनाई गई है.
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत, राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक फैले राजपथ पर पड़ने वाले सरकारी भवनों का पुनर्निर्माण या पुनरुद्धार किया जाना है. इसके तहत, नया त्रिकोणीय या त्रिभुजाकार संसद भवन, कॉमन केंद्रीय सचिवालय और तीन किलोमीटर लंबे राजपथ को रिडेवेलप किया जा रहा है. इनके आलावा, नए आवासीय परिसर (New Residential Complex) का भी प्रस्ताव है, जिसमें प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के आवास के आलावा कई नए कार्यालय भवन होंगे ताकि सभी मंत्रालय और विभाग मिलाए या समायोजित किए जा सकें.
नया संसद भवन और उसके लाभ
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बन रहा नया संसद भवन 64,500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में फैला होगा. इसे बनाने में 971 करोड़ रुपये का खर्च होगा. इसका निर्माण कार्य अगस्त 2022 तक पूरा होने की संभावना है. यह नया संसद भवन त्रिभुज के आकार का होगा. इस भवन का डिजाइन अहमदाबाद के मैमर्स HCP डिजाइन एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से तैयार किया गया है…और इसका निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड की तरफ से किया जा रहा है.
नए संसद भवन में 888 लोकसभा सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी. वहीं, संयुक्त सत्र में इसे 1,224 सदस्यों तक बढ़ाने का विकल्प भी रखा जाएगा. राज्यसभा के सदन में 384 सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी और भविष्य को ध्यान में रखते हुए इसमें भी जगह बढ़ाने का विकल्प रखा जाएगा. वर्तमान में लोकसभा सदन में 543 और राज्यसभा में 245 सदस्य बैठ सकते हैं. मालूम हो कि देश की बढ़ती जनसंख्या के चलते सांसदों की संख्या में भी वृद्धि की जाएगी. यानी लोकसभा और राज्यसभा में सदस्यों की संख्या में वृद्धि होनी है. इसके लिए सीटों का परिसीमन साल 2026 में होना है.
इस प्रोजेक्ट के साल 2024 तक पूरा होने का अनुमान है. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 20 हजार करोड़ रुपये है, जिनमें से करीब एक हजार करोड़ रुपये नए संसद भवन के निर्माण पर खर्च होंगे. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया था कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के लिए खर्च हो रहे रुपये धन की बर्बादी नहीं है, बल्कि इससे धन की बचत होगी.
इस प्रोजेक्ट से हर साल लगभग एक हजार करोड़ रुपये की बचत होगी, जो फिलहाल 10 इमारतों में चल रहे मंत्रालयों के किराए पर खर्च होते हैं. इसी के साथ, इस प्रोजेक्ट से मंत्रालयों के बीच समन्वय में भी सुधार होगा.
पुराना संसद भवन और इसकी समस्याएं
मौजूदा संसद भवन को मॉडर्न कम्युनिकेशन और भूकंपरोधी सुरक्षा व्यवस्था (seismic protection system) के साथ अपग्रेड नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ऐसा करने पर इस 93 साल पुराने भवन को नुकसान पहुंच सकता है. वर्तमान का हमारा संसद भवन अग्रेजों के जमाने में बना था और इसका शिलान्यास 1921 में किया गया था.
मौजूदा संसद भवन की आधारशिला 12 फरवरी 1921 को रखी गई थी और इसका निर्माण 6 सालों में पूरा हुआ था. इसका उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन ने किया था. साल 1951 में पहले आम चुनावों के समय देश की जनसंख्या करीब 36 करोड़ और लोकसभा में सीटों की संख्या 489 थी. इस तरह एक सांसद औसतन 7 लाख जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता था.
वर्तमान में जब देश की जनसंख्या लगभग 138 करोड़ से ज्यादा है, तो लोकसभा में सदस्यों की संख्या 543 ही है और राज्यसभा में 245 सदस्य हैं. इस तरह वर्तमान में एक सांसद औसतन 25 लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करता है. ऐसे में संसद में सीटों की संख्या में वृद्धि होना जरूरी है, जिसके लिए परिसीमन साल 2026 में होना है.
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