Duality in linear programming in Hindi
रैखिक प्रोग्रामिंग समस्या में द्वैत की परिभाषा (Duality in LPP):
द्वैत की अवधारणा (concept of duality) रैखिक प्रोग्रामिंग के प्रारंभिक विकास में सबसे महत्वपूर्ण खोजों में से एक थी। रैखिक प्रोग्रामिंग समस्या (LPP) में Duality कहता है कि,
“प्रत्येक रैखिक प्रोग्रामिंग समस्या के लिए Duality नामक एक और रैखिक प्रोग्रामिंग समस्या होती है”।
मूल (original) रैखिक प्रोग्रामिंग समस्या को “Primal” कहा जाता है, जबकि दूसरी, संबंधित व्युत्पन्न रैखिक समस्या को “Dual” कहा जाता है। इस प्रकार, Dual linear programming का Dual, Primal linear programming होता है।
यदि Primal या मूल समस्या अधिकतमकरण (maximization) समस्या है, तो उसका dual न्यूनतमकरण (minimization) समस्या होगी, और इसके विपरीत (vice versa)। अर्थात् अधिकतम समस्या का dual न्यूनतम समस्या है और इसी प्रकार न्यूनतम समस्या का dual अधिकतम समस्या है।
किसी भी स्तिथि में, dual की अंतिम Tableau में, dual और original – दोनों समस्यायों के समाधान शामिल होंगे। इसलिए, यदि हम एक समस्या का इष्टतम समाधान (optimal solution) जानते हैं, तो हम आसानी से दूसरी समस्या का इष्टतम समाधान खोज सकते हैं। इसलिए द्वैत की अवधारणा (concept of duality) बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि कभी-कभी original की तुलना में dual को हल करना आसान होता है।
Dual को solve करने से पहले मूल रैखिक प्रोग्रामिंग समस्या (original linear programming problem) को उसके मानक रूप (standard form) में तैयार किया जाना चाहिए। मानक रूप (standard form) का अर्थ है, समस्या में सभी चर गैर-ऋणात्मक होने चाहिए, और, न्यूनतमकरण (minimization) मामले में “≥” चिह्न और अधिकतमकरण (maximization) मामले में “≤” चिह्न का उपयोग करते हैं।
द्वैत के गुण या विशेषताएं (Characteristics of the dual problem):
रैखिक प्रोग्रामिंग में द्वैत (duality) की मुख्य विशेषताएं और गुण निम्नलिखित हैं:
1. Dual का Dual, Primal है।
2. यदि दो समस्याओं (Primal या Dual समस्याओं) में से किसी एक का समाधान है, तो दूसरी के पास भी समाधान होना चाहिए, और उनका इष्टतम मान बराबर होना चाहिए।
3. यदि दोनों में से किसी एक समस्या का केवल एक अव्यवहार्य समाधान है, तो दूसरे के उद्देश्य फलन का मान असीमित होगा।
4. यदि दोनों (या तो Primal या Dual) में से किसी एक समस्या का असीमित समाधान है, तो दूसरी समस्या का समाधान संभव नहीं है।
5. यदि Primal समस्या का एक व्यवहार्य समाधान है, लेकिन Dual के पास नहीं है, तो Primal के पास एक सीमित इष्टतम समाधान नहीं होगा, और इसके विपरीत (vice versa)।
रैखिक प्रोग्रामिंग में द्वैत के लाभ (Advantages of Duality in linear programming):
रैखिक प्रोग्रामिंग में द्वैत के मुख्य लाभ और महत्व निम्नलिखित हैं:
1. यह बहुत सारे शक्तिशाली प्रमेय उत्पन्न करता है।
2. कभी-कभी Dual को हल करना आसान होता है। यदि प्रारंभिक समस्या (Primal problem) में बड़ी संख्या में पंक्तियाँ (बाधाएँ या constraints) हैं और स्तंभों (चर या variables) की एक छोटी संख्या है, तो इस समस्या को Dual में परिवर्तित करने से कम्प्यूटेशनल प्रक्रिया में काफी कमी आ सकती है।
3. Dual का समाधान कम्प्यूटेशनल त्रुटियों के लिए Primal के समाधान की सटीकता का समर्थन करता है।
4. यह इंगित करता है कि रैखिक प्रोग्रामिंग द्वैत के बीच काफी घनिष्ठ संबंध मौजूद हैं।
5. Duality की आर्थिक व्याख्या का उपयोग करके, प्रबंधन भविष्य में बेहतर निर्णय ले सकता है।
6. Duality संवेदनशीलता विश्लेषण के लिए मददगार हो सकती है।
Read Also: Duality in linear programming in English
(Source – Various books from the college library)
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