Teachers Effect on Students
किसी स्टूडेंट (Student) का कोई सब्जेक्ट अच्छा होगा या खराब, ये काफी हद तक उसे पढ़ाने वाले टीचर (Teacher) पर भी निर्भर करता है. एक अच्छा टीचर बोरिंग से बोरिंग और कठिन से कठिन सब्जेक्ट को भी सरल और इंटरेस्टिंग बना सकता है, जबकि एक खराब टीचर अच्छे, सरल और इंटरेस्टिंग सब्जेक्ट को भी बोरिंग और कठिन बना सकता है. एक शिक्षक की कलम की नोंक पर, उसकी वाणी के पहले शब्द में, उसके आचरण की ओट में एक बच्चे के अस्तित्व का आरंभ से लेकर प्रलय तक निर्भर करता है.
7th क्लास की क्लास टीचर, पढ़ाती थीं साइंस
7th क्लास में मेरी जो क्लास टीचर थीं, वह साइंस (Science) पढ़ाती थीं. वह स्टूडेंट्स को केवल मारने-पीटने, उनके साथ सख्ती बरतने पर ही विश्वास करती थीं. हालांकि अगर उनका मूड हो तो कभी-कभी वह सॉफ्ट भी हो जाया करती थीं और कहानियां भी सुनाती थीं, लेकिन उनकी ज्यादातर कहानियों की मुख्य पात्र वे ही होती थीं, जिनमें वह अपने-आपको बहुत महान दिखाने की ही कोशिश में लगी रहती थीं.
उन्हें स्कूल में पढ़ाने का पिछले 15 सालों का एक्सपीरिएंस था, फिर भी उन्हें अपने सब्जेक्ट पर ज्यादा कमांड नहीं थी और ये बात हम सब स्टूडेंट्स भी अच्छे से समझ चुके थे, इसलिए हम सब उनसे कोई सवाल न करके, न अपने लिए कोई रिस्क उठाते थे और न उनके लिए.
वह क्लास में आतीं और किसी न किसी बात पर शोर मचाना शुरू कर देतीं. वह धमकी देती रहतीं कि अगर क्लास में बात करोगे तो बहुत मार पड़ेगी, या टेस्ट में कम नंबर दिए जाएंगे, या प्रिंसिपल से शिकायत कर दूंगी. वो अगर किसी अच्छे बच्चे की तारीफ करती थीं, तो किसी न किसी कमजोर बच्चे की जबरदस्त बेइज्जती करके.
क्लास में स्टूडेंट्स के शोर मचाने से रहती थीं परेशान
वह अपनी क्लास में स्टूडेंट्स के बातचीत करने से कुछ ज्यादा ही परेशान रहती थीं. उनकी शिकायत थी कि इसी वजह से वह ठीक से पढ़ा नहीं पाती हैं. वो क्रिश्चियन थीं और रोज क्लास में आते ही सब से भगवान की कसम भी खिलवाती थीं कि ‘ईश्वर की कसम खाकर कहो कि तुम सब कभी क्लास में बात नहीं करोगे’.
वह एक बात और कहती थीं “तुम लोग आधे समय मेरे साथ रहते हो, इसलिए मैं तुम्हारी आधी मां हूं और इसलिए तुम सब को मारने-पीटने का पूरा हक है मुझे”. सबसे बड़ी बात कि उन्हें एक बहुत बड़ी गलतफहमी थी कि वह स्कूल की सबसे अच्छी और सबसे सीधी-सादी टीचर हैं और वे बच्चों को बेहद प्यार करती हैं और बच्चे भी उन्हें बहुत पसंद करते हैं.
जब फाइनल एग्जाम का आया रिजल्ट
7th क्लास के फाइनल एग्जाम हुए. फाइनल में उनकी क्लास के आधे से ज्यादा बच्चे केवल उन्हीं के सब्जेक्ट में फेल हो गए थे. मेरे खुद 39 नंबर आए थे. बस जाते-जाते बची थीं मैं.
इस बात के लिए उन क्लास टीचर की प्रिंसिपल से भी डांट पड़ी थी कि आखिर इन बच्चों का इससे पहले इतना खराब रिजल्ट तो कभी नहीं रहा, आपकी क्लास में इतना खराब कैसे रहा? आखिरकार प्रिंसिपल ने जब केवल एक सब्जेक्ट में इतना खराब रिजल्ट देखा तो उन्होंने सबको पास करके अगली क्लास में भेज दिया. बाद में हम लोगों को ये भी पता चला था कि उन टीचर का रिजल्ट किसी क्लास में अच्छा नहीं रहा था. उस साल हमारी क्लास को स्कूल की ‘सबसे बेशरम क्लास’ का अवॉर्ड भी मिला था.
स्कूल में आईं साइंस की नई टीचर, सब पर डाला ऐसा असर
खैर, सब स्टूडेंट्स 8th क्लास में आ गए. उस साल स्कूल में साइंस की एक नई टीचर आईं प्रतिमा सिंह मैम. और उन्हें हमारी ही क्लास की क्लास टीचर बनाया गया. वे अपनी पढ़ाई और और अपने काम के प्रति बहुत समर्पित रहती थीं. ये उनके करियर का पहला साल था, फिर भी उन्हें अपने सब्जेक्ट पर काफी अच्छी कमांड थी. पूरे सालभर उन्होंने क्लास में आकर कभी नहीं कहा कि ‘बातें मत करो’. उन्होंने कभी किसी स्टूडेंट को एक थप्पड़ नहीं मारा. वह क्लास में आतीं और पढ़ाना शुरू कर देती थीं. पढ़ाते समय वो काफी गंभीर रहती थीं.
वह एक-एक टॉपिक बहुत ही इंटरेस्टिंग तरीके से, बोर्ड पर चित्र बना-बनाकर समझाती थीं. सारे स्टूडेंट्स उन्हें बहुत मन लगाकर सुनते थे. हम सबके मन में कई सवाल आते थे, जिनके जवाब वे बड़े धैर्य के साथ देती थीं. लगभग सभी की अटेंडेंस भी फुल रहने लगी थी, ताकि कोई भी टॉपिक छूट न जाए. स्कूल जाना फिर से अच्छा लगने लगा था.
एक बार जब वह अपना कोई काम कर रही थीं, तब क्लास में हम स्टूडेंट्स बातचीत करते-करते शोर मचाने लगे. तब उन क्लास टीचर ने बस केवल एक धमकी दे दी कि अगर सब शांत नहीं बैठे तो वह इस क्लास को नहीं पढ़ाएंगी. ये सुनते ही क्लास में बिल्कुल शांति छा गई.
स्टूडेंट्स के टैलेंट की करती थीं तारीफ
वह स्टूडेंट्स की छिपी हुई प्रतिभाओं को सबके सामने लाने की कोशिश करती थीं. अगर कोई भी स्टूडेंट किसी टेस्ट में थोड़े से भी ज्यादा नंबर ले आता, या कोई अच्छी ड्राइंग बना लेता, या अच्छी आवाज में कुछ गाकर सुना देता, तो वे तुरंत पूरी क्लास के सामने उसकी तारीफ करतीं, शायद वे छोटी सी तारीफ की बड़ी ताकत को जानती थीं. पढ़ाती तो बहुत अच्छा थीं ही.
सारे स्टूडेंट्स सच में उन्हें बहुत प्यार करने लगे थे, खासतौर पर पिछले साल की कड़वी यादों को याद करते हुए तो उनकी और भी रेस्पेक्ट करने का मन करता. जब उनका जन्मदिन आया था, तब लगभग सारे स्टूडेंट्स ने उन्हें बड़े प्यार से एक से बढ़कर एक गिफ्ट दिए थे. ये देखकर तो स्कूल के कई टीचर्स को उनसे जलन होने लगी थी.
जब 8th क्लास के फाइनल एग्जाम का आया रिजल्ट
अब फाइनल एग्जाम हुए. उनकी क्लास का भी रिजल्ट आया. सब देखकर रह गए थे कि उनकी क्लास में किसी भी स्टूडेंट के साइंस में 80 से कम नंबर नहीं थे. जबकि ये वही स्टूडेंट्स थे, जो 7th क्लास में साइंस में फेल हो गए थे. मेरे खुद 93 नंबर आए थे, जबकि पिछले साल मेरे 39 थे.
ऐसा केवल हमारी क्लास में ही नहीं, बल्कि उन्होंने जिस-जिस क्लास को पढ़ाया था, उन सभी में साइंस का रिजल्ट बहुत अच्छा रहा था. ज्यादातर स्टूडेंट्स को साइंस से प्यार हो गया था. पिछले साल जिस क्लास को स्कूल की ‘सबसे खराब क्लास’ कहा गया था, अगले साल उसी क्लास की क्लास टीचर को स्कूल की ‘बेस्ट टीचर’ का अवॉर्ड दिया गया था.
7th क्लास में मेरी क्लास में ज्यादातर स्टूडेंट्स ने ये फैसला कर लिया था कि हाईस्कूल या इंटरमीडिएट में साइंस साइड नहीं लेंगे, लेकिन 8th क्लास में ज्यादातर सभी का ये फैसला बदल गया और आधे से ज्यादा स्टूडेंट्स ने बड़े उत्साह के साथ साइंस साइड ली थी.
ऐसा होता है शिक्षक का असर!
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