Jaggery Benefits : सर्दियों में काफी गुणकारी है गुड़, जानिए इसके प्रयोग और फायदे

gud khane ke fayde nuksan, jaggery benefits for health in winter, गुड़ के प्रयोग, फायदे और सेवन में सावधानियां

Jaggery Benefits and Side Effects

गन्ने का अच्छी तरह पकाया हुआ रस (Sugarcane Juice) जब ढेले की तरह सख्त हो जाए तो वह गुड़ (Jaggery) कहलाता है. गन्ने के रस में से ज्यादा से ज्यादा पानी जला देने से गुड़ बनता है. गुड़ में गन्ने के रस के सभी खनिज द्रव्य और क्षार (Minerals and Alkalis) सुरक्षित रहते हैं. उन खनिज द्रव्यों के कारण ही गुड़ को विशेष रंग मिलता है. मटके में जमाया हुआ गुड़ श्रेष्ठ और टीन के डिब्बे में जमाया हुआ गुड़ निम्न स्तर (Lower Standard) का होता है. सर्दियों और बारिश में पुराने गुड़ का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है.

गुड़ के गुण

गुड़ के अलग-अलग पकवान बनते हैं. लड्डू, हलवा, चूरमा, लपसी जैसी चीजों में विशेष रूप से गुड़ का ही उपयोग होता है. बाजरे की रोटी और गुड़ सर्दियों का पौष्टिक आहार है. मेहनत करने के बाद गुड़ खाने से थकान उतर जाती है. मेहनती लोगों के लिए गुड़ पथ्य खाद्य (जो स्वास्थ्य के लिए उपयोगी हो) है.

गुड़ वीर्यवर्धक, भारी, स्निग्ध, वायुनाशक और मूत्र संशोधक है. यह खाँसी-जुकाम, कफ और श्वास रोगों में काफी फायदेमंद है. गुड़ हड्डियों के लिए भी अच्छा माना जाता है. जिन लोगों को कमजोरी महसूस होती हो, या खून की कमी हो, या जिन्हें अक्सर कफ-सर्दी-जुकाम और गैस आदि समस्याएं रहती हों, उनके लिए गुड़ फायदेमंद है.

चीनी की अपेक्षा गुड़ स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होता है, फिर भी आजकल ज्यादातर मिठाइयों में चीनी का इस्तेमाल ज्यादा होने लगा है. गुड़ के गुणों से प्रभावित होकर भावमिश्र कहते हैं- “दोषत्रयक्षयकराय नमो गुड़ाय” अर्थात “वात, पित्त और कफ इन तीनों प्रकार के दोषों का नाश करने वाले गुड़ को सादर प्रणाम.”

ऐसे लोगों को अगर पुराने गुड़ (Old Jaggery) का सेवन कराया जाए, तो लाभ होता है-

जो लोग शरीर से दुर्बल हों,
जिन्हें अर्श, श्वास और मूर्छा का रोग हुआ हो,
जो ज्यादा चलने के कारण बहुत थक गए हों,
जिन्होंने बहुत मेहनत का काम किया हो,
जिन्हें गिरने से चोट लगी हो,
जिन्हें कोई जख्म हुआ हो,
जिन्हें नशा या जहर चढ़ा हो,
जिन्हें मूत्रकृच्छ (बार-बार और थोड़ी-थोड़ी करके पेशाब आना),
जिन्हें पथरी का रोग हुआ हो,
जिन्हें बुखार हो,
जिन्हें रक्तपित्त, तृषा, दाह, क्षय और रक्तविकार का रोग हुआ हो.

पुराना गुड़ है ज्यादा गुणकारी
नया गुड़ और पुराना गुड़

गुड़ जैसे-जैसे पुराना होता जाता है, अधिक शीतल और गुणकारी होता जाता है. गुड़ जितना पुराना हो, उतना ही अच्छा माना जाता है. एक साल पुराना गुड़ पथ्य है. 3 साल पुराना गुड़ सबसे अच्छा माना जाता है. औषधियों के रूप में पुराने गुड़ का ही उपयोग करना अच्छा है. कुछ औषधियों में 5-5 वर्ष पुराने गुड़ का भी उपयोग होता है. सामान्य रूप से 20 साल तक का पुराना गुड़ औषधियों में काम आता है. गुड़ को पुराना करने के लिए इसे कांच के डिब्बों में रखा जाना चाहिए.

नया गुड़ कफ, श्वास, खांसी, कृमि और अग्नि को बढ़ाता है, जबकि पुराना गुड़ हल्का, पथ्य, अग्निवर्धक, पित्तनाशक, मधुर, वायुनाशक और खून को साफ करने वाला होता है. सुश्रुत ने पुराने गुड़ को स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक बताया है. वाग्भट भी पुराने गुड़ को हृदय के लिए हितकारी मानते हैं.

पुराना गुड़ पचने में हल्का होता है, अतः वह फीकापन, पांडु, पित्त, त्रिदोष और सूजाक (एक संक्रामक यौन रोग) को मिटाता है. जिन स्त्रियों को असमय गर्भस्राव हो गया हो, उन्हें पुराना गुड़ और बाजरा खाने के लिए दिया जाता है. गुल्म, अर्श, अरुचि, क्षय, खांसी, छाती का जख्म, क्षीणता आदि रोगों में भी उचित औषधि के साथ पुराना गुड़ खाने से लाभ होता है.

चीनी नहीं, गुड़ खाइये
गुड़ के मुख्य प्रयोग और लाभ

आसानी से पचता है गुड़- गुड़ में शक्कर की अपेक्षा 33 प्रतिशत अधिक पोषक तत्व होते हैं, अतः शक्कर की तुलना में गुड़ ज्यादा ताकत देता है. चीनी की अपेक्षा खाने में गुड़ और मिश्री का उपयोग करना चाहिए. गुड़ में दो हिस्सा इक्षु शर्करा (ग्लूकोज+फल की मिठास) का और एक हिस्सा द्राक्ष शर्करा (ग्लूकोज) का होता है, अतः गुड़ तुरंत ही पच जाता है.

♦ गुड़ के बराबर वजन वाली शक्कर को पचने में ज्यादा समय लगता है. गुड़ की मिठास में एक पंचमाश ग्लूकोज है, जो सीधे ही खून में घुल जाती है. अतः गुड़ को पचाने में शरीर को विशेष मेहनत नहीं करनी पड़ती है. भोजन के बाद थोड़ा सा गुड़ खाने से खाना आसानी से पचता है. बहुत ज्यादा शारीरिक मेहनत करने वालों के लिए गुड़ जीवन के समान है.

♦ गुड़ को अलग-अलग पदार्थों के साथ लेने से यह अलग-अलग परिणाम देता है, जैसे-

अदरक के साथ गुड़ लेने से कफ दूर होता है,
हर्र के साथ गुड़ लेने से पित्त मिटता है,
सोंठ के साथ गुड़ लेने से यह सभी प्रकार के वायु को नष्ट करता है,
गुड़ और सोंठ के साथ थोड़ा सा घी मिलाकर बने हुए छोटे-छोटे लड्डुओं का सेवन करने से वर्षा और सर्दियों में वायु का नाश होता है और भूख लगती है. इन लड्डुओं के सेवन से वर्षा की भारी झड़ी में भीगने पर भी जुकाम नहीं होता. किसानों और खेतों में मजदूरी करने वालों के लिए ये छोटे-छोटे लड्डू बहुत ही गुणकारी हैं.

♦ गुड़ के साथ या गुड़ के चूरमे या लपसी के साथ घी खाने से गुड़ गर्म नहीं करता.

♦ रात को पानी में भिगोकर रखा हुआ गुड़ सुबह कपड़े से सौ बार छानकर पीने से दुखती आंखें ठीक होती हैं (गुड़ को जितना ज्यादा बार छाना जाए, वह उतना ही ज्यादा ठंडा होता है और ज्यादा लाभकारी होता है).

♦ अगर ज्यादा मेहनत करने से कमजोरी महसूस हो रही हो, या चक्कर आ रहे हों, तो गुड़ खाकर पानी पीने से आराम होता है.

♦ गुड़-मेथी-आटे से बने लड्डुओं का प्रयोग सर्दियों में होने वाले कमर या जोड़ों के दर्द या कफ या श्वास रोगों की दवा के रूप में किया जाता है.

♦ गुड़ और कई प्रकार के सूखे मेवों जैसे- मूंगफली, मखाने, काजू, बादाम आदि को मिलाकर-पकाकर खाने से काफी प्रोटीन और ताकत शरीर को मिल जाती है.

♦ सर्दियों में, खासकर दिसंबर से फरवरी तक, तिल के साथ गुड़ खाने के बहुत फायदे हैं. इसे ध्यान में रखते हुए ही मकर संक्रांति जैसे त्योहारों में तिल-गुड़ खाने का रिवाज बनाया गया है. तिल-गुड़ से बनी गजक काफी स्वादिष्ट और फायदेमंद होती है.

♦ अगर पेशाब बार-बार आती है या ज्यादा आती है तो भुने चने अच्छी तरह चबाकर खाएं और ऊपर से गुड़ खा लें, तो लाभ होता है. गुड़-चना शरीर को काफी ताकत भी देता है.

♦ रात को भिगोये चनों को सुबह गुड़ के साथ खाने से पीलिया में आराम होता है.

♦ गुड़ और घी का मिश्रण आंखों के लिए बहुत ही अच्छा है.

♦ अगर रोज उचित मात्रा में गुड़ खाया जाए तो चेहरे पर भी चमक आती है.

क्या दूध और दही में गुड़ मिलाना चाहिए- अगर वाग्भट्ट की मानें तो दूध में गुड़ को मिलाकर कभी नहीं पीना चाहिए. गर्म दूध पीने के आगे-पीछे थोड़ा सा गुड़ खा लेना चाहिए. जबकि दही में गुड़ मिलाकर खाया जा सकता है. बिहार में ‘दही-चूड़ा’ नाम की प्रसिद्ध रेसिपी दही में गुड़ मिलाकर ही बनाई जाती है.

गुड़ के सेवन में सावधानियां-

♦ 100 ग्राम गुड़ में 180 मिलीग्राम खनिज द्रव्य होते हैं. शक्कर में खनिज द्रव्यों और क्षारों का अभाव है, इसलिए शक्कर की अपेक्षा गुड़ अच्छा है. गुड़ में विटामिन B, B2, C, आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस और कुछ मात्रा में विटामिन A भी है.

♦ सर्दियों में गुड़ सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है, लेकिन तभी जब इसका सेवन उचित (सही) या सीमित मात्रा में ही किया जाए. बसंत ऋतु में गुड़ नहीं खाना चाहिए.

♦ जिन लोगों की शुगर ज्यादा हो, या जिन्हें डायबिटीज हो, उन्हें गुड़-चीनी का सेवन नहीं करना चाहिए, खासकर चीनी का.

♦ पित्त प्रकृति वालों को नया गुण नहीं खाना चाहिए. चर्मरोग, कृमि, दांतों के रोग, आंखों के रोग, मेदवृद्धि, ज्वर, मंदाग्नि, जुकाम और मधुमेह (डायबिटीज) वाले लोगों को भी नया गुड़ नहीं खाना चाहिए. सूजन की परेशानी में भी गुड़ का सेवन कम करना चाहिए.

♦ वैसे तो गुड़ सेहत के लिए बहुत अच्छा है, लेकिन आजकल जिस तरह से यह बनाया जाता है, उससे यह कुछ नुकसानदेह भी हो गया है. बाजार में रखा खुला हुआ गुड़ न खरीदें.



Copyrighted Material © 2019 - 2024 Prinsli.com - All rights reserved

All content on this website is copyrighted. It is prohibited to copy, publish or distribute the content and images of this website through any website, book, newspaper, software, videos, YouTube Channel or any other medium without written permission. You are not authorized to alter, obscure or remove any proprietary information, copyright or logo from this Website in any way. If any of these rules are violated, it will be strongly protested and legal action will be taken.



About Prinsli World 179 Articles
A Knowledge and Educational platform that offers quality information in both English and Hindi, and its mission is to connect people in order to share knowledge and ideas. It serves news and many educational contents.

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*