Cinnamon Benefits and Side Effects : दालचीनी के प्रयोग, फायदे और नुकसान

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दालचीनी के प्रयोग, फायदे और नुकसान

Cinnamon Benefits and Side Effects

हमारी रसोई में मौजूद मसालों या औषधियों में एक महत्वपूर्ण नाम दालचीनी या दारचीनी या सिन्नमन (Cinnamon or C. zeylanicum) का भी है, जिसका इस्तेमाल खाने में सुगंध और स्वाद को बढ़ाने में किया जाता है. इसमें एक अलग ही खुशबू होती है, जो कि इसे गरम मसालों की कैटेगरी में रखती है. लोग दाल, शाक, सब्जी, पुलाव, चाय आदि में बड़े शौक से दालचीनी का इस्तेमाल करते हैं. इसी के साथ, सर्दियों में सर्दी-खांसी-कफ-जुकाम जैसी समस्याओं से बचने के लिए भी दालचीनी का प्रयोग किया जाता है.

भारत में हजारों वर्षों से गरम मसालों के रूप में दालचीनी का इस्तेमाल होता आ रहा है. संस्कृत के प्राचीन ग्रंथों में इसका वर्णन मिलता है. इतिहास के अध्ययन से भी पता चलता है कि भारत से इसका निर्यात अरब, मिस्र, ग्रीस, इटली और यूरोप के सभी देशों में होता था. दालचीनी का इस्तेमाल कई तरह के रोगों को ठीक करने में किया जाता है.

दालचीनी का पेड़ (Cinnamon tree)

दालचीनी की अनेक किस्में होती हैं. दालचीनी एक छोटा सदाबहार पेड़ है, जिसकी ऊंचाई 10-15 मीटर होती है. यह लौरेसिई परिवार से आता है. दालचीनी की छाल का प्रयोग मसाले की तरह किया जाता है. दालचीनी की छाल तेजपात के पेड़ की छाल से ज्यादा पतली, पीली और ज्यादा सुगंधित होती है.

दालचीनी की पैदावार मुख्य रूप से श्रीलंका और दक्षिण भारत में होती है. श्रीलंका की दालचीनी बहुत पतली, हल्के पीले-भूरे रंग और उच्च सुगंध वाली चिकनी छाल होती है. जबकि भारत की दालचीनी की छाल कुछ मोटी और नलाकार होती है.

दालचीनी के पौधे बीजों और कलमों से लगाए जाते हैं. दूसरे साल के अंत में पेड़ों पर से वर्षा ऋतु में, प्रथम बार छाल उतारी जा सकती है. छाल उतार लेने पर पेड़ तो मर जाता है, लेकिन उसके मुख्य तने में से 4-7 नई शाखाएँ निकल आती हैं, जिन पर फिर से दो साल के बाद छाल उतारी जाती है. छाल को 24 घंटों तक सुखाकर और साफ करके उन्हें पतली नलियों के आकार में बांधकर बेचा जाता है.

दालचीनी का तेल (Cinnamon oil)
मोटी/पतली दालचीनी

दालचीनी का तेल इसके पेड़ की छाल, पत्तों और जड़ से निकाला जाता है. इनमें छाल से निकला तेल ही उत्तम माना जाता है. दालचीनी के पत्तों का तेल मच्छरों के लार्वा को मारने में बहुत प्रभावी बताया गया है.

दालचीनी के तेल का इस्तेमाल औषधियों में किया जाता है. इसी ले साथ, दालचीनी के फल-फूल में से अर्क और इत्र भी निकाला जाता है. दालचीनी पाउडर के रूप में ज्यादा उपयोगी है.

मोटी दालचीनी छोटी, गर्म, तीखी, मधुर, कड़वी, रुक्ष और सुगंध वाली होती है. यह कफ, वायु, खुजली और अरुचि को दूर करने में मदद करती है, साथ ही हृदय रोग, मूत्राशय के रोग, अर्श, कृमि, पीनसको मिटाने वाली होती है.

वहीं पतली दालचीनी मधुर, कड़वी, तीखी, तेज सुगंध वाली, वीर्यवर्धक, त्वचा के रंग को सुधारने वाली, वायु, पित्त और तृषा को मिटाने वाली होती है.

दालचीनी के फायदे (Benefits of cinnamon)

♦ दालचीनी की तासीर बहुत गर्म होती है. वाग्भट्ट कहते हैं कि वात और कफ के सभी रोगों जैसे अस्थमा, खांसी, सर्दी, जुकाम आदि को ठीक करने में दालचीनी बड़ी मदद कर सकती है.

♦ आधी छोटी चम्मच दालचीनी पाउडर को थोड़े से शहद में मिलाकर खाएं और ऊपर से गुनगुना पानी पी लें. इससे वात और कफ के बहुत से रोगों में आराम होता है.

♦ दालचीनी एक शक्तिशाली एंटी-बैक्टीरियल है. यह शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करती है, साथ ही नई वसा कोशिकाओं (fat cells) को शरीर में जमने नहीं देती है.

♦ दालचीनी को उबालकर उसे छानकर सुबह खाली पेट या रात को सोने से पहले पीयें (एक छोटा कप). इस काढ़े में आप थोड़ा सा शहद भी मिला सकते हैं. यह उपाय मोटापा कम करने में सहायक है (कभी भी अधिक लाभ के चक्कर में ज्यादा मात्रा में दालचीनी का सेवन न करें).

♦ दालचीनी के सेवन से पाचनतंत्र संबंधी विकार, दांत दर्द और सिरदर्द, चर्म रोग और स्त्रियों के मासिक धर्म की परेशानियों को ठीक किया जा सकता है. इसी के साथ, दस्त और टीबी में भी इसके इस्तेमाल से लाभ मिलता है.

♦ दालचीनी के काढ़े से सर्दियों में होने वाली मौसमी बीमारियों जैसे सर्दी-खांसी, गले में खराश आदि से राहत मिलती है. यह सर्दियों में होने वाले छोटे-मोटे संक्रमण से बचाने में भी कारगर है. इसलिए रोजाना सीमित मात्रा में दालचीनी का सेवन करें.

♦ दालचीनी, अदरक और और काली मिर्च का काढ़ा पीने से सर्दी-जुकाम दूर होता है.

♦ दालचीनी का सेवन करने से अजीर्ण, उल्टी, लार, उदरशूल और अफारा में आराम होता है.

♦ आधी छोटी चम्मच दालचीनी पाउडर को गर्म पानी के साथ लेने से पेचिश में आराम होता है.

♦ चाय उबालते समय उसमें एक छोटा टुकड़ा दालचीनी का डालें. इससे सर्दी-जुकाम और खांसी में आराम होता है.

♦ दालचीनी का एक छोटा सा टुकड़ा मुंह में रखकर चूसने से खांसी में आराम होता है.

दालचीनी के सेवन में सावधानियां
दालचीनी के नुकसान (Cinnamon side effects)

♦ दालचीनी की तासीर बहुत गर्म होती है. इस बात का ध्यान रखें कि कभी भी अधिक लाभ के चक्कर में ज्यादा मात्रा में दालचीनी का सेवन न करें.

♦ कोई भी चीज किसी के लिए फायदेमंद, तो किसी के लिए नुकसानदेह भी हो सकती है. जैसे- गर्म प्रकृति वाले लोग दालचीनी का सेवन सावधानी से ही करें.

♦ दालचीनी का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से सिर में दर्द की शिकायत हो सकती है.

♦ गर्भवती महिलाओं को दालचीनी नहीं देनी चाहिए.

♦ ज्यादा मात्रा में या लंबे समय तक लगातार दालचीनी का सेवन करने से इसके बड़े नुकसान सामने आते हैं. इसलिए दालचीनी का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए.

♦ दालचीनी के तेल की ज्यादा मात्रा बहुत नुकसानदेह है. दालचीनी का तेल आंखों पर न लगने दें.


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