Jhansi Tourist Places Details-
स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम दीपशिखा महारानी लक्ष्मीबाई जी (Maharani Laxmibai) और हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम पर दुनियाभर में प्रसिद्ध भारत का एक छोटा सा सम्मानीय नगर झांसी (Jhansi City) अपने आप में अतुलनीय है, जहां का कण-कण अमर वीरों की गाथा गाता है. स्त्री हो या पुरुष, इस पावन धरती को वीरों ने अपने रक्त से, खिलाड़ियों ने अपने जोश से और कवियों ने अपनी कलम से सजाया है, जहां की हर बात निराली है.
भारत के पवित्र और खूबसूरत राज्य उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के उत्तम नगरों में से एक झांसी देखने में भले ही एक छोटा सा शहर हो, लेकिन किसी माया नगरी से कम नहीं. यहां जो भी आता है, यहीं का होकर रह जाता है, कुछ समय के लिए बड़े-बड़े शहरों का मोह चला जाता है. यहां की शांति, यहां के लोग, आए दिन होने वाले यहां के कार्यक्रमों की भव्यता, यहां का खानपान, कदम-कदम पर मिलने वाले यहां के सुंदर मंदिर और यहां की संतुलित आधुनिकता… सब कुछ मुसाफिरों को अपनी तरफ खींचता है.
क्या आप खाने-पीने के शौकीन हैं?
किसी भी स्थान पर पर्यटकों का मुख्य आकर्षण होता है- वहां का खानपान. इस मामले में हमारी झांसी भी बिल्कुल पीछे नहीं है. खाने-पीने के शौकीन लोगों के लिए झांसी स्वर्ग से कम नहीं. यहां की हर सड़क और गली में आपको अपने मन का स्वाद मिल ही जाएगा, क्योंकि झांसी के लोग खुद ही खाने-पीने के बड़े शौकीन हैं.
आपको यहां देशभर के कई नामी-गिरामी रेस्टोरेंट्स की ब्रांचेस मिल जाएंगी. और यहां के स्ट्रीट फूड की तो बात ही अलग है. झांसी के लोगों को चाट बड़ी पसंद है, इसीलिए यहां के समोसे, और गोलगप्पों के व्यवसाय बड़े फायदे में रहते हैं. आपको किसी भी समय जहां-तहां लोग चटनी वाले समोसे, पानी बताशे, दही बड़े, डोसा, पुलाव, आलू टिक्की और करेले के चटखारे लेते हुए मिल जाएंगे.
क्या आप धार्मिक हैं?
अगर आप झांसी आएंगे तो यहां आपको कदम-कदम पर कई छोटे-बड़े मंदिर देखने को मिलेंगे, जिनसे एक पल के लिए तो आपको ऐसा लगेगा, जैसे आप किसी धार्मिक जगह पर आ गए हैं. और अगर आपने नवरात्रि, गणेशोत्सव, महाशिवरात्रि या दीपावली जैसे त्योहारों पर यहां कदम रख लिया, तो फिर तो कहने ही क्या. यहां के कई प्रसिद्ध मंदिरों में महारानी लक्ष्मीबाई जी रोज नियम से पूजा-अर्चना के लिए जाया करती थीं.
यहां का कुञ्ज बिहारी मंदिर, सिद्धेश्वर मंदिर, मेहंदी बाग, काली मंदिर, बड़े हनुमान जी का मंदिर, सखी के हनुमान, गायत्री मंदिर, दीक्षित बाग का शिव मंदिर, रानी किले का शिव मंदिर, गणेश मंदिर, पंचकुइयां में माता रानी का मंदिर, मढ़िया महाकालेश्वर मंदिर, कैमासन का मंदिर आदि यहां के प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिनके दर्शन करना सौभाग्य की बात है. त्योहारों पर यहां के लगभग सभी मंदिरों में भव्य भंडारों का आयोजन किया जाता है.
कुञ्ज बिहारी मंदिर- यहां का कुञ्ज बिहारी मंदिर मुख्य रूप से श्री राधाकृष्ण, भगवान शिव, पीताम्बरा देवी और हनुमान जी को समर्पित है. इस मंदिर की सुंदरता, स्वच्छता और यहां के शांत वातावरण का वर्णन करना मेरे लिए तो बहुत कठिन है. यहां भगवान शिव एक बरगद के वृक्ष के नीचे विराजमान हैं और हनुमान जी पीपल के नीचे.
इस मंदिर में फूलों के कई बगीचे और आम के कई पेड़ हैं, जिनकी डालियों पर बैठीं कोयल और पपीहे के मधुर स्वर पूरे मंदिर में गूंजते रहते हैं. यहां जाकर आप बहुत ही शांति का अनुभव करेंगे. जब इस मंदिर में कोई भी उत्सव मनाया जाता है, तो केवल मंदिर के अंदर ही नहीं, बल्कि मंदिर के बाहर भी कई मीटर की दूरी तक खड़े होने की जगह भी मुश्किल से मिल पाती है.
सिद्धेश्वर मंदिर- मुख्य रूप से भगवान शिव और हनुमान जी को समर्पित यह मंदिर झांसी का बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है. नाम के अनुसार ही यह बहुत ही सिद्ध मंदिर है. यहां रोजाना सुबह-सुबह बड़े पैमाने पर सुंदरकांड का पाठ होता है. किसी भी त्यौहार के दिन ज्यादातर लोग इस मंदिर में जाना बिल्कुल नहीं भूलते.
गायत्री मंदिर- आंतिया तालाब के किनारे बसा गायत्री मंदिर एक प्रसिद्ध गायत्री शक्ति पीठ है. कड़ाके की ठण्ड में भी यहां सुबह 4-5 बजे से ही गायत्री मंत्रों का उच्चारण और यज्ञ-हवन आदि शुरू हो जाते हैं. यहां जाकर आपको एक अलग ही अनुभव होगा. अरे हाँ, ‘आंतिया तालाब’ से याद आया कि इस तालाब का नाम पहले ‘हाथियां तालाब’ था, क्योंकि पहले इस तालाब में राजाओं के हाथी नहाने के लिए आते थे.
गणेश मंदिर- झांसी के किले के प्रवेश द्वार पर स्थित इस सुंदर मंदिर को किले, निवासियों और शहर का रक्षक माना जाता है. इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है. रानी लक्ष्मीबाई और गंगाधर राव का विवाह इसी मंदिर में हुआ था. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उस समय यह मंदिर क्षेत्रफल में कितना बड़ा रहा होगा.
काली मंदिर- लक्ष्मी गेट बाहर स्थित मां काली जी का मंदिर बहुत पुराना और बहुत सिद्ध मंदिर है. कहा जाता है कि जब-जब झांसी पर संकट आया, तब-तब महाकाली जी के आशीर्वाद से संकट दूर हो गया. मुगलों और अंग्रेजों के शासन काल में इस मंदिर को तोड़ने के कई प्रयास किए गए, लेकिन कोई भी इस मंदिर तक पहुंच ही नहीं सका.
पंचकुइयां मंदिर- खंडेराव गेट पर स्थित पांच कुओं की वजह से इस जगह का नाम ‘पंचकुइयां’ है. यह स्थान झांसी के मुख्य धार्मिक जगहों में से एक है, क्योंकि यहां देवी मां का बहुत प्रसिद्ध और सिद्ध मंदिर है, साथ ही यहां हर नवदुर्गा पर एक विशाल मेला लगता है. और अब तो इस जगह पर गौरी-शंकर मंदिर, मां काली मंदिर जैसे भी कई और सुन्दर मंदिर स्थापित हो चुके हैं. नवरात्रि के समय इस जगह पर एक बार जरूर जाना चाहिए.
मेहंदी बाग- यह भगवान श्रीराम, सीताजी और भाई लक्ष्मण जी को समर्पित बहुत ही सुंदर मंदिर है. रामनवमी, दशहरा और दीपावली पर इस मंदिर में बहुत भारी संख्या में श्रद्धालु जुड़ते हैं. पूरा वातावरण ‘जय श्रीराम’ के उद्घोषों से गूंज उठता है.
मढ़िया महाकालेश्वर मंदिर- शहर के सबसे पुराने और सिद्ध मंदिरों में से एक प्राचीन मढ़िया महाकालेश्वर मंदिर कई ऐतिहासिक घटनाक्रमों का गवाह है. इस मंदिर ने अंग्रेजों का जुल्म भी देखा है और महारानी लक्ष्मीबाई जी का शौर्य भी. रानी जी इस मंदिर में हर सोमवार को जलाभिषेक के लिए आती थीं.
झांसी में होने वाले कार्यक्रम
ये तो हुई झांसी के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों की बात. इसी के साथ, अगर आप शारदीय नवरात्रि और गणेश चतुर्थी (गणेशोत्सव) के समय झांसी में आते हैं, तो आपको ऐसा नजारा देखने को मिलेगा, जो शायद आपको कहीं और देखने को न मिले. दरअसल, इस दौरान शहर में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर माता रानी और और गणेश जी के पंडाल सजते हैं, जिनमें आसपास के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं.
हर पंडाल में सुबह-शाम आरती, प्रसाद वितरण, अलग-अलग कार्यक्रम आदि चलते ही रहते हैं. अंत में बड़े पैमाने पर भंडारों का आयोजन किया जाता है. पंडालों में आरती के लिए आसपास के लोग एक-दूसरे के साथ ऐसे घुल-मिलकर आते हैं, मानो एक संयुक्त परिवार में हो रही पूजा में सब भाई-बहन, देवरानी-जेठानी, बुजुर्ग-बच्चे अपने-अपने कमरों से निकलकर इकठ्ठा हो रहे हों. पूरी झांसी भक्ति भावना में डूबी हुई नजर आती है.
झांसी के सांस्कृतिक कार्यक्रम
त्योहारों के साथ-साथ झांसी के कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी बड़े मशहूर हैं. हर साल यहां होने वाला झांसी महोत्सव, प्रदर्शनी मैदान में लगने वाली प्रदर्शनी, महाराजा अग्रसेन जी की याद में मनाया जाने वाला अग्रवाल समाज का भव्य कार्यक्रम यहां के प्रमुख आकर्षणों में से एक हैं. इन कार्यक्रमों में कला का प्रदर्शन, खरीदारी, अलग-अलग प्रतियोगिताएं और पुरस्कार वितरण खूब चलते हैं. इन कार्यक्रमों का इंतजार यहां के हर व्यक्ति को हर साल रहता है.
हर साल लगने वाली हस्तकला प्रदर्शनी में देश-के दूर-दूर के हिस्सों से लोग अपनी कला का प्रदर्शन करने यहां आते हैं. इस दौरान यहां आप भारत के हर राज्य के मुख्य खानपान का स्वाद चख सकते हैं. इसी के साथ, झांसी में शादियां बड़े ही धूमधाम से होती हैं. शादियों के मौसम में रोजाना सड़कों पर नाचते-गाते बारातियों को देखना अपना एक अलग मजा है.
लेकिन सेलेब्रिटीज के नखरे नहीं चलेंगे यहां
लेकिन इसी के साथ, आप एक बात और नोटिस कर सकते हैं. त्योहारों पर धूम मचाने वाली झांसी में अगर कोई सेलिब्रिटी बड़े-बड़े शहरों की तरह आने में देर रात कर दे तो यहां उसे अपने लिए लोगों की भीड़ और एक्साइटमेंट देखने को नहीं मिलेगी, क्योंकि झांसी रात को सोती ही है. झांसी के लोग नियम से चलना पसंद करते हैं. सुबह उठते ही मंदिरों में पूजा-अर्चना, फिर घर-कार्यालयों के कार्य, शाम को घर लौटते समय बाजार से सब्जी आदि का थैला भरकर ले आना और फिर घर पर खाने के साथ टीवी देखकर सो जाना…
कपड़ों और फुटवियर का कलेक्शन
कहते हैं कि ‘भले ही कम हो, लेकिन जो भी बेस्ट हो’… झांसी की शॉपिंग के मामले में आप यही कह सकते हैं. बेशक यहां दिल्ली-मुंबई जैसे कपड़ों के बड़े-बड़े भंडार न हों, लेकिन जितना है, वो क्वालिटी का है. कहने का मतलब, झांसी का शॉपिंग कलेक्शन काफी शानदार और जानदार है. वैसे तो यहां अब पैंटालूंस, बिग बाजार, V-MART, विशाल मेगा मार्ट जैसे कई शॉपिंग मॉल्स खुल चुके हैं, लेकिन यहां के कुछ कपड़ों के बाजार बहुत ही फेमस हैं.
झांसी में देश की अलग-अलग चुनिंदा जगहों का कलेक्शन आता है, जिनके दाम भी यहां के लोगों को ध्यान में रखकर तय किए जाते हैं. चाहे आप देश के किसी भी कोने से आए हों, फिर भी यहां कपड़ों और फुटवियर की शॉपिंग करते समय आप निराश नहीं होंगे. इसी के साथ, यहां काफी अच्छे और बड़े-बड़े ब्यूटी पार्लर्स हैं, जो आपकी खूबसूरती में चार चाँद लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. कुल मिलाकर झाँसी में आपको आधुनिक सुविधाओं में कोई कमी नजर नहीं आएगी.
झांसी का शिक्षा क्षेत्र
शिक्षा से ही एक सभ्य समाज का निर्माण होता है. इस मामले भी आप छोटी सी झांसी को बिल्कुल कम मत समझिएगा. प्रतियोगी परीक्षाओं की अच्छी तैयारी के लिए यहां देश के कई नामी-गिरामी कोचिंग संस्थान तो हैं ही, साथ ही उन्हें कड़ी टक्कर देने वाले लोकल कोचिंग संस्थानों की भी कोई कमी नहीं है. यह शहर के प्रमुख व्यवसायों में से भी एक है.
दरअसल, झांसी के लोगों की एक सोच है कि मैथ, साइंस और इंग्लिश का ट्यूशन पढ़े बिना हाईस्कूल और इंटरमीडिएट नहीं की जाती और यही कारण है कि झांसी में कोचिंग संस्थानों का एक अलग ही नाम रहता है. यहां कई योग शिविर और डांस-म्यूजिक-आर्ट क्लास भी हैं. इस साल तो प्रधानमंत्री मोदी ने झांसी में डिफेंस कॉरिडोर (Defense Corridor in Jhansi) की शुरुआत भी की है.
झांसी में घूमने लायक जगहें
झांसी में घूमने लायक जगहों (Jhansi Tourist Places) की कमी नहीं है. रानी किला (Jhansi Fort), रानी किले का शिव मंदिर, जहां महाशिवरात्रि में दर्शनों के लिए बहुत लंबी लाइन लगती है… रानी महल, राजकीय संग्रहालय (Museum), रानी लक्ष्मीबाई पार्क, पंचतंत्र पार्क, नारायण बाग, ध्यानचंद स्टेडियम, वाटर पार्क आदि के होते हुए आपको अपने मनपसंद के स्वाद के साथ पर्यटन की कमी महसूस नहीं होनी चाहिए.
‘दूसरी अयोध्या’ कहलाने वाला प्रसिद्ध ओरछा धाम, दतिया का पीताम्बरा पीठ मंदिर और बालाजी सूर्य मंदिर यहां से ज्यादा दूर नहीं है. बहुत से लोग हर हफ्ते इन जगहों पर जाकर आसानी से दर्शन करके आ जाते हैं. इसी के साथ, झांसी में ठहरने के लिए भी लगभग सभी तरह की अच्छी व्यवस्था है. यहां लो-बजट से लेकर हाई-बजट तक के होटल मौजूद हैं.
रानी लक्ष्मी बाई व्यायाम मंदिर इंटर कॉलेज
अगर आप झांसी किले की छत पर जाएंगे, तो आपको वहां से शहर का इतना खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा, जिसे आप कभी नहीं भूल पाएंगे. सबसे बड़ी बात कि इस किले में अपना कदम रखना ही अपने-आप में एक गर्व की बात है. किले की छत से नजर आने वाला प्रमुख विद्यालय रानी लक्ष्मी बाई व्यायाम मंदिर इंटर कॉलेज महारानी लक्ष्मीबाई जी के नाम पर ही खोला गया था.
इस स्कूल में पढ़ाई लिखाई के साथ साथ योग, जिमनास्टिक, मलखंभ, खेलकूद, नृत्य, संगीत, कला आदि की सभी शिक्षाएं दी जाती हैं. इस स्कूल का विशाल जिम्नास्टिक हॉल पूरी झांसी में प्रसिद्ध है. सुबह प्रार्थना सभा में सभी छात्रों द्वारा सरस्वती मंत्र, गणेश मंत्र, भगवान शिव के मंत्रों, भोजन मंत्र, शांति मंत्र आदि का उच्चारण किया जाता है. स्कूल में महारानी लक्ष्मीबाई जी की एक बहुत विशाल प्रतिमा है, जिसके आगे शीश झुकाते हुए ही बड़े होते हैं इस विद्यालय के छात्र और छात्राएं.
इस स्कूल का ग्राउंड बहुत बड़ा है. यहां क्रिकेट, फुटबॉल आदि के लोकल मैच भी हो चुके हैं. आज का तो फिलहाल पता नहीं, लेकिन एक समय इस स्कूल का वार्षिकोत्सव इतना जबरदस्त होता था कि उसे देखने के लिए आसपास की सभी दुकानें बंद हो जाया करती थीं. स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों का कला के हर क्षेत्र में शानदार परफॉर्मेंस देखकर लोग दांतों तले उंगली दबा लेते थे. इसी से यह शहर के मुख्य कार्यक्रमों में शामिल हो गया था.
फिलहाल के लिए इतना ही… बाकी झांसी के बारे में आप तभी जानेंगे, जब आप यहां जाएंगे.
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