Kabj gas ka ilaj in Hindi – लगभग 90 प्रतिशत बीमारियां पेट से ही होती हैं, यानी अगर पेट साफ नहीं रहता, या पेट में कब्ज (Constipation or Kabj) रहती है, तो उससे पूरे शरीर में गंदगी फैलती है…और उसी से अलग-अलग तरह की छोटी-बड़ी बीमारियां भी जन्म लेती रहती हैं. वहीं, अगर पेट साफ रहता है, तो कोई बीमारी पनप ही नहीं पाती, क्योंकि जो शरीर अंदर से भी साफ रहता है, उसमें कोई बीमारी कैसे हो सकती है.
इसीलिए पेट में कब्ज न हो, इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, लेकिन आज गलत लाइफस्टाइल और गलत खानपान से कब्ज की समस्या एक बहुत आम बात हो गई है… और आजकल इस समस्या से बच्चे, युवा और बुजुर्ग तीनों ही परेशान हो चुके हैं. और इसी से दुनिया में नई-नई तरह की बीमारियां भी पैदा हो रही हैं. आज कब्ज के मुख्य कारणों और इसे दूर करने के उपायों को जानते हैं-
कब्ज क्या है? इसके क्या लक्षण हैं?
(Kabj kya hai, Kabj ke lakshan)
कब्ज (Constipation) का मतलब पेट साफ न होने से ही है. जब पेट में कब्ज होती है, तब मलत्याग में बड़ी परेशानी होती है, क्योंकि ऐसे में मल बहुत सख्त हो जाता है, जिस वजह से ज्यादा जोर लगाना पड़ता है और घंटों बैठे रहना पड़ता है. कब्ज के रोगी को बार-बार शौच के लिए जाना पड़ता है… और कभी-कभी तो दो-तीन दिनों तक शौच ही नहीं हो पाता है.
ऐसे में व्यक्ति को बहुत आलस्य आता है, उसका किसी काम में मन नहीं लगता. स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है. कुछ भी खाने-पीने से पहले उसे कई बार सोचना पड़ता है. साथ ही मुंह में छालों या दुर्गंध की भी समस्या हो जाती है. अगर कब्ज का समय पर इलाज नहीं किया जाता है, तो शरीर में कई समस्याएं खड़ी हो जाती हैं. लंबे समय तक कब्ज की समस्या रहने से कई और बीमारियों के होने का खतरा रहता है.
कब्ज के लक्षण- आमतौर पर कब्ज रहने से सुस्ती, थकान, जी मिचलाना, हल्का बुखार, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, मल-मूत्र की समस्या, बदहजमी, पेट में दर्द, पेट में भारीपन, कमजोर आंतों, पेट में गैस, पेट में कीड़े, मुंह में छाले, मुंह से दुर्गन्ध, बहती नाक, खून की खराबी, त्वचा पर पिंपल्स आदि की समस्याएं हो जाती हैं.
नोट- स्वास्थ्य नियम के अनुसार, एक स्वस्थ व्यक्ति को दिन में दो बार यानी सुबह और शाम को शौच के लिए जाना ही चाहिए. दो बार नहीं तो कम से कम एक बार जरूर. रोज कम से कम सुबह शौच न हो पाना खराब सेहत की निशानी है.
कब्ज होने के कारण : कब्ज क्यों होती है?
(kabj kyon hoti hai)
कब्ज के कई कारण होते हैं, लेकिन मुख्य कारण यही है कि अगर हमारा खाया हुआ खाना पचता नहीं, तो कब्ज की शिकायत हो जाती है. ऐसे में पेट में गंदगी या मल जमा हो जाता है… और यही गंदगी दूसरी समस्याओं को जन्म देती है. आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में हर चीज का संतुलन होना चाहिए. शरीर का संतुलन वात, पित्त और कफ दोषों पर निर्भर है. इनमें असंतुलन होने पर शरीर बीमारियों से घिर जाता है.
खाना न पचने या कब्ज के कई कारण होते हैं, जैसे-
- दिनभर में पानी कम पीना या सेहतमंद तरल पदार्थों जैसे जूस-सूप आदि का सेवन कम करना,
- खाना खाने के बाद थोड़ा चहलकदमी न करना या तुरंत आराम से बैठ जाना,
- खाने के तुरंत बाद ठंडा पानी पी लेना,
- पहले वाला खाना पचे बिना ही फिर कुछ खा लेना,
- खाने में रेशेदार आहार (Fibers) की कमी होना,
- मैदे से बनी चीजों और तला हुआ मिर्च-मसालेदार खाना ज्यादा खाना,
- गरिष्ठ या देर से पचने वाले खाने का सेवन ज्यादा करना,
- खाने को अच्छे से चबा-चबाकर न खाना,
- चाय-कॉफी का सेवन ज्यादा मात्रा में करना,
- रात में देर से भोजन करना,
- तंबाकू और सिगरेट पीना,
- बाहर का या पैकेट बंद खाना ज्यादा खाना,
- देर से सोना और देर से जागना,
- पेट को सुबह की धूप न दिखाना
- एक्सरसाइज न करना,
- हार्मोंस की गड़बड़ी या थायराइड की समस्या,
- लंबे समय तक किसी अंग्रेजी दवाओं या दर्द निवारक दवाइयों का इस्तेमाल करना,
- फ्रिज का ठंडा खाना खा लेना,
- मांसाहार लेना,
- एल्युमिनियम जैसे बर्तनों में बना भोजन करना,
- ज्यादा व्रत रखना या बिल्कुल ही व्रत न रखना,
इन सबके साथ, बड़ी आंत में चोट या घाव, डायबिटीज के कारण पाचन की समस्या, आंत-लिवर और तिल्ली की बीमारी, डिप्रेशन (तनाव) आदि भी कब्ज के कारण बन सकते हैं.
कब्ज को दूर करने के उपाय (Kabj ka ilaj)
(1) कब्ज कभी न हो, इसके लिए-
⇒ कम से कम 6 घंटे या ज्यादा से ज्यादा 8 घंटे की नींद लेना चाहिए,
⇒ सुबह सूर्योदय से पहले या सूर्योदय के समय तक उठ जाना चाहिए,
⇒ सुबह उठकर गुनगुना पानी या गुनगुना नींबू पानी पीना चाहिए
♦ (जानिए खाली पेट गुनगुना नींबू पानी पीने के फायदे)
⇒ सुबह की हवा और धूप में बैठना चाहिए,
⇒ कोई न कोई एक्सरसाइज या सूर्य नमस्कार करना चाहिए,
⇒ कम से कम 5 मिनट पेट को सुबह की धूप जरूर दिखाना चाहिए, इससे जठराग्नि तेज होती है, आंतों को बल मिलता है, पाचन शक्ति मजबूत होती है
♦ (जानिए सूर्य से ऊर्जा लेने के तरीके और इसके फायदे)
⇒ सुबह का नाश्ता जरूर लेना चाहिए. नाश्ता हल्का होना चाहिए,
⇒ नाश्ते में तरल पदार्थों, जैसे मौसमी जूस को ज्यादा मात्रा में शामिल करना चाहिए,
⇒ नाश्ता या खाना खूब चबा-चबाकर खाना चाहिए,
⇒ खाने में रेशेयुक्त आहार (Fiber) को ज्यादा से ज्यादा लेना चाहिए,
⇒ खाने के आटे में चोकर जरूर होना चाहिए, यह मल को ढीला करता है और पेट की झाड़-पोंछकर सफाई करता है
♦ (जानिए चोकर के गुण और फायदे)
⇒ गेहूं के आटे में चने का आटा मिलाकर खाएं. मोटा आटा खाएं.
♦ (जानिए गेहूं और चना के फायदे और नुकसान)
⇒ सही बर्तनों में बना भोजन ही करना चाहिए
♦ (जानिए कौन से बर्तन हैं सेहत के लिए फायदेमंद और नुकसानदेह)
⇒ खाने में रिफाइंड तेल और वनस्पति घी का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए. इनकी जगह सरसों का तेल, नारियल तेल, जैतून का तेल, शुद्ध घी आदि का इस्तेमाल करें.
⇒ ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक, सात्विक या शाकाहारी खाना ही खाना चाहिए, बाहर का या पैकेट बंद खाना कम से कम खाएं.
♦ (जानिए सेहतमंद खाना बनाने के तरीके)
⇒ मांसाहार (non-vegetarian food) कम या नहीं लेना चाहिए. कहते हैं कि करीब 160 बीमारियां मांसाहर से ही होती हैं.
⇒ फास्ट-फूड का सेवन कम से कम करना चाहिए. मैगी, पिज्जा-बर्गर, मांस, पेप्सी, कोक, शराब आदि से बड़ी आंत सड़ जाती है.
⇒ मैदा, चीनी और सफेद नमक कम से कम खाएं,
⇒ (मैदा दांतों और आंतों से चिपक जाती है और सेहत को नुकसान पहुंचाती है),
♦ (जानिए कौन सा नमक है सेहत के लिए फायदेमंद और नुकसानदेह)
⇒ खाना खाने से तुरंत पहले और तुरंत बाद (कम से कम 45 मिनट) एक गिलास पानी नहीं पीना चाहिए. खाने के बीच-बीच में थोड़ा-थोड़ा पानी पीया जा सकता है.
⇒ रात को खाना खाने के बाद कम से कम 500 कदम चलना चाहिए,
⇒ हफ्ते में एक उपवास या व्रत रखें. इससे हमारे शरीर की अंदर से मरम्मत हो जाती है, नहीं तो हमारी प्राण शक्ति पूरा समय हमारे खाने को पचाने में ही लगी रहती है. लेकिन बहुत ज्यादा उपवास न करें.
⇒ हर थोड़ी-थोड़ी देर में चाय-कॉफी लेने की आदत न पालें. कोशिश करें कि दिन में दो कप से ज्यादा चाय-कॉफी न लें.
⇒ तंबाकू, सिगरेट और शराब की आदत छोड़ने के उपाय करें और छोड़ ही दें. ये सेहत और पैसा, दोनों ही छीन लेती हैं.
⇒ ताजा खाना खाने की ही कोशिश करें. फ्रिज का ठंडा खाना न खाएं.
⇒ फ्रिज से निकले खाने को निकालकर कम से कम 45 मिनट या एक घंटा ऐसे ही रखने के बाद गर्म करना चाहिए, तुरंत गर्म नहीं करना चाहिये.
⇒ गरिष्ठ या देर से पचने वाले खाने का सेवन कम से कम करें . गरिष्ठ खाना खाने के बाद थोड़ी देर टहलें जरूर.
(2) अगर कब्ज हो गई है, तो इसे दूर करने के उपाय-
नींबू-सोडा का पानी- एक गिलास गुनगुने पानी में आधा या एक नींबू का रस, सेंधा या काला नमक, थोड़ी सी काली मिर्च और चुटकीभर खाने वाला सोडा डालकर पीने से पुरानी कब्ज भी दूर हो जाती है.
अरण्डी का तेल- रात में सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में 1 चम्मच एरण्ड या अरण्डी का तेल डालकर पियें. इससे कब्ज में आराम हो जाता है.
त्रिफला- रात में सोने से पहले एक छोटी चम्मच त्रिफला चूर्ण को गर्म पानी के साथ लें, इससे कब्ज में राहत होती है. ऐसा रोज करने से पुरानी कब्ज भी दूर हो जाती है.
ईसबगोल- इसबगोल में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है, साथ ही वसा और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बिल्कुल नहीं होती. यह पेचिस, कब्ज, दस्त आदि में बहुत फायदेमंद है. दस ग्राम इसबगोल की भूसी को सुबह-शाम पानी के साथ पिएं, इससे कब्ज में राहत मिलती है.
पेट में हींग लगाना- अगर पेट में कब्ज या गैस की समस्या है, या पेट में लगातार दर्द हो रहा है और शौच भी नहीं हो रहा है, तो चुटकीभर हींग को थोड़े से पानी में मिलाकर नाभि के आसपास लगाने से आराम होता है. इससे शौच आराम से हो जाता है.
सावधानी- यह उपाय बार-बार करने के लिए नहीं होता, जब-कभी के लिए ही होता है. इस उपाय से गर्मी भी बढ़ सकती है, या सिरदर्द या थोड़े चक्कर आने जैसी दिक्कत हो सकती है. हालांकि जल्द ही आराम भी हो जाता है. आमतौर पर ये उपाय सर्दियों में करना चाहिए.
जीरा-अजवायन- अजवायन और जीरे को धीमी आंच पर भूनकर पीस लें. इस चूर्ण में काला नमक डालकर किसी डिब्बे या शीशी में रख लें. यह चूर्ण रोज आधा चम्मच गुनगुने पानी के साथ लें. इससे कब्ज में आराम होता है.
बेल का शरबत- बेल का गूदा पेट की अंदर से सफाई करता है. जितना आसानी से पी सकें, उतना बेल का शरबत पीने से कब्ज में राहत मिलती है. ये गर्मियों में करने वाला उपाय है.
टमाटर- टमाटर खाने से आंतें साफ होती हैं, पाचन शक्ति मजबूत होती है और कब्ज और गैस, अफारा, अपच की समस्या में आराम होता है. अच्छे लाल, पके रसीले टमाटर को भूनकर, उसके रस में सेंधा नमक, काली मिर्च और मौसम के अनुसार अदरक, पुदीना मिलाकर सेवन करने से कब्ज और गैस में आराम होता है.
छाछ- ताजा छाछ या मट्ठा में सेंधा या काला नमक मिलाकर उसमें हींग, जीरे, करीपत्ता और पुदीने का तड़का लगाएं और पी जाए, इससे भी कब्ज से राहत मिलती है.
पानी- जैसे तेजी से पानी को बहाकर किसी भी जगह की गंदगी को बाहर निकाला जा सकता है, उसी तरह पानी ज्यादा या सही मात्रा में पीने से हमारे शरीर की गंदगी को बाहर निकलने में मदद मिलती है. इसीलिए साफ पानी को भी प्राकृतिक दवाई माना जाता है. हमारा शरीर लगभग 70 प्रतिशत पानी से बना है, इसलिए शरीर में पानी की इससे कम मात्रा नहीं होनी चाहिए.
शरीर में पानी की कमी होने से सिरदर्द, मुंह के छाले, कब्ज आदि के साथ कई समस्याएं हो जाती हैं. गर्मियों में मटके का पानी, बारिश में उबला हुआ पानी और सर्दियों में गुनगुना या गर्म पानी पीना चाहिए. सुबह के समय साफ तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीना फायदेमंद होता है.
कब्ज को दूर करने के लिए कुछ अन्य उपाय-
♦ पुदीने का शरबत पीने से कब्ज, गैस, अफारा, बदहजमी, अपच आदि में आराम होता है.
(जानिए पुदीने का शरबत कैसे बनाएं)
♦ मुनक्कों को रात को पानी में भिगा दें. सुबह इसके बीज निकालकर दूध में उबालकर खाएं और दूध पी लें. या मुनक्कों को भूनकर, उनके बीज निकालकर उन्हें काले नामक के साथ खाएं.
♦ आंवलों को उबालकर उन्हें सेंधा नमक के साथ खाने से पेट की कई समस्याएं दूर होती हैं.
♦ लेमन टी (Lemon tea) पीने से कब्ज और गैस की समस्या से राहत मिलती है.
♦ अदरक में नींबू का रस और सेंधा नमक मिलाकर खाने से भी कब्ज, गैस में राहत मिलती है.
♦ खाने के साथ कच्ची मूली खाने से पेट की कई समस्याएं दूर होती हैं.
♦ मीठे नीम की पत्तियों (करीपत्ता) को चबा-चबाकर खाने से पेट की सफाई होती है.
नोट- इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, कई किताबों और खुद के अनुभव पर आधारित है. इन पर अमल करने से पहले डॉक्टर या जानकार की सलाह ले लें.
Tags : Kabj ka gharelu upay, Kabj ki tablet, Kabj kya hai, Kabj kya hota hai, Kabj dur karne ke upay, Kabj ka turant ilaj, Kabj ke lakshan in hindi, Kabj ke gharelu upay, Kabj ko kaise dur karen, Kabj me kya khaye, Kabj meaning in hindi, Kabj ka jad se ilaj, Kabj ka gharelu upchar, Kabj ke karan, Kabj ki ayurvedic medicine, Kabj ki dawa, कब्ज की आयुर्वेदिक दवा, कब्ज के लक्षण, कब्ज के नुकसान, कब्ज का परमानेंट इलाज, कब्ज क्यों होता है, कब्ज तोड़ने की दवा, कब्ज, गैस का रामबाण इलाज, कब्ज, गैस का इलाज
Copyrighted Material © 2019 - 2024 Prinsli.com - All rights reserved
All content on this website is copyrighted. It is prohibited to copy, publish or distribute the content and images of this website through any website, book, newspaper, software, videos, YouTube Channel or any other medium without written permission. You are not authorized to alter, obscure or remove any proprietary information, copyright or logo from this Website in any way. If any of these rules are violated, it will be strongly protested and legal action will be taken.
Be the first to comment