अगर लौकी (Bottle Gourd) को इंजेक्शन लगाकर न उगाया या बड़ा किया जाए तो यह स्वास्थ्य के लिए एक उत्तम औषधि की तरह है. लौकी की तुलना माता के दूध से की गई है. लौकी के गूदे, उसकी कोमल बेल और उसके पत्तों, सभी के औषधीय उपयोग हैं.
लौकी का हलवा, खीर, सब्जी, कोफ्ते आदि बनाए जाते हैं और बड़े स्वाद से खाए जाते हैं. बहुत से लोग लौकी की सब्जी ही खाना पसंद करते हैं. लौकी में चने की दाल मिलाकर बनाई गई सब्जी और भी ज्यादा स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है. इसे लेकर एक लोकोक्ति भी बड़ी मशहूर है-
लौकी कहती मैं लम्बी चिकनी, मेरे तन पर छाल,
मेरे साग में स्वाद बढ़ाने, मिलाओ मुझमें चने की दाल.
लौकी का उत्पादन (Gourd Production)- भारत में लौकी का उत्पादन भारी मात्रा में होता है. लौकी लगभग 12 महीने उपलब्ध होती है. लौकी की फसल के लिए क्षार-रहित जमीन सबसे ज्यादा अनुकूल मानी जाती है. इसके बीज सीधे ही बोए जाते हैं. लौकी की बेल लगती है और यह बेल लंबाई में फैलती जाती है. इस पर सफेद फूल लगते हैं.
लौकी की कई किस्में होती हैं- लंबी, तुमड़ी, तुमरा, चिपटी आदि. मुख्य रूप से लौकी की दो किस्में होती हैं- मीठी और कड़वी. तुमड़ी लौकी कड़वी होती है. आधुनिक वानस्पतिक शास्त्र में यह एक ही पौधा (Lagenaria siceraria) माना जाता है, जिसमें अंतर केवल स्वाद का है.
♦ कृपया कड़वी लौकी का सेवन भूलकर भी न करें. कड़वी लौकी की न तो कोई सब्जी बनाएं और न ही उसका जूस पीयें.
लौकी के गुण और फायदे
(Gourd Properties and benefits)-
मीठी लौकी मधुर, हृदय के लिए हितकारी, पित्त और कफ को नष्ट करने वाली, वीर्यवर्धक, रुचि उत्पन्न करने वाली और धातुपुष्टि को बढ़ाने वाली कही गई है. यह अशक्त और रोगियों के लिए फायदेमंद है.
सुश्रुत ने लौकी को मल उतारने वाली या कब्ज को दूर करने वाली, रुक्ष (रूखी) और शीतल (ठंडी तासीर) बताया है. लौकी का सेवन करने से हृदय की बीमारी के खतरे को कुछ हद तक कम किया जा सकता है.
इसीलिए अगर बुखार की गर्मी बढ़ने से सिर में दर्द हो, तो लौकी को छीलकर सिर और माथे पर बांधी जाती है. वहीं, लौकी को पीसकर पैरों में लगाने से पैरों की जलन शांत होती है. जिन लोगों को गर्मी बढ़ी रहती है, उनके लिए लौकी का सेवन करना अच्छा है. यह शरीर को ठंडक और पोषण देती है.
गर्भवती महिलाओं के लिए लौकी का सेवन करना अच्छा माना जाता है. इसके सेवन से गर्भवती महिलाओं की कब्ज और गैस की समस्या दूर होती है (हालांकि, गर्भावस्था में किस चीज का सेवन कितनी मात्रा में करना है, इसके लिए डॉक्टर की सलाह जरूर लें).
लौकी को उबालकर उसमें नमक या अन्य तेज मसाले न डालकर केवल सूखा धना, जीरा, हल्दी और हरा धनिया डालकर खाना हृदय रोगों के लिए अच्छा होता है. क्षयरोगियों के लिए भी लौकी बहुत फायदेमंद है. जिन महिलाओं को ल्यूकोरिया (योनि से सफेद पानी) की समस्या रहती हो, उनके लिए भी लौकी का सेवन फायदेमंद है.
पेट की समस्याओं जैसे कब्ज, गैस, अपच आदि के लिए लौकी बहुत फायदेमंद है. लौकी का रस निकालकर उसमें थोड़ा शहद या चीनी डालकर पीने से शरीर की गर्मी, गले की जलन, रक्तविकार, फोड़े, शीतपित्त, खून की गर्मी, नाक से खून आना आदि में आराम होता है.
मोटापे से परेशान लोगों के लिए लौकी का जूस बहुत फायदेमंद है. एक दिन में लौकी का एक छोटा गिलास जूस ही पीना चाहिए. लौकी में फाइबर अच्छी मात्रा में होता है. यह शरीर को पोषण देती है और पेट को देर तक भरा-भरा रखती है. लौकी के जूस की तासीर ठंडी होती है. कृपया कड़वी लौकी का जूस बिल्कुल न पीयें.
लौकी का जूस कैसे बनाएं-
लौकी को धोकर, छीलकर कद्दूकस कर लें. इसके बाद हाथों से या किसी साफ कपड़े या छन्नी की सहायता से लौकी के रस को छानकर अलग कर लें. इस रस में पुदीने की पत्तियां, नींबू का रस, जीरा पाउडर, स्वादानुसार सेंधा नमक और काली मिर्च पाउडर डालकर इसे अच्छे से मिला लें. लौकी का जूस तैयार है.
लौकी के सेवन में सावधानियां-
कृपया कड़वी लौकी न खाएं और न ही उसका जूस पीयें. एक दिन में मीठी लौकी के जूस का एक छोटा सा गिलास ही पीयें. अधिकता किसी भी चीज की न करें.
वैसे तो लौकी के कोई साइड इफेक्ट सामने नहीं आए हैं, बशर्ते लौकी ताजी, मीठी और बिना केमिकल वाली हो. आजकल जिस तरह इंजेक्शन लगाकर छोटी लौकियों को एकदम से बड़ी कर बेचा जा रहा है, उससे लौकी के साइड इफेक्ट जरूर सामने आए हैं. नहीं तो सही मात्रा में मीठी लौकी का सेवन करना सेहत के लिए अच्छा है. लेकिन लोगों को लौकी के जूस का इस्तेमाल बिना डॉक्टर की सलाह के सेल्फ मेडिसिन के लिए नहीं करना चाहिए.
देखें- सेहत की डायरी (1)
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