Tilak Lagane ke Fayde-
तिलक का अर्थ है किसी भी शुभ कार्य से पूर्व मस्तक पर लगाया जाने वाला चिन्ह. पहले तिलक शरीर पर लगता है और बाद में यह अंतःकरण या मन पर लग जाता है. प्राचीन समय में लगभग सभी स्त्री-पुरुष कुमकुम या चंदन का तिलक या टीका/बिंदी लगाते थे, क्योंकि वे इसके महत्व को जानते थे.
चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर।
तुलसीदास चंदन घिसे तिलक करें रघुबीर।।
बिना तिलक लगाए न तो पूजा की अनुमति होती है और न ही पूजा सम्पन्न मानी जाती है. मुख्य रूप से तिलक माथे पर दोनों भौहों के बीच ही लगाया जाता है, जहां आज्ञाचक्र (छठवां मूल चक्र) होता है. इसे चेतना केंद्र भी कहते हैं. इसके अलावा शरीर के अन्य स्थानों पर भी तिलक लगाया जा सकता है, जैसे कंठ पर, छाती या बांह पर.
मुख्य रूप से तिलक चंदन या कुमकुम का ही लगाया जाना चाहिए. कुमकुम, हल्दी और चूने के पानी से बना हो, तो उत्तम होता है. पुरुष को चंदन और स्त्री को कुमकुम का लगाना अच्छा माना जाता है.
किस अंगुली से लगाते हैं तिलक : परंपरागत रूप से मस्तक पर तिलक लगाने के लिए अनामिका अंगुली (रिंग फिंगर) का प्रयोग किया जाता है. हथेली पर अनामिका के नीचे के क्षेत्र को सूर्य क्षेत्र या सूर्य पर्वत कहा जाता है. सामान्यतः खुद को तिलक लगाते समय अनामिका का और किसी दूसरे को तिलक लगाते समय अंगूठे का प्रयोग किया जाता है.
आवश्यक नियम : आमतौर पर (यदि कोई मजबूरी न हो तो) बिना स्नान किए तिलक नहीं लगाना चाहिए. तिलक पहले अपने इष्टदेव या भगवान जी को लगाना चाहिए और फिर उसके बाद स्वयं लगाते हैं. तिलक लगाकर सोना नहीं चाहिए, नहीं तो नींद डिस्टर्ब हो सकती है.
तिलक लगाते समय अपना चेहरा पूरब या उत्तर दिशा की तरफ रखें तो अच्छा है.
तिलक करने के फायदे
तिलक लगाना केवल एक धार्मिक या श्रृद्धा या सौंदर्य बढ़ाने का ही कार्य नहीं है. तिलक लगाने से शरीर और मन को बहुत सारे फायदे मिलते हैं, जैसे स्वास्थ्य में सुधार होता है, मन को एकाग्र और शांत रखने में मदद मिलती है. आत्मशक्ति, एकाग्रता, संयम, शांति, निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है. नियमों का ध्यान रखते हुए रोज तिलक लगाने से सिर दर्द की समस्या दूर होती है, आकर्षण क्षमता में सुधार होता है.
ज्योतिष के अनुसार, तिलक लगाने से ग्रहों की ऊर्जा संतुलित होती है, या ग्रहों की स्थिति में सुधार होता है. तिलक लगवाते समय सिर पर हाथ इसलिए रखा जाता है, ताकि पॉजिटिव एनर्जी हमारे शीर्ष चक्र पर एकत्र हो. वैज्ञानिक रूप से तिलक को आत्मशक्ति के पूरक के रूप में माना गया है.
किस तरह का तिलक लगाने से कौन सा लाभ होता है-
सफेद चंदन का तिलक लगाने से एकाग्रता बढ़ती है. रोली और कुमकुम का तिलक लगाने से आकर्षण बढ़ता है और आलस्य दूर होता है. केसर का तिलक लगाने से यश बढ़ता है और कार्य पूरे होते हैं. गोरोचन का तिलक लगाने से विजय की प्राप्ति होती है (गोरोचन एक पदार्थ है, जिसका सम्बन्ध गाय से होता है).
अष्टगंध के तिलक से विद्या और बुद्धि बढ़ती है (अष्टगंध के तिलक में कई तरह की सुगंधित चीजें मिली होती हैं). भस्म और राख के तिलक से दुर्घटनाओं और मुकदमेबाजी से रक्षा होती है. भस्म या रख का तिलक भगवान शिव की पूजा करके लगाना चाहिए.
आकर्षण क्षमता में सुधार करने के लिए- एक तांबे के पात्र में थोड़ी सी रोली लेकर उसमें थोड़ा सा गुलाबजल मिलाकर घोल लें. इससे पहले भगवान श्रीकृष्ण का तिलक करें और फिर स्वयं को तिलक लगाएं. ऐसा करने से आकर्षण क्षमता या प्रभाव में सुधार होता है. लेकिन इस तिलक को लगाने के बाद मांस-मदिरा का सेवन बिल्कुल न करें.
विजय/सफलता और शक्ति की प्राप्ति के लिए- लाल चंदन घिस लें और इसे एक चांदी या शीशे के पात्र में रख लें. फिर इसे माँ दुर्गा के सामने रखकर इस मंत्र का 27 बार जप करें-
ॐ दुं दुर्गायै नमः
(यह भगवती दुर्गा जी का सिद्धि मंत्र है जिसका पाठ रक्तचंदन की माला से शुद्ध अवस्था में करना चाहिये. जिस दिन करें, उस दिन मांस-मदिरा का सेवन बिल्कुल न करें).
इसके बाद इस चंदन को माँ दुर्गा के चरणों में लगाएं और फिर चरणों से लेकर स्वयं को लगाएं.
ज्योतिष के अनुसार- कौन सा तिलक किस ग्रह को मजबूत करता है-
♦ अनामिका अंगुली से लाल चन्दन का तिलक लगाने से कुंडली में सूर्य मजबूत होता है.
♦ कनिष्ठा अंगुली से सफेद चन्दन का तिलक अपने मस्तक पर लगाने से चन्द्रमा मजबूत होता है. यह एक विशेष प्रयोग होता है, क्योंकि आमतौर पर कनिष्ठा अंगुली से तिलक नहीं लगाया जाता है, लेकिन कुंडली में चन्द्रमा को मजबूत करने के लिए यह प्रयोग किया जाता है.
♦ अनामिका अंगुली से नारंगी सिंदूर का तिलक लगाने से मंगल ग्रह मजबूत होता है, जिससे साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है, घबराहट-बैचेनी और गैस की समस्या से राहत मिलती है.
♦ कनिष्ठा अंगुली से मस्तक पर अष्टगंध का तिलक लगाने से बुध ग्रह मजबूत होता है.
♦ तर्जनी अंगुली से केसर का तिलक लगाने से बृहस्पति मजबूत होता है.
♦ अनामिका अंगुली से मस्तक पर रोली और अक्षत का तिलक लगाने से शुक्र ग्रह मजबूत होता है.
♦ तीन अँगुलियों से कंडे या धूपबत्ती की राख का त्रिपुंड लगाने से शनि, राहु और केतु की समस्या दूर होती है.
अन्य उपायों से बढ़ाएं अपना आकर्षण-
नियमों का ध्यान रखकर किसी रत्न को धारण करके (जो आपके लिए उपयुक्त हो) आकर्षण क्षमता और अपने प्रभाव में सुधार किया जा सकता है.
अपनी वाणी को प्रभावशाली बनाने के लिए माँ सरस्वती जी की उपासना करें. रोज सुबह सूर्य को जल अर्पित करें. भगवान शिव की उपासना करें. सुबह-शाम (या एक बार) 108 बार गायत्री मंत्र का जप करें.
साफ-सफाई और अनुशासन का ध्यान रखकर. कपड़े भले ही पुराने हों, लेकिन जहां तक संभव हो, फटे कपड़े न पहनें. अपने शरीर में पानी की मात्रा को सही रखें. पानी की बर्बादी न करें, नहीं तो जीवन में कई तरह की समस्याएं खड़ी हो जाती हैं.
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