Sweet Lime Mosambi Benefits
मोसंबी या मुसम्मी या मौसमी (Mosambi or Musammi or Sweet Lime) एक ऐसा फल है जिसे सब जानते हैं और पोषक आहार के रूप में इसका उपयोग बड़ी भारी मात्रा में होता है. मौसंबी को ‘मीठा नींबू’ भी कहा जाता है. मोसम्बी नींबू की ही जाति का एक फल है और नींबू से अनेक गुना अधिक फायदे वाला भी है. मोसम्बी गुणों में काफी कुछ नारंगी के बराबर होती है.
गर्मी के दिनों में प्यास बुझाने के लिए मुसम्मी का जूस अमृत की तरह लगता है. आयुर्वेद के अनुसार, मोसम्बी में अनेक तरह के विटामिन्स होते हैं. यह वात-पित्त-दोष ठीक करती है. मोसंबी रोगी या निरोगी सभी के लिए श्रेष्ठ है. इसका रस अमृत के समान गुणकारी है. कुछ बीमारियों में तो रोगियों को केवल मोसंबी का ही देने की सलाह दी जाती है.
मोसम्बी की पैदावार
• कुछ आधुनिक विज्ञान मोसम्बी का मूल वतन चीन को मानते हैं, हालाँकि हमारे भारत में मोसंबी का उपयोग प्राचीन काल से ही होता आ रहा है. यह भारत में सब जगह होती है. भारत में मध्य प्रदेश, पंजाब, बंगाल, असम, महाराष्ट्र, अहमदनगर और गुजरात में मोसंबी का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है. इनमें भी नागपुर और पुणे में मोसम्बी भारी मात्रा में होती है.
• मोसंबी के लिए सूखी गर्म हवा ज्यादा अनुकूल रहती है. बीज से पनीरी करके और कलम करके दोनों ही तरीकों से मोसंबी की बुवाई होती है. मोसंबी के पेड़ मध्यम कद के होते हैं. इसके पत्ते बड़े होते हैं. मौसंबी का वास्तविक मौसम वर्षा ऋतु के अंत में शुरू होता है, हालांकि यह बारहमासी फल है अतः यह कभी भी उपलब्ध हो सकती है.
• मोसंबी की कई किस्में हैं, जैसे- नेवल, जमैका और माल्टा. नेवल किस्म को अमेरिका में सबसे उत्तम माना जाता है. माल्टा का छिलका और रस लाल रंग का होता है. मोसंबी की कलमें करने से आजकल इसकी अनेक उपजातियां तैयार हुई हैं. मोसंबी के फल एकाध महीने तक बिना बिगड़े ज्यों के त्यों बने रहते हैं. इसी कारण इसका व्यापार काफी बड़े पैमाने पर चलता है.
• संतरे का छिलका उतार लेने पर अंदर की पेशियों (कलियों) का पूरा पिंड बिखर जाता है, जबकि मोसंबी की पेशियां या कलियां उसके छिलके के साथ बड़े अच्छे से चिपकी रहती हैं. मोसंबी का छिलका उसके अंदर वाले गर्भ या गूदे से चिपका हुआ रहता है और उसके ऊपर वाले हिस्से पर गोल चवन्नी जैसी छाप दिखाई देती है. चवन्नी के चाप वाली मोसंबी बहुत मीठी होती है. फल के ऊपरी भाग में रेखाएं भी होती हैं.
मोसम्बी के गुण और फायदे (Benefits of Mosambi)
• इसमें कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर, आयरन, पोटेशियम, फॉस्फोरस भरपूर मात्रा में होते हैं. मोसंबी में विटामिन A, B और C होता है. मोसम्बी के विटामिन बड़ों की अपेक्षा बच्चों को ज्यादा फायदा देते हैं. इसके रस का सेवन करने से बच्चों की पाचन शक्ति तेज होती है.
• मोसंबी का जूस कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है. मोसंबी मधुर, शीतल, स्वादिष्ट, रुचि उत्पन्न करने वाली, धातुवर्धक और रक्त को शुद्ध करने वाली है. यह पौष्टिक, हृदय को उत्तेजित करने वाली, दीपक, पाचक और तृषा यानी प्यास को शांत करने वाली और शरीर को ठंडक देने वाली है. मोसम्बी के सेवन से रक्त और शारीरिक तेज बढ़ता है. बुखार में रोगियों के लिए इसका रस पथ्य (उपयोगी) माना जाता है.
• यह गर्मियों का उत्तम पेय पदार्थ है. गर्मियों के मौसम में मोसंबी के रस में चीनी डालकर उसका शरबत बनाकर पीने से ठंडक मिलती है.
• मोसम्बी का रस पीने से शारीरिक शक्ति और त्वचा की चमक में वृद्धि होती है. मौसंबी का रस शारीरिक शक्ति और भूख बढ़ाता है.
• पेशाब करते समय दर्द, जलन, या पेशाब रुक-रुककर आने जैसी समस्याएं हो रही हैं तो मौसंबी के रस का सेवन करें.
• मौसंबी का सेवन पाचन तंत्र को मजबूत करने के साथ बालों को झड़ने से भी रोकता है. मौसंबी में पाए जाने वाले विटामिन्स और पोषक तत्व बालों को हेल्दी बनाने में मदद करते हैं.
• मौसंबी में विटामिन-सी पाया जाता है. यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ने में मदद करती है. इस क्षमता के कारण आपका शरीर सभी प्रकार की बीमारियों से लड़ने में सक्षम होता है.
• मोसंबी के छिलके निकालकर खाने के बदले उसका रस पीने से यह ज्यादा ठंड देती है. डॉक्टर बुखार में मोसंबी का रस लेने की छूट देते हैं. गर्मी के दिनों में शरीर में पानी की कमी को पूरा करने में मोसंबी का रस या जूस बहुत फायदेमंद होता है.
सावधानी
नोट – लेकिन बुखार में खांसी या जुकाम के लक्षण प्रकट होने पर मोसंबी का रस नहीं देना चाहिए. इसके ठंडक के गुण के कारण सर्दी-जुकाम की शिकायत वालों को मोसम्बी अनुकूल नहीं रहती.
• यदि कोई बुजुर्ग काफी दूर से चलते हुए आया है और उसे गर्मी भी बढ़ चुकी है, तो उसे एकदम से मौसंबी का जूस नहीं पीना चाहिए.
• सही मात्रा में लेने से एक सामान्य व्यक्ति के लिए मोसम्बी के कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं. लेकिन यदि अधिक मात्रा में मौसंबी का सेवन किसी भी रूप में किया जाये, तो यह भी जी मिचलना, उल्टी या दस्त जैसे नुकसान कर सकता है.
• मौसंबी के जूस को कभी भी पीया जा सकता है. लेकिन जूस ताजा ही पीना चाहिए. जूस लेने का समय मौसम और जरूरत के अनुसार तय करना चाहिए.
• शुगर के मरीज मोसंबी का जूस ले सकते हैं. इससे सेहत पर बुरा असर नहीं पड़ता है. हालांकि, ध्यान रखें कि बाजार की अपेक्षा बेहतर होगा कि आप घर पर तैयार जूस लें.
मोसम्बी के अन्य उपयोग- मोसंबी के छिलके से सुगंधित तेल निकाला जाता है. इसकी छाल से अर्क भी निकाला जाता है. यह अर्क साबुन, शराब और अन्य पेय पदार्थों में डाला जाता है. मोसंबी के छिलके से निकाला हुआ तेल जल्दी उड़ जाता है, इसलिए इसका संग्रह (Collection) जैतून के तेल के साथ मिलाकर किया जाता है.
• मौसंबी के छिलके को छाया में सुखा लें. इसे पीस लें और इसमें मुल्तानी मिट्टी, हल्दी पाउडर और 1-2 बूँद नींबू का रस मिला लें. इसे चेहरे पर लगाने से झाईयां और मुंहासे आदि दूर होते हैं. इससे चेहरे की चमक बढ़ती है. मौसंबी में अम्ल रस होने के कारण यह पित्त को सामान्य कर त्वचा को प्राकृतिक तरीके से निखारता है.
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