Power of Om Namah Shivay Mantra
जीवन में हर चीज का अभ्यास और निरंतरता जरूरी है. बैठे-बैठे कोई सिद्धि या उपलब्धि प्राप्त नहीं की जा सकती है. मंत्रों का लगातार जप या उच्चारण भी अभ्यास और निरंतरता के अंतर्गत आता है. अज्ञानता और आलस्य के कारण आज हम मंत्रों की शक्ति (Power of Mantras) को समझ नहीं पा रहे हैं, और इसीलिए हम मंत्रों का उसी रूप में लाभ भी नहीं उठा पा रहे, जिस रूप में एक छोटा सा और सरल दिखने वाला मंत्र अनंत लाभ दे सकता है.
मंत्र एक खोज होते हैं, जिनका एक-एक अक्षर और मात्रा उसी प्रकार महत्त्व रखती है, जिस प्रकार एक अच्छी दवा का निर्माण करते समय उसमें एक-एक तत्व की सही और निश्चित मात्रा का महत्त्व होता है. मंत्रों का सही तरीके से लगातार जप करने से विश्व की बड़ी से बड़ी उपलब्धि या शक्तियों को पाया जा सकता है.
सुनने-पढ़ने में यह अविश्वसनीय लगता है कि मात्र जप करने से ये जबरदस्त परिवर्तन हो सकते हैं. लेकिन ऐसा होता है. यह कोई रहस्य या चमत्कार नहीं होता, बल्कि विज्ञान ही है. आधुनिक वैज्ञानिकों का कहना है कि जब किसी मंत्र का उच्चारण लयबद्ध तरीके से किया जाता है, तो फेफड़े, संचार प्रणाली आदि पर प्रभाव पड़ता है. यह एक न्यूरो-भाषाई प्रभाव पैदा करता है.
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मंत्र विचार-ऊर्जा तरंगें पैदा करते हैं, और जीव मंत्र की ऊर्जा और आध्यात्मिक अपील के अनुरूप कंपन करता है. मंत्रों का उच्चारण करते समय विराम चिह्नों, विरामों, उच्चारण, अंकन, लंबाई और मंत्र के बल के प्रति सच्चे रहें और इसे बार-बार दोहराएं. परिवर्तन समय के साथ धीरे-धीरे होता है. ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने यह पाया है कि मंत्र-जप आपको कल्याण के उच्च स्तर की ओर ले जाता है.
वैदिक मंत्रों के लिए बताया गया है कि यह किसी की मानसिक शक्ति को विकसित करने, तनाव कम करने और व्यक्ति को चेतना के उच्च स्तर तक ले जाने में मदद करता है. जप करने से व्यक्ति की याददाश्त और एकाग्रता की शक्ति में भी सुधार होता है, इसलिए यदि कोई सफल व्यक्ति बनना चाहता है तो यह बहुत महत्वपूर्ण है.
आज ऐसे ही अलौकिक लाभ देने वाले एक और महामंत्र की बात करते हैं. वह महामंत्र है- ॐ नमः शिवाय (Om Namah Shivay).
‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप करने के फायदे
यदि आप ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप करते रहते हैं, तो ब्रह्मांड की सभी पॉजिटिव शक्तियां आपकी मदद करने लगती हैं, क्योंकि सभी चीजें भगवान शिव से जुड़ने के बाद मंगलकारी हो जाती हैं, साथ ही कोई भी शक्ति भगवान शिव पर शासन नहीं कर सकती. सम्पूर्ण ब्रह्मांड शिव में ही है और इसलिए वे इस ब्रह्मांड की सर्वोच्च शक्ति हैं. ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र में भगवान शिव, श्री विष्णु, मां दुर्गा, श्री गणेश और ब्रह्मा जी शामिल हैं.
‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप करने के लिए आपको किसी अध्यात्मिक मार्गदर्शन की जरूरत नहीं है. आप किसी भी समय लगातार इस मंत्र का जप कर सकते हैं, जिसके फायदे आपको कुछ ही समय में दिखना शुरू हो जायेंगे. यह मंत्र प्राणी को भौतिक और आध्यात्मिक, दोनों तरह से शुद्ध करता है.
इस मंत्र का जप करते रहने से जीवन में तनाव या डिप्रेशन कम होकर पॉजिटिविटी और शांति महसूस होने लगती है. इस मंत्र का उच्चारण मनुष्य को आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति प्रदान करता है. आप किसी भी चीज को बेहतर तरीके से सोच पाते हैं और आप जीवन में कई अच्छे परिवर्तन को महसूस करते हैं. और तब मन यह भी सोचता है कि ‘काश! और भी पहले से मैंने इस मंत्र का जप शुरू कर दिया होता’.
यह मंत्र प्रार्थना, दया, सत्य और परमसुख जैसे गुणों से जुड़ा हुआ है. सही ढंग से जप करने से यह मंत्र मन में शांति, आध्यात्मिक अन्तर्दृष्टि और ज्ञान लाता है. कई अनुभवों के आधार पर इस मंत्र में शारीरिक और मानसिक बीमारियों को दूर रखने के शक्तिशाली गुण मौजूद हैं. कई शिक्षकों का विचार है कि इन पाँच अक्षरों का लगातार उच्चारण शरीर के लिए साउंड थैरेपी और आत्मा के लिए अमृत की तरह है.
कैसे किया जाता है जप- इस मंत्र का मौखिक या मानसिक रूप से जप करते समय मन में भगवान शिव की अनंत और सर्वव्यापक उपस्थिति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. सामान्य रूप से दैनिक विधि में इस मंत्र का उच्चारण रुद्राक्ष की माला पर 108 बार किया जाता है. इसे जप योग कहा जाता है.
‘ॐ’ और ‘नमः शिवाय’ का अर्थ
‘नमः शिवाय’ का अर्थ है- ‘भगवान शिव को नमस्कार’ या ‘उस मंगलकारी को प्रणाम!. इसे शिव पञ्चाक्षर मंत्र (पाँच-अक्षर मंत्र) भी कहा जाता है. यह मंत्र श्रीरुद्रम्चमकम् और रुद्राष्टाध्यायी में ‘न’, ‘मः’, ‘शि’, ‘वा’ और ‘य’ के रूप में प्रकट हुआ है. ये पाँचों अक्षर क्रमशः पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश का प्रतिनिधित्व करते हैं. श्रीरुद्रम्चमकम् कृष्ण यजुर्वेद का और रुद्राष्टाध्यायी शुक्ल यजुर्वेद का पार्ट है.
‘नमः शिवाय’ के एक-एक अक्षर का बहुत महत्व है. ये सभी अक्षर मिलकर भगवान शिव के स्वरूप की संपूर्ण जानकारी देते हैं. इस मंत्र की व्याख्या शिव पंचाक्षर स्त्रोत (नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय, भस्माङ्गरागाय महेश्वराय…) में मिलती है.
‘ॐ’ एक ध्वनि की तरह प्रतीत होता है, जिसमें ब्रह्मांड की संपूर्ण शक्ति का वास है. ॐ शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना है- अ (उत्पन्न होना), ऊ (विकास), म (ब्रह्मलीन हो जाना). ॐ ब्रह्मांड की ध्वनि है और मनुष्य के अंतर्मन में स्थित ईश्वर का प्रतीक भी. ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का कुल अर्थ है कि ‘सार्वभौमिक चेतना एक है’.
शिव और शक्ति – शिवलिंग क्या है?
शिव+लिंग, जहां शिव का अर्थ है परम शुद्ध चेतना और लिंग का अर्थ है प्रतीक. शिव में जो ‘इ’ है, वह शक्ति को दर्शाता है. शिव शक्ति को धारण करते हैं. इसे ही पुरुष और प्रकृति कहते हैं. शक्ति के बिना कोई सृजन नहीं हो सकता. शिव और शक्ति के मिलन से ही सृष्टि का निर्माण होता है. इनके मिलने से सब कुछ प्रकट होने लगता है, सर्जन होने लगता है और यह सारी सृष्टि अपने आप बनने लगती है.
शिव चेतना की परम अभिव्यक्ति है, जो नाम और रूप से भी परे है. यह निराकार और निर्गुण भी है और साकार और सगुण भी. निर्गुण रूप में शिव और सगुण रूप में शंकर हैं. इसी परम चेतना को शिवलिंग के माध्यम से दर्शाया जाता है. परम तत्व को दर्शाने के लिए ज्योति का सहारा लिया जाता है. और इसीलिए भगवान शिव के सभी स्वयंभू शिवलिंग को ज्योतिर्लिंग ही कहा जाता है. श्वेत ज्योति रूप होने के कारण शिव को ‘कर्पूरगौरं’ कहा जाता है.
शिव जो शक्तिमान हैं, शक्ति उनसे भिन्न नहीं हैं. शिव शक्ति का आविर्भाव होते ही तीनों लोक और चौदह भवन उत्पन्न होते हैं. संसार को उत्पन्न करने की विशेष क्रिया के कारण इस शक्ति को प्रकृति कहते हैं. अब चूंकि प्रकृति तो अनंत है, अतः प्रकृति को किसी एक निश्चित चिन्ह के माध्यम से नहीं प्रदर्शित किया जा सकता है. इसीलिए प्रकृति को सीधे ब्रह्मांड के रूप में ही दर्शाया गया है. शिवलिंग में नीचे का हिस्सा प्रकृति और भौतिक जगत को दर्शाता है. जब शिव और शक्ति के इन रूपों या प्रतीकों को एक पत्थर पर उकेरा गया, तो जो रूप सामने बनकर तैयार हुआ, वही शिवलिंग है.
इस प्रकार शिवलिंग भगवान शिव और आदि शक्ति का प्रतीक है. शिव और शक्ति से परे और कोई चीज नहीं है. और इसीलिए सभी देवी-देवता आदि भी शिव-शक्ति में ही निहित हैं. और इसीलिए शिवलिंग का पूजन करने से सभी देवी-देवताओं का पूजन हो जाता है.
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