Ganymede (The Biggest Moon)-
हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा चंद्रमा गैनीमेडे या गैनिमीड (Ganymede) सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति (Jupiter) की परिक्रमा करता है. यह एक बर्फीला उपग्रह है. गैनीमेडे बृहस्पति की एक परिक्रमा 7 दिनों में ही पूरी कर लेता है, जबकि बृहस्पति के साथ सूर्य (Sun) की एक परिक्रमा करने में इसे 12 वर्ष ही लग जाते हैं. आइये, सबसे पहले हम बृहस्पति ग्रह के बारे में भी थोड़ा जान लें, और फिर उसके बाद हम गैनीमेडे के बारे में थोड़ा विस्तार से जानेंगे-
सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति (Jupiter)
बृहस्पति हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है. इसका आकार इतना बड़ा है कि इसकी भूमध्य रेखा पर ग्यारह पृथ्वियां फिट हो सकती हैं. यदि पृथ्वी एक अंगूर के आकार की होती, तो बृहस्पति एक बास्केटबॉल के आकार का होता. बृहस्पति हमारे सूर्य से लगभग 484 मिलियन मील (778 मिलियन किलोमीटर) या 5.2 खगोलीय इकाई (AU) दूर है.
जानिए- बृहस्पति को क्यों कहते हैं ‘गुरु’ ग्रह
बृहस्पति लगभग हर 10 घंटे में अपनी धुरी पर एक बार घूम जाता है, लेकिन सूर्य की एक परिक्रमा लगाने में इसे लगभग 12 पृथ्वी साल लग जाते हैं. बृहस्पति एक गैस दानव ग्रह (Gas Giant Planet) है और इसका ज्यादातर वातावरण हाइड्रोजन (H2) और हीलियम (He) से बना है. बृहस्पति के अब तक 75 से अधिक चंद्रमा (उपग्रह) ज्ञात किए जा चुके हैं, जिनमें गैनीमेडे सबसे बड़ा है (बृहस्पति के पास अब तक 53 नामांकित चंद्रमा और 26 अनंतिम या प्रोविजनल चंद्रमा हैं जो खोज की पुष्टि का इंतजार कर रहे हैं).
बृहस्पति के चारों तरफ भी शनि ग्रह की तरह छल्ले पाए जाते हैं, लेकिन इसके छल्ले शनि के छल्लों की तरह सुंदर नहीं हैं. बृहस्पति पर तो जीवन की कोई संभावना नहीं दिखाई देती है, लेकिन बृहस्पति के कुछ चंद्रमाओं की परतों के नीचे महासागर के होने का अनुमान लगाया गया है, जिससे इन चंद्रमाओं पर जीवन की संभावनाएं भी देखी जा रही हैं.
अब आते हैं हम सौरमंडल के सबसे बड़े उपग्रह गैनीमेडे पर
गैनीमेडे का आकार हमारे सूर्य के सबसे निकट के ग्रह बुध और सौरमंडल के बौने ग्रह प्लूटो से भी बड़ा है. गैनीमेडे का आकार शनि ग्रह के सबसे बड़े चन्द्रमा टाइटन से लगभग 2 प्रतिशत ज्यादा है. गैनीमेडे की माध्य त्रिज्या (Mean Radius) लगभग 2,634 किलोमीटर और इसका व्यास लगभग 5,268 किमी (3,273 मील) है.
गैनीमेडे बृहस्पति से 6,65,000 मील (10,70,000 किलोमीटर) और सूर्य से 5.2 खगोलीय इकाई (AU) दूर है (एक ‘AU’ या खगोलीय इकाई = पृथ्वी और सूर्य के बीच की औसत दूरी). सूर्य का प्रकाश गेनीमीड तक पहुंचने में लगभग 43 मिनट का समय लेता है.
बृहस्पति और उसके चन्द्रमा पृथ्वी की तुलना में 1/30वें भाग से भी कम सूर्य का प्रकाश प्राप्त करते हैं. दिन के समय गैनीमेडे की सतह का तापमान -297 से -171 डिग्री फॉरेनफाइट (90 से 160 केल्विन) तक होता है.
पृथ्वी के चंद्रमा की तरह, गैनीमेडे का भी एक ही पक्ष हमेशा बृहस्पति का सामना करता है. अन्य तीन गैलिलियन चंद्रमा भी ऐसा ही करते हैं. गैनीमेडे बृहस्पति की एक परिक्रमा लगभग 7 दिनों में (सात दिनों से थोड़ा अधिक लंबा) ही पूरी कर लेता है और इतना ही समय यह अपनी धुरी पर एक बार घूमने में लेता है.
गैनीमेडे लगभग बराबर मात्रा के पत्थर और पानी की बर्फ से बना हुआ है. इसके सेंटर में पिघला हुआ लोहा है. इस पिघले लोहे की वजह से गैनीमेडे हमारे सौरमंडल का इकलौता ऐसा चंद्रमा है, जिसका अपना चुम्बकीय गोला (Magnetosphere) है. जब बृहस्पति का चुंबकीय क्षेत्र बदलता है, तब गैनीमेडे पर अरोरा भी बदल जाते हैं.
गैलिलियन उपग्रहों में बृहस्पति से दूरी में गैनीमेडे तीसरा स्थान बनाता है-
• आयो (Io)- 262,200 मील (422,000 किलोमीटर)
• यूरोपा (Europa)- 417,000 मील (671,000 किलोमीटर)
• गैनीमेडे (Ganymede)- 665,000 मील (1,070,000 किलोमीटर)
• कैलिस्टो (Callisto)- 1,170,000 मील (1,883,000 किलोमीटर).
गैनीमेड पर पृथ्वी से भी ज्यादा पानी
गैनीमेड की ठोस सतह चट्टान के साथ मिश्रित बर्फ से बनी है. वैज्ञानिकों का यह अनुमान है कि गेनीमीड के भूमिगत महासागर में पृथ्वी पर मौजूद सभी महासागरों से भी ज्यादा पानी हो सकता है. गेनीमेड पर ऑक्सीजन का हल्का वातावरण भी हो सकता है, हालांकि सांस लेने के लिए यह अभी भी बहुत पतला होगा.
हबल स्पेस टेलीस्कोप द्वारा ली गई तस्वीरों में गैनीमेडे पर एक भूमिगत खारे पानी के महासागर (Underground Saltwater Ocean) के सबूत मिलते हैं. ऐसा माना जाता है कि इसके समुद्र में पृथ्वी की सतह की तुलना में कहीं अधिक मात्रा में पानी समाया हुआ है. इस समुद्र के 150 किमी मोटी बर्फ की परत के नीचे दबे होने का अनुमान है. गैनीमेड का महासागर 60 मील (100 किलोमीटर) मोटा होने का अनुमान लगाया गया है, जो कि पृथ्वी के महासागर से भी 10 गुना गहरा है.
गैनीमेडे मुख्य रूप से समान मात्रा में पानी और सिलिकेट रॉक से बना है. इसकी बर्फीली सतह के नीचे अनियमित गांठें पाई गई हैं. गैनीमेडे की तीन प्राथमिक परतें (primary layers) हैं-
(1) बर्फ का एक गोलाकार बाहरी आवरण,
(2) चट्टान का एक गोलाकार आवरण और
(3) लोहे से बना धातु का कोर (केंद्र).
आधुनिक वैज्ञानिकों के मुताबिक, गैनीमेडे (7 जनवरी, 1610) का निरीक्षण करने वाले मानव गैलीलियो गैलीली (Galileo Galilei) थे.
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