12 सालों में सूर्य का एक चक्कर, मात्र 10 घंटे का दिन-रात, जानिए बाकी ग्रहों से कितना अलग है बृहस्पति

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Jupiter in Solar System

Jupiter in Solar System

वैज्ञानिकों के मुताबिक, हमारे सौरमंडल में 8 ग्रह हैं और सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं. सभी ग्रहों के अलग-अलग गुण और विशेषताएं हैं. वैसे तो हर ग्रह अपने-आप में विशेष है, लेकिन इनमें बृहस्पति ग्रह (Jupiter) थोड़ा अलग है. यह हमारे सौरमंडल (Solar System) का सबसे बड़ा ग्रह है. यह बाकी ग्रहों से ज्यादा शक्तिशाली भी है, इसीलिए तो इसे ‘गुरु ग्रह’ भी कहा जाता है. यह सूर्य से पांचवे नंबर का ग्रह है (जैसे हमारी पृथ्वी सूर्य से तीसरे नंबर पर है).

12 सालों में लगाता है सूर्य का एक चक्कर

बृहस्पति सूर्य (Sun) से 77 करोड़ 80 लाख किलोमीटर दूर है. सूर्य से काफी दूर होने के कारण ये काफी ठंडा है. इसका औसत तामपान -145 डिग्री सेल्सियस है. इतनी दूरी की वजह से ही यह सूर्य का एक चक्कर लगभग 12 सालों में लगा पाता है (जैसे हमारी पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर करीब एक साल में लगा लेती है).

बृहस्पति ग्रह पर कोई जमीन या धरातल नहीं हैं, क्योंकि यह मुख्य रूप से गैस के बादलों से बना हुआ ग्रह है. यह मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम से बना है और हमेशा अमोनिया क्रिस्टल और अमोनियम हाइड्रोसल्फाइड के बादलों से ढंका रहता है.

बृहस्पति पर केवल 10 घंटे का दिन-रात

हमारी पृथ्वी पर 24 घंटे का दिन-रात होता है, लेकिन बृहस्पति पर केवल 10 घंटे का दिन-रात होता है, ऐसा इसलिए क्योंकि बृहस्पति अपनी धुरी पर केवल 10 घंटे में ही घूम जाता है. जबकि पृथ्वी को अपनी धुरी पर एक बार घूमने में 24 घंटे लगते हैं.

अगर धरती पर आपका वजन 50 किलोग्राम है, तो बृहस्पति पर आप 132 किलोग्राम के हो जाएंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि बृहस्पति का गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल से 14 गुना ज्यादा है.

बृहस्पति ग्रह पृथ्वी से 11 गुना भारी और इसका द्रव्यमान 317 गुना ज्यादा है. कहा जाता है कि कोई भी चीज अगर बृहस्पति पर चली जाती है, तो उसका वहां से बाहर आना काफी मुश्किल होता है, क्योंकि वह चीजों को अपने तरफ कुछ ज्यादा ही खींचता है.

सौरमंडल का ‘वैक्यूम क्लीनर’ है बृहस्पति

बृहस्पति ग्रह के शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही इसे सौरमंडल का ‘वैक्यूम क्लीनर’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह सौरमंडल में आने वाले बाहरी उल्कापिंडों को अपनी तरफ खींच लेता है. अगर ऐसा नहीं होता तो शायद वे उल्कापिंड पृथ्वी या अन्य ग्रहों से टकरा जाते, जिससे भारी तबाही होती.

साल 1994 में एक धूमकेतु बड़ी तेजी से आया. ऐसा लगा कि वो पृथ्वी के पास आकर कोई तबाही मचाने को है, लेकिन तभी बृहस्पति ने उसे अपनी ओर खींच लिया. वहां भयंकर विस्फोट हुआ और फिर सब शांत हो गया.

बृहस्पति पर एक चक्रवाती तूफान

बृहस्पति पर सबसे रहस्यमयी चीज है- एक विशाल लाल धब्बा यानी ‘ग्रेट रेड स्पॉट (Great Red Spot)’. बृहस्पति पर यह छोटा सा धब्बा इतना बड़ा है कि इसमें 3 पृथ्वियां समा जाएं. इस धब्बे की लंबाई 25 से 40 हजार किलोमीटर और चौड़ाई 12-14 हजार किलोमीटर है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह धब्बा एक चक्रवाती तूफान है, जो सैंकड़ों सालों से चल रहा है. फिलहाल वैज्ञानिकों के पास अभी इस बात का जवाब नहीं है कि यह तूफान कैसे और क्यों चल रहा है.

सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह ‘गैनीमेडे’

बृहस्पति के अब तक 79 उपग्रह पहचाने गए हैं. हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह ‘गैनीमेडे’ भी बृहस्पति का ही उपग्रह है. वैज्ञानिकों का कहना है कि बृहस्पति के कुछ उपग्रहों पर महासागरों का पता चला है, जिनमें पृथ्वी से भी ज्यादा पानी है. इसी वजह से यहां जीवन की संभावनाएं देखी जाती हैं.

लेकिन बृहस्पति पूरी तरह से गैसों से बना ग्रह है. यहां मौसम भी नहीं बन सकते, क्योंकि ये अपनी धुरी पर केवल 3.13 डिग्री ही झुका हुआ है. ऊपर से यहां की ग्रेविटी भी इतनी ज्यादा है, कि कोई भी चीज इसके पास से गुजरते ही इसमें समा जाती है. सूर्य से बहुत ज्यादा दूर होने पर यह बेहद ठंडा भी है. इसकी इन विशेषताओं को देखते हुए इस ग्रह पर जीवन की संभावनाएं बन सकती हैं, ये कहना तो मुश्किल ही है.

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