Southern Ring Nebula (NGC 3132: दक्षिणी वलय निहारिका) – आँख की तरह दिखने वाली इस निहारिका के बारे में जानिए रोचक तथ्य

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दक्षिणी वलय निहारिका या सदर्न रिंग नेबुला

किसी आँख की तरह दिखाई देने वाले NGC 3132 को ‘दक्षिणी वलय निहारिका’ या सदर्न रिंग नेबुला (Southern Ring Nebula) या आठ-विस्फोट नेबुला (Eight-Burst Nebula) या कैलडवेल 74 (Caldwell 74) के रूप में भी जाना जाता है. वेला नक्षत्र (Vela constellation) में मौजूद इस नेबुला (निहारिका) की पृथ्वी से दूरी लगभग 613 पीसी या 2,000 प्रकाश-वर्ष आंकी गई है. सदर्न रिंग नेबुला का व्यास लगभग आधा प्रकाश वर्ष है. इसके केंद्र में खत्म होने वाले तारे से निकलने वाली गैसें लगभग नौ मील प्रति सेकंड की गति से दूर जा रही हैं. सदर्न रिंग नेबुला को एक ग्रहीय नेबुला भी कहा जाता है, हालांकि इसका ग्रहों से कोई लेना-देना नहीं है. बल्कि यह तो एक लाल विशाल तारे (Red Giant Star) के अंतःविस्फोट के कारण बना है.

लाल दानव तारा और सुपरनोवा

ब्रह्माण्ड के ज्यादातर तारे मुख्य अनुक्रम तारे (Main Sequence Stars) हैं, यानी वे तारे जो नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) के जरिए अपने कोर में हाइड्रोजन को हीलियम में बदलते हैं. शुरुआत में तारों में मुख्य रूप से हाइड्रोजन ही होती है. फिर समय बीतने के साथ हाइड्रोजन तारों के कोर या सेंटर (Core or Center) से बाहर की ओर हीलियम में बदलने लगती है. जब तारे के कोर में मौजूद पूरी हाइड्रोजन हीलियम में बदल जाती है, तो तारे के कोर में नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) प्रक्रिया बंद हो जाती है, और तारे के सेंटर में केवल हीलियम बचा रह जाता है.

नाभिकीय संलयन प्रक्रिया के बंद होने की वजह से तारों के कोर में प्रेशर कम हो जाता है. तब यह कोर अपने खुद के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण सिकुड़ने लगता है. हालांकि, तारों के बाहरी भाग में अभी भी कुछ हाइड्रोजन बची रह जाती है, जिससे बहुत कम तीव्रता के साथ ऊर्जा बाहर निकलती रहती है.

इन सभी बदलावों के कारण तारों में संतुलन बिगड़ जाता है. इसे दोबारा संतुलित करने के लिए तारे अपने बाहरी क्षेत्र को फैलाने लगते हैं (तारे का अत्यधिक विस्तार होता है और चमक में वृद्धि होती है), जिससे तारे बहुत बड़े आकार के और लाल रंग के हो जाते हैं, जिसे रेड जाइन्ट स्टार या लाल दानव तारा (Red Giant Star) कहा जाता है.

इन तारों की ऊर्जा इतने बड़े क्षेत्र में फैली होती है, कि उनकी सतह का तापमान उनके बाहरी परत के तापमान की तुलना में बहुत कम होता है, केवल 4,000 से 5,800 डिग्री फॉरेनहाइट (2,200 से 3,200 डिग्री सेल्सियस). तापमान परिवर्तन के कारण तारे स्पेक्ट्रम के अधिक लाल हिस्से में चमकने लगते हैं, जिसके कारण उन्हें “रेड जायंट” नाम दिया गया है, हालांकि वे दिखने में अक्सर अधिक नारंगी रंग के होते हैं. रेड जायंट चरण का अंत आम तौर पर एक स्टार के जीवन में सबसे हिंसक समय होता है.

यदि तारे का द्रव्यमान सूर्य के मुकाबले बहुत ज्यादा है, तो रेड जाइन्ट तारा बनने के बाद उसमें विस्फोट हो जाता है, जिसे सुपरनोवा (Supernova) कहते हैं. सुपरनोवा विस्फोट में एक सेकंड के दौरान इतनी अधिक ऊर्जा निकलती है, जितनी सूर्य द्वारा लगभग 100 सालों में निकलती है. यह प्रक्रिया भी हजारों सालों तक चलती रहती है.

सुपरनोवा विस्फोट के बाद जो मटेरियल अंतरिक्ष में फैल जाता है, वह नए तारों के निर्माण के लिए एक रॉ मटेरियल (Raw Material) के रूप में काम करता है. सुपरनोवा विस्फोट के बाद उस तारे का कोर या सेंटर सुरक्षित बच रहता है, जिसमें लगातार सिकुड़न होता रहता है. तारे का यही सेंटर आगे चलकर एक न्यूट्रॉन तारा या एक ब्लैक होल (Neutron star or a black hole) में बदल सकता है.

क्या हमारा सूर्य भी बनेगा लाल दानव?

वैज्ञानिकों के मुताबिक, अब से लगभग 6 अरब वर्ष बाद जब हमारा सूर्य भी लाल दानव बनने के स्टेज पर पहुंचेगा, तो इसके सेंटर में ईंधन समाप्त हो जाएगा. एक लाल विशालकाय दानव के रूप में लगभग 1 अरब वर्ष बिताने के बाद, हमारा अपना सूर्य एक सफेद बौना (White Dwarf) बन जाएगा (कोई तारा अपने सबसे लास्ट स्टेज में क्या बनेगा, ये उसके शुरुआती द्रव्यमान से निर्धारित होता है), जो अपने शुरुआती द्रव्यमान को लगभग पृथ्वी के आकार के एक गोले में पैक कर लेगा.

सदर्न रिंग नेबुला में भी यही होते हुए दिखाई दे रहा है

हाल ही में नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope) ने इस सदर्न रिंग नेबुला की खूबसूरत तस्वीर कैप्चर की है. जेम्स वेब की तस्वीरों ने इस नेबुला के बारे में समझने में बहुत मदद की है. बाईं ओर की तस्वीर बहुत गर्म गैस को दिखा रही है जो सेंटर में मौजूद सितारों को घेरती है. दाईं ओर की तस्वीर तारे के बिखरे हुए मटेरियल का पता लगाती है, जो स्पेस में बहुत आगे तक फैल गए हैं.

लगभग 100,000 K का यह गर्म केंद्रीय तारा (Central Star) अब अपनी बाहरी परतों को उड़ा चुका है और अपने तीव्र पराबैंगनी विकिरण के उत्सर्जन से नेबुला को चमकीला बना रहा है. कई गणनाओं से पता चलता है कि गैस और धूल की अपनी परतों को बाहर निकालने से पहले केंद्रीय तारा सूर्य के द्रव्यमान का लगभग तीन गुना था. गैस और धूल की अपनी परतों को बाहर निकालने के बाद, यह अब सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 60 प्रतिशत है.

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कॉप की तस्वीर में सदर्न रिंग नेबुला के किनारों के चारों ओर गैस और धूल के छल्लों को भेदने वाली सीधी और चमकीली रेखाओं को देखें. ये ‘स्पोक्स’ (तीलियां) एक या दोनों सेंट्रल सितारों से निकलते हुए दिखाई देते हैं, जो नेबुला में छिद्रों के माध्यम से प्रकाश (Light) के आने-जाने को दिखाती हैं.

इससे पहले सदर्न रिंग नेबुला की तस्वीर हबल टेलीस्कोप (Hubble Telescope) ने ली थी, लेकिन हब्बल की तस्वीरें आश्चर्यजनक होते हुए भी इस गैस-धूल के बादल (नेबुला) के बारे में पूरी सच्चाई बताने यानी इसे पूरी तरह समझाने में असफल रहीं.

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