Sun Temple Modhera
अपने राजसी किलों और महलों, लुभावने राष्ट्रीय उद्यानों और पवित्र मंदिरों के लिए जाना जाने वाला गुजरात भारत का एक बेहद खूबसूरत राज्य है. वन्यजीव अभयारण्य, पहाड़ी रिसॉर्ट्स और प्राकृतिक भव्यता गुजरात के उपहार हैं. मूर्तिकला, हस्तशिल्प, कला, त्यौहार इस राज्य को और भी अधिक समृद्ध बनाते हैं.
सांस्कृतिक रूप से समृद्ध इस राज्य के स्थानीय लोग अपनी परंपराओं से गहराई से जुड़े हुए हैं और दिल से अपने धर्म का पालन करते हैं. द्वारकाधीश मंदिर से लेकर कच्छ के महान रण तक, आश्चर्यजनक समुद्री राष्ट्रीय उद्यान से लेकर विस्मयकारी सूर्य मंदिर तक, गुजरात में असीमित दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें से एक है मोढेरा का सूर्य मंदिर.
मोढेरा का सूर्य मंदिर (Sun Temple Modhera) सौर देवता सूर्य को समर्पित है, जो मानव रचनात्मक प्रतिभा की उत्कृष्ट कृति का प्रतिनिधित्व करता है. यह पुष्पावती नदी के तट पर स्थित है. अपनी स्थापत्य संरचना और तकनीकी उपलब्धियों से प्रभावित करता यह मंदिर वास्तुकला के उल्लेखनीय रत्नों में से एक है और गुजरात का गौरव है. मोढेरा का सूर्य मंदिर प्राकृतिक तत्वों की पूजा करने वाले प्राचीन दर्शन और मनुष्यों के साथ उसके जुड़ाव को प्रदर्शित करता है, जिसे जीवन चक्र की प्रमुख शक्ति और ऊर्जा माना जाता रहा है.
भारतीय संस्कृति और परम्परा में प्रकृति के हर रूप को पूजा जाता है. वैदिक काल से ही सूर्य देव की उनके बारह स्वरूपों (एक वर्ष में बारह महीनों के चक्र के अनुसार) के साथ पूजा की जाती रही है. शांत मंदिर परिसर के चारों ओर घूमना आपको ऊर्जा की सकारात्मक रूप से मजबूत आभा से अवगत कराता है जो इस स्थान से प्रसारित होती है और इसके माध्यम से व्यक्ति को ऐसे वातावरण के निकट लाता है.
मंदिर की संरचना
ऊँची जगती (प्लेटफॉर्म) पर एक ही अक्ष पर बने इस मंदिर परिसर के मुख्य रूप से तीन भाग है-
• मंदिर का मुख्य भाग जिसमें प्रदक्षिणा-पथ युक्त गर्भगृह तथा एक मण्डप है
• एक सभामण्डप जिसके सामने एक अलंकृत तोरण है
• पत्थरों से बना एक कुण्ड (जलाशय). कुण्ड में सबसे नीचे तक जाने के लिए सीढ़ियाँ हैं तथा कुछ छोटे-छोटे मंदिर भी हैं.
स्थापत्य की दृष्टि से यह मंदिर गुजरात में सोलंकी शैली में बने मंदिरो में सर्वोच्च है. इस मंदिर की जटिलताएं ही इसे इतना अद्भुत बनाती हैं. मंदिर का निर्माण इस तरह से किया गया था कि प्रत्येक विषुव के दौरान, सूर्य की पहली किरणें सूर्य भगवान के सिर पर रखे हीरे पर पड़ती थीं. मंदिर के मण्डपों के बाहरी भाग तथा स्तम्भों पर अत्यंत सूक्ष्म नक्काशी की गई है. स्तंभों पर उकेरे गए बारह चित्र बारह महीनों के अनुसार सूर्य का प्रतिनिधित्व करते हैं. सूर्य की नक्काशी, साथ ही चार अन्य तत्वों- वायु, जल, पृथ्वी और अंतरिक्ष की एकता को मंदिर की दीवारों पर देखा जा सकता है.
मंदिर के आंतरिक और बाहरी भाग में देवी-देवताओं, फूलों और पत्तियों, पक्षियों और जानवरों की शानदार नक्काशीदार छवियां प्रदर्शित होती हैं. मंदिर की दीवारों का बाहरी भाग प्रचुर मात्रा में मूर्तियों से ढका हुआ है, जो सचमुच अद्भुत हैं. आधार से ऊपर तक की दीवारों को छोटी और बड़ी नक्काशी से सजाया गया है.
कोणीय योजना में बना सभामण्डप भी सुन्दर स्तम्भों से युक्त है. सभामंडप 52 स्तंभों पर खड़ा है जिन्हें वर्ष के 52 सप्ताहों को दर्शाने के लिए डिजाइन किया गया था. सभामंडप की छोटी सपाट छतों और चौखटों पर रामायण के चित्रित दृश्य हैं. सभामण्डप में चारों मुख्य दिशाओं से प्रवेश के लिए अर्धवृतीय अलंकृत तोरण हैं, सामने एक बड़ा तोरण द्वार है.
जैसे ही आप ऐतिहासिक परिसर में प्रवेश करते हैं, आपकी नजर सबसे पहले भव्य कुंड पर पड़ती है जिसे ‘सूर्य कुण्ड’ कहते हैं. स्थानीय लोग इसे रामकुंड के नाम से पुकारते हैं, जो आयताकार आकार में बना है जिसमें विभिन्न देवताओं और अर्ध-देवताओं के 108 मंदिर हैं. इसकी लंबाई उत्तर से दक्षिण तक 176 फीट और पूर्व से पश्चिम तक 120 फीट है. कुंड के तीन किनारों पर स्थित तीन मुख्य मंदिर गणेश जी और विष्णु जी को समर्पित हैं और भगवान शिव की ‘तांडव’ नृत्य करते हुए एक छवि है.
मंदिर का इतिहास
जैसा कि भारत के बाकी मंदिरों के साथ हुआ है, इस मंदिर को भी कट्टरपंथियों के कहर का सामना करना पड़ा. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार मोढेरा सूर्य मंदिर का निर्माण 1026-27 ईस्वी में चौलुक्य वंश के भीम प्रथम के शासनकाल के दौरान किया गया था. इस सूर्य मंदिर परिसर का निर्माण एक ही समय में नहीं हुआ था.
मुख्य मंदिर का निर्माण चालुक्य वंश के भीमदेव प्रथम के शासनकाल के दौरान करवाया गया था. इससे पहले, 1024-25 के दौरान, गजनी के महमूद ने भीम के राज्य पर आक्रमण किया था, और लगभग 20,000 सैनिकों की एक टुकड़ी ने उसे मोढेरा में रोकेने का प्रयास किया था. मंदिर परिसर की पश्चिमी दीवार पर, देवनागरी लिपि में उल्टा लिखा हुआ “विक्रम संवत 1083” का एक शिलालेख है, जो 1026-1027 सीई के अनुरूप है.
यह शिलालेख इस मंदिर के विनाश और पुनर्निर्माण का सबूत देता है. शिलालेख की स्थिति के कारण, यह निश्चित रूप से निर्माण की तारीख के रूप में नहीं माना जाता है. इस शिलालेख को निर्माण के बजाय गजनी द्वारा विनाश की तारीख माना जाता है. इसके तुरंत बाद भीम सत्ता में लौट आए थे. इसलिए मंदिर के मुख्य भाग, लघु और कुंड में मुख्य मंदिर का निर्माण 1026 ई के तुरंत बाद बनाए गए थे.
दिसंबर 2022 में इस मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल की अस्थायी सूची में जोड़ा गया था. सूर्य मंदिर, मोढेरा ने अपने मूल स्वरूप और डिजाइन के संदर्भ में अपनी मौलिकता बरकरार रखी है. इसकी सभी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए, यह इस देश के इतिहास में उल्लेखनीय वास्तुशिल्प और तकनीकी महत्व वाली इमारत का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, मानव वास्तुशिल्प निपुणता और कलात्मक मूल्य का एक उत्कृष्ट नमूना है.
9 अक्टूबर 2022 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मोढेरा में सूर्य मंदिर का दौरा कर हैरिटेज लाइटिंग का उद्घाटन किया था. यह भारत का पहला विरासत स्थल बन गया है जो पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित है. उन्होंने मोढेरा सूर्य मंदिर के 3डी प्रोजेक्शन मैपिंग का भी उद्घाटन किया था. प्रधानमंत्री ने इस मंदिर के इतिहास को दर्शाने वाले एक सांस्कृतिक कार्यक्रम को देखते हुए इसकी प्रशंसा करते हुए लोगों से यहाँ आने तथा इस मंदिर के दर्शन करने की अपील की थी. उन्होंने प्रमुख सूर्य मंत्रों का उल्लेख करते हुए कहा था- “मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि सूर्य मंदिर मोढेरा में दर्शन करें। यह आपके दिमाग पर स्थायी प्रभाव छोड़ेगा. विश्वास करने के लिए इस स्थान की खूबसूरती को तो देखना पड़ता है.”
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