Ramayan : जब लक्ष्मण जी को आया भरत जी पर क्रोध, तब श्रीराम ने कही यह बात
“कितनी ही बड़ी आपत्ति क्यों न आ जाए, लेकिन आखिर पुत्र अपने पिता को कैसे मार सकता है अथवा भाई अपने प्राणों के समान प्रिय भाई की हत्या कैसे कर सकता है?” […]
“कितनी ही बड़ी आपत्ति क्यों न आ जाए, लेकिन आखिर पुत्र अपने पिता को कैसे मार सकता है अथवा भाई अपने प्राणों के समान प्रिय भाई की हत्या कैसे कर सकता है?” […]
श्रीराम लक्ष्मण जी से कहते हैं कि, “भविष्य को जानने के फेर में मत पड़ो, वर्तमान का जो धर्म या कर्तव्य है उसे निभाओ, भविष्य तो स्वयं ही नतमस्तक होकर तुम्हारे सामने आ जाएगा, क्योंकि होनी तो होगी ही, लेकिन तुम अपने धर्म या कर्तव्य पर दृढ़ रहो.” […]
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