Bhagavad Geeta Adhyay 3 : श्रीमद्भगवद्गीता – तीसरा अध्याय – श्रीकृष्ण अर्जुन संवाद (कर्मयोग)
“हे जनार्दन! यदि आपको कर्म की अपेक्षा ज्ञान श्रेष्ठ मान्य है तो फिर आप मुझे भयंकर कर्म में क्यों लगाते हैं?॥ मानो आप मिले हुए-से वचनों से मेरी बुद्धि को मोहित कर रहे हैं. इसलिए उस एक बात को निश्चित करके कहिए जिससे मेरा कल्याण हो सके॥” […]