त्रिफला लेना शुरू कर दीजिए, मिलेंगे ये आश्चर्यजनक फायदे, जानिए इसके सेवन के आयुर्वेदिक नियम

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त्रिफला (फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया)

Triphala Churna Benefits in Hindi

आयुर्वेद (Ayurveda) में त्रिफला (Triphala) को सबसे बड़ी औषधि का नाम दिया गया है. इसे सभी रोगों की अमृत दवा माना गया है. स्वस्थ जीवन जीने के लिए त्रिफला का सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है. कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति लगातार 12 सालों तक नियमित रूप से, नियमों के साथ त्रिफला का सेवन करता रहे, तो उसके जीवन से सभी तरह की बीमारियां (Diseases) खत्म हो जाती हैं और उसे किसी भी भयंकर बीमारी का खतरा नहीं रह जाता है, साथ ही चेहरे पर चमक भी बढ़ती जाती है.

त्रिफला में वे सभी गुण हैं, जो स्वस्थ और सुंदर रहने के लिए जरूरी हैं. यहां तक कहा जाता है कि “जिस व्यक्ति के पास त्रिफला है, उसे अपने स्वास्थ्य को लेकर कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह शरीर की रक्षा एक माता की तरह करता है. यह शरीर को अंदर से साफ करता है और बीमारियों से लड़ने की क्षमता देता है”.

सही और निश्चित मात्रा में ही लें त्रिफला

अलग-अलग तरह की महंगी दवाइयों का सेवन करने से अच्छा है कि नियमित रूप से नियमों के साथ त्रिफला का सेवन किया जाए. अगर एक निश्चित मात्रा में और नियमानुसार इसका सेवन किया जाता है, तो इसके कोई भी साइड इफेक्ट सामने नहीं आते हैं. निश्चित मात्रा इसलिए, क्योंकि आयुर्वेद में हर चीज की एक निश्चित और सही मात्रा ही तय की गई है.

आयुर्वेद के अनुसार, किसी भी अच्छी और फायदेमंद चीज की भी अधिकता, फायदों की जगह नुकसान ही पहुंचाती है. अगर त्रिफला रोज ले रहे हैं तो एक दिन में एक छोटी सी चम्मच से ज्यादा त्रिफला चूर्ण का सेवन नहीं करना चाहिए. इसी के साथ, अगर किसी व्यक्ति को कोई गंभीर बीमारी या समस्या है या किसी तरह की कोई अन्य दवाई चल रही है, तो ऐसे में त्रिफला लेने से पहले डॉक्टर या सही जानकार की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए.

नोट- गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) को त्रिफला का सेवन करने की सिफारिश नहीं की जाती है.

तीन उत्तम औषधियों से मिलकर बना होता है त्रिफला

त्रिफला जिन तीन चीजों से मिलकर बना होता है, आयुर्वेद में उन्हें उत्तम औषधियों का ही दर्जा दिया गया है. त्रिफला में तीन चीजें हैं- आंवला, बहेड़ा और हरड़ (Amla, Baheda and Harada). इन तीनों का मिश्रण ही त्रिफला कहलाता है. ये तीनों ही चीजें आसानी से मिल भी जाती हैं और इस तरह त्रिफला को घर पर भी बनाया जा सकता है. यहां हम इन तीनों फलों के बारे में भी थोड़ा-थोड़ा जान लेते हैं-

आंवला- आंवले के फायदों के बारे में तो सब जानते ही हैं. आयुर्वेद में आंवले को अमृतफल, आमलकी, पंचरसा यानी ‘अमृत के समान‘ कहा गया है. प्राचीन ग्रंथकारों ने इसे ‘धात्री’ यानी माता के समान रक्षा करने वाला, ‘शिवा’ यानी कल्याणकारी और ‘वयस्था’ यानी अवस्था को बनाए रखने वाला कहा है. आंवला भगवान विष्णु का भी सबसे प्रिय फल है.

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बहेड़ा- बहेड़े को ‘बिभीतकी’ भी कहा जाता है. औषधि के रूप में इस फल के छिलके का इस्तेमाल किया जाता है. बहेड़ा रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को बढ़ाता है, साथ ही कब्ज को भी दूर करता है. यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और वात, पित्त और कफ तीनों ही समस्याओं को दूर कर सकता है. यह आंखों और दिमाग को स्वस्थ रखता है और घावों को जल्दी भरता है.

बहेड़े की छाल का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसते रहने से खांसी, कफ और बलगम आदि दूर हो जाते हैं और पेट की कई समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है. बहेड़े को थोड़े से शुद्ध घी में पकाकर चूसने से गले की बीमारियां ठीक हो जाती हैं. वहीं, बहेड़े के पाउडर का पेस्ट बनाकर बालों की जड़ों में लगाने से बाल काले और स्वस्थ बनते हैं.

हरड़- हरड़ को ‘हर्रे’ और ‘हरीतकी’ भी कहा जाता है. आयुर्वेद में इसे अमृता, कायस्था, विजया, प्राणदा या मेध्या आदि नाम भी दिए गए हैं. छोटी हरड़ का सेवन आंतों के लिए बहुत ही फायदेमंद माना गया है. हरड़ से भी वात, पित्त और कफ तीनों ही समस्याएं दूर होती हैं. इसका सेवन मौसम के अनुसार अलग-अलग चीजों के साथ मिलाकर किया जाता है. पेट में भारीपन, कब्ज, आंखों की समस्याओं, शारीरिक कमजोरी, त्वचा से जुड़े रोगों आदि में हरड़ का सेवन बहुत फायदेमंद माना गया है, लेकिन गर्भवती महिलाओं को हरड़ का सेवन नहीं करना चाहिए.

कैसे बनाया जाता है त्रिफला?

त्रिफला को बनाने के लिए इन तीनों चीजों को एक निश्चित अनुपात में ही मिलाया जाता है. हरड़ पाउडर का एक भाग, बहेड़ा पाउडर का दो भाग और आंवले के पाउडर का तीन भाग. इन तीनों फलों की गुठलियों को निकालकर, पत्थर पर अच्छी तरह पीसकर, किसी कांच की शीशी में अच्छी तरह बंद करके रख लिया जाता है और नियमित रूप से इस्तेमाल किया जाता है. 4 महीने से ज्यादा पुराने त्रिफला का इस्तेमाल नहीं किया जाता, क्योंकि फिर यह उतना फायदेमंद नहीं रह जाता, जितना होना चाहिए.

त्रिफला खाने के नियम-

त्रिफला खाने के नियम होते हैं. आयुर्वेद के अनुसार, त्रिफला को खाली पेट गुनगुने पानी के साथ या रात को सोने से पहले लेना चाहिए. इसके बाद लगभग एक घंटे तक कुछ भी नहीं खाना-पीना चाहिए. एक बार में कितना त्रिफला लिया जाए, इसका भी एक नियम है. आप रोजाना एक छोटी चम्मच त्रिफला का सेवन कर सकते हैं.

ये भी कहा जाता है कि तीन महीने तक त्रिफला लेने के बाद करीब 20-25 दिन के लिए इसका सेवन छोड़ दें, फिर दोबारा सेवन शुरू कर सकते हैं. त्रिफला के सेवन से कई बार पतले दस्त भी होते हैं, जिनसे घबराने की जरूरत नहीं है.

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त्रिफला को अलग-अलग मौसम में अलग-अलग चीजों के साथ मिलाकर लिया जाता है, ऐसा इसलिए क्योंकि हर मौसम का अपना-अपना स्वभाव होता है. आयुर्वेद के अनुसार-
अगस्त और सितंबर में- त्रिफला को सेंधा नमक के साथ,
अक्टूबर और नवंबर में– त्रिफला को चीनी के साथ,
दिसंबर और जनवरी में– त्रिफला को सोंठ पाउडर के साथ,
फरवरी और मार्च में– त्रिफला को लैंडी पीपल के पाउडर के साथ,
अप्रैल और मई में– त्रिफला को शहद के साथ,
जून और जुलाई में– त्रिफला को गुड़ के साथ लेना चाहिए.
 (जितनी मात्रा में त्रिफला ले रहे हैं, उसका 1/6 हिस्सा ही इन सभी चीजों का मिलाया जाता है. अगर त्रिफला रोज ले रहे हैं तो एक दिन में एक छोटी सी चम्मच से ज्यादा त्रिफला चूर्ण का सेवन नहीं करना चाहिए).

लेकिन अगर आप त्रिफला का सेवन अलग-अलग मौसम के अनुसार इन अलग-अलग चीजों के साथ नहीं करना चाहते हैं, तो आप हर मौसम में सुबह खाली पेट या रात को सोने से पहले केवल गुनगुने पानी के साथ ही एक छोटी चम्मच त्रिफला का सेवन कर सकते हैं.

लगातार 12 सालों तक त्रिफला के सेवन के फायदे-

आयुर्वेद के अनुसार- जो व्यक्ति लगातार 12 सालों तक त्रिफला का सेवन करता है, उसे इस तरह फायदे मिलने शुरू हो जाते हैं-
पहले साल में– शरीर की सुस्ती और आलस्य आदि दूर हो जाते हैं,
दूसरे साल में– कई तरह की बीमारियां दूर हो जाती हैं,
तीसरे साल में– आंखों की रोशनी बढ़ने लगती है,
चौथे साल में– त्वचा में चमक आने लगती है और झुर्रियां दूर होने लगती हैं,
पांचवे साल में– बुद्धि का विकास होने लगता है,
छठे साल में– शरीर ताकतवर बनने लगता है,
सातवें साल में– बाल काले और स्वस्थ होने लगते हैं,
आठवें साल में– बुढ़ापे या उम्र बढ़ने के साथ होने वाली समस्याएं दूर होने लगती हैं,
नौवें साल में– आंखों की रोशनी में अच्छा असर दिखाई देता है,
दसवें साल में– गले की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और आवाज काफी अच्छी हो जाती है,
11वें और 12वें साल में– व्यक्ति शारीरिक और मानसिक तौर पर पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है.

त्रिफला खाने के फायदे-

रात को सोते समय गुनगुने पानी या गुनगुने दूध के साथ त्रिफला पाउडर लेने से कब्ज दूर होती है.

गुनगुने पानी के साथ रोजाना त्रिफला पाउडर लेने से एक्स्ट्रा फैट (चर्बी) कम होता है और मोटापा दूर होता है. यह वात, पित्त और कफ, तीनों को दूर करता है और कैंसर के खतरों को कम करता है.

त्रिफला के नियमित सेवन से बाल काले और स्वस्थ होने लगते हैं.

त्रिफला शरीर को अंदर से साफ करता है, जिससे त्वचा में चमक बढ़ती है. आंतों की सफाई करता है और खून में मिले विषैले तत्वों को भी बाहर निकालता है. पेट और खून की सफाई करके यह कई तरह की बीमारियों को मिटा देता है.

त्रिफला के नियमित सेवन से आंखों की रोशनी बढ़ती जाती है. एक छोटी चम्मच त्रिफला पाउडर को गाय के घी के साथ मिलाकर रोजाना सेवन करने से आंखों की कई समस्याएं जैसे- मोतियाबंद, दूर दृष्टि रोग आदि दूर होते हैं और रोशनी भी बढ़ती है.

साफ मिट्टी के बर्तन में एक चम्मच त्रिफला को पानी में मिलाकर रख दें. सुबह इस पानी को छानकर पी जाएं. आप चाहें तो इस पानी से मुंह भी धो सकते हैं (आंखें बंद करके) और कुल्ला भी कर सकते हैं. इस पानी से कुल्ला करने से दांतों और मुंह की कई समस्याएं दूर हो जाती हैं.

त्रिफला के रोजाना सेवन से त्वचा रोगों जैसे- फोड़े-फुंसी, दाद-खाज, खुजली आदि में आराम होता है. त्रिफला एंटीसेप्टिक भी होता है. इसके काढ़े से घाव धोने से घाव जल्दी भर जाते हैं.

त्रिफला का सेवन डायबिटीज के मरीजों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है. यह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखता है और कोलेस्ट्रॉल कम करता है.

त्रिफला का सेवन करते रहने से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, मौसमी संक्रमण से बचाव होता है, दिमाग को ताकत मिलती है और बुद्धि का विकास होता है. शारीरिक कमजोरी जाती रहती है और शरीर मजबूत बनता है.

नोट- इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और कई किताबों पर आधारित है. इन पर अमल करने से पहले डॉक्टर या जानकार की सलाह ले लें.

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