सेहत का खजाना है मूंग की दाल, रोज के खाने में शामिल करने से मिलते हैं ये बड़े फायदे

मूंग की दाल, moong dal benefits
मूंग की दाल

Moong Dal Benefits

दलहन या दालें (Pulses) हमारे भोजन का अनिवार्य हिस्सा हैं. हम सब जानते हैं कि दालें प्रोटीन से भरपूर होती हैं और हर मौसम के खाने में इन्हें शामिल करना सबके लिए जरूरी है. वहीं, अगर फायदों की बात की जाए तो सबसे पहला नाम मूंग की दाल (Moong Dal) का ही आता है. सभी दलहनों में मूंग की दाल अपने विशेष गुणों के कारण सर्वश्रेष्ठ है.

बीमार लोगों के लिए भी मूंग की दाल सबसे ज्यादा फायदेमंद मानी जाती है. यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है. मूंग की दाल की सबसे खास बात ये है कि यह पचने में हल्की होती है और इसके नुकसान ‘न’ के बराबर ही होते हैं. आयुर्वेद में तो मूंग की दाल की बहुत तारीफ की गई है. आज हम मूंग की दाल के कुछ फायदों के बारे में बात करने जा रहे हैं.

मूंग के पौधे

भारत में मूंग की पैदावार लगभग सब जगह होती है. मूंग का जन्म स्थान भी भारत ही है. इसका वैज्ञानिक नाम ‘बिगना रेडिएटा’ है. मूंग आमतौर पर हर तरह की जमीन में पैदा हो जाती है, फिर भी इनके लिए हल्की, पीली या मध्यम, काली और अच्छे निथार वाली जमीन ज्यादा अनुकूल मानी जाती है.

बारिश के मौसम की शुरुआत में खरीफ फसल के रूप में इसकी बोआई की जाती है. मूंग की बोआई बाजरे के साथ मिश्रित फसल के रूप में भी की जाती है. मूंग के पौधे करीब डेढ़ से दो हाथ ऊंचे होते हैं. इनके पौधों, पत्तियों और फलियों का रंग हरा होता है. पौधों की शाखाओं पर पीले फूल और कलियां लगती हैं.

हरी मूंग है सबसे ज्यादा फायदेमंद

मूंग काली, हरी, पीली, सफेद और लाल जैसी कई तरह की होती है. काली मूंग पचने में हल्की होती है, वहीं हरी मूंग बहुत स्वादिष्ट होती है और ज्यादा गुणकारी और स्वास्थ्यवर्धक मानी जाती है. ऋषि चरक और सुश्रुत ने हरी मूंग की दाल को बहुत फायदेमंद बताया है. इनके आलावा, मूंग की एक किस्म ‘जंगली मूंग’ के नाम से भी होती है. मूंग 3 तरह की होती है- साबुत मूंग, छिलका वाली मूंग और धुली हुई मूंग. आमतौर पर साबुत मूंग का छिलका उतार देने पर वह धुली मूंग कहलाती है.

मूंग के गुण

मूंग की दाल पोषक तत्वों से भरपूर होती है. यह शारीरिक और मानसिक शक्ति को बढ़ाती है और बीमारियों से लड़ने की क्षमता देती है, बुखार और कब्ज को कम करती है, जिससे मरीजों के लिए इसका सेवन करना बहुत ही फायदेमंद होता है.

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मूंग की दाल पचने में हल्की, कफ और पित्त को मिटाने वाली, आंखों के लिए फायदेमंद और बुखार को दूर करने वाली मानी जाती है. मूंग के दानों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा और कुछ मात्रा में विटामिन-C पाया जाता है. वहीं, अगर मूंग को अंकुरित कर लिया जाए तो इसमें पोषक तत्वों की मात्रा और भी बढ़ जाती है.

मूंग के इस्तेमाल और फायदे

मूंग की दाल रोज के खाने में इस्तेमाल की जाती है. मूंग से खिचड़ी, दाल, सब्जी, हलवा, पापड़, कटलेट, चीला, पकोड़े के अलावा और भी बहुत सी स्वादिष्ट चीजें बनाई जा सकती हैं. इसके आटे से बहुत स्वादिष्ट और पौष्टिक मूंगपाक बनता है. मूंग की दाल के लड्डू भी बनाए जाते हैं और सर्दियों में उनका सेवन किया जाता है.

इसी तरह, मूंग की दाल और चावल की खिचड़ी पचने में बहुत हल्की होती है, वहीं मूंग को उबालकर सब्जी भी बनाई जाती है. साबुत मूंग की सूखी सब्जी भी बनाई जाती है, जो बहुत ही पौष्टिक और स्वादिष्ट होती है.

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मूंग की दाल का पानी (Moong dal water)

मूंग की दाल का पानी पचने में बहुत हल्का और बहुत फायदेमंद होता है. जिन्हें मूंग की दाल पचाने में कुछ कठिनाई होती हो, उन्हें मूंग की दाल का पानी बिना किसी चिंता के दिया जा सकता है. बुखार में या किसी भी बीमारी में मूंग की दाल का पानी दवा का काम करता है. यह वात, पित्त और कफ तीनों को ही दूर कर सकता है.

मूंग की दाल का पानी बनाने के लिए मूंग की दाल को बर्तन में डालकर और उसमें पानी मिलाकर धीमी आंच पर रखकर अच्छी तरह पकाया जाता है और फिर उसका पानी निकाल लिया जाता है. इसमें स्वाद बढ़ाने के लिए सेंधा नमक डाला जाता है, साथ ही घी और जीरे का तड़का भी लगाया जाता है.

छोटे-छोटे बच्चों को बचपन से सेरेलक, मैगी, चॉको, बॉर्नविटा, हॉरलिक्स, कॉम्प्लान आदि की आदत लगाने की बजाय मूंग की दाल का पानी देना बहुत फायदेमंद साबित होता है.

वजन कम करने में सहायक- मूंग की दाल में शक्ति तो बहुत होती है, लेकिन कैलोरी कम होती है, जिससे यह उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद होती है, जो अपना वजन कम करना चाहते हैं. मूंग की दाल में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन होता है, इसलिए यह मोटे लोगों के लिए अच्छी डाइट मानी जाती है.

इसे खाने के बाद लंबे समय तक भूख नहीं लगती, लेकिन शरीर में ताकत बनी रहती है. रात के खाने में एक कटोरी मूंग की दाल पीने या रोटी के साथ खाने से शरीर को भरपूर पोषण भी मिल जाता है, साथ ही वजन भी कम होने लगता है.

मूंग की मदद से ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जा सकता है, साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल के लेवल को भी कम करती है. मूंग सोडियम के असर को कम कर देती है, जिससे ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ता है.

रोजाना मूंग की दाल का सेवन करके शुगर लेवल को भी कंट्रोल किया जा सकता है. यह आंतों से गंदगी को भी बाहर निकालने में मददगार है.

मूंग की दाल कई त्वचा रोगों में भी फायदेमंद है. दाद, खाज-खुजली की समस्या में मूंग की दाल को छिलके समेत पीसकर, लेप बनाकर उसे प्रभावित जगह पर लगाने से फायदा होता है.

मूंग आयरन की कमी को पूरा करने में मददगार है. अपने रोज के खाने में मूंग को शामिल करके आयरन की कमी को दूर किया जा सकता है, जिससे एनीमिया या खून की कमी की समस्या से बचा जा सकता है.

किसी भी बीमारी या बुखार के बाद शरीर में काफी कमजोरी आ जाती है. ऐसे में मूंग की दाल खाने से शरीर को ताकत मिलती है.

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अंकुरित मूंग (Sprouted Moong)

मूंग को अंकुरित कर खाने से तो बहुत बड़े फायदे मिलते हैं. अंकुरित मूंग की दाल में विटामिन-C, फाइबर, आयरन, विटामिन-B6, नियासिन ,थायमिन, प्रोटीन, कॉपर, राइबोफ्लेविन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम और खनिज तत्व पाए जाते हैं, जिससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है और कई बीमारियों से बचाव होता है.

अंकुरित मूंग

अंकुरित मूंग का सेवन करने से शरीर में जरूरी तत्वों की कमी पूरी होती है, साथ ही ताकत और मजबूती मिलती है. अंकुरित मूंग में शरीर के विषैले तत्वों को बाहर निकालने की क्षमता होती है. इसका सेवन करते रहने से उम्र का असर जल्द ही चेहरे पर दिखाई नहीं देता है. यह ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल कर सकता है. अंकुरित मूंग में ग्लूकोज का लेवल बहुत कम होता है, इसलिए डायबिटीज के मरीज भी इसे आसानी से खा सकते हैं.

इसी के साथ, यह बहुत ही कम कैलोरी वाला अंकुरित अनाज माना गया है, इसलिए इसे मोटे लोगों के लिए वरदान माना जाता है. अंकुरित मूंग खाने से शरीर का एक्स्ट्रा फैट (चर्बी) कम होता है. यह हल्का होने के कारण पचने में बहुत आसान है.

जो लोग ये चाहते हैं कि उन्हें खूब प्रोटीन मिले, उनकी ताकत कम न हो, लेकिन उनका वजन भी ना बढ़े तो उनके लिए अंकुरित मूंग की दाल एक अच्छा विकल्प है. अंकुरित मूंग में फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जिससे अपच और कब्ज की समस्या नहीं होती है, साथ ही पाचन तंत्र भी ठीक से काम करता रहता है. इसे किसी भी मौसम में खाया जा सकता है.

नोट- इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और कई किताबों पर आधारित है. इन पर अमल करने से पहले डॉक्टर या जानकार की सलाह ले लें.

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