शुक्र ग्रह : हमारी पृथ्वी के सबसे नजदीक, सबसे चमकीला और सबसे गर्म ग्रह, जानिए मुख्य बातें

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Venus Planet in Hindi

हमारे सौर परिवार (Solar System) का सबसे सुंदर या सबसे चमकीला और सबसे गर्म ग्रह कौन सा है? या अपने सौर परिवार में हमारी पृथ्वी की बहन कौन है? या पृथ्वी के सबसे नजदीक ग्रह कौन सा है? तो जवाब एक है- शुक्र (Venus), जिसे ‘भोर का तारा’ और ‘सांझ का तारा’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह सुबह पूर्व दिशा में और शाम को पश्चिम दिशा में दिखाई देता है.

चंद्रमा (Moon) के बाद रात में आकाश में दिखने वाली सबसे चमकीली प्राकृतिक वस्तु शुक्र ही है, लेकिन अब जहां प्रदूषण के कारण रात में तारे भी ठीक से नहीं दिखाई पड़ते, तो वहां अब प्रदूषण को कम किए बिना खाली आंखों से ग्रहों को देख पाना तो मुमकिन ही नहीं. खैर! बात करते हैं इसी शुक्र ग्रह की, जो इतना सुंदर होता है कि इसे ‘सौंदर्य का देव’ भी कहा जाता है.

मुख्य पॉइंट्स- शुक्र ग्रह सूर्य से दूसरे नंबर का ग्रह (पहले नंबर पर बुध और तीसरे नंबर पर पृथ्वी) है. शुक्र की सूर्य से दूरी करीब 10,80,00,000 किलोमीटर है. यह सूर्य की एक परिक्रमा 224.7 दिनों में पूरी करता है. बुध की तरह शुक्र का भी अपना कोई उपग्रह (Satellite) नहीं है, यानी इसकी भी परिक्रमा करने वाला कोई नहीं. आकार के मामले में शुक्र छठे नंबर का ग्रह है (घटते हुए क्रम में).

शुक्र को पृथ्वी की जुड़वां बहन क्यों कहा जाता है?

दरअसल, शुक्र की कई विशेषताएं पृथ्वी से मिलती-जुलती हैं, जिस वजह से इसे पृथ्वी की ‘जुड़वां बहन’ का नाम दे दिया गया है. यह दूरी में पृथ्वी के सबसे निकट का ग्रह है और आकार, गुरुत्वाकर्षण और संरचना आदि मामलों में शुक्र काफी हद तक पृथ्वी के समान ही है.

जैसे- दोनों ग्रहों के कोर, मेंटल और क्रस्ट में काफी हद तक एक जैसी विशेषताएं हैं. पृथ्वी की ही तरह शुक्र का कोर (Core) काफी हद तक तरल (Liquid) है, क्योंकि इन दोनों ही ग्रहों के बनने या जन्म के बाद उनके ठंडे होने की दर लगभग एक समान रही है.

शुक्र ग्रह का व्यास लगभग 12,103.6 किलोमीटर (पृथ्वी की तुलना में केवल 638.4 किलोमीटर कम) है. शुक्र का थोड़ा छोटा आकार बताता है कि इसके गहरे आंतरिक भाग में दबाव पृथ्वी की तुलना में काफी कम है.

हालांकि दूसरे सभी मामलों में यह पृथ्वी से एकदम अलग ही है

जैसे- हमारी पृथ्वी पर सूर्योदय पूरब दिशा में होता है और सूर्यास्त पश्चिम दिशा में, क्योंकि पृथ्वी अपनी धुरी पर वामावर्त दिशा (Anti-clockwise) में घूमती है, लेकिन शुक्र ग्रह पर सूर्योदय पश्चिम दिशा में और सूर्यास्त पूरब दिशा में होता है, क्योंकि यह ग्रह अपनी धुरी पर उल्टा यानी दक्षिणावर्त (Clockwise) घूमता है. (ठीक यही काम अरुण ग्रह यानी यूरेनस भी करता है).

Rotation

हमारी पृथ्वी पर 24 घंटों का एक दिन-रात होता है, क्योंकि पृथ्वी अपनी धुरी पर एक चक्कर 24 घंटों में पूरा करती है, जबकि शुक्र ग्रह पर एक दिन पृथ्वी के एक साल से भी ज्यादा लंबा होता है, क्योंकि यह ग्रह अपनी धुरी या अक्ष पर बेहद धीमी गति से घूमता है. सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने की तुलना में शुक्र को अपनी धुरी पर घूमने में ज्यादा समय लगता है.

सभी ग्रहों में शुक्र की घूर्णन गति यानी अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार सबसे कम है. शुक्र ग्रह पर चलने वाली हवाओं की रफ्तार भी उसकी घूर्णन गति से ज्यादा है, लगभग 60 गुना ज्यादा.

शुक्र और पृथ्वी- जब शुक्र ग्रह घूमते-घूमते पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है, तो इस स्थिति को ‘अवर संयोजन’ (Inferior Conjunction) कहा जाता है. इस स्थिति में शुक्र ग्रह पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है, इसलिए उस समय यह सबसे बड़ा दिखाई देता है. शुक्र औसतन हर 584 दिनों में पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है. यानी सूर्य की परिक्रमा करते हुए शुक्र हर 584 दिनों पर पृथ्वी को पार कर जाता है.

आकार में पृथ्वी के लगभग बराबर होने के बाद भी शुक्र पर एक आंतरिक चुंबकीय क्षेत्र (Internal Magnetic Field) की कमी है, जो कि एक आश्चर्य की बात है.

शुक्र ग्रह का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग 81.5 प्रतिशत है. शुक्र ग्रह का वायुमंडलीय द्रव्यमान पृथ्वी के वायुमंडल की तुलना में 93 गुना है, जबकि यहां के सतह का दबाव पृथ्वी के सतही दबाव की तुलना में 92 गुना है.

बुध की तुलना में सूर्य से ज्यादा दूर, फिर भी सबसे गर्म क्यों?

शुक्र ग्रह सूर्य से दूसरे नंबर का ग्रह (पहले नंबर पर बुध और तीसरे नंबर पर पृथ्वी) है, फिर भी यह सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है. इसका कारण ये है कि बुध ग्रह (Mercury) हमेशा गर्म नहीं रहता, जबकि शुक्र ग्रह हमेशा गर्म ही रहता है, इसलिए वह बुध से भी ज्यादा गर्म ग्रह है. इसी के साथ, बुध एक शक्तिशाली ग्रह भी है. इसका मतलब बुध के चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) से है, जो ग्रह के आसपास की सौर हवाओं (solar winds) का रुख आसानी से मोड़ देता है.

शुक्र ग्रह का वातावरण ग्रीनहाउस गैस कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फ्यूरिक एसिड से बने बादलों से भरा हुआ है. गैस गर्मी को रोकती है और शुक्र को गर्म रखती है. वास्तव में, शुक्र पर इतनी गर्मी है कि सीसा जैसी धातुयें पिघले हुए तरल के पोखर बन जायेंगी.

solar system

बुध ग्रह पर दिन बेहद गर्म और रातें बर्फीली होती हैं. बुध का तापान्तर (Temperature Difference) 600 डिग्री सेल्सियस है, जो कि सभी ग्रहों में सबसे ज्यादा है. लेकिन शुक्र का तापान्तर बहुत ज्यादा नहीं है, यानी इसके दिन और रात के तापमान में कोई बहुत अंतर नहीं होता. इतना ही नहीं, शुक्र की भूमध्य रेखा (ग्रह को बीच से काटने वाली रेखा) और ध्रुवों के बीच भी एक स्थिर तापमान ही रहता है (जबकि हमारी पृथ्वी पर ध्रुवों पर अत्यधिक ठंड और भूमध्य रेखा पर बहुत गर्मी रहती है).

शुक्र ग्रह का सतही तापमान 462 डिग्री सेल्सियस (864 डिग्री फॉरेनहाइट) है, जो शुक्र की सतह को बुध की तुलना में ज्यादा गर्म बनाता है. बुध का न्यूनतम सतही तापमान -220 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम सतही तापमान 420 डिग्री सेल्सियस है. (शुक्र ग्रह पर ग्रीनहाउस प्रभाव/रनवे ग्रीन हाउस इफेक्ट तेजी से बढ़ रहा है, जिससे इसकी सतह का तापमान अब 471 डिग्री सेल्सियस तक पहुंंच गया है).

शुक्र ग्रह का वातावरण, मौसम- आखिर क्यों इतना गर्म है शुक्र ग्रह (Why Venus is the hottest planet in Hindi)?

शुक्र ग्रह के इतने गर्म होने की मुख्य वजह है- ग्रीनहाउस प्रभाव/रनवे ग्रीन हाउस इफेक्ट. अब तक के अध्ययनों में बताया गया है कि शुक्र ग्रह पर अतीत में या अरबों साल पहले पानी और यहां तक कि महासागर भी मौजूद थे, लेकिन ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण बढ़ते तापमान के साथ वे सब वाष्प बनकर उड़ गए होंगे. अब तक के अध्ययनों के मुताबिक, सौर मंडल का सबसे शक्तिशाली ग्रीन हाउस प्रभाव शुक्र ग्रह पर ही है.

नोट- रनवे ग्रीन हाउस इफेक्ट तब पैदा होता है, जब कोई ग्रह सूर्य से ज्यादा मात्रा में ऊर्जा लेकर उसे अंतरिक्ष में वापस फेंक देता है.

कार्बन डाईऑक्साइड गैस की अधिकता- शुक्र ग्रह का वायुमंडल बेहद घना (Dense Atmosphere) है. इसका वायुमंडल ज्यादातर कार्बन डाईऑक्साइड से बना है. शुक्र के वायुमंडलीय द्रव्यमान का 96.5 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड और बाकी 3.5 प्रतिशत का ज्यादातर हिस्सा नाइट्रोजन का है. (जैसे- पृथ्वी के वायुमंडल में नाइट्रोजन 78 प्रतिशत, ऑक्सीजन 21 प्रतिशत, ऑर्गन 0.93 प्रतिशत और कार्बन डाइऑक्साइड 0.04 प्रतिशत होती है). वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की इतनी ज्यादा मात्रा से शुक्र की सतही परिस्थितियां पृथ्वी की तुलना में एकदम अलग हैं.

अनेकों ज्वालामुखी- माना जाता है कि शुक्र की ज्यादातर जमीन का निर्माण ज्वालामुखी गतिविधियों (Volcanic Activities) से हुआ है. शुक्र पर पृथ्वी की तरह अनेकों ज्वालामुखी हैं. शुक्र की सतह का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा चिकने और ज्वालामुखीय मैदानों से पटा पड़ा है. इसके तो हर एक 100 किलोमीटर के दायरे में 167 के आसपास बड़े ज्वालामुखी है. शुक्र ग्रह का सबसे ऊंचा पर्वत ‘मैक्सवेल मोंटेस’ है.

सल्फ्यूरिक एसिड की अधिकता- शुक्र ग्रह के वायुमंडल में घने कार्बन डाईऑक्साइड की परत के ऊपर घने बादल हैं, जो मुख्य रूप से सल्फर डाइऑक्साइड और सल्फ्यूरिक अम्ल की बूंदों से मिलकर बने हैं. शुक्र ग्रह सल्फ्यूरिक एसिड से बने बादलों की एक अपारदर्शी परत से इस तरह ढंका हुआ है, कि यह ग्रह अंतरिक्ष से ठीक से दिखाई भी नहीं देता. अध्ययन के अनुसार, ये बादल लगभग 90 प्रतिशत सूर्य प्रकाश को परावर्तित कर देते हैं और बिखेर देते हैं. शुक्र के बादल पृथ्वी के बादलों की ही तरह बिजली पैदा करने में भी सक्षम हैं.

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LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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