Dark Matter : डार्क मैटर क्या है और कहाँ से आता है? ब्रह्मांड की सबसे अनसुलझी पहेली..

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“अदृश्य का भी अस्तित्व होता है.”

डार्क मैटर या आन्ध्र पदार्थ आधुनिक विज्ञान की (Dark matter) सबसे अनसुलझी पहेलियों में से एक है, वह इसलिए क्योंकि डार्क मैटर एक ऐसा अज्ञात पदार्थ (Unknown Substance) है जो दिखाई नहीं देता. यह उन कणों से बना होता है जिन पर कोई आवेश नहीं होता है, साथ ही यह साधारण मैटर से कोई क्रिया भी नहीं करता.

माना जाता है कि डार्क मैटर (Dark Matter) ब्रह्मांड में एक जाल की तरह फैला हुआ है. पूरे दृश्यमान ब्रह्मांड (Visible Universe) का केवल 5% ही सभी पदार्थों से बना है और बाकी 95% डार्क मैटर और डार्क एनर्जी (Dark Matter and Dark Energy) है. लेकिन यह डार्क मैटर क्या है, यह किससे बना है और कहाँ से आता है, इसके बारे में अब तक कोई भी जानकारी किसी के पास नहीं है, केवल बहुत प्रकार के अनुमान मात्र हैं.

डार्क मैटर दिखाई क्यों नहीं देता?

‘डार्क’ (Dark) शब्द का इस्तेमाल अज्ञात (Unknown) को दर्शाने के लिए किया जाता है.

डार्क मैटर के अदृश्य होने या दिखाई न देने का कारण यह है कि यह प्रकाश को अवशोषित, परावर्तित या उत्सर्जित नहीं करता है, जिससे इसे स्पॉट करना या इसका पता लगा पाना बेहद मुश्किल है. डार्क मैटर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फोर्स (Electromagnetic Force) के साथ इंटरैक्ट नहीं करता है जिससे इसे स्पॉट करना मुश्किल हो जाता है. डार्क मैटर के अस्तित्व का अनुमान, दिखाई देने वाले पदार्थों (Visible Matter) पर इनके (डार्क मैटर) द्वारा लगने वाले गुरुत्वीय प्रभावों से किया जाता है.

क्या ब्लैक होल डार्क मैटर हैं (Are black holes dark matter)?

यह माना जाता है कि पुराने ब्लैक होल, जो ब्रह्मांड के शुरुआत में बने थे, डार्क मैटर का ही स्रोत हैं. लेकिन अभी इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है. ब्लैक होल (Black Hole) को भी देखा नहीं जा सकता है. ब्लैक होल में गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी ज्यादा होती है कि इससे प्रकाश तक बाहर नहीं आ सकता है. इसी वजह से यह दिखाई नहीं देता है. और शायद यहां समय का भी कोई अस्तित्व नहीं रह जाता है. इसीलिए ब्लैक होल के बारे में भी केवल अनुमान मात्र लगाए जा सकते हैं.

जैसे- यदि यह पता चले कि कुछ पिंड या ग्रह-उपग्रह आदि किसी सेंटर की परिक्रमा कर रहे हैं, लेकिन वे किसकी परिक्रमा कर रहे हैं, इसका पता नहीं चल पा रहा है, तो अनुमान लगाया जाता है कि उस सेंटर में कोई ब्लैक होल हो सकता है, जिसके गुरुत्वाकर्षण बल से बंधे ये पिंड या ग्रह-उपग्रह उसकी परिक्रमा कर रहे हैं.

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डार्क मैटर क्यों जरूरी है (Why is Dark Matter Important)?

इस ब्रह्मांड के कई घटकों (Components) पर इसके गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के कारण डार्क मैटर महत्वपूर्ण है. इसके गुरुत्वाकर्षण प्रभाव पूरे ब्रह्मांड की बड़े पैमाने पर संरचना, आकाशगंगाओं के घूर्णन आदि को समझने में मदद करते हैं. डार्क मैटर का गुरुत्वाकर्षण ब्रह्मांड को उन महत्वपूर्ण तत्वों को धारण करने की अनुमति देने के लिए एक महत्वपूर्ण शर्त है, जिन्होंने जीवन और रहने योग्य ग्रहों को जन्म दिया, जैसे पृथ्वी. डार्क मैटर की उपस्थिति के बिना जीवन का अस्तित्व संभव नहीं है.

डार्क मैटर के अस्तित्व का कैसे पता लगा?

आकाशगंगाओं के कुछ समूहों में, आकाशगंगाओं के बीच का स्थान इतनी गर्म गैसों से भरा होता है कि वैज्ञानिक इसे दृश्य प्रकाश दूरबीनों (Visible Light Telescope) से नहीं देख सकते. इन गैसों को केवल एक्स-रे या गामा किरणों के रूप में देखा जा सकता है. वैज्ञानिक उस गैस को देखते हैं और मापते हैं.

ऐसा करके उन्हें अब तक यह पता चल पाया है कि जितना हम पता लगा सकते हैं, उससे पांच गुना ज्यादा मटेरियल इन समूहों में है (या ब्रह्मांड में जितना हम देख सकते हैं उससे भी कई गुना अधिक पदार्थ है), जिसे देखा नहीं जा सकता है, या जिसका पता नहीं लगाया जा सकता है, उसे ही ‘डार्क मैटर’ नाम दिया गया है. स्विस खगोलशास्त्री फ्रिट्ज ज्विकी (Fritz Zwicky) ने पहली बार 1930 के दशक में ‘डार्क मैटर’ शब्द का इस्तेमाल किया था.

डार्क एनर्जी और डार्क मैटर में क्या अंतर है (Difference between dark energy and dark matter)

डार्क एनर्जी और डार्क मैटर में अंतर है. कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार, यह ब्रह्मांड 15 अरब साल पहले बिग-बैंग के परिणामस्वरूप बना है, और बिग-बैंग के बाद से यह ब्रह्मांड लगातार बढ़ती दर से विस्तार कर रहा है या फैल रहा है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, ब्रह्मांड के इस निरंतर विस्तार के पीछे का कारण डार्क एनर्जी (Dark Energy) नामक एक बल है. हालांकि, सिद्धांतकार अभी भी नहीं जानते कि डार्क एनर्जी की सही व्याख्या क्या है. यह भी एक पूर्ण रहस्य है.

इसके विपरीत, डार्क मैटर की भूमिका हमारे ब्रह्मांड को एक साथ बांधने की है. डार्क मैटर ऐसे कण होते हैं जिन्हें टेलीस्कोप से नहीं देखा जा सकता है, लेकिन वे इसके आसपास के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव और इसके द्वारा उत्सर्जित एक्स-रे के कारण पहचाने जा सकते हैं. ब्रह्मांड में डार्क मैटर का 84% और द्रव्यमान-ऊर्जा (Mass-Energy) का 23% होने का अनुमान है.

इस प्रकार, डार्क मैटर एक आकर्षक शक्ति के रूप में कार्य करता है, जो हमारे ब्रह्माण्ड को एक साथ रखता है. ऐसा इसलिए क्योंकि डार्क मैटर गुरुत्वाकर्षण के साथ इंटरैक्ट करता है, लेकिन फिर भी यह प्रकाश को प्रतिबिंबित, अवशोषित या उत्सर्जित नहीं करता है. जबकि डार्क एनर्जी एक प्रतिकारक बल (Repulsive Force) है, एक प्रकार का एंटी-ग्रेविटी (Anti-Gravity) जो ब्रह्मांड के विस्तार को प्रभावित करती है.

डार्क एनर्जी और डार्क मैटर में से डार्क एनर्जी कहीं ज्यादा शक्तिशाली है, जो ब्रह्मांड के कुल द्रव्यमान और ऊर्जा का लगभग 68% है, जबकि डार्क मैटर कुल (Total) का 27% हिस्सा है. बाकी का 5% साधारण मैटर है जिसे हम सब देख पाते हैं (जो कुछ भी हम देख सकते हैं, वे सभी सामान्य पदार्थों से ही बने हैं, जिसका हिस्सा ब्रह्मांड के कुल पदार्थ का मात्र 5% ही है).

इस ब्रह्मांड की सब चीजें किससे बंधी हुई हैं?

हमारे सौरमंडल, आकाशगंगाओं और आकाशगंगाओं के समूहों (Clusters of Galaxies) को एक साथ रखने के लिए कुछ तो होना ही चाहिए. यानी ब्रह्मांड के सभी पिंड या वस्तुएं जिस प्रकार एक-दूसरे से बंधे या जुड़े हुए हैं, उसे देखकर लगता है कि इनके पीछे कोई न कोई बल तो जरूर होगा, जो इन सबको एक-दूसरे से बांधे हुए है. विज्ञान के मुताबिक, गुरुत्वाकर्षण ही वह “गोंद” है, जिसके कारण ब्रह्मांड के सभी पिंड एक-दूसरे से बंधे हुए हैं. एक पिंड की चाल या अवस्था में परिवर्तन आने से उसका असर धीरे-धीरे सभी पिंडों पर आना स्वाभाविक है.

ब्रह्मांड पदार्थों से भरा पड़ा है और गुरुत्वाकर्षण की आकर्षण शक्ति सभी पदार्थों को एक साथ खींचती है. गुरुत्वाकर्षण बल ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं को एक-दूसरे से दूर जाने से रोकता है.

पहले खगोल वैज्ञानिकों का मानना ​​था कि गुरुत्वाकर्षण के कारण ब्रह्मांड का विस्तार धीमा हो जाएगा और फिर एक समय ऐसा भी आएगा जब इस ब्रह्मांड का लोप ही हो जाएगा. हालाँकि हबल टेलीस्कोप से प्राप्त डेटा के मुताबिक, ब्रह्मांड का तेजी से विस्तार हो रहा है. वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि तेजी से विस्तार की यह दर उस रहस्यमय डार्क फोर्स या एनर्जी के कारण है जो आकाशगंगाओं को एक-दूसरे से अलग कर रही है.

निम्नलिखित चित्र 15 अरब साल पहले ब्रह्मांड के जन्म के बाद से उसके विस्तार की दर में बदलाव को दर्शाता है-

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डार्क मैटर का पता कैसे लगाया जा सकता है (How can dark matter be detected)?

यदि हम डार्क मैटर को नहीं देख सकते हैं, तो हमें कैसे पता चलेगा कि यह मौजूद है? उत्तर है गुरुत्वाकर्षण (Gravity). चूंकि वैज्ञानिक डार्क मैटर को सीधे नहीं देख सकते हैं, इसलिए उन्होंने इसकी जांच करने के अन्य तरीके खोजे हैं. हम ऐसी चीजों का अध्ययन करने के लिए अप्रत्यक्ष तरीकों (Indirect Methods) का इस्तेमाल कर सकते हैं. जैसे छाया को देखना और छाया क्या है, इसके बारे में शिक्षित अनुमान (Educated Guess) लगाना. एक तरह से वैज्ञानिक अप्रत्यक्ष रूप से डार्क मैटर का अध्ययन गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग (Gravitational Lensing) का उपयोग करके करते हैं.

शिक्षित अनुमान क्या है- ज्ञान और अनुभव के आधार पर एक अनुमान, जिसके सही होने की संभावना है, या एक पूर्वानुमान.

गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग- एक गुरुत्वाकर्षण लेंस के माध्यम से जाने वाला प्रकाश एक ऑप्टिकल लेंस के माध्यम से जाने वाले प्रकाश के समान होता है. यह मुड़ जाता है. जब दूर के तारों का प्रकाश किसी आकाशगंगा या आकाशगंगाओं के समूह से होकर गुजरता है, तो आकाशगंगा या समूह में मौजूद पदार्थ का गुरुत्वाकर्षण प्रकाश को मोड़ देता है. नतीजतन, प्रकाश ऐसा दिखता है जैसे यह अपने वास्तविक मूल के बजाय कहीं और से आ रहा है. झुकने की मात्रा से वैज्ञानिकों को मौजूद डार्क मैटर के बारे में जानने में मदद मिलती है.

वहीं, नासा के वैज्ञानिकों को लगता है कि वे फर्मी गामा-रे स्पेस टेलीस्कोप का उपयोग करके डार्क मैटर का सीधे तरीके से पता लगा सकते हैं. यह टेलीस्कोप प्रकाश के उच्चतम ऊर्जा रूप (Highest Energy) गामा किरणों को देखता है. NASA को लगता है कि जब डार्क मैटर के दो कण आपस में टकराते हैं, तो वे गामा किरण छोड़ सकते हैं, और फर्मी टेलीस्कोप (Fermi Telescope) सैद्धांतिक रूप से इन टकरावों का पता लगा सकता है, जो आकाश में गामा किरण के फटने के रूप में दिखाई देंगे.

(2014 में नासा के फर्मी गामा-रे स्पेस टेलीस्कॉप ने गामा-किरण प्रकाश में हमारी आकाशगंगा, मिल्की वे के दिल के नक्शे बनाए, जिससे पता चलता है कि इसके कोर से गामा-किरण उत्सर्जन की अधिकता है).

लेकिन चूंकि फर्मी बहुत लंबे समय से अंतरिक्ष में नहीं है, इसलिए वैज्ञानिकों के पास निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त डेटा नहीं है.

भले ही कई खगोलीय मापों ने डार्क मैटर के अस्तित्व की पुष्टि की है, लेकिन अब तक के सभी प्रयोग डार्क मैटर के बारे में पता लगाने में विफल ही रहे हैं. और यही सब बातें डार्क मैटर को रोमांचक बनाती हैं. और इसीलिए यह आज विज्ञान के सबसे महान रहस्यों में से एक है.

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LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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