Rocks : पृथ्वी पर कितनी तरह की चट्टानें हैं और कैसे बनती हैं? कौन सी चट्टानों से क्या मिलता है?

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Earth Crust Rock Types

समय के साथ-साथ चट्टानों (Rocks) के रूप और गुण बदलते रहते हैं. इसीलिए अलग-अलग स्थानों और अलग-अलग समय के अनुसार, चट्टानों में भी अलग-अलग विशेषताएं देखने को मिलती हैं. पृथ्वी के बाहरी मंडल को भूपर्पटी या पपड़ी या क्रस्ट (Crust) कहते हैं, जो कि ठोस अवस्था में है.

साधारण शब्दों में, क्रस्ट के कठोर और प्रतिरोधी पदार्थों (Hard and Resistant Materials) को चट्टान कहा जाता है, लेकिन भूगोल और भूगर्भशास्त्र (Geography and Geology) में चट्टान शब्द का इस्तेमाल व्यापक अर्थ में किया गया है.

भूगोल में चट्टान शब्द का अर्थ- चट्टानों के अंतर्गत पपड़ी या क्रस्ट के कठोर और कोमल, सभी पदार्थों को शामिल किया जाता है. इस तरह चट्टान के अंतर्गत न केवल कठोर पदार्थ जैसे ग्रेनाइट, बलुआ पत्थर और संगमरमर आते हैं, बल्कि कोमल और ढीले पदार्थ जैसे चॉक, मिट्टी, रेत, नमक, कोयला आदि भी शामिल होते हैं.

पृथ्वी के पूरे क्रस्ट का लगभग 98% भाग 8 तत्वों से मिलकर बना हुआ है-
ऑक्सीजन, सिलिकॉन, एल्युमिनियम, आयरन, कैल्शियम, सोडियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम. बाकी का भाग टाइटेनियम, हाइड्रोजन, फॉस्फोरस, मैंगनीज, सल्फर, कार्बन, निकल और अन्य पदार्थों से मिलकर बना है.

भार के अनुसार पृष्ठ का लगभग 75% भाग ऑक्सीजन और सिलिकॉन से बना हुआ है. ये तत्व पृथ्वी, जीव-जंतुओं और वनस्पति के विकास के लिए जरूरी हैं.

पृथ्वी के क्रस्ट में पाए जाने वाले पदार्थों का लगभग 99% भाग चट्टान और खनिजों से बना है. चट्टानों का निर्माण एक या एक से ज्यादा खनिजों से मिलकर होता है. इसमें खनिज घटकों की कोई निश्चित रासायनिक संरचना (Chemical Composition) नहीं होती है. कुछ चट्टानों में उपयोगी खनिज पाए जाते हैं, जो हमें धातु और रसायन देते हैं.

ऐसा माना जाता है कि क्रस्ट की चट्टानें लगभग 2000 खनिजों से बनी हुई हैं, जिनमें से केवल 6 खनिजों की मात्रा अधिक है. ये चट्टानों का निर्माण करने वाले प्रमुख खनिज हैं. ये 6 प्रमुख खनिज हैं- फेल्सपार, क्वार्टज, पाइरॉक्सिन, एम्फीबोल्स, अभ्रक और ओलिवाइन.

खनिज क्या हैं (What are Minerals)- खनिज पदार्थ ऐसे पदार्थ हैं जो प्राकृतिक रूप से पृथ्वी पर बनते हैं, या खनिज एक निश्चित रासायनिक संरचना और एक क्रिस्टलीय संरचना के साथ एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला अकार्बनिक ठोस है. या खनिज एक ऐसा प्राकृतिक, कार्बनिक या अकार्बनिक तत्व है, जिसमें एक क्रमबद्ध आणविक संरचना, निश्चित रासायनिक संघटन और विशिष्ट भौतिक गुणधर्म होते हैं.

खनिज का निर्माण दो या दो से अधिक तत्वों से मिलकर होता है, हालांकि सल्फर, तांबा, चांदी, सोना, ग्रेफाइट जैसे एक तत्वीय खनिज भी पाए जाते हैं. प्रत्येक खनिज की अपनी एक चमक होती है. खनिजों की कठोरता मापने के लिए मोहो स्केल (Moho Scale) का इस्तेमाल किया जाता है.

आमतौर पर खनिज दो प्रकार के होते हैं- धात्विक और गैर-धात्विक (अधात्विक)
धात्विक खनिज की सतह आमतौर पर चिकनी और चमकदार होती है जैसे- सोना, तांबा, सीसा आदि. जबकि अधात्विक खनिज की सतह धुंधली होती है. ये सूर्य की किरणों को परावर्तित नहीं कर सकते हैं. जिप्सम, क्वार्ट्ज, अभ्रक आदि अधात्विक खनिज हैं. इनमें धातु के अंश मौजूद नहीं होते हैं.

चट्टानों को उनके निर्माण होने के तरीकों के आधार पर तीन समूहों में बांटा गया है-
(1) आग्नेय चट्टानें या प्राथमिक चट्टानें
(2) अवसादी या परतदार चट्टानें
(3) रूपांतरित या कायांतरित चट्टानें.

आग्नेय चट्टानें या प्राथमिक चट्टानें
(Igneous Rocks or Primary Rocks)
‘आग्नेय’ का शाब्दिक अर्थ ‘अग्नि’ से होता है. चूंकि इन चट्टानों का निर्माण ज्वालामुखी उद्गार (Volcanic Eruption) से संबंधित है, इसलिए इन्हें आग्नेय चट्टान कहा जाता है. क्रस्ट के नीचे मौजूद गर्म और तरल मैग्मा के बाहर आकर ठंडा होने से आग्नेय चट्टानों का निर्माण होता है. इसलिए आग्नेय चट्टानें मुख्य रूप से ज्वालामुखी क्षेत्रों में पाई जाती हैं.

इन चट्टानों का निर्माण गर्म और द्रव पदार्थों के ठंडा होता जमने के कारण होता है. इन चट्टानों में रवे भी होते हैं, इसलिए इन्हें रवेदार (दानेदार) चट्टान (Ravine Rocks) भी कहा जाता है. आग्नेय चट्टानों को क्रस्ट की सबसे प्राचीन चट्टानें कहा जाता है और इनका निर्माण वर्तमान में भी हो रहा है. ज्वालामुखी क्रिया द्वारा इन चट्टानों का निर्माण क्रस्ट पर होता रहता है.

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क्रस्ट लगभग 90 प्रतिशत भाग आग्नेय चट्टानों से बना है. आग्नेय चट्टानों के प्रमुख उदाहरण हैं- ग्रेनाइट, मोनाजाइट, साइनाइट, मोनोजाइट, डोलेराइट, रायोलाइट, गेब्रो, बेसाल्ट, पोरफिरी, ऑब्सीडियन. आग्नेय चट्टानों में ही समय के साथ आए बदलावों के कारण ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अन्य चट्टानों का निर्माण होता है, इसलिए आग्नेय चट्टानों को मौलिक चट्टान या प्राथमिक चट्टान (Primary Rocks) भी कहते हैं.

आग्नेय चट्टानों की मुख्य विशेषताएं-

ये चट्टानें बहुत ही कठोर होती हैं और इस कारण इन्हें काटने या तोड़ने में कठिनाई होती है. इनमें पानी प्रवेश नहीं कर पाता है, जिसे टूट-फूट भी कम होती है. इन चट्टानों का अपरदन या कटाव या क्षरण (Erosion) बहुत धीमी गति से होता है. इन पर रासायनिक अपक्षय (Weathering) का असर कम होता है.

इन चट्टानों का अपक्षय मुख्य रूप से यांत्रिक और भौतिक चट्टानों के कारण होता है. आग्नेय चट्टानों के अपक्षय से काली मिट्टी का निर्माण होता है, जो कपास के साथ-साथ अन्य प्रमुख फसलों के लिए बहुत उपयोगी है. (अपक्षय वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पृथ्वी की सतह पर मौजूद चट्टानों में टूट-फूट होती है. यह अपरदन से अलग प्रक्रिया है).

ये चट्टानें परतहीन, रंध्रहीन (Non-porous) और सघन होती हैं. यानी आग्नेय चट्टानों में परतें नहीं होती हैं. इनमें जीवाश्म भी नहीं पाए जाते हैं. ग्रेनाइट और रायोलाइट ‘अम्लीय आग्नेय चट्टानें’ हैं, जबकि ग्रैब्रो और बेसाल्ट ‘क्षारीय आग्नेय चट्टानों’ के उदाहरण हैं.

आग्नेय चट्टानें रवेदार या दानेदार होती हैं. रवों का आकार मैग्मा के ठंडे होने की गति और स्थान पर निर्भर होता है. जैसे- धीरे-धीरे ठंडे होने वाले मैग्मा से बनी चट्टानों के रवे बड़े होते हैं, जबकि जल्दी ठंडे होने वाले मैग्मा से बनी चट्टानों के रवे छोटे-छोटे हैं. कुछ आग्नेय चट्टानें शीशे की तरह झलकती हैं.

आग्नेय चट्टानें खनिजों का भंडार होती हैं. धात्विक खनिजों के ज्यादातर भाग आग्नेय चट्टानों में ही पाए जाते हैं. इन चट्टानों में चुंबकीय लोहा, कॉपर, जस्ता, निकल, सीसा, मैंगनीज, टिन क्रोमाइट आदि पाए जाते हैं.

ज्यादातर आग्नेय चट्टानें लोहा और मैग्नीशियम युक्त सिलिकेट खनिज से मिलकर बनी होती हैं. इनमें कुछ मात्रा में अभ्रक भी होता है. आग्नेय चट्टानों में लोहा, सोना, चांदी, एल्युमिनियम जैसे बहुमूल्य खनिज पाए जाते हैं. बेसाल्ट और ग्रेनाइट का उपयोग भवन और सड़क निर्माण में किया जाता है.

अवसादी या परतदार चट्टानें
(Sedimentary Rocks)
नदी, बारिश का जल, हिमानी आदि के द्वारा जो कण या पदार्थ बहाकर ले जाए जाते हैं, उन्हें अवसाद कहते हैं. इन अवसादों के जमा हो जाने पर अवसादी चट्टानों का निर्माण होता है. हम जानते हैं कि नदी किस तरह अपने साथ चट्टानों के कण, कंकड़, पत्थर, मिट्टी और रेत आदि लेकर चलती है और उन्हें एक जगह पर जमा करती रहती है. इस प्रकार का जमाव लगातार होता रहता है और दबाव के कारण उसके परत के परत बनते चले जाते हैं और इन्हीं परतों को अवसादी या परतदार चट्टानें कहा जाता है.

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दुनियाभर के ज्यादातर अवसादी शैल या चट्टानें सागरों और विशाल झीलों के तलों में पदार्थों के परतों में जमा होने से बनी हैं. मिट्टी, कंकड़, बालू, जीव-जंतुओं और वनस्पतियों के अवशेष परतों के रूप में जमा होते रहते हैं और दबाव के कारण कठोर शैल या चट्टान बन जाते हैं. कभी अवसादी चट्टानें टूटकर दूसरे स्थानों पर जमा हो जाती हैं और नई अवसादी चट्टानें बन जाती हैं. अवसादी शैलों के उदाहरण हैं- बलुआ पत्थर, चूने का पत्थर, रॉक साल्ट, जिप्सम, लिग्नाइट, पत्थर का कोयला, खड़िया आदि.

अवसादी चट्टानें अन्य दूसरी चट्टानों की तुलना में कम कठोर होती हैं. इन चट्टानों में रवे नहीं होते हैं. ज्यादातर अवसादी चट्टानों का निर्माण जल के अंदर होता है. इनकी परतों को देखा जा सकता है. इनमें कहीं-कहीं हड्डियों और पत्तियों के चिन्ह मिलते हैं. यानी अवसादी चट्टानों में जीवाश्म पाए जाते हैं. अवसादी चट्टानों में अलग-अलग प्रकार की दरारें और लहरों और तरंगों के निशान पाए जाते हैं. इनकी परतों में बीच-बीच में जीव-जंतुओं के अवशेष भी पाए जाते हैं.

अवसादी चट्टानों में जॉइंट्स भी मिलते हैं. सभी अवसादी निक्षेपों में कोयला और पेट्रोलियम सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं. अवसादी चट्टानें पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस का भंडार होते हैं. भारत के उप-हिमालय क्षेत्र, गंगा, कावेरी, गोदावरी और कृष्णा नदी के डेल्टा क्षेत्र, कच्छ के रण और खंभात की खाड़ी की अवसादी चट्टानों में पेट्रोलियम के भंडार हैं.

अवसादी चट्टानें छोटे-छोटे कणों से मिलकर बने होती हैं इसलिए ये छिद्रयुक्त होती हैं. पृथ्वी के लगभग तीन-चौथाई भाग में अवसादी चट्टानें पाई जाती हैं, लेकिन इनका आयतन पूरे क्रस्ट का लगभग 5 प्रतिशत ही है. ज्यादातर अवसादी चट्टानें मैदानों, पठारों और पर्वतों पर मिलती हैं.

अवसादी चट्टानों का बहुत तरीके से प्रयोग किया जाता है, जैसे- चूने का इस्तेमाल सीमेंट और इमारतें बनाने में किया जाता है. पहाड़ी नमक और खड़िया भी अवसादी शैलों में मिलते हैं. बलुआ पत्थर और चूने के पत्थर का उपयोग भवन निर्माण में किया जाता है. वर्तमान में ज्यादातर उद्योग अवसादी चट्टानों के उत्पादों पर ही निर्भर हैं. सिंधु और गंगा नदी की घाटियां अवसादी चट्टानों से बनी हैं. यहां पाई जाने वाली जलोढ़ मिट्टी बहुत उपजाऊ है.

रूपांतरित या कायांतरित चट्टानें
(Metamorphic Rocks)
रूपांतरित शैल ज्यादातर पर्वतीय और पठारी क्षेत्रों में मिलते हैं. भूपटल के भीतर की गर्मी और दबाव के लगातार प्रभाव से शैलों या चट्टानों का रूप बदल जाता है. उनके रंग, कठोरता, बनावट और खनिज संरचना में भी बदलाव आ जाते हैं. रूप और गुणों में बदलाव से बनने के कारण इस प्रकार की चट्टानों को रूपांतरित या कायांतरित शैल कहते हैं. बदलाव की ये प्रक्रिया आग्नेय और अवसादी, दोनों शैलों में होती है.

रूपांतरित चट्टानें आमतौर पर कठोर होती हैं. इनका आपेक्षिक घनत्व ज्यादा होता है. इन चट्टानों के बीच में खाली जगह नहीं होती है. इनमें परतों और जीवाश्मों का भी अभाव होता है. गर्मी और दबाव के अतिरिक्त रासायनिक क्रियाएं भी शैलों का रूप बदल देते हैं. आग्नेय और अवसादी शैल बदलाव की इन क्रियाओं से इतने प्रभावित हो जाते हैं कि उनके खनिज तत्व भी बदल जाते हैं और उनमें नई विशेषताएं आ जाती हैं.

रंग-रूप बदल जाने से कभी-कभी तो उन्हें पहचानना भी कठिन हो जाता है. गर्मी और दबाव के कारण चूने का पत्थर संगमरमर बन जाता है, चिकनी मिट्टी बदलकर स्लेट बन जाती है, बलुआ पत्थर स्फटिक बन जाता है और कोयला ग्रेफाइट बन जाता है. पेंसिल में ग्रेफाइट का इस्तेमाल किया जाता है.



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About Sonam Agarwal 238 Articles
LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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