G-20 : क्या है जी-20 समूह, जी-20 के सदस्य देश, जी-20 शिखर सम्मेलन और अध्यक्ष पद का चुनाव

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G-20 Group

G20 Countries Summit (G20 Group Kya Hai)

G-20 (G-20 Group) दुनिया के प्रमुख विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाओं का एक मंच है. इसका गठन मूल रूप से साल 1997 के एशियाई वित्तीय संकट को देखते हुए साल 1999 में किया गया था. मूल रूप से वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों के इस मंच का उच्चीकरण (elevated) साल 2008 में आए वैश्विक वित्तीय या आर्थिक संकट का प्रभावी रूप से जवाब देने के लिए राष्ट्राध्यक्षों/शासनाध्यक्षों के लिए किया गया था.

2008 से पहले इस समूह के सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों की वार्षिक बैठकें होती रही थीं. जी-20 की शिखर बैठकों का सिलसिला साल 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के बीच शुरू हुआ था. ऐसा पहला सम्मेलन नवंबर 2008 में वाशिंगटन (अमेरिका) में और दूसरा अप्रैल 2009 में लंदन (ब्रिटेन) में हुआ था.

[नोट- 2008 वैश्विक आर्थिक संकट

साल 2008 में वैश्विक स्तर पर वित्तीय संकट यानी आर्थिक मंदी का दौर आया. 2008 वित्तीय संकट एक ऐसा वित्तीय संकट था, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में चलनिधि की कमी (Lack of Liquidity) से पैदा हुआ. यह बड़ी वित्तीय संस्थाओं के पतन, राष्ट्रीय सरकारों की तरफ से बैंकों की ‘जमानत’ और दुनियाभर में शेयर बाजार की गिरावट की वजह बना. इस वैश्विक आर्थिक संकट से भारत के आयात-निर्यात के एक हिस्से पर बुरा असर पड़ा था और व्यापार कमजोर हुआ था.]

जी-20 शिखर सम्मेलन

साल 2010 तक जी-20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) का आयोजन साल में दो-दो बार किया गया, जिनमें 2008 की वैश्विक मंदी से उबरने के तौर तरीकों और इस संकट से पैदा हुईं अन्य समस्याओं से निपटने के लिए रणनीति पर विचार किया गया था. मंदी की तीव्रता पर नियंत्रण के बाद साल 2011 से यह शिखर सम्मेलन साल में एक बार ही होने लगा है. इसी क्रम में 15वां शिखर सम्मेलन नवंबर 2020 में सऊदी अरब की मेजबानी में और 16वां शिखर सम्मेलन इटली के रोम में आयोजित किया गया. वहीं, साल 2023 में इस समूह का शिखर सम्मेलन भारत में होना है.

जी-20 समूह के सदस्य देश-

जी-20 समूह में 19 देश और यूरोपीय संघ (EU) शामिल हैं. G-20 के शिखर सम्मेलनों में यूरोपीय संघ का प्रतिनिधित्व यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष की तरफ से किया जाता है.

20 अर्थव्यवस्थाओं के इस समूह में- अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका के अलावा यूरोपीय संघ शामिल हैं.

स्पेन को एक स्थाई और गैर-सदस्य के रूप में आमंत्रित किया जाता है, जो हर साल जी-20 के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेता है.

जी-20 का कोई स्थानीय सचिवालय और मुख्यालय नहीं है. सदस्य देशों में ही बारी-बारी से किसी देश में इसका शिखर सम्मेलन आयोजित किया जाता है.

जी-20 समूह का अध्यक्ष पद

जी-20 समूह का अध्यक्ष पद सदस्य देशों के बीच ही वार्षिक तौर पर एक प्रक्रिया के तहत घूमता रहता है. यह प्रक्रिया समय के साथ-साथ क्षेत्रीय संतुलन सुनिश्चित करती है.

अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए 19 देशों को पांच-पांच के ग्रुप्स में बांटा जाता है. हर एक ग्रुप में 4 से ज्यादा देश नहीं होते हैं. अध्यक्ष पद वार्षिक स्तर पर हर एक ग्रुप में घूमता रहता है. हर साल जी-20 का कोई ग्रुप अध्यक्ष पद के लिए किसी दूसरे ग्रुप से किसी एक देश का चुनाव करता है. भारत ग्रुप-2 में है, जिसमें उसके साथ रूस, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की शामिल हैं.

हर साल जब एक सदस्य देश समूह के अध्यक्ष का पद ग्रहण करता है, तो वह देश पिछले साल के अध्यक्ष देश और अगले साल के होने वाले अध्यक्ष देश के साथ मिलकर कार्य करता है और इस प्रक्रिया को ही सामूहिक रूप से ‘ट्रोइका’ कहा जाता है.

G-20 शिखर सम्मेलन-

नवंबर 2008– वॉशिंगटन डीसी (अमेरिका)
अप्रैल 2009– लंदन (ब्रिटेन)
सितंबर 2009– पिट्सबर्ग (अमेरिका)
जून 2010– टोरंटो (कनाडा)
नवंबर 2010– सियोल (दक्षिण कोरिया)
नवंबर 2011– कान (फ्रांस)
जून 2012– लांस काबोस (मैक्सिको)
सितंबर 2013– सेंट पीटर्सबर्ग (रूस)
नवंबर 2014– ब्रिसबेन (ऑस्ट्रेलिया)
नवंबर 2015– अताल्या (तुर्की)
सितंबर 2016– हांगझू (चीन)
जुलाई 2017– हैमबर्ग (जर्मनी)
नवंबर-दिसंबर 2018– ब्यूनस आयर्स (अर्जेंटीना)
जून 2019– ओसाका (जापान)
नवंबर 2020– रियाद (सऊदी अरब)
2021– इटली
2022– इंडोनेशिया
2023– भारत
2024– ब्राजील

जी-20 के कार्यों को दो ट्रैक्स में बांटा गया है-

फाइनेंस ट्रैक (Finance Track)- यह G20 समूह के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर और उनके प्रतिनिधियों के साथ सभी बैठकों में वित्तीय विनियमन (फाइनेंशियल रेग्युलेशन), राजकोषीय मुद्दे (Fiscal Issues) और मुद्रा (करेंसी) पर केंद्रित होता है.
शेरपा ट्रैक (Sherpa Track) यह राजनीतिक जुड़ाव, विकास, भ्रष्टाचार का विरोध, ऊर्जा आदि जैसे बड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है.

जी-20 की शक्ति और सार्थकता

जी-20 की शक्ति और सार्थकता का आकलन इस बात से किया जा सकता है कि दुनिया की दो-तिहाई जनसंख्या जी-20 देशों में निवास करती है और वैश्विक सकल राष्ट्रीय उत्पाद के 85 प्रतिशत भाग का उत्पादन इन देशों की तरफ से किया जाता है, साथ ही वैश्विक व्यापार का लगभग 75 प्रतिशत इन देशों द्वारा ही संपन्न होता है.

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