मिशन हाइड्रोजन (Mission Hydrogen) : हाइड्रोजन- भविष्य का स्वच्छ ईंधन

Hydrogen

भारत में जिस तेजी के साथ आर्थिक विकास (Economic Development) बढ़ता जा रहा है, उतनी ही तेजी से ऊर्जा (Energy) की जरूरत और मांग भी बढ़ती जा रही है. निश्चित सी बात है कि हर एक क्षेत्र की गतिविधियों को चलाने के लिए ऊर्जा एक प्रमुख घटक है. ऊर्जा के बिना किसी भी आर्थिक गतिविधि (Economic Activity) को चलाना नामुमकिन ही है. ऊर्जा के बिना आर्थिक विकास भी संभव नहीं है.

समस्या

लेकिन समस्या ये है कि ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों (Traditional Sources of Energy), जैसे- कोयला, लकड़ी, जीवाश्म ईंधन पर आधारित पेट्रोलियम, खेती, लिग्नाइट और पशुओं के अवशिष्ट के घरेलू और वैश्विक भंडार न केवल सीमित हैं, बल्कि उनके दोहन और उपभोग से जुड़ी अनेक चुनौतियां भी हैं, खासकर जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) से निकलने वाली गैसों और कार्बन कणों से पर्यावरण प्रदूषण (Pollution) बढ़ता जा रहा है, जो धरती पर रहने वाले सभी तरह के प्राणियों के लिए खतरा बनता जा रहा है.

ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों के विकल्प के रूप में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (Renewable Energy Sources), जैसे- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, लघु जल विद्युत ऊर्जा, बायोमास ऊर्जा और कचरे से ऊर्जा उत्पादन की संभावना और उन्हें व्यवहार में लाने में वृद्धि तो हो रही है, लेकिन दुनिया के किसी भी देश में अब तक इन सभी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों का ठोस और भरोसेमंद विकल्प नहीं बनाया जा सका है.

हाइड्रोजन बन सकता है बेहतर विकल्प?

हाइड्रोजन एक स्वच्छ ईंधन और एक सक्षम ऊर्जा वाहक (Energy carrier) है, जिसका इस्तेमाल जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में किया जा सकता है. ऐसे में हाइड्रोजन (Hydrogen) को भविष्य के स्वच्छ ईंधन के रूप में पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों का एक बेहतर विकल्प माना जा रहा है.

तकनीकी तौर पर हाइड्रोजन ईंधन नहीं, बल्कि बिजली की तरह ऊर्जा का एक सक्षम वाहक (Carrier of Energy) है. माना जा रहा है कि स्वच्छ हाइड्रोजन वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (Greenhouse Gas Emissions) में लगभग 34 प्रतिशत तक की कमी ला सकती है.

ऑटोमोबाइल, टू-व्हीलर, थ्री-व्हीलर गाड़ियां, बसें आदि और रेलवे ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों पर आधारित बिजली उत्पादन की तरफ बढ़ रहे हैं. इस्पात और सीमेंट जैसे प्लांट्स को ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों से उनकी जरूरत के मुताबिक ऊष्मा (Heat) नहीं मिल सकती है, लेकिन हाइड्रोजन इन प्लांट्स को भी उनकी जरूरतों के अनुसार ही ऊष्मा दे सकता है.

वर्तमान में प्राकृतिक गैस से हाइड्रोजन का उत्पादन स्टीम मीथेन रिफॉर्म टेक्नोलॉजी से किया जाता है, हालांकि अगर हाइड्रोजन को इलेक्ट्रोलिसिस क्रिया से पानी के अणुओं को तोड़कर बनाया जाता है, तो यह नीली हाइड्रोजन (Blue Hydrogen) के रूप में प्राप्त होती है. नीली हाइड्रोजन ही नवीकरणीय ऊर्जा का स्रोत है.

भारत में बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन का इस्तेमाल किए जाने की योजना पर काम चल रहा है, जिसमें कोयले से हाइड्रोजन निकालने और जीरो कार्बन उत्सर्जन (Zero Carbon Emissions) के लक्ष्य को प्राप्त करने के उपाय निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं.

हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन (National Hydrogen Energy Mission)

मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 नवंबर 2020 को तीसरे वैश्विक अक्षय ऊर्जा निवेशकों की बैठक और एक्सपो को संबोधित करते हुए यह ऐलान किया था कि भारत एक राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन (National Hydrogen Energy Mission) शुरू किए जाने की योजना बना रहा है, जो कार्बन उत्सर्जन मुक्त अगली पीढ़ी के ईंधन के साथ भारत के हरित ऊर्जा प्रयासों (Green Energy Efforts) को रफ्तार देगा.

भारत में हरित हाइड्रोजन प्लांट (Green Hydrogen Plants) बनाने और स्थापित किए जाने की योजना है, जो हरित ऊर्जा स्रोतों (Green Energy Sources) द्वारा बनाई गई बिजली से चलेगा और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने में मदद करेगा. ऐसे ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट ग्रिड-स्केल भंडारण समाधान और अमोनिया उत्पादन के लिए फीड स्टॉक देंगे. इस नए क्षेत्र में निवेशकों को आमंत्रित करते हुए पीएम मोदी ने उस समय बताया था कि भारत ने अपनी स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता (Renewable Energy Capacity) में ढाई गुना वृद्धि की है.

हाइड्रोजन को एक बेहतर विकल्प बनाने के लिए किए गए उपाय

अक्षय ऊर्जा मंत्रालय (Renewable Energy Ministry) ने हाइड्रोजन ऊर्जा के अलग-अलग पहलुओं पर रिसर्च, विकास और प्रदर्शन परियोजनाओं का एक बड़ा खाका तैयार किया है, ताकि हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण (स्टॉक) और यांत्रिक या तापीय या विद्युत ऊर्जा (Mechanical or thermal or electrical energy) के उत्पादन के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सके.

बिजली बनाने के लिए ईंधन इकाइयों (Fuel Units) में हाइड्रोजन के इस्तेमाल को सफलतापूर्वक दिखाया जा चुका है. हाइड्रोजन से चलने वाले छोटे इलेक्ट्रिक जनरेटर सेट, मोटर साइकिल, थ्री-व्हीलर गाड़ियों और बसों आदि को तैयार किया जा चुका है, साथ ही उनका प्रदर्शन भी किया जा चुका है.

अक्षय ऊर्जा मंत्रालय हाइड्रोजन ऊर्जा और ईंधन पर एक बड़े रिसर्च एंड डेवेलपमेंट प्रोग्राम का समर्थन करता है. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से हाइड्रोजन के उत्पादन से जुड़ीं चुनौतियों का हल निकालने के लिए इंडस्ट्रियल एकेडमिक और रिसर्च इंस्टीट्यूट्स को सहायता दी जाती है, ताकि ईंधन से जुड़ीं जरूरतों को पूरा करने के लिए ऊर्जा के एक स्रोत के रूप में हाइड्रोजन का उत्पादन और सुरक्षित भंडारण किया जा सके.

ट्रांसपोर्टेशन के मामले में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, IIT नई दिल्ली और महिंद्रा एंड महिंद्रा को बड़ा काम दिया गया है. इसी का नतीजा है कि आंतरिक दहन इंजन (Internal combustion engine), टू-व्हीलर, थ्री-व्हीलर गाड़ियों और मिनी बसों को हाइड्रोजन से चलाए जाने की टेक्नोलॉजी तैयार कर ली गई है. इंडियन ऑयल रिसर्च एंड डेवेलपमेंट सेंटर, फरीदाबाद और नेशनल सोलर एनर्जी इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग के दो स्टेशन बनाए गए हैं.

भारत में हाइड्रोजन का उत्पादन

हाइड्रोजन का उत्पादन ज्यादातर प्राकृतिक गैस (Natural Gas) से किया जाता है, लेकिन भारत अपने आत्मनिर्भर रास्ते से हाइड्रोजन निकालने के लिए जहां एक तरफ कोयला का इस्तेमाल करना चाहता है, तो वहीं दूसरी तरफ ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों से हाइड्रोजन निकालना चाहता है. हालांकि, भारत में कोयले के बड़े भंडार मौजूद हैं, लेकिन उनके इस्तेमाल को बढ़ाने से पर्यावरण प्रदूषण में ही वृद्धि होगी. दूसरी तरफ, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बनाई गई बिजली की प्रति यूनिट कीमत हर साल कम होती जा रही है.

वर्तमान में भारत लगभग 50 प्रतिशत प्राकृतिक गैस का आयात करता है. देश में जिस तरह से प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल में वृद्धि हो रही है, उससे फिलहाल यही पता चलता है कि प्राकृतिक गैस के घरेलू उत्पादन में वृद्धि की कई संभावनाओं के बाद भी इसके आयात पर निर्भरता में कमी नहीं आएगी. इसलिए हाइड्रोजन के लिए प्राकृतिक गैस, कोयला और ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों से बनाई गई बिजली के इस्तेमाल किए जाने के विकल्प खुले रखने होंगे.



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LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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