सफेद नमक/सेंधा नमक/काला नमक : रोज में नमक खाने वाले इन बातों का रखें ध्यान

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White Salt, Rock Salt and Black Salt Difference, Benefits and Side Effects

Safed namak, Sendha namak, Kala namak (White salt, Rock/Pink salt, Black salt)

खाना बनाते समय जिस मसाले या रस का इस्तेमाल जरूर होता है, वह नमक (Salt or Namak) ही है. यह सभी रसों का केंद्र है, इसीलिए इसे ‘सबरस’ कहा गया है. अयोध्या में लोग नमक को ‘रामरस’ भी कहते हैं. नमक के बिना सारे मसाले बेकार हैं और इसलिए इसे सभी ‘रसों का राजा’ भी कहा जाता है. खाने में नमक की सही मात्रा हो, तो खाना परफेक्ट बनता है, कम हो तो ऊपर से डाला जा सकता है, लेकिन अगर मात्रा ज्यादा हो जाए तो बड़ी दिक्कत हो जाती है. खाने की ही तरह हमारे शरीर में भी नमक की सही मात्रा बने रहना बहुत जरूरी है, नहीं तो कई तरह की समस्याएं घेर सकती हैं.

लो ब्लड प्रेशर और हाई ब्लड प्रेशर में नमक

Salt in Blood Pressure : कुछ लोगों को अगर एक ही दिन नमक वाला खाना खाने को न मिले तो उन्हें बड़ी कमजोरी आ जाती है. उनका BP (ब्लड प्रेशर) लो (Low) हो जाता है. जिन लोगों को लो ब्लड प्रेशर (Low blood pressure) की शिकायत है, उन्हें सलाद या किसी सब्जी के जूस में नमक मिलाकर खाना चाहिए. ऐसे लोगों को नमक वाला भोजन ज्यादा खाना चाहिए. वहीं, जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure) की समस्या हो, उन्हें पानी में नमक मिलाकर नहाना (यानी समुद्र स्नान करना) चाहिए और नमक कम खाना चाहिए या नहीं खाना चाहिए.

सेंधा नमक या काले नमक का ही करें सेवन

यहां एक बात यह भी जरूरी है कि खाने में हमेशा सेंधा नमक या काले नमक (Sendha namak and Kala namak) का ही सेवन करने की कोशिश करनी चाहिए. आयुर्वेद में भी इन्हीं दोनों नमक को सेहत के लिए अच्छा बताया गया है. सफेद या साधारण नमक (White Salt or Safed namak) कम से कम खाना चाहिए. हम सब जानते हैं कि नमक कई तरह का होता है, जैसे- सफेद नमक या साधारण नमक, सेंधा नमक, काला नमक, सांभर नमक और बीण नमक. इनमें सेंधा नमक और काला नमक सबसे ज्यादा फायदेमंद है, लेकिन सफेद नमक कम से कम खाना चाहिए.

“शरीर के लिए जहर समान है आयोडीन युक्त सफेद नमक”

Safed namak ke nuksan : भारतीय वैज्ञानिक और प्रखर वक्ता राजीव दीक्षित के अनुसार, “बाजार में बिकने वाला आयोडीन युक्त सफेद नमक सेहत के लिए बेहद नुकसानदेह है. यह शरीर के लिए जहर समान है और इसके ज्यादा सेवन से नपुंसकता भी आ सकती है. आयोडीन (Iodine) के लिए आयोडीन युक्त सफेद नमक खाने की कोई जरूरत नहीं है. दालों, हरी पत्तेदार सब्जियों और जमीन के अंदर उगने वाली सब्जियों या कंदमूल को खाने से शरीर में आयोडीन की कमी पूरी हो जाती है. खाने में हमेशा सेंधा नमक या काले नमक या सफेद क्रिस्टल नमक का ही इस्तेमाल करना चाहिए”.

सेंधा और सफेद नमक में क्या अंतर है?
(Safed namak and Sendha namak)

जाने-माने आयुर्वेद डॉ. अबरार मुल्तानी के अनुसार भी, सेंधा नमक (Pink Salt) में आयोडीन पहले से ही प्राकृतिक रूप से मौजूद रहता है, उसमें ऊपर से मिलाने की जरूरत नहीं होती, जबकि साधारण या सफेद नमक में आयोडीन ऊपर से डाला जाता है, जिससे यह फायदे की जगह नुकसानदेह ज्यादा होता है. सेंधा और काला नमक पूरी तरह प्राकृतिक होता है, इसमें ज्यादा छेड़छाड़ नहीं की जाती, साथ ही इसमें शरीर को फायदे देने वाले कई खनिज तत्व मौजूद होते हैं, इसलिए यह स्वास्थ्य के लिए बेहतर है.

नमक कैसे बनता है (Namak kaise banta hai)?

साधारण या सफेद नमक (Samudri Namak or Sea Salt) बनाने के लिए समुद्र के खारे पानी को आगर की क्यारियों में जमा किया जाता है, जहां यह पानी सूर्य की गर्मी से सूखकर उड़ जाता है और नमक बचता है. फिर इसे ही मशीनों से साफ करके बेचा जाता है. वहीं, सेंधा नमक खदानों से निकाला जाता है. इसे ‘लाहौरी नमक’ भी कहते हैं, क्योंकि यह सिंधु नदी के आसपास के हिमालयी क्षेत्रों में चट्टानों के रूप में पाया जाता है.

सेंधा नमक का मतलब ही है- सिंध या सिंधु से आया हुआ. सेंधा नमक जिन इलाकों में ज्यादा पाया जाता है, वे इलाके अब पाकिस्तान में ज्यादा आते हैं. प्राकृतिक काला नमक (Black Salt or Kala Namak) चट्टानों से मिलता है. ये चट्टानें मुख्य रूप से भारत, पाकिस्तान में होती हैं. सांभर नमक (Sambhar Namak) राजस्थान में स्थित सांभर झील से प्राप्त किया जाता है. राज्य के कुल उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत नमक यहीं पर तैयार होता है. यह नमक ज्यादा खारा होता है.

सेंधा और काले नमक के फायदे
(Kala namak aur Sendha namak ke fayde)

सेंधा नमक को गुलाबी नमक, हिमालयन नमक, रॉक साल्ट, लाहौरी नमक या हैलाइड सोडियम क्लोराइड के नाम से भी जाना जाता है. आयुर्वेद में सेंधा नमक (Sendha Namak) का काफी महत्व है. जिन लोगों को हृदय और किडनी से जुड़ी समस्याएं होती हैं, उन्हें खाने में साधारण नमक की जगह सेंधा या काले नमक का इस्तेमाल करना चाहिए.

आप देखते भी होंगे कि खाने की कोई भी फायदेमंद चीज या औषधि के रूप में इस्तेमाल होने वाली चीजों में साधारण नमक की जगह सेंधा या काला नमक डालने की ही सलाह दी जाती है. व्रत-उपवास में जो लोग नमक के बिना नहीं रह पाते, वे सेंधा नमक ही खाते हैं. सेंधा नमक पचने में हल्का और त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) को मिटाने वाला होता है.

साधारण नमक के ज्यादा इस्तेमाल से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है.

खाने में सेंधा नमक के इस्तेमाल से-
कब्ज, गैस की समस्या में राहत मिलती है,
रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है,
शारीरिक कमजोरी दूर होती है,
वजन को कंट्रोल रखने में मदद मिलती है,
चर्म रोगों की शिकायत नहीं रहती (जबकि सफेद नमक का सेवन करते रहने से त्वचा रोग भी बढ़ जाते हैं),
अनिद्रा दूर होती है,
साइनस के इलाज में मदद मिलती है.

सेंधा नमक को सरसों के तेल में मिलाकर उससे दांतों और मसूढ़ों की रोज हल्के-हल्के हाथों से मसाज करने से पायरिया खत्म हो जाता है, साथ ही मसूढ़े स्वस्थ बनते हैं और मुंह की दुर्गंध दूर हो जाती है.

नमक के पानी से कुल्ला करने से मुंह के बैक्टीरिया मर जाते हैं और मुंह की दुर्गंध दूर हो जाती है.

नमक के फायदे (Salt benefits)-

नमक जंतुनाशक या बैक्टीरिया को मारने वाला होता है. नमक के पानी से त्वचा से जहरीले और नुकसान देने वाले बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं और रोम छिद्र खुल जाते हैं.

सफेद नमक के गुनगुने या थोड़े गर्म पानी में कुछ देर पैर डालकर रखने से पैरों या पंजों में आई सूजन खत्म हो जाती है और पैरों के दर्द या पंजों के दर्द में आराम होता है.

नमक सूजन को खत्म करता है और किसी भी जहर के असर को कम करने में मदद करता है. इसीलिए जब किसी जहरीले कीड़े के काटने पर बहुत सूजन आ जाती है, तो उस जगह पर नमक के गर्म पानी से सिकाई करने से जल्दी आराम होता है.

अगर गले में टॉन्सिल की समस्या हो गई हो, या गले में सूजन आई हो, तो सेंधा नमक के गुनगुने या थोड़ा गर्म पानी से गरारे करने से आराम होता है, साथ ही आवाज खुल जाती है.

अगर मसूढ़ों में सूजन आई है तो सेंधा नमक के गुनगुने पानी से कुल्ला करने से आराम होता है.

अगर कहीं पर गिरने से या किसी और कारण से सिर में या किसी और अंग में अंदरूनी चोट या मोच आई हो, या किसी अंग में फ्रैक्चर होने की संभावना लग रही हो, तो प्राथमिक उपचार के तौर पर उस जगह पर हल्दी पाउडर और सफेद नमक का पानी में मिलाकर लेप लगा देने से आराम होता है, साथ ही एक अनजाना डर भी दूर होता है.

एक गिलास पानी में आधा या एक चम्मच सेंधा नमक मिलाकर पीने से उल्टी हो जाती है (अगर उल्टी करने की जरूरत हो और उल्टी न हो रही हो तो यह उपाय किया जाता है, जैसे किसी जहर के पेट में चले जाने पर जहर को उल्टी के साथ बाहर निकालने के लिए).

सुबह खाली पेट (दो-तीन दिनों तक) एक गिलास पानी में आधा चम्मच सेंधा नमक मिलाकर पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं और नए कीड़े नहीं बनते हैं (पेट में कीड़े ज्यादातर कब्ज की समस्या से बनते हैं, इसलिए कब्ज नहीं होने देनी चाहिए).

लगभग सभी तरह के कीड़े या जंतु नमक से दूर रहना ही पसंद करते हैं. जैसे- जिन स्थानों पर जोंक बहुत पाई जाती हैं, वहां लोग अपने जूतों में या पलंग पर साधारण नमक भरकर रहते हैं.

फर्श पर साधारण नमक मिले पानी से पोंछा लगाने से फर्श के सारे बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं. कुछ लोगों का मुताबिक, नमक मिले पानी से पोंछा लगाने से निगेटिव एनर्जी भी दूर होती है.

लाल चींटियों पर साधारण नमक डाल देने से चींटियां भाग जाती हैं.

नमक के नुकसान या नमक के सेवन में सावधानियां (Salt side effects)-

आयुर्वेद में कहा गया है कि ‘अगर (किसी भी तरह के) नमक का सेवन उचित मात्रा में और साधारण नमक का सेवन कम मात्रा में ही किया जाए तो वह जीवन के समान है, वहीं अगर (किसी भी तरह के नमक का सेवन) ज्यादा मात्रा में किया जाए तो वह जहर समान है’.

♦ दूध के साथ किसी भी तरह के नमक का सेवन बिल्कुल न करें.

♦ जो लोग रोज ही सब्जी, रायता, चटनी, अचार आदि के रूप में साधारण नमक का सेवन करते ही रहते हैं, बाद में उनके लिए हानिकारक नतीजे सामने आते हैं.

♦ साधारण नमक का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से त्वचा रोग, खून की खराबी, मूत्ररोग, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, नपुंसकता जैसी समस्याएं हो जाती हैं.

♦ साधारण नमक के ज्यादा सेवन से बुढ़ापा भी जल्द आता है, वहीं साधारण नमक का सेवन छोड़ देने से अस्थमा और खांसी जैसी बीमारियों में आराम होता है.

♦ जिन लोगों को किसी भी तरह के त्वचा रोग, खुजली या कोढ़ आदि की समस्या हो, उन्हें साधारण नमक का सेवन छोड़ ही देना चाहिए. बुखार में भी खाने में सेंधा या काले नमक का ही इस्तेमाल करना चाहिए.

नोट- सेंधा और काले नमक में मिलावट से सावधान रहें. इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और कई किताबों पर आधारित है. इन पर अमल करने से पहले डॉक्टर या जानकार की सलाह ले लें.


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