गेहूं (Wheat): सेहत के लिए फायदेमंद है या नुकसानदेह… जानिए गेहूं से जुड़ीं कुछ महत्वपूर्ण बातें

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गेहूं (Wheat)

Wheat benefits in hindi (गेहूं के फायदे और नुकसान)

गेहूं (Wheat or Gehu) लोगों का मुख्य आहार है. दुनिया के एक बड़े भाग के रोज के खाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल शायद गेहूं का ही होता है और रोज के खाने में इस्तेमाल होने वाले सब तरह की अनाजों में गेहूं को ही सबसे बेहतर माना गया है और इसीलिए गेहूं को ‘अनाजों का राजा’ भी कहा गया है. दुनिया के लगभग सभी प्रायद्वीपों में गेहूं की खेती की जाती है. दुनियाभर में गेहूं मक्का (Maize or Makka) के बाद उगाई जाने वाली सबसे बड़ी फसल है. धान (Paddy) का स्थान भी गेहूं के बाद ही आता है. यह दुनिया की एक बड़ी जनसंख्या के आहार और कैलोरी की पूर्ति करता है.

गेहूं का उत्पादन या खेती (Gehu ki kheti)

भारत में गेहूं का उत्पादन सब जगह होता है. उत्तर भारत में गेहूं का बड़ी मात्रा में उत्पादन किया जाता है और उत्तर भारत मैं रोज के खाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल भी गेहूं का ही होता है. खासकर पंजाब में गेहूं की फसल सबसे ज्यादा मात्रा में तैयार की जाती है. गेहूं को मुख्य रूप से बसंत और सर्दियों के मौसम में उगाया जाता है. बारिश के मौसम में खरीफ की और सर्दियों में रबी की फसल के रूप में गेहूं की बोआई की जाती है.

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सिंचाई वाली रबी फसल के गेहूं के लिए अच्छी निथार वाली काली, पीली या बेसर रेतीली जमीन ज्यादा अनुकूल मानी जाती है, जबकि बिना सिंचाई की बारिश की फसल के गेहूं के लिए काली और नमी को इकट्ठा करने वाली चिकनी जमीन अनुकूल रहती है. आमतौर पर नरम, काली जमीन गेहूं की फसल के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है. गेहूं के पौधे लगभग डेढ़ से दो हाथ ऊंचे होते हैं. उनका तना पीला होता है और तनों पर बालियां लगती हैं, जिनमें गेहूं के दाने होते हैं. गेहूं की बालियों को सेंककर खाया जाता है. सेंकी गईं बालियों के दाने बहुत स्वादिष्ट होते हैं.

गेहूं के गुण और इस्तेमाल (Wheat uses for Health)

गेहूं के दो मुख्य कंपोनेंट्स कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन हैं. ग्लूटेन (Gluten) नाम का प्रोटीन भी गेहूं में पाया जाता है, जो सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता है. गेहूं में फैट कम होता है. गेहूं की कई किस्में होती हैं- जैसे क्वालिटी के आधार पर कठोर गेहूं और नरम गेहूं. वहीं रंगों के आधार पर भी गेहूं की सफेद और लाल, दो किसमें होती हैं. सफेद गेहूं की तुलना में लाल गेहूं ज्यादा पौष्टिक माना जाता है.

गेहूं के आटे से क्या-क्या बनता है- गेहूं के आटे से रोटी, ब्रेड, सेव, पूड़ी, पराठे, पाव, केक, बिस्किट आदि अनेक चीजें बनाई जाती हैं. इसी के साथ, गेहूं के आटे से हलवा, मालपुआ, लड्डू, लपसी, पूरनपूरी, घेवर, जलेबी और खाजे आदि जैसे स्वादिष्ट पकवान भी बनते हैं. वहीं, गेहूं का दलिया भी बहुत पौष्टिक होता है और बीमार लोगों को शक्ति देने का काम करता है. इन सबके आलावा, गेहूं का कुछ मात्रा में इस्तेमाल जानवरों के चारे या उसके भूसे का इस्तेमाल जानवरों के लिए छत या छप्पर बनाने में भी किया जाता है.

गेहूं के आटे की रोटी (Wheat Flour Bread)- भारत में गेहूं की रोटी मुख्य आहार है. गेहूं की रोटी पचने में भारी होती है, उसकी तुलना में पूड़ी, हलवा, लड्डू, लपसी, गुड़-पपड़ी एक-दूसरे से ज्यादा भारी होते हैं. गुजरात तरफ गेहूं की पतली, हल्की-फुल्की रोटियां बनाई जाती हैं, जबकि उत्तर भारत में मोटी रोटी बनाई जाती है.

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अंकुरित गेहूं (Sprouted Wheat benefits)- अंकुरित अनाज या दालें एकदम नेचुरल डाइट है. गेहूं को अंकुरित करके खाने से शरीर में प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन, आयरन, या कहा जाए तो सभी पोषक तत्वों की कमी पूरी हो जाती है. अंकुरित गेहूं में पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा पाई जाती है, इसलिए अंकुरित गेहूं को ‘जीवनदायिनी’ भी कहा गया है. अंकुरित गेहूं को आप ऐसे ही, या उसे तलकर, या उसमें कटी प्याज या खीरा, टमाटर, धनिया, नींबू, काला नमक, हरी मिर्च या काली मिर्च आदि भी डालकर खा सकते हैं.

गेहूं को जलाकर उसकी भस्म को शुद्ध सरसों के तेल में मिलाकर किसी भी तरह के चर्मरोग (Skin Disease) जैसे दाद-खाज, खुजली, घाव आदि में लगाने से जल्द आराम होता है.

गेहूं के जवारों का रस पीने के फायदे (Wheat Jawara Benefits)

गेहूं के दानों को बोकर जवारे (Wheat Jawara) उगाए जाते हैं. जब गेहूं को अच्छी उपजाऊ जमीन में बोया जाता है, तो कुछ ही दिनों में उनके अंकुर बढ़ने लगते हैं और उनमें से पत्तियां निकलने लगती हैं. जब ये अंकुर 5-6 पत्तों के हो जाते हैं, तो उन्हें ही जवारे कहते हैं. इस तरह गेहूं के जवारे कुछ और नहीं, बल्कि अंकुरित गेहूं ही हैं.

गेहूं के जवारों के रस को ‘हरा रक्त’ और ‘संजीवनी’ भी कहा जाता है, क्योंकि इनका रस शरीर में खून की कमी की समस्या को दूर कर देता है. और कई तरह की बीमारियों से बचाता है.

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गेहूं के जवारों में क्लोरोफिल, विटामिंस, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, जिंक, आयोडीन और कई खनिज तत्व होते हैं. गेहूं के जवारों का रस कैंसर से लड़ने में भी सहायक माना गया है और इसीलिए इसे एक बड़ी आयुर्वेदिक औषधि का नाम दिया गया है.

गेहूं के जवारों का रस पौष्टिक, खून को बढ़ाने वाला, पेट की गैस की समस्या को कम करने वाला और त्वचा और हड्डियों के लिए अच्छा माना जाता है. इसे पीने से खून की कमी की समस्या दूर होती है, हीमोग्लोबिन बढ़ता है, शारीरिक ताकत बढ़ती है, पाचन शक्ति में सुधार होता है, मोटापा कम होता है. यानी इन जवारों का रस पीना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा माना गया है.

गेहूं के चोकर के फायदे (Wheat Choker Benefits)

गेहूं के दानों के ऊपर वाले छिलके में पौष्टिक तत्वों की मात्रा ज्यादा होती है. इन छिलकों को ‘चोकर’ (Wheat choker) कहा जाता है. मशीनों से गेहूं को पीसने से उनके ऊपर के छिलके भी पूरी तरह पिस जाते हैं, इसीलिए पत्थर की आटा चक्की पर पीसा गया गेहूं का आटा ज्यादा फायदेमंद माना जाता है. गेहूं का चोकर कब्ज को दूर करने में बहुत ही कारगर माना गया है.

गेहूं के चोकर में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, कैलोरी, फाइबर, कैल्शियम, सोडियम, पोटेशियम, कॉपर, सल्फर, क्लोरीन, जिंक और कई तरह के विटामिंस पाए जाते हैं. शरीर को स्वस्थ रखने के लिए चोकर मिले आटे का सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है. आयुर्वेद में इसके कई लाभ बताए गए हैं, जैसे-

Wheat choker

गेहूं का चोकर मल को सूखने नहीं देता, जिससे शौच के समय आंतों में मरोड़ पैदा नहीं होती. अगर शौच के समय जोर लगाया जाता है, तो उससे नाड़ी कमजोर हो सकती है और पेट की गैस बढ़ने और शारीरिक शक्ति के कम होने जैसी समस्याएं होने का डर रहता है.

गेहूं का चोकर आंतों में जाकर गुदगुदी पैदा करता है, जो कि खाना पचाने का ही एक प्राकृतिक नियम है. ऐसा होने पर खाना अच्छे से पचता है.

गेहूं का चोकर देखने में खुरदरा जरूर होता है, लेकिन चबाते समय यह मुंह की लार से मुलायम हो जाता है. यह मुंह की लार को काफी मात्रा में समेट लेता है, इसलिए खाने को पचाने में बहुत सहायता करता है.

चोकर पेट में जाकर उसकी झाड़-पोंछकर साफ-सफाई करता है, जिससे बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है, क्योंकि आधी से ज्यादा बीमारियां खाना ना पचने, या कब्ज रहने या पेट से जुड़ी समस्याओं के कारण ही होती हैं.

चूंकि चोकर शरीर की साफ सफाई करता है, इसलिए इसके सेवन से ट्यूमर बनने जैसे खतरे भी दूर हो जाते हैं. यह हृदय रोगों से बचाता है और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखता है. त्वचा रोगों के लिए भी चोकर अच्छा माना गया है.

गेहूं के सेवन में सावधानियां (Wheat Side Effects)

गेहूं का महीन आटा या मैदा पचने में भारी होता है और सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता है. गेहूं का मोटा आटा या चोकरयुक्त आटे का सेवन किया जाना अच्छा माना जाता है.

गेहूं में ग्लूटेन नाम का जो प्रोटीन पाया जाता है, वह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह माना गया है.

संयुक्त राज्य अमेरिका की एक रिपोर्ट के अनुसार, गेहूं में पाए जाने वाले ग्लूटेन की वजह से ही दुनिया के 200 लोगों में से एक व्यक्ति पेट की बीमारियों से पीड़ित है.

रिपोर्ट के अनुसार, ग्लूटेन का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से गले में खराश, थकान, कमजोरी, सिरदर्द, पेट दर्द, कब्ज, गैस, अपच, त्वचा की समस्याएं, वजन कम होना और बार-बार इन्फेक्शन होने या एलर्जी जैसी समस्याएं हो जाती हैं.

इसीलिए कहा जाता है कि साल के 365 दिनों में से कम से कम 80 दिन गेहूं नहीं खाया जाना चाहिए. आजकल कुछ एक्सपर्ट्स की तरफ से यह सलाह दी जाती है कि दूसरे अनाजों को एकदम नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. रोज के खाने में केवल गेहूं का ही इस्तेमाल ना करके, उसके साथ-साथ ज्वार, बाजरा, मक्का आदि के आटे से बनी रोटियों का भी सेवन करना चाहिए.

बारिश में गेहूं का सेवन करें कम

आमतौर पर गेहूं का सेवन बारहों महीने किया जा सकता है, लेकिन नए गेहूं पचने में भारी और कफ को बढ़ाने वाले माने जाते हैं, वहीं एक साल पुराने गेहूं कफ नहीं बढ़ाते. इसलिए बसंत के मौसम में पुराना गेहूं खाना ज्यादा फायदेमंद माना जाता है. बारिश के मौसम में कई लोग गेहूं की जगह बाजरे का आटा खाना ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि बारिश में जठराग्नि या पाचन शक्ति थोड़ी कम हो जाती है, इसलिए उस समय गेहूं को पचाना भी थोड़ा मुश्किल होता है.

नोट- हर अच्छी चीज का सेवन भी उचित मात्रा में ही करें. इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और कई किताबों पर आधारित है. इन पर अमल करने से पहले डॉक्टर या जानकार की सलाह ले लें.

स्वास्थ्य और आहार से जुड़ीं महत्वपूर्ण बातें

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