कार्तिक : जानिए कार्तिक महीने से जुड़ीं कुछ विशेष बातें और कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

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Kartik Month

हिंदू कैलेंडर के आठवें महीने को ही हिंदी में ‘कार्तिक’ (Kartik Month) कहा जाता है. पुराणों के अनुसार, कार्तिक महीना भगवान शिवजी के बड़े पुत्र भगवान कार्तिकेय जी (Bhagwan Kartikey) की तरफ से की गई साधना का महीना होता है, इसी वजह से इस महीने का नाम ‘कार्तिक’ पड़ा. व्रत-त्यौहार की नजर से कार्तिक का महीना विशेष महत्व रखता है. हमारी संस्कृति में इसी महीने में अलग-अलग तरह के व्रत-त्योहार, स्नान आदि की परंपरा है.

इसी महीने में सभी प्रमुख त्योहार जैसे- करवाचौथ, अहोई अष्टमी, रमा एकादशी, गोवत्स द्वादशी, धनतेरस, नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली, बड़ी दीपावली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, सूर्य अष्ठी, गोपाष्टमी, आंवला नवमी, देवउठनी एकादशी, वैकुंठ चतुर्दशी और कार्तिक पूर्णिमा आते हैं… और इसीलिए इस महीने को पुण्य, सुख-समृद्धि और आरोग्य का महीना भी कहा जाता है. यह महीना शारीरिक ही नहीं, मानसिक शक्ति को बढ़ाने का भी समय होता है.

‘कार्तिक के समान सुखद और कोई महीना नहीं’

महर्षि अत्रि ने अगस्त्य मुनि को कार्तिक महीने का महत्व बताते हुए कहा था कि कार्तिक महीने के समान सुखद और कोई महीना नहीं. बारिश के मौसम की समाप्ति के बाद सर्दियों की शुरुआत का यह महीना बहुत ही सुखद होता है.

इस समय ना तो बारिश का कीचड़ होता है और न ही बहुत गर्मी या सर्दी. दीपावली और देवउठनी एकादशी जैसे त्योहारों की दिव्यता और प्रकृति के सौंदर्य का मनमोहक नजारा. बाजारों की रौनक और घर-मंदिरों का भक्तिपूर्ण वातावरण, सुबह फूलों की सुगंध से महकती गालियां तो रात को दीपों की रोशनी से जगमगाता आसमान….यही है इस महीने की पहचान, इस तरह सब प्रकार से कार्तिक का महीना सभी महीनों में श्रेष्ठ है.

खुद को अध्यात्मिक शक्तियों से जोड़ने का अच्छा समय

कार्तिक महीने में त्योहारों की धूम रहती है. इन सभी त्योहारों में भगवान के अलग-अलग अवतारों, उनकी कथाओं और लीलाओं को याद करके उन्हें अपने जीवन में उतारने का प्रयास किया जाता है. यह पूरा महीना खुद को अध्यात्मिक शक्ति से जोड़ने का सुनहरा अवसर माना जाता है.

Shri-Vishnu

इसी महीने भगवान विष्णु अपनी योगनिद्रा से जाग जाते हैं और अपने सभी भक्तों की पूजा-अर्चना को स्वीकार करते हैं. इसी महीने माता लक्ष्मी की भक्तों पर विशेष कृपा रहती है. भगवान विष्णु की आराधना के लिए सभी देवी-देवता इकट्ठा होते हैं. इस तरह इस महीने सभी सुंदर और सकारात्मक शक्तियां जाग्रत रहती हैं. अगर इस महीने भगवान विष्णु और भगवान शिव के मंदिर में जाकर यथाशक्ति दीप, नैवेद्य आदि से आराधना की जाए, तो कई बड़े फल प्राप्त होते हैं.

नकारात्मक शक्तियों को दूर करने का समय

कार्तिक महीने में नियमपूर्वक स्नान, अर्घ्य, व्रत-पूजा, भगवान के दर्शन, भजन-कीर्तन, ध्यान-जप, तुलसी पूजा, गाय की पूजा, प्रकृति पूजा, दीप जलाना और दीपदान, दान-पुण्य आदि धार्मिक और सांस्कृतिक कार्य करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं. कार्तिक स्नान का बेहद महत्व है. कहते हैं कि इस महीने में ज्यादा से ज्यादा धार्मिक कार्य करने से पिछले जन्म के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं.

पर्वों और दान-पुण्य के सबसे बड़े महीने कार्तिक मास में देव आराधना के साथ पूजा अर्चना कर धन-संपत्ति, व्यापार, कारोबार में वृद्धि की कामना की जाती है. इस महीने जितना संभव हो, अपना ध्यान भगवान की पूजा-अर्चना में लगाना चाहिए. इससे मानसिक शुद्धि तो होती ही है, साथ ही पूरा वातावरण मंगलमय और सकारात्मक हो जाता है, जिसका असर आसपास की नकारात्मक शक्तियों पर भी पड़ता है.

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

हर साल 12 पूर्णिमा आती हैं, जिनमें कार्तिक की पूर्णिमा विशेष महत्व रखती है. इस पूर्णिमा को ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’ या ‘गंगा स्नान’ भी कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान शिवजी ने त्रिपुरासुर नाम के भयानक राक्षस का वध किया था और तीनों लोकों में वे त्रिपुरारी के नाम से जाने गए…और तब सभी देवताओं ने शिवलोक यानी काशी आकर दीपावली मनाई थी. कहते हैं कि इस दिन भगवान शिव के दर्शन करने से सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति ज्ञानी और धनवान बन जाता है.

अरुणाचलम पर्वत की परिक्रमा

इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से पूरे साल स्नान करने का फल मिलता है. इसी दिन तमिलनाडु में अरुणाचलम पर्वत की 13 किलोमीटर की परिक्रमा की जाती है. स्कंदपुराण के अनुसार, अरुणाचलम पर्वत पर भगवान कार्तिकेय का आश्रम है. नारद पुराण के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान कार्तिकेय जी का दर्शन और ध्यान करने से सभी सद्गुण और शत्रुओं पर विजय पाने की क्षमता प्राप्त होती है. इस दिन स्नान, अर्घ्य, जप-तप, पूजा, कीर्तन और दान-पुण्य करने से पापों से मुक्ति मिलती है.

इन उपायों से बनने लगते हैं सभी काम

कहते हैं कि इसी दिन भगवान विष्णु ने धर्म की रक्षा के लिए मत्स्य अवतार लिया था. कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्री सत्यनारायण की कथा सुनने, गीता का पाठ करने, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ और ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जप करने से पाप और कर्ज से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति के काम बनने शुरू हो जाते हैं. इस दिन शाम के समय घरों, मंदिरों, पीपल और तुलसी के पौधों के पास दीप जलाने और गंगा और अन्य पवित्र नदियों में दीपदान करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है.



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About Sonam Agarwal 238 Articles
LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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