Incredible Himalayas : भारत की पवित्रता एवं श्रेष्ठता का प्रतीक – हिमालय

importance of mountains, about himalayan mountains ranges mystery in india, पर्वतराज हिमालय पर्वत श्रृंखला के बारे में
Himalayas (Image Credit : Social Media)

Himalayas Mountains in India

संसार की सबसे ऊंची प्राचीन पर्वत श्रृंखला (पर्वतमाला) का नाम हिमालय है. यह नाम संस्कृत से लिया गया है. हिमालय का अर्थ है- ‘बर्फ का निवास’ (हिम अर्थात् ‘बर्फ’ और आलय अर्थात् ‘घर, निवास’). संस्कृत ग्रन्थ रामायण, महाभारत सहित कई प्राचीन लेखों में इस पर्वतमाला का नाम कभी-कभी ‘हिमवान्’ भी दिया गया है. अन्य विशेषणों में ‘हिमराज’ या ‘पर्वतेश्वर’ या ‘गिरिराज’ भी शामिल हैं.

हिमालय को ‘पर्वतराज’ भी कहते हैं जिसका अर्थ है पर्वतों का राजा. यह विश्व की सबसे शक्तिशाली पर्वत श्रृंखला है. हिमालय की पर्वत-श्रृंखलाएँ शिवालिक कहलाती हैं, जो कि ‘शिव की अलक’ (शिवालक) शब्द से व्युत्पन्न है, जो कि बाद में ‘शिवालिक’ बोला जाता रहा. सामवेद (Sam Veda) में हिमालय पर्वत श्रृंखला को पृथ्वी का केंद्र बताया गया है.

प्रकृति के उपहार को देखने के लिए हिमालय भारत की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है, इसकी सबसे ऊंची चोटी, बर्फ से ढके पहाड़, फूलों का कालीन और पहाड़ों के बीच से सूर्योदय, सूर्यास्त मनमोहक दृश्य और एक आनंदमय अनुभव प्रदान करते हैं. हिमालय के बर्फ से ढके पहाड़ उत्तराखंड में फूलों की अद्भुत घाटी के साथ-साथ भारत के अवश्य देखे जाने वाले स्थानों में से एक है. हिमालय की उत्कृष्ट प्राकृतिक सुंदरता इसे देश के सबसे अधिक देखे जाने वाले आकर्षणों में से एक बनाती है.

which is the highest waterfall in india, highest waterfall in india on which river, name the highest waterfall in india, highest waterfall in india 2021, highest waterfall in india upsc, what is the highest waterfall in india, jalprapat

हिमालय विश्व की प्रमुख नदियों का घर है. यह विश्व की दो प्रमुख नदी प्रणालियों- सिंधु बेसिन और गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन का स्रोत है. 750 लाख से अधिक लोग हिमालयी नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में रहते हैं. यह पर्वत श्रृंखला सैकड़ों ऊंची और कम ऊंचाई वाली झीलों से युक्त है, जो हिमालय के हिमनदों से पोषित होती हैं. प्रमुख हिमनद झीलें मानसरोवर झील और राक्षसताल झील हैं. सभी प्रमुख खतरनाक, साहसिक और ऊंचाई वाले पर्वत दर्रे महान हिमालय पर्वतमाला में स्थित हैं.

हिमालयी क्षेत्र वनस्पतियों और जीवों में महान विविधता को प्रदर्शित करता है. यह पर्वतीय क्षेत्र कई लुप्तप्राय प्रजातियों को आश्रय प्रदान करता है, जिनमें स्नो लेपर्ड, जाइंट पांडा, रेड पांडा, हिमालयन वाइल्ड याक, हिमालयन थार, मस्क डियर, हिमालयन मर्मोट आदि शामिल हैं. इस क्षेत्र की वनस्पति भारत को बहुत बड़ा खजाना प्रदान करती है. हिमालय पर्वत क्षेत्र अपनी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और विभिन्न रोगों के पारंपरिक इलाज के लिए प्रसिद्ध है. हिमालय का जल भी पवित्र और स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है क्योंकि इसमें खनिज और जड़ी-बूटियाँ मिली होती हैं.

what biosphere reserves in india

हिमालय आध्यात्म चेतना का ध्रुव केंद्र है. सदियों से हिमालय की कन्दराओं में ऋषि-मुनियों का वास रहा है और वे यहाँ समाधिस्थ होकर तपस्या करते हैं. इस “हिमालयानाम् नगाधिराजः पर्वतः” का हृदय कहाने का श्रेय उत्तराखंड को जाता है. हिमालय पृथ्वी पर रहकर भी स्वर्ग है. ईश्वर अपने समस्त ऐश्वर्य-खूबसूरती के साथ वहाँ विद्यमान है. “अनन्तरत्न प्रभवस्य यस्य”, हिमालय अनेक रत्नों का भी जन्मदाता है. “भवन्ति यत्रौषधयो रजन्याय तैल पुरत सुरत प्रदीपः”, हिमालय की पर्वत-श्रृंखलाओं में जीवन औषधियाँ उत्पन्न होती हैं. हिमालय को मां गंगा का जनक कहा जाता है.

वाल्मीकि रामायण में श्री विश्वामित्र जी भगवान् श्रीराम से कहते हैं-

शैलेन्द्रो हिमवान्नाम धातूनामाकरो महान्।
तस्यां गङ्गेयमभवज्ज्येष्ठा हिमवतस्सुता।
उमा नाम द्वितीयाभून्नाम्ना तस्यैव राघव॥

‘श्रीराम! हिमवान् नामक एक पर्वत है जो समस्त पर्वतों का राजा तथा सब प्रकार के धातुओं का बहुत बड़ा खजाना है. गङ्गाजी हिमवान् की ज्येष्ठ पुत्री हैं. हिमवान् की ही दूसरी कन्या उमा नाम से प्रसिद्ध हैं.’

हिमालय से ही गंगा, सिन्धु, ब्रह्मपुत्र आदि पवित्र नदियां निकलती हैं, जो भारत की समस्त उत्तर भूमि को अपने पवित्र जल से न केवल पवित्र करती हैं, अपितु इसे धनधान्य से संपन्न भी करती हैं. इसकी तलहटी में विशाल वनसमूह सुशोभित हैं, जहाँ अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियाँ, वनस्पतियाँ और वृक्ष हैं. भारतवर्ष की उत्तरी सीमा पर प्रहरी के सदृश खड़ा हिमालय वर्षा ऋतु में दक्षिणी समुद्र से उठने वाले बादलों को रोककर उन्हें बरसने के लिए प्रेरित करता है. यदि हिमालय नहीं होता तो हिंद महासागर से आने वाले बारिश के बादल भारतीय उपमहाद्वीप से होकर मध्य एशिया में चले जाते और इसे एक जलता हुआ रेगिस्तान बना देते.

research on saraswati river facts, Why did Saraswati river disappeared, sindhu river, indian rivers, himalayas rivers

हिमालय की कन्दराओं में तप करते हुए अनेक ऋषि-मुनियों ने परम सिद्धि प्राप्त की. इसकी सिद्धि देने की क्षमता को देखकर ही ‘पर्वतों की कन्दराओं में और नदियों के संगम पर ब्राह्मणों (ब्रह्मप्राप्ति के इच्छुक साधकों) ने ज्ञान प्राप्त किया. पुराणों में सब प्रकार की सिद्धियाँ देने वाले भगवान् शिव का स्थान इसी पर्वत के कैलास शिखर पर है. इस प्रकार पर्वतराज हिमालय रक्षक, पालक, समस्त ओषधियों का संरक्षक तथा सभी सिद्धियों का प्रदाता होने से सदैव से ही अति आदर को प्राप्त है.

गिरिनन्दिनी माता पार्वती 

हिमालय को माता पार्वती जी के पिता के रूप में जाना जाता है. देवी का वास किसी साधारण शिखर पर नहीं हैं, पर्वत-शिरोमणि उत्तुंग हिमालय के ऊंचे श्रृंग अर्थात् शिखर या चोटी पर है. माता पार्वती पर्वतराज हिमालय की नयनतारा हैं, गिरिनन्दिनी हैं. इन्हीं गिरिमार्गों पर माता के कोमल पद विचरण करते हैं. वहां पर शिखर-शिखर, वन-वन, कुञ्ज-कुञ्ज के मध्य वे विहार करती हैं. पर्वतीय वनस्थली, वहाँ का वनविहार तथा वनसौरभ उन्हें प्रिय है. ‘महिषासुरमर्दिनिस्तोत्र’ में स्तुतिकार कहता है-

अयि जगदम्ब मदम्बकदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते
शिखरिशिरोमणितुङ्गहिमालयशृङ्गनिजालय मध्यगते।

स्तुतिकार कहता है कि ‘कदम्ब के सुरभित वनों में वास तथा विचरण करने वाली हे कदम्बवनप्रियवासिनि माता! कदम्ब पुष्पों की परिमल से पूरित इन वनों में वास करना आपको प्रिय है. यहां वास करना आपको उल्लासित कर देता है. कदम्ब वृक्षों से भरे हुए सघन, सुगंधित वन आपको बहुत प्रिय हैं.’ (हिमालय के कुछ नीचे के भागों में इन वनों की बहुलता है एवं माता पार्वती हिमालय-सुता हैं. यही सघन वन उनकी क्रीड़ा-स्थली रहे हैं. अतः कदम्ब-कुञ्जों से उनका प्रेम स्वाभाविक है).

shiv parvati

संस्कृत के महाकवि कालिदास ने हिमालय को पृथ्वी का मानदंड माना है. कुमारसम्भवम् में हिमालय की दिव्यता और भव्यता का बड़ा ही मनोहारी तथा प्रभावोत्पादक वर्णन प्रस्तुत किया गया है. कालिदास के अनुसार-

“हिमालय के एक ओर पश्चिम समुद्र और दूसरी ओर पूर्व समुद्र है. वह अपनी दोनों भुजाओं से दोनों की थाह लेने वाला केवल पृथ्वी का मानदंड ही नहीं, अपितु उसकी आत्मा में देवताओं की आत्मा का वास है. अर्थात् सभी देवी-देवता उस पर वास करते हैं. यह पर्वत पृथ्वी के अनेक अमूल्य कांतिवान रत्नों, वन-औषधियों, उत्तम धातुओं, भोजपत्रों, यज्ञोपयोगी साधन-द्रव्यों का उत्पत्तिस्थान है. यहां उपलब्ध मोतियों की प्रचुरता तो इसी तथ्य से प्रकट होती है कि यहाँ के स्थानीय किरात लोग सिंहों को खोजने के लिए उनके नखों में चिपके मोतियों के झड़ते जाने से उनका मार्ग पहचान लेते हैं (क्योंकि उनके पदचिह्न तो हिम के पिघलने से धुल जाते हैं).”

“भारतवर्ष के सभी उत्तम कार्यों का स्रोत भी वही है. वहीं पर जगत् जननी पार्वती जी का जन्म हुआ. इसकी हिमाच्छादित चोटियां सिद्ध जनों व तपस्वियों का आश्रयस्थान हैं. हमारे पूर्वजों ने वही साधनारत रहकर अपने तथा अपने वंशजों के जीवन को सफल बनाया. हिमालय देवताओं की विहारस्थली भी है. वह महान और पवित्र है. इस पर्वत की कन्दराएँ (गुफाएँ और घाटियां) इतनी गहन और दीर्घ हैं कि दिन के समय सूर्य के पूर्ण प्रकाश में भी अंधकार में डूबी रहती हैं, और रात्रि होते ही वनों की विशेष चमकती औषधियों से यही कन्दराएँ ऐसे जगमगा उठती हैं जैसे तेल के बिना ही दीपक जल उठे हों.”

mountains types and formation, Himalayan Glaciers, himalayas and mount everest, himalayas in india map, highest peak of himalaya in india, himalaya india, himalaya mountain in india map, where is himalaya located in india, which is the highest peak of himalaya in india, himalayas in india, हिमालय और काराकोरम, Highest mountain of India, Mount Everest

“मयूरों के पंखों को उल्लसित करती हुई तथा गंगा के झरनों के जलकणों को वहन करती हुई वायु देवदारु के वनों को प्रकंपित करती है और उन सरल वृक्षों की छाल उखड़ जाने से उनसे टपकते हुए दूध से हिमालय की चोटियां और वहां के अन्य पदार्थ सुगन्धित हो जाते हैं. इस औषधमय और सुगंधमय वायु का सेवन करके तपस्वी जन स्वस्थ एवं निज प्रकृति में स्थित रहते हैं. बांस के रंध्रों (छेद, सूराख) से टकराकर बहती हुई वायु का मधुर स्वर इसमें सहायक होता है.”

“पर्वतराज की ऊंचाई और पवित्रता का पता इस उदाहरण से भी चलता है कि हिमालय के शिखरों पर स्थित स्वच्छ, निर्मल सरोवरों में खिले हुए कमल सप्तर्षियों द्वारा तोड़े जाते हैं तथा बचे हुए कमलों के नीचे घूमता हुआ सूर्य अपनी उर्ध्वमुखी किरणों से इन्हें विकसित करता है. अर्थात हिमाद्रि के ऊंचे शिखर अपनी ऊंचाई से सूर्य के मार्ग का विरोध करते हैं. पृथ्वी को धारण करने की क्षमता के अतिरिक्त यज्ञ में प्रयुक्त होने वाले समस्त साधन, द्रव्यों की उत्पत्ति की क्षमता को देखकर प्रजापति ने स्वयं इस पर्वत को यज्ञभाग से युक्त किया और पर्वतों का स्वामित्व प्रदान किया”, यथा-

यज्ञांगयोनित्वमवेक्ष्य यस्य
सारं धरित्रिधरणक्षमं च
प्रजापतिः कल्पितयज्ञभागं
शैलाधिपत्यं स्वयमन्वतिष्ठत्
(कुमारसम्भवम्, प्रथम सर्ग)

हिंदी के प्रसिद्ध लेखक डॉ. विद्यानिवास मिश्र ने हिमालय का महत्त्व बताते हुए लिखा है-

हिमालय पर्वत भारत की उत्तरी सीमा में स्थित है. हिमालय का नाम लेने से केवल भारत की भौगोलिक सीमा का ही स्मरण नहीं होता, अपितु भारत की पवित्रता एवं श्रेष्ठता का भी ज्ञान होता है. यह लोगों की सभ्यतागत पहचान का प्रतीक है जो इतिहास की शुरुआत से चली आ रही है. हिमालय के कारण भारत की पवित्रता और महत्ता बनी हुई है. हिमालय भारतीय संस्कृति के उत्थान की कहानी है. यह संस्कृति दैवी शक्तियों के संचालन के लिए सदैव से ही प्रयत्नशील रही है और अपने इस प्रयास में उसने तपस्या एवं एकनिष्ठ प्रेम को आधारभूत तत्व माना है. हिमालय अपने प्राकृतिक सौंदर्य और समृद्धि से परिपूर्ण होते हुए भारत के जीवन दर्शन और मानसिक चेतना का प्रतीक है. हमने उन्हीं आदर्शों को अपनाया है, जिन आदर्शों का देवता हिमालय है.

हिमालय उस उज्जवल मुकुट का प्रतीक है जो भौतिक संपन्नता को व्यक्त करता है. इसकी आभा मण्डित मस्तक हमारे देश की आर्थिक संपन्नता का ही स्वरूप प्रस्तुत करता है. इसका हृदय सरस है और इसके चरणों में ऐसे तपोवन हैं, जिनमें मृग विश्वस्त होकर विहार करते हैं. वह श्वेत हिमखण्डों से आच्छादित होकर मणियों की मालाओं से मंडित जान पड़ता है.

national park in india, what is wildlife sanctuary in india, bharat mein vanya jeev abhyaranya kya hai, वन्यजीव संरक्षण, भारत के वन्यजीव अभयारण्य

हिमालय पर सभी प्रकार की भौतिक समृद्धि एवं सुख सामग्री के साधन प्राप्त हैं. इस गर्व से उसका मस्तक ऊंचा है. इस वैभवसंपन्न हिमालय का मस्तक चमकता हुआ दिखाई देता है. उसके हृदय में अनंत जल के स्रोत के रूप में रस (आनन्द) भरा हुआ है जो नदियों के रूप में बहकर सबको तृप्त करता है. ऐसा प्रतीत होता है जैसे उसका हृदय गौरिक रागों से रंगा हुआ होने से प्रसन्न है.

हिमालय पर्वत पर देवदारु के वन पाए जाते हैं. ऐसा प्रतीत होता है जैसे हिमालय अपनी दोनों भुजाओं से देवदारु के वृक्षों के वनों को अपने हृदय से लगाता है. देवदारु के वनों के मध्य से होकर बहती हुई और अपने प्रवाह से कंपाती हुई गंगा अपने शीतल जलकण हिमालय की भुजाओं पर छिड़कती है. वृक्षों की शीतल वायु उसकी भुजाओं का सुखद स्पर्श करती है, अतः उसकी भुजाएं मानो रोमांचित हो उठती हैं. हिमालय के मध्य भाग में मानसरोवर झील है जिसमें क्रीडा करना हंसों को प्रिय है. हिमालय के चारों ओर झरने कलरव करते हुए इस प्रकार बहते हैं जैसे हिमालय की कमर से बंधी हुई करध्वनियों का मधुर स्वर हो रहा हो.

mansarovar hans

लेखक आगे लिखता है- ‘हिमालय पार्वती जी के पिता हैं और पार्वती जी जगत को धारण करने वाली महान शक्ति हैं. इस शक्ति से युक्त होकर शिव ‘शिव’ (मंगलस्वरूप) हैं. पृथ्वी की शक्ति का दूसरा नाम है पार्वती. पार्वती जी की शक्ति से प्रेरणा पाकर भगवान शिव मनुष्य के जीवन के प्रतीक हैं. शिव-शक्ति मनुष्य को ज्ञान, योग, तप, साहस और पराक्रम के रूप में जीवन के कल्याण का संदेश देते हैं. ऐसी शक्ति जो कल्याणकारिणी है.’

‘इसी जीवन दर्शन से देवताओं के सेनानी कार्तिकेय का और असुरों की शक्ति का विनाश देने वाली अग्नि का ही जन्म नहीं हुआ, अपितु समस्त विद्याओं, कला और संस्कृति की विभिन्न परम्पराओं को भी जन्म मिला. भारतीय संस्कृति अखण्डता में विश्वास करती है. हिमालय ऐसे मंगलरूप शिव से संबंधित शक्तिस्वरूपा पार्वती जी के पिता हैं और कल्याणरूप शिव का निवास स्थान है. हिमालय पर देवता निवास करते हैं क्योंकि उसी के एक भाग में कैलाश चोटी पर देवों के देव महादेव तप करते हैं. इस प्रकार हिमालय भारतीय जीवन दर्शन और भारतीय संस्कृति का प्रतीक है.’

पर्वतों का राजा हिमालय स्वयं प्रेरणा के साथ-साथ जीवन का भी एक सतत् स्रोत है. यह पर्वत वर्णन से परे है, न केवल अपनी भव्यता और विशालता के कारण, बल्कि दुनिया की कहानी में उनके द्वारा निभाई गई प्रबल भूमिका के कारण भी. हिमालय की यात्रा एक आध्यात्मिक यात्रा भी है. यह यात्रा कर इस अविश्वसनीय और अतुलनीय देश के पर्वतों और रहस्यों से परिचित होइये. भारत की जटिल विविधता, भौतिक और रहस्यमय दुनिया के बीच संतुलित भूमि से मंत्रमुग्ध हो जाइये.

kedarnath temple kedarnath uttarakhand tourism, wallpaper kedarnath temple, kedarnath temple inside, kedarnath temple images photos, kedarnath temple opening date 2022, 5 kedar temples, Panch Kedar name and location, kedarnath temple history in hindi, kedarnath temple kab khulta band hota hai, केदारनाथ धाम मंदिर उत्तराखंड

Read Also :

भारत की नदियां (Indian Rivers)

विश्व में सबसे बड़ा, सबसे लंबा और सबसे ऊंचा

हिमालय और उसकी सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट

पर्वत क्या हैं और कैसे बनते हैं?

पर्वत कितने प्रकार के होते हैं?

केदारनाथ मंदिर, उत्तराखंड

भारत का भूगोल (India Geography)


Tags : himalayas environment culture tourism and adventure



Copyrighted Material © 2019 - 2024 Prinsli.com - All rights reserved

All content on this website is copyrighted. It is prohibited to copy, publish or distribute the content and images of this website through any website, book, newspaper, software, videos, YouTube Channel or any other medium without written permission. You are not authorized to alter, obscure or remove any proprietary information, copyright or logo from this Website in any way. If any of these rules are violated, it will be strongly protested and legal action will be taken.



About Niharika 268 Articles
Interested in Research, Reading & Writing... Contact me at niharika.agarwal77771@gmail.com

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*