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धर्म और अध्यात्म

Bhagwat Geeta Adhyay 1 : श्रीमद्भगवद्गीता – प्रथम अध्याय – श्रीकृष्ण अर्जुन संवाद (अर्जुनविषादयोग)

हे कृष्ण! युद्ध क्षेत्र में डटे हुए युद्ध के अभिलाषी इस स्वजनसमुदाय को देखकर मेरे अंग शिथिल हुए जा रहे हैं और मुख सूखा जा रहा है॥ हाथ से गांडीव धनुष गिर रहा है और त्वचा भी बहुत जल रही है तथा मेरा मन भ्रमित … […]

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Number of Vedas : आरम्भ में वेदों की संख्या कितनी थी? वेदों के 4 भाग कब और क्यों हुये?

अनेक स्थानों पर यह भी कहा गया है कि वेद पहले एक ही था, और महर्षि वेदव्यासजी ने उसके चार भाग किये थे. महाभारत तथा पुराणों में कई स्थानों पर इस ऐतिहासिक तथ्य का उद्घाटन किया गया है. […]

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Draupadi in Mahabharat : द्रौपदी द्वारा कर्म और पुरुषार्थ के महत्त्व का वर्णन

कार्य में सिद्धि प्राप्त होगी या असिद्धि, ऐसा संदेह मन में लेकर कर्म ही न किया जाए, तो यह उचित नहीं है, क्योंकि कई कारण एकत्र होने पर ही कर्म में सफलता मिलती है. पुरुषार्थ करने पर भी यदि सिद्धि प्राप्त न हो, तो इस बात को लेकर खिन्न नहीं होना चाहिए, क्योंकि फल की सिद्धि में पुरुषार्थ के सिवा दो और भी कारण होते हैं – […]

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Hanuman ji and Bheem : हनुमान जी ने इस प्रकार किया सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग का वर्णन

भीम हनुमान जी पूछते हैं- “वीर! आज आपके इस विराट स्वरूप को देखकर मुझे एक बात पर बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि आपके निकट रहते हुए भी भगवान् श्रीराम को क्यों रावण का सामना करना पड़ा? जबकि आप तो अकेले ही सभी योद्धाओं और वाहनों सहित समूची लंका को क्षणभर में नष्ट कर सकते थे. […]

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भगवान श्रीकृष्ण द्वारा भगवान शिव के माहात्म्य व शिवलिंग पूजन के महत्त्व का वर्णन

शिव सदा स्थिर रहते हैं, इसलिए इनका लिंग-विग्रह भी सदा स्थिर रहता है और इसलिए वे ‘स्थाणु’ कहलाते हैं. भूत, भविष्य और वर्तमान काल में स्थावर और जंगमों के आकार में उनके अनेक …. […]

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Valmiki Ramayan ki Rachna : आदिकवि महर्षि वाल्मीकि और रामायण की रचना?

“रघुकुलनन्दन! में प्रचेता (वरुण) का दसवां पुत्र हूँ. मेरे मुंह से आज तक कोई झूठी बात नहीं निकली है. मैंने कई हजार वर्षों तक भारी तपस्या की है. मैंने मन, वाणी और क्रिया द्वारा भी पहले कभी कोई पाप नहीं किया है.” […]

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Panchakanya ke Naam : इन पांच स्त्रियों को क्यों कहा गया है पंचकन्या?

द्रौपदी यज्ञ से प्रकट हुई थीं. महाभारत के अनुसार, द्रौपदी ऐसी जान पड़ती थीं मानो दुर्गा ही मानव शरीर धारण कर प्रकट हुई हों. वे अत्यंत सुन्दर और गुणी थीं तथा अधर्म का नाश करने के लिए ही आयी थीं. […]

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Can Female Touch Shivling : शिवलिंग पूजन में स्त्रियों का अधिकार है या नहीं?

सम्पूर्ण शुभ लक्षणों से युक्त शिवलिंग तत्काल पूजा का फल देने वाला होता है. यदि चलप्रतिष्ठा करनी हो तो इसके लिये छोटा सा शिवलिंग और यदि अचलप्रतिष्ठा करनी हो तो स्थूल शिवलिंग श्रेष्ठ माना जाता है. […]

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Mansahar in Mahabharat : मांस-भक्षण को लेकर भीष्म पितामह ने क्या कहा है

भीष्म पितामह आगे कहते हैं कि ‘नृपश्रेष्ठ! जैसे मनुष्य को अपने प्राण प्रिय होते हैं, उसी प्रकार समस्त प्राणियों को अपने-अपने प्राण प्रिय होते हैं. जब अपने कल्याण की इच्छा रखने वाले विद्वानों को भी मृत्यु का भय बना रहता है, तब … […]