Aditya Hridaya Stotra : अत्यंत शक्तिशाली है आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ
प्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठने वाले, उदित हो रहे सूर्य को प्रणाम करने एवं उसकी स्तुति करने वाले व्यक्ति के जीवन में धन, संपत्ति, उन्नति, यश, बल एवं आरोग्य की वृद्धि होती है. […]
प्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठने वाले, उदित हो रहे सूर्य को प्रणाम करने एवं उसकी स्तुति करने वाले व्यक्ति के जीवन में धन, संपत्ति, उन्नति, यश, बल एवं आरोग्य की वृद्धि होती है. […]
‘शक्ति का सूर्य से बड़ा साक्षात प्रतीक और कौन होगा? गर्मी में जब वे प्रचंड रूप में दिखाई देते हैं तब मनुष्य त्राहि-त्राहि कर उठता है, और शीत में जब वे नहीं दिखाई देते, तब भी मनुष्य त्राहि-त्राहि करता है.’ […]
ऋग्वेद पदार्थ के गुण, कर्म और स्वभाव को बताता है, इसीलिए इसे ज्ञानकाण्ड भी कहा गया है. अर्थात् सबसे पहले हमें प्रकृति और उसके गुणों का अध्ययन करना चाहिए. […]
ब्रह्माजी ने स्वयं प्रत्यक्ष होकर उन्हें ब्रह्मर्षि घोषित किया. किन्तु विश्वामित्र जी का आग्रह था कि गुरु वशिष्ठ जी ही उन्हें ब्रह्मर्षि घोषित करें. जिन वशिष्ठ जी से उन्हें ब्रह्मर्षि बनने की प्रेरणा मिली, उन्हीं वशिष्ठ जी ने … […]
शिवमहिम्नःस्तोत्रम् (Shiva Mahimna Stotram) को अपनी खोयी हुई शक्तियों को पुनः प्राप्त कराने वाला भी बताया गया है. इसका नियमित पाठ करने से शिवकृपा अवश्य ही प्राप्त होती है. इसमें संदेह के लिए कोई स्थान नहीं है. […]
श्रीविष्णुसहस्रनाम भगवान विष्णुजी के हजार नामों से युक्त एक प्रमुख स्तोत्र है. यह सबसे पवित्र स्तोत्रों में से एक है. सच्चे मन से श्रीविष्णुसहस्रनाम का पाठ करने या सुनने से मनुष्य की मनोकामनायें पूर्ण होती हैं. विष्णु सहस्रनाम का प्रतिदिन जप करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और लक्ष्य को प्राप्त करने की शक्ति मिलती है. इसका पाठ करने से कुंडली में बृहस्पति की पीड़ा भी दूर होती है. […]
इस पर माया से मोहभाव को प्राप्त हुए ब्रह्माजी भगवान् विष्णु जी से बोले, “मुझ विश्वात्मा, विधाता, जगत के रचियता, विश्व के उत्पत्तिकारक को तुम वत्स कहकर क्यों सम्बोधित कर रहे हो, जैसे कोई गुरु अपने शिष्य को करता है?” […]
सनातन धर्म में ब्रह्मा, विष्णु महेश ब्रह्माण्ड की तीन अवस्थाओं के कर्ता-धर्ता हैं, जिन्हें क्रमशः सृजन, संरक्षण व पालन एवं संहार के रूप में देखा जाता है. […]
घर में सुख-शांति, समृद्धि आदि के लिए गुरुवार के व्रत का बहुत महत्त्व बताया गया है. कुंवारी लड़कियां इस व्रत को विवाह में आने वाली रुकावटें और समस्याओं आदि को दूर करने के लिए करती हैं. […]
पुरुषार्थ, सच्ची लगन, उद्यम और तप की गरिमा के रूप में महर्षि विश्वामित्र का नाम कौन नहीं जानता. इन्होने अपने पुरुषार्थ से, अपनी कठिन तपस्या के बल से क्षत्रियत्व से ब्रह्मत्व को प्राप्त किया. […]
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