5 Oceans of the World : दुनिया के 5 महासागरों के बारे में महत्वपूर्ण और रोचक तथ्य

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दुनिया के 5 महासागरों के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

5 Oceans of World in Order-

पृथ्वी को चार क्षेत्रों में बांटा गया है- स्थलमंडल, वायुमंडल, जलमंडल और जीवमंडल. पृथ्वी का जल से ढका भाग जलमंडल (Hydrosphere) कहलाता है. जलमंडल के तहत महासागर, सागर, ग्लेशियर, भूमिगत जल (Underground Water), नदियां, झीलें, तालाब और वातावरण में पानी आदि शामिल हैं. पृथ्वी का लगभग 70.8 प्रतिशत भाग जल से ढका है और 29.2 प्रतिशत हिस्सा भूमि से. यानी पृथ्वी के लगभग 71 प्रतिशत भाग पर पानी ही पानी है.

पृथ्वी पर जल की ये जितनी भी मात्रा है, उसका करीब 97 प्रतिशत भाग महासागरों (Oceans) के रूप में ही है, लेकिन ये पानी हमारे पीने लायक नहीं. समुद्र और महासागरों में लगभग 96.5 प्रतिशत पानी खारा होता है. खारा भूजल और खारी झीलें मिलकर 1 प्रतिशत बनाती हैं. पृथ्वी के लगभग 2.7 प्रतिशत भाग पर ही हिमनद, नदी, तालाब, झील और भूमिगत जल आदि हैं… और केवल यही पानी हमारे पीने लायक है. पृथ्वी पर स्वच्छ जल (Fresh water) के सबसे बड़ा स्टॉक हिमनद या ग्लेशियर (Glaciers) हैं.

महासागर (Ocean) शब्द ग्रीक शब्द ‘ओशनस (Oceanus)’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है- ‘पृथ्वी को घेरने वाली विशाल नदी’.

दुनिया में 5 प्रमुख महासागर हैं-

प्रशांत महासागर
अटलांटिक महासागर
हिंद महासागर
अंटार्कटिका (दक्षिणी) महासागर
आर्कटिक महासागर.

5 Oceans map of the World

(1) प्रशांत महासागर (Pacific Ocean)-

प्रशांत महासागर दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे गहरा महासागर है. यह पृथ्वी के क्षेत्रफल के एक तिहाई हिस्से को कवर करता है और एक साथ सभी महाद्वीपों से भी बड़ा है. पश्चिम-उत्तर प्रशांत महासागर में स्थित मेरियाना ट्रेंच (Mariana Trench) में चैलेंजर डीप (10,911 मीटर) दुनिया का सबसे गहरा पॉइंट है.

प्रशांत महासागर का-
क्षेत्रफल- लगभग 16 करोड़ 52 लाख वर्ग किलोमीटर (लगभग 6 करोड़ 38 लाख वर्ग मील)
औसत गहराई- लगभग 4,280 मीटर
अधिकतम गहराई- लगभग 10,911 मीटर
आयतन (Water volume)- लगभग 71 करोड़ घन किलोमीटर

इस महासागर का नाम ‘प्रशांत’ पुर्तगाली अन्वेषक फर्डिनेंड मैगलन ने रखा था, जिसका अर्थ है ‘शांतिपूर्ण’, क्योंकि उन्हें यह समुद्र शांत लगा था. प्रशांत महासागर अमेरिका को एशिया और ऑस्ट्रेलिया से अलग करता है. अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (International Date Line) प्रशांत महासागर से होकर गुजरती है. प्रशांत महासागर इंडोनेशियन सीवे (टोरेस जलडमरूमध्य और मलक्का जलडमरूमध्य) के माध्यम से हिंद महासागर में शामिल होता है.

सबसे ज्यादा डीप (खाई) प्रशांत महासागर में हैं. ‘रिंग ऑफ फायर (Ring of Fire) प्रशांत महासागर से लगा लगभग 40,000 किलोमीटर तक का एक ऐसा क्षेत्र है, जहां सबसे ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी और भूकंप रिकॉर्ड किए जाते हैं. इस क्षेत्र को प्रशांत रिम या सर्कम-पैसिफिक बेल्ट (Pacific Rim or Circum-Pacific Belt) भी कहा जाता है. पृथ्वी के 75 प्रतिशत यानी 450 से भी ज्यादा ज्वालामुखी इसी क्षेत्र के किनारे स्थित हैं. पृथ्वी के 90 प्रतिशत भूकंप इसी क्षेत्र में आते हैं.


(2) अटलांटिक महासागर (Atlantic Ocean)-

अटलांटिक महासागर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा महासागर है. इसे ‘अंध महासागर’ (Andh Mahasagar) भी कहते हैं. यह पृथ्वी के क्षेत्रफल का लगभग 20 प्रतिशत कवर करता है. एक अनुमान के मुताबिक, अटलांटिक महासागर का आकार बढ़ता जा रहा है.

अटलांटिक महासागर का-
क्षेत्रफल- लगभग 10,64,60,000 वर्ग किलोमीटर
उत्तरी अटलांटिक महासागर का क्षेत्रफल- लगभग 4,14,90,000 वर्ग किलोमीटर
दक्षिण अटलांटिक महासागर का क्षेत्रफल- लगभग 4,02,70,000 वर्ग किलोमीटर
औसत गहराई- लगभग 3,646 मीटर
अधिकतम गहराई- लगभग 8,376 मीटर (प्यूर्टो रिको ट्रेंच)
आयतन- लगभग 31,04,10,900 घन किलोमीटर

अटलांटिक महासागर का नाम ग्रीक पौराणिक कथाओं ‘अटलांटिस थलासा’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है- ‘एटलस का सागर’ या ‘नक्शे का समुद्र’. यह महासागर अफ्रीका, यूरोप, आर्कटिक महासागर, अमेरिका और दक्षिणी महासागर के बीच स्थित है. इस महासागर की आकृति अंग्रेजी के अक्षर S के जैसी है. अटलांटिक महासागर की सबसे गहरी खाई प्यूर्टोरिको ट्रेंच (लगभग 8,376 मीटर) है. दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप ग्रीनलैंड (Greenland) अटलांटिक महासागर में स्थित है.

बिना किसी किनारे के दुनिया का एकमात्र समुद्र सर्गासो समुद्र अटलांटिक महासागर में मौजूद है. दक्षिण-पूर्व में अटलांटिक महासागर हिंद महासागर में मिल जाता है. दुनिया के सबसे रहस्यमय स्थानों में से एक बरमूडा ट्रायंगल (Bermuda Triangle) अटलांटिक महासागर का हिस्सा है और यह बरमूडा द्वीप, फ्लोरिडा राज्य और प्यूर्टोरिको के बीच स्थित है. (बरमूडा ट्रायंगल के बारे में सबसे नीचे देखिए)


(3) हिंद महासागर (Indian Ocean)-

क्षेत्रफल और विस्तार की दृष्टि से हिंद महासागर दुनिया का तीसरा बड़ा महासागर है. यह एकमात्र ऐसा महासागर है, जिसका नाम किसी देश (भारत) के नाम पर रखा गया है. भारत के प्राचीन ग्रंथों में इसे ‘रत्नाकर’ कहा गया है. यह महासागर पूर्वी गोलार्ध (Eastern Hemisphere) में स्थित है. यह पृथ्वी के क्षेत्रफल का लगभग 19.8 प्रतिशत पानी कवर करता है.

हिन्द महासागर का-
क्षेत्रफल- लगभग 7,05,60,000 वर्ग किलोमीटर (2,72,40,000 वर्ग मील)
औसत गहराई- लगभग 3,741 से 3,890 मीटर
अधिकतम गहराई- लगभग 7,450 मीटर
आयतन- लगभग 27 से 29 करोड़ घन किलोमीटर

हिंद महासागर अफ्रीका, दक्षिणी महासागर, ऑस्ट्रेलिया और एशिया के बीच स्थित है. यह महासागर अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी सिरे के बीच लगभग 10,000 किमी से भी ज्यादा क्षेत्रफल तक फैला है. यह उत्तरी गोलार्ध (बंद महासागर) में लैंडलॉक है और दुनिया का सबसे गर्म महासागर है. हिंद महासागर का सबसे बड़ा द्वीप मेडागास्कर (दुनिया का चौथा सबसे बड़ा द्वीप) है. इंडोनेशिया के जावा द्वीप के दक्षिणी तट पर जावा ट्रेंच के सुंडा द्वीप में इसका सबसे गहरा पॉइंट (लगभग 7,450 मीटर) है.

हिंद महासागर में ‘सीमांत समुद्र’ (Marginal Sea) व्यापार के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं जो मध्य पूर्व, पूर्वी एशिया, अफ्रीका, यूरोप और अमेरिका को जोड़ने वाले प्रमुख समुद्री मार्ग देते हैं. सीमांत समुद्र ऐसा सागर होता है, जिसका कुछ भाग द्वीपों, द्वीपसमूहों, प्रायद्वीपों, महाद्वीपों की मुख्यभूमि के कुछ अंशों या मध्य-महासागर पर्वतमालाओं से घिरा हो, लेकिन सतह पर कुछ भाग खुले महासागर के साथ भी मिलता हो.

दुनिया के तेल और गैस रिजर्व का 40 प्रतिशत हिस्सा इसी महासागर में स्थित है. हिंद महासागर संसाधनों से भरपूर है, जो कि इसे आर्थिक महत्व का केंद्र बना देता है. यहां सोना, टिन, यूरेनियम, कैडमियम, कोबाल्ट, निकिल जैसे खनिज भी पाए जाते हैं. यह महासागर प्रशांत और अटलांटिक महासागर तक आसान पहुंच को सुनिश्चित करता है. दुनिया के कुल तेल व्यापार का लगभग 80 प्रतिशत व्यापार हिंद महासागर के समुद्री मार्गों द्वारा किया जाता है.

नोट- समुद्र के पर्यायवाची (Synonyms of Ocean) : जब तक समुद्र का बंटवारा और आधुनिक या अंग्रेजी नामकरण नहीं हुआ था, तब तक भारतवर्ष में आर्यों द्वारा पूरी दुनिया में फैले समुद्र को ‘रत्नाकर’ (रत्नों की खान) भी कहा जाता था, क्योंकि ‘रत्नाकर’ समुद्र का ही पर्यायवाची है. समुद्र के अन्य पर्यायवाची शब्द हैं- सागर, जलधाम, जलधि, पयोनिधि, वारीश, नदीश, सिंधु, सरित्पति, पारावार, नीरनिधि, उदधि, अर्णव, वारिध, अब्धि, अकूपाद आदि.


(4) अंटार्कटिक महासागर (Antarctic Ocean)

दक्षिण ध्रुव महासागर (Southern Ocean) को अंटार्कटिक महासागर के रूप में भी जाना जाता है. यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा महासागर या दूसरा सबसे छोटा महासागर है, जो 60° दक्षिणी अक्षांश में स्थित है और अंटार्कटिका महाद्वीप को घेरे हुए है. यह महासागर पृथ्वी के कुल महासागरीय क्षेत्रफल के लगभग 16वें हिस्से को कवर करता है. यह अटलांटिक, हिंद और प्रशांत महासागर के साथ अपनी उत्तरी सीमा (सबसे बड़ी सीमा) शेयर करता है. यानी अंटार्कटिक महासागर अटलांटिक, प्रशांत और हिंद महासागरों के दक्षिणी भागों से मिलकर बना है. यह महासागर अपने अशांत जल के लिए जाना जाता है.

अंटार्कटिक महासागर का-
क्षेत्रफल- लगभग 2,19,00,000 वर्ग किलोमीटर
औसत गहराई- लगभग 3,200 मीटर
अधिकतम गहराई- लगभग 7,432 मीटर (दक्षिण जॉर्जिया द्वीप के दक्षिण-पूर्व में दक्षिण सैंडविच खाई)

इस महासागर का सबसे छोटा जल निकाय (Water Body) ‘ड्रेक पैसेज’ दक्षिण अमेरिका के केप हॉर्न (चिली) और अंटार्कटिका के दक्षिण शेटलैंड द्वीप समूह के बीच स्थित है, जो लगभग 1,000 किमी चौड़ा है. यह क्षेत्र अपने हिंसक तूफानों के लिए जाना जाता है. यह अटलांटिक महासागर के दक्षिण-पश्चिमी भाग (स्कोटिया सागर) को प्रशांत महासागर के दक्षिणपूर्वी भाग से जोड़ता है और दक्षिणी महासागर में फैला हुआ है.


(5) आर्कटिक महासागर (Arctic Ocean)-

आर्कटिक महासागर को उत्तरी ध्रुव महासागर (North Pole Ocean) भी कहते हैं. कुछ समुद्र विज्ञानी इसे आर्कटिक भूमध्य सागर भी कहते हैं. उत्तरी ध्रुव के चारों ओर फैला हुआ यह महासागर अन्य चार महासागरों की तुलना में यह महासागर उथला (Shallow) और छोटा है. आर्कटिक महासागर पूरी तरह से आर्कटिक सर्कल के भीतर स्थित है. यह महासागर पृथ्वी के क्षेत्रफल का लगभग 1.3 प्रतिशत भाग कवर करता है. आर्कटिक महासागर यूरेशिया और उत्तरी अमेरिका से घिरा हुआ है.

आर्कटिक महासागर का-
क्षेत्रफल- लगभग 1,40,00,000 वर्ग किलोमीटर
औसत गहराई- 990 मीटर से 1,038 मीटर के बीच
अधिकतम गहराई- लगभग 5,557 मीटर

आर्कटिक महासागर सर्दियों में पूरी तरह से बर्फ से ढक जाता है. इसे सभी महासागरों में सबसे ठंडा जाना जाता है. इस महासागर की लवणता सभी महासागरों में औसतन सबसे कम है. बर्फ के पिघलने और जमते रहने की वजह से आर्कटिक महासागर की सतह का तापमान और लवणता मौसम के अनुसार बदलती है. इस महासागर की बर्फ में कमी आती जा रही है.

बेरिंग जलडमरूमध्य (Bering Strait) आर्कटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ता है, जबकि ग्रीनलैंड सागर, लैब्राडोर सागर और नॉर्वेजियन सागर इसे अटलांटिक महासागर से जोड़ते हैं. फ्रैम जलडमरूमध्य (ग्रीनलैंड समुद्र के भीतर) में मोलॉय डीप (लगभग 5,557 मीटर) आर्कटिक महासागर का सबसे गहरा पॉइंट है.


समुद्र से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें-

interesting facts about seas and oceans

♦ इन सागरों, महासागरों की वजह से ही अंतरिक्ष से पृथ्वी का रंग नीला दिखाई देता है. जब मौसम ठंडा होता है, तो समुद्री जल ग्लेशियर और बर्फ के रूप में बदलकर शुद्ध जल का अनुपात बढ़ा देते हैं, जबकि मौसम के गर्म होने पर अशुद्ध जल का अनुपात बढ़ जाता है. समुद्र की गहराई को फैदम (Fathom) में नापी जाती है. एक फैदम = 1.829 मीटर = 6 फीट.

♦ समुद्र के तल (समुद्र के पानी के नीचे की भूमि) दुनिया की सबसे बड़ी पर्वतमालाओं, सबसे गहरी खाइयों और सबसे बड़े मैदानों से भी ज्यादा ऊबड़-खाबड़ हैं. समुद्र तल में पहाड़ियां, गयोट, लकीरें, समुद्री पर्वत, खाइयां, घाटी आदि हैं. महासागरीय खाइयां या गर्त (Oceanic Trenches) महासागरों का सबसे गहरा भाग हैं.

जैसे- उत्तर प्रशांत महासागर में स्थित मेरियाना ट्रेंच में चैलेंजर डीप (10,911 मीटर) दुनिया का सबसे गहरा पॉइंट है. टोंगा खाई (दक्षिण-पश्चिमी प्रशांत महासागर) में होराइजन डीप पृथ्वी पर दूसरा सबसे गहरा पॉइंट है. NCERT के मुताबिक, अब तक 57 महासागरीय गहराइयों (Trenches) का पता लगाया जा चुका है, जिनमें से 32 प्रशांत महासागर में, 19 अटलांटिक महासागर में और 6 हिंद महासागर में हैं.

महासागरीय जल की लवणता- लवणता (Salinity) समुद्री जल का एक महत्वपूर्ण गुण है. इसे समुद्र के पानी में प्रति किलोग्राम (1000 ग्राम) घुले नमक (ग्राम में) की मात्रा के रूप में जाना जाता है. इसे आमतौर पर प्रति हजार, PPT या °/₀₀ भागों के रूप में बताया जाता है. उदाहरण के लिए, 30 पीपीटी का मतलब है- 1000 ग्राम समुद्री जल में 30 ग्राम नमक है.

♦ महासागरीय लवणता की मुख्य वजह नदियों द्वारा अपने साथ बहाकर लाए गए पदार्थ और ज्वालामुखी विस्फोट से निकलने वाले पदार्थ हैं. वहीं, वाष्पीकरण, बारिश, नदियों का पानी, बर्फ का पिघलना आदि समुद्र की लवणता को कंट्रोल करते हैं. भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर औसतन लवणता घटती जाती है. महासागरीय क्षेत्र में सबसे ज्यादा लवणता वाला समुद्र लाल सागर (37 से 41 प्रतिशत) है.


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About Sonam Agarwal 237 Articles
LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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