Non-Renewable Energy : गैर-नवीकरणीय ऊर्जा क्या है, इसके क्या फायदे-नुकसान हैं?

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What is Non Renewable Energy

गैर-नवीकरणीय ऊर्जा एक सीमित संसाधन (Limited Resource of Energy) है, जो अंततः समय के साथ समाप्त हो जाएगा. इसलिए गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को समझना और उनका जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग करना महत्वपूर्ण है. इन संसाधनों का सीमित मात्रा में उपयोग करके हम भावी पीढ़ी के लिए इनकी उपलब्धता को बढ़ा सकते हैं. गैर-नवीकरणीय ऊर्जा में मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन और परमाणु ईंधन (Fossil Fuels and Nuclear Fuels) शामिल हैं, जैसे कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि.

गैर-नवीकरणीय ऊर्जा हमारी वर्तमान ऊर्जा मांगों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इन ऊर्जा स्रोतों को स्टोर करना अपेक्षाकृत आसान है, जिससे ऊर्जा मांगों को पूरा करने में सुविधा मिलती है. यह एक विश्वसनीय स्रोत भी है, क्योंकि ईंधन और बिजली उपलब्ध कराने के लिए हम दिन-रात, गर्मी-सर्दी, धूप या बारिश पर निर्भर नहीं रह सकते. गैर-नवीकरणीय ऊर्जा आधुनिक औद्योगीकरण की रीढ़ रही है और इसने सदियों से आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया है, लेकिन पृथ्वी पर इसकी सीमित मात्रा और इसके पर्यावरणीय प्रभाव के कारण बहुत सी चुनौतियां भी खड़ी होती हैं.

गैर-नवीकरणीय ऊर्जा वे ऊर्जा स्रोत (Energy Sources) हैं जो पृथ्वी पर सीमित मात्रा में मौजूद हैं और जिनके समय के साथ समाप्त हो जाने पर पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ये ऊर्जा संसाधन प्राकृतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से लाखों वर्षों में बन पाते हैं, जैसे कार्बनिक पदार्थों का अपघटन या पृथ्वी के कोर में होने वाली परमाणु प्रतिक्रियाएँ आदि.

इसी के साथ, गैर-नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों का उपयोग करना पर्यावरण के लिए अत्यंत हानिकारक है, विशेष रूप से जीवाश्म ईंधन, जिसे जलाने से वायुमंडल में बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं. गैर-नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन और खपत के कारण वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि में गड़बड़ी, वनों की कटाई और मिट्टी का कटाव आदि जैसी बड़ी और वैश्विक समस्याएं खड़ी हो रही हैं.

गैर-नवीकरणीय संसाधनों में मुख्य रूप से जीवाश्म जमा से प्राप्त ईंधन (Fuels Derived from Fossil Deposits) शामिल हैं. जीवाश्म ईंधन में कार्बन मुख्य तत्व है. इस कारण, जिस समय अवधि में जीवाश्म ईंधन का निर्माण हुआ (लगभग 360-300 मिलियन वर्ष पहले), उसे कार्बोनिफेरस काल कहा जाता है. इन स्रोतों के रूप में जीवाश्म ईंधन और परमाणु ईंधन दोनों के महत्व को समझना आवश्यक है. आइये गैर-नवीकरणीय ऊर्जा और उसके फायदे-नुकसान को समझने का प्रयास करते हैं-

कोयला (Coal)

गैर-नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में कोयले का लंबे समय से महत्वपूर्ण योगदान रहा है. अमेरिका में लगभग 20 प्रतिशत बिजली कोयले से आती है. यह हमारी लाइटों, रेफ्रिजरेटरों, डिशवॉशरों और हमारे द्वारा प्लग की जाने वाली अधिकतर अन्य चीजों को पावर देता है.

कोयला मृत पौधों के अवशेषों से लाखों वर्षों में बनता है और भूमिगत खदानों या सतही खनन विधियों (Underground Mines) से निकाला जाता है. इसका बड़े पैमाने पर उपयोग बिजली उत्पादन और औद्योगिक प्रक्रियाओं में किया जाता है, जिससे यह एक प्रमुख गैर-नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन बन जाता है.

कोयला एक काली या भूरे रंग की चट्टान है. हम ऊर्जा बनाने के लिए कोयला जलाते हैं. कोयले की रैंकिंग इस आधार पर की जाती है कि वह कितने Carbonization से गुजरा है. कार्बोनाइजेशन वह प्रक्रिया है जिससे प्राचीन जीव कोयला बनने के लिए गुजरते हैं. लगभग तीन मीटर ठोस वनस्पति को एक साथ कुचलने से 0.3 मीटर कोयला बनता है.

कोयले को पाँच प्रकारों में बांटा गया है- पीट, बिटुमिनस, उप-बिटुमिनस कोयला, लिग्नाइट और एन्थ्रेसाइट कोयला. पीट (Peat Coal) कोयले की सबसे निचली श्रेणी (Lowest Grade of Coal) है. यह सबसे कम मात्रा में कार्बोनाइजेशन से गुजरा है. वहीं, एन्थ्रेसाइट (Anthracite Coal) कोयले की सबसे अच्छी कैटेगरी है. एन्थ्रेसाइट दुनिया के उन क्षेत्रों में बनता है जहां पृथ्वी की विशाल हलचलें हुई हैं, जैसे पर्वत श्रृंखलाओं का निर्माण.

हम जमीन से कोयला निकालते हैं ताकि हम इसे ऊर्जा के लिए जला सकें. कोयले का खनन हम दो तरीकों से कर सकते हैं-

(1) भूमिगत खनन (Underground Mining)
(2) सतही खनन (Surface Mining)

भूमिगत खनन (Underground Mining) का उपयोग तब किया जाता है जब कोयला पृथ्वी की सतह के नीचे स्थित होता है, कभी-कभी 300 मीटर गहराई पर होता है. खनिक या माइनर्स (Miners) एक खदान से नीचे लिफ्ट लेते हैं. वे भारी मशीनरी चलाते हैं जो कोयले को काटती है और उसे जमीन से ऊपर लाती है. यह खतरनाक काम होता है क्योंकि कोयला काटने से खतरनाक गैसें निकलती हैं. गैसें विस्फोट का भी कारण बन सकती हैं या माइनर्स के लिए सांस लेना कठिन बना सकती हैं.

सतही खनन (Surface Mining) का उपयोग तब किया जाता है जब कोयला धरती की सतह के बहुत करीब स्थित होता है. कोयला प्राप्त करने के लिए कंपनियों को पहले उस क्षेत्र को साफ करना होता है. इसके लिए उस क्षेत्र के पेड़-पौधों और मिट्टी को हटा दिया जाता है, तब कोयले को जमीन से अधिक आसानी से काटा जा सकता है. इस प्रक्रिया के दौरान वहां के आवास नष्ट हो जाते हैं.

कोयले का प्रयोग तो हानिकारक है ही, कोयले का खनन दुनिया के सबसे खतरनाक कामों में से एक है. कोयला खनिकों (Coal Miners) को जहरीली धूल का सामना तो करना ही पड़ता है और काम के दौरान खदानों और विस्फोटों के खतरों का भी सामना करना पड़ता है. वहीं, जब कोयला जलाया जाता है तो यह वातावरण में कई जहरीली गैसें और प्रदूषक (Pollutants) छोड़ता है. कोयले के खनन से जमीन धंस सकती है और भूमिगत आग (Underground Fires) लग सकती है जो दशकों तक जलती रहती है.

पेट्रोलियम (Petroleum)

पेट्रोलियम या कच्चा तेल एक तरल जीवाश्म ईंधन (Liquid Fossil Fuel) है. विश्व का अधिकांश पेट्रोलियम अभी भी जमीन के नीचे है. हम इस तेल तक पहुंचने के लिए धरती में छेद करते हैं, और पाइपों द्वारा उसे निकालते हैं. जब तेल समुद्र तल के नीचे होता है तो कंपनियां अपतटीय क्षेत्र (Offshore Area) में ड्रिलिंग करती हैं. उन्हें एक तेल प्लेटफार्म बनाना होता है. तेल प्लेटफार्म दुनिया की सबसे बड़ी कृत्रिम संरचनाओं में से एक है.

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एक बार जब तेल कंपनियां ‘Drill Rig’ से ड्रिलिंग शुरू कर देती हैं, तो वे दिन के 24 घंटे, सप्ताह के सातों दिन, साल के 365 दिन पेट्रोलियम निकाल सकती हैं. कई सफल तेल साइटें लगभग 30 वर्षों से तेल का उत्पादन कर रही हैं. कहीं-कहीं पर वे इससे भी अधिक समय तक तेल का उत्पादन कर सकते हैं. लेकिन इन सबमें तेल रिसाव की समस्या भी रहती है. यदि ड्रिलिंग मशीनरी में कोई समस्या आ जाती है, तो तेल कुएं से बाहर निकल सकता है और समुद्र या आसपास की भूमि में फैल सकता है.

प्राकृतिक गैस (Natural Gas)

प्राकृतिक गैस एक अन्य जीवाश्म ईंधन है जो जलाशयों में भूमिगत फंसा हुआ है. यह अधिकतर मीथेन से बनी है. यह अक्सर तेल भंडार के साथ पाई जाती है. भूमिगत प्राकृतिक गैस इतनी अधिक है कि इसे लाखों, अरबों या खरबों घन मीटर में मापा जाता है. प्राकृतिक गैस एक बहुमुखी ऊर्जा स्रोत है जिसका उपयोग हीटिंग, खाना पकाने, बिजली उत्पादन और वाहनों के लिए ईंधन के रूप में किया जाता है.

प्राकृतिक गैस कुछ सौ मीटर भूमिगत भंडार में पाई जाती है. जमीन से प्राकृतिक गैस निकालने के लिए कंपनियां सीधे खुदाई करती हैं. प्राकृतिक गैस को तरल रूप में भी बदला जा सकता है, जिसे तरल प्राकृतिक गैस (LNG) कहा जाता है. एलएनजी किसी भी अन्य जीवाश्म ईंधन की तुलना में अधिक स्वच्छ है. जब प्राकृतिक गैस को जलाया जाता है, तो यह केवल कार्बन डाइऑक्साइड और जल वाष्प छोड़ती है. हालाँकि, प्राकृतिक गैस निकालने से कुछ पर्यावरणीय समस्याएँ पैदा हो सकती हैं.

परमाणु ईंधन (Nuclear Fuel)

परमाणु ईंधन का उपयोग परमाणु ऊर्जा संयंत्रों (Nuclear Power Plants) में किया जाता है, जहां परमाणु विखंडन के माध्यम से ऊर्जा उत्पन्न की जाती है. सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला परमाणु ईंधन यूरेनियम है, जो पृथ्वी की परत में अपेक्षाकृत कम सांद्रता (Low Concentrations) में पाया जाता है.

यूरेनियम चट्टानों, नदियों, समुद्री जल और अधिकांश ठोस पदार्थों में पाया जाता है. यह सबसे कम रेडियोधर्मी धातुओं में से एक है. विश्व में ज्यादातर स्थानों पर इस धातु की सघनता जमीन में पर्याप्त रूप से अधिक है. इन्हें निकालकर परमाणु ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है.

यूरेनियम विखंडन प्रतिक्रियाओं से गुजरता है, जिससे बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है. यूरेनियम जैसे कुछ संसाधनों को नवीकरणीय संसाधन के रूप में भी देखा जाता है. हालाँकि, यह अभी भी बहस का विषय है क्योंकि कई वैधानिक परिभाषाओं के अनुसार यूरेनियम वास्तव में एक नवीकरणीय संसाधन नहीं है.

गैर-नवीकरणीय ऊर्जा के नुकसान (Disadvantages of Non-renewable Energy)-

गैर-नवीकरणीय ऊर्जा प्रकृति में सीमित मात्रा में मौजूद है. एक बार समाप्त हो जाने पर इसकी पूर्ति नहीं की जा सकती, क्योंकि इनके बनने में सैकड़ों लाखों वर्ष लग जाते हैं. इसी के साथ, गैर-नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन और उपयोग से पर्यावरणीय क्षति और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि होती है. पाइपलाइन लीक, तेल रिसाव और विस्फोट जैसी दुर्घटनाओं का खतरा रहता है, जिससे पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुँचता है. जीवाश्म ईंधन जलाने से पृथ्वी का ‘कार्बन बजट’ बिगड़ जाता है.



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