Salinity of Ocean Water : समुद्र का पानी खारा क्यों होता है — जानिये महत्वपूर्ण तथ्य

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Salinity of Ocean Water

प्रकृति के सभी जल, चाहे वर्षा का जल हो या समुद्र का जल, में खनिज लवण (Mineral Salts) घुले हुए होते हैं. समुद्र का पानी खारा होता है, ऐसा उसमें उपस्थित लवणता (Salinity) के कारण है. लवणता समुद्री जल का एक महत्वपूर्ण गुण है. लवणता का अर्थ है समुद्र या महासागर में घुले लवणों की कुल मात्रा. सागरीय लवणता अधिक होने पर उसका वाष्पीकरण (Evaporation) धीमी गति से होता है और घनत्व (Density) बढ़ जाता है.

महासागरीय जल में अलग-अलग लवण घोल के रूप में मिले होने से उसके जल में खारापन पाया जाता है. सागरीय लवणता से तात्पर्य सागरीय जल में घुले हुए लवणों के भार और उसके जल के भार के अनुपात से है. इसे % के रूप में दर्शाया जाता है.

अनुमान है कि एक घन किलोमीटर समुद्री जल में लगभग 4.10 करोड़ टन नमक (Salt) होता है. इस हिसाब से यदि संपूर्ण जलमंडल के नमक को पृथ्वी पर समान रूप से बिछा दिया जाए तो संपूर्ण पृथ्वी पर 150 मीटर मोटी नमक की परत बिछ जाएगी.

लवणता की गणना 1,000 ग्राम (1 किग्रा) समुद्री जल में घुले नमक (ग्राम में) की मात्रा के रूप में की जाती है. यह आमतौर पर प्रति हजार (o/oo) या ppt के रूप में व्यक्त किया जाता है. जैसे- किसी समुद्री जल की लवणता लगभग 35 प्रति हजार है, यानी समुद्र के 1000 ग्राम (1 किलोग्राम) जल में लगभग 35 ग्राम लवण है.

समुद्री जल में लवणता की उत्पत्ति (Origin of salinity in the sea water)

कुछ विद्वानों का विचार है कि पृथ्वी के जन्म के बाद जब महासागरों का निर्माण हुआ, उसी समय अधिकतर लवण उसमें घुले हुए थे. उसके बाद समुद्र में गिरने वाली नदियों ने स्थलीय भागों से नमक को समुद्र में लाना शुरू किया. अनुमान है कि नदियां प्रतिवर्ष लगभग 16 करोड़ मीट्रिक टन लवण स्थलीय भागों से महासागरों में बहाकर ले जाती हैं. महासागरीय लवणता का मुख्य स्रोत है पृथ्वी पर बहने वाली नदियां और ज्वालामुखी विस्फोट से निकले पदार्थ.

महासागरीय जल में लवणता (Salinity in ocean water)

सोडियम क्लोराइड — 77.7%
मैग्नीशियम क्लोराइड — 10.9%
मैग्नीशियम सल्फेट — 4.7%
कैल्शियम सल्फेट — 3.6%
पोटेशियम सल्फेट — 2.5%

समुद्र के जल में 47 अलग-अलग प्रकार के लवण हैं. यद्यपि समुद्री जल में लवणों की कुल मात्रा में भिन्नतायें पाई जाती हैं, तो भी लवणों का सापेक्षिक अनुपात (Relative proportion of salts) लगभग एक-सा रहता है.

लवणता का महत्व

पानी की लवणता, तापमान और घनत्व आपस में जुड़े हुए हैं. समुद्री जल में लवणता जल की संपीड़नता, घनत्व, सूर्यातप का अवशोषण, वाष्पीकरण और आर्द्रता (Compressibility, Density, Absorption of Insolation, Evaporation and Humidity of Water) को निर्धारित करती है. लवणता की मात्रा जल की बनावट और संचरण, मछली तथा अन्य जीवों और प्लवकों (ऐसे अति-सूक्ष्‍म जीव जो समुद्रों, नदियों, झीलों के पानी में तैरते मिलते हैं) के वितरण को भी काफी हद तक प्रभावित करती है.

लवणता को प्रभावित करने वाले कारक

अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग मात्रा में लवणता पाई जाती है. भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर सामान्य रूप में लवणता में कमी आती जाती है. इसे निर्धारित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-

स्वच्छ जल की पूर्ति-

बर्फ के पिघलने से स्वच्छ जल लगातार प्राप्त होता है जिससे लवणता की मात्रा पर काफी प्रभाव पड़ता है. जिस समुद्र में स्वच्छ जल की लगातार पूर्ति होती रहेगी, वहां पर लवणता की मात्रा भी कम होगी. यही कारण है कि नदियों के मुहानों पर लवणता की मात्रा कम पाई जाती है.

वाष्पीकरण की मात्रा-

लवणता का वाष्पीकरण की क्रिया से सीधा संबंध है. वाष्पीकरण की क्रिया तापमान, वायु की शुष्कता और बादलों पर निर्भर करती है. जहां पर वाष्पीकरण की मात्रा अधिक होगी, वहां पर लवणता की मात्रा में वृद्धि होगी. यही कारण है कि उष्ण मरुस्थलों (Hot Deserts) के समीप समुद्री जल में लवणता अधिक है.

सागरीय धाराएं-

सागरीय धाराएं (Ocean currents) भी लवणता को प्रभावित करती हैं. भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर चलने वाली धाराएं अधिक लवणता वाला जल ले जाती हैं, और ध्रुवों से भूमध्य रेखा की ओर चलने वाली धाराएं अपने साथ कम लवणता वाला जल ले जाती हैं. इस प्रकार धाराएं लवणता के वितरण (Distribution of salinity) में भी परिवर्तन लाती हैं.

लवणता का क्षैतिज वितरण (Horizontal distribution of salinity)

विश्व के अलग-अलग सागरों के जल में लवणता भी अलग-अलग पाई जाती है. आइये देखते हैं-

(A) खुले सागरों की लवणता (Open ocean salinity)

(1) कर्क और मकर रेखा पर लवणता की मात्रा सबसे अधिक है. इसका कारण यह है कि यहां पर वर्षा की कमी के कारण नदियों की संख्या कम है, जो कम मात्रा में मीठा पानी समुद्र में गिराती हैं. इससे भी बड़ा कारण यह है कि यहां पर आकाश साफ रहता है और वायु शुष्क होने के कारण सागरीय जल का वाष्पीकरण अधिक मात्रा में होता है. वाष्पीकरण अधिक होने से लवणता बढ़ती है. इन क्षेत्रों में लवणता 37 प्रति हजार के लगभग है.

(2) भूमध्य रेखा के निकट लवणता की मात्रा कम होती है. यहां पर भारी वर्षा के कारण अमेजन और जायरे जैसी विशाल नदियां बड़ी मात्रा में स्वच्छ जल समुद्र में गिराती हैं. दूसरे, यहां पर वायु में आर्द्रता अधिक होने के कारण वाष्पीकरण भी कम होता है. अतः यहां पर लवणता की मात्रा केवल 35 प्रति हजार है.

(3) ध्रुवों के समीप लवणता की मात्रा कम होती है. यहां पर 20 से 30 प्रति हजार लवणता होती है, क्योंकि यहां पर तापमान की कमी के कारण वाष्पीकरण कम होता है. इसके अलावा, हिम (बर्फ) के पिघलने से ताजा पानी समुद्रों को मिलता रहता है.

(B) आंशिक रूप से घिरे समुद्रों की लवणता (Salinity of partially enclosed seas)

(1) भूमध्य सागर, लाल सागर और फारस की खाड़ी में लवणता की मात्रा बहुत अधिक है. इन क्षेत्रों में 37 से 41 प्रति हजार लवणता पाई जाती है. इसका कारण है यहां पर ग्रीष्म ऋतु में शुष्क वायु के प्रभाव से अधिक वाष्पीकरण का होना. इसके अलावा, यहां बड़ी नदियां भी नहीं हैं जो मीठा पानी इन समुद्रों में गिरा दें.

(2) काले सागर (Black Sea) में लवणता की मात्रा अपेक्षाकृत कम है. यहां पर 18 प्रति हजार लवणता मिलती है. यहां पर कम तापमान के कारण वाष्पीकरण कम होता है. इसके अलावा, डेन्यूब, नीपर, डॉन आदि बड़ी-बड़ी नदियां बड़ी मात्रा में मीठा पानी इस सागर में गिराती हैं.

(3) बाल्टिक सागर (Baltic Sea) में लवणता बहुत ही कम है. यहां स्वीडन के तट के निकट 11 प्रति हजार तथा बोथोनियाँ की खाड़ी के मुहाने के निकट केवल 2 प्रति हजार लवणता पाई जाती है. यहां तापमान कम होने के कारण वाष्पीकरण कम है. इसके अलावा, हिम पिघलने तथा स्कैंडिनेविया के पहाड़ों से अनेक छोटी-छोटी नदियों के बाल्टिक सागर में गिरने से पर्याप्त मात्रा में मीठा जल इकठ्ठा हो जाता है.

(C) अन्तः समुद्रों और झीलों की लवणता (Salinity of enclosed seas and lakes)

अन्तः समुद्रों और झीलों की लवणता सामान्यतः बहुत अधिक होती है. संयुक्त राज्य अमेरिका के ऊटाह राज्य में ‘महान खारी झील’ (The Great Salt Lake) की लवणता 220 प्रति हजार है. जॉर्डन में मृत सागर की लवणता 238 प्रति हजार तथा तुर्की में वॉन झील की लवणता 330 प्रति हजार है. वॉन झील तथा मृत सागर में अधिक लवणता के कारण जल का घनत्व इतना बढ़ गया है कि यहां मनुष्य डूब नहीं सकता.

इन क्षेत्रों में लवणता की अत्यधिक वृद्धि के कारण यहां अधिक वाष्पीकरण तथा पानी की कमी है. कैस्पियन सागर (Caspian Sea) भी अन्तः समुद्र है, लेकिन इसमें वोल्गा तथा यूराल नदियां पर्याप्त मात्रा में मीठा जल लाकर डालती हैं. अतः यहां पर केवल 14 से 17 प्रति हजार तक ही लवणता रहती है.

मृत सागर (Dead Sea)

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