Heart : हृदय, हृदय रोगों और हार्ट अटैक से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

coronary heart disease causes symptoms treatment and prevention
Heart disease causes symptoms treatment and prevention

Heart Disease Causes, Treatment and Prevention-

अगर स्वास्थ्य नहीं, तो कुछ भी नहीं. स्वास्थ्य के बिना दुनियाभर की संपत्ति, ऐश्वर्य सब बेकार है. इसीलिए ‘निरोगी काया, घर में माया’. पैसों से स्वास्थ्य नहीं खरीदा जा सकता है, लेकिन स्वस्थ रहते हुए दुनिया का कोई भी काम किया जा सकता है.

हमारा दिल हमसे क्या चाहता है?

हमारा दिल हमारे लिए जीवनभर बिना रुके काम करता है. जिस समय यह रुक जाता है, उस दिन व्यक्ति का जीवन समाप्त हो जाता है. ऐसे में ये बेहद जरूरी है कि हम भी अपने दिल का उतना ही ख्याल रखें, जैसे हमारा दिल बिना आराम किए हमारा ख्याल रखता है. इसके लिए हमें अपने दिल की जरूरतों को पूरा करना चाहिए.

यानी केवल अपनी जीभ के गुलाम बनने की बजाय वो चीजें खानी-पीनी चाहिए, जो हमारे दिल को स्वस्थ रखें. हमारा दिल हमारे खून को पंप करता रहता है. हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने पेट और खून को साफ-सुथरा रखने वाले खानपान और लाइफस्टाइल पर ध्यान दें, ताकि बिना आराम काम कर रहे हमारे दिल को अपने काम में और ज्यादा जोर न लगाना पड़े.

अपने आलस्य को छोड़कर हमारे लिए लगातार काम कर रहे अपने दिल के लिए हमें सही लाइफस्टाइल अपनानी चाहिए, यानी समय पर सोना, समय पर जागना, पूरी नींद लेना, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना, शरीर को स्वच्छ रखना, साफ हवा में रहने की कोशिश करना, तनाव कम लेना, खुद को आध्यात्मिक बनाना और प्रकृति से जोड़ना आदि.

हृदय को स्वस्थ रखने के लिए शरीर को चलाते रहें. लेकिन बहुत ज्यादा एक्सरसाइज न करें, क्योंकि यह बहुत हानिकारक हो सकता है. और कृपया किसी जिम में तो बिल्कुल न जाएं. सुबह-सुबह खुली हवा में घूमना, प्राणायाम करना सबसे अच्छा है. खाने में रिफाइंड तेल का इस्तेमाल न करें.
आज हम यहां हृदय रोगों और हार्ट अटैक से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा करेंगे-

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हृदय रोग (Heart Diseases)-

साल 2000 में विश्व हृदय दिवस (World Heart Day) की शुरुआत की गई थी, ताकि लोगों में हृदय रोगों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके, क्योंकि अब दिल की बीमारियां और डायबिटीज बुढ़ापे की बीमारी नहीं, बल्कि युवाओं की भी मुख्य बीमारी बन चुकी हैं. दिल्ली के एक बड़े सरकारी अस्पताल में हुई स्टडी के मुताबिक, अब 18 से 45 साल के युवाओं को हृदय रोग ज्यादा हो रहे हैं. इन लोगों में इस बीमारी के लिए तनाव और गलत लाइफस्टाइल को बड़ी वजह माना गया है.

जन्म से 20 साल की उम्र तक इंसान का हृदय सबसे ज्यादा मजबूत होता है. इस दौरान हृदय का जितना ज्यादा ख्याल रखा जाता है, वह जीवनभर काम आता है. यानी अच्छे खेलकूद, साइकिल चलाना, सही और उचित मात्रा में एक्सरसाइज, सही लाइफस्टाइल और सही शाकाहारी खानपान आदि. 21 से 40 साल की उम्र में व्यक्ति को अपनी हेल्थ पर विशेष ध्यान देना चाहिए.

दिल की बीमारियों से जुड़े कुछ आंकड़े-

♦ दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें हृदय रोगों की वजह से होती हैं. दुनियाभर में हृदय रोगों से हर साल लगभग 1.80 मौतें हो जाती हैं. वहीं, साल 2030 तक हृदय रोगों से हर साल करीब ढाई करोड़ मौतें होने का अनुमान लगाया गया है.

♦ भारत में हर मिनट हृदय रोगों या हार्ट अटैक से औसतन 5 मौतें हो जाती हैं. देश में हर साल दिल की बीमारियों से लगभग 28 लाख से ज्यादा मौतें हो जाती हैं. भारत में 5 करोड़ से ज्यादा लोग हृदय की गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं. देश में हृदय रोगियों की संख्या हर साल 50 प्रतिशत की स्पीड से बढ़ रही है.

♦ दिल की बीमारी से मांसाहारी लोगों की मौत ज्यादा होती है. एक रिसर्च के मुताबिक, सबसे ज्यादा हार्ट अटैक सोमवार के दिन और सुबह 3 बजे से 4 बजे के बीच आते हैं.

♦ हृदय पर तनाव और खानपान का सीधा असर पड़ता है. गाने के अनुसार दिल की धड़कन भी बदलती रहती है. दिल के लिए ज्यादा चीखने-चिल्लाने और दिल तोड़ने वाले गानों को नजरअंदाज करना बेहतर होता है.

♦ हृदय रोगों और हार्ट अटैक के पीछे की सबसे बड़ी वजह होती है- गलत लाइफस्टाइल और गलत खानपान. एक स्टडी के मुताबिक-
धूम्रपान, शराब और नशीले पदार्थ हृदय रोगों और हार्ट अटैक का खतरा 90 प्रतिशत तक बढ़ा देते हैं.
टीवी, मोबाइल फोन, कम्प्यूटर पर घंटों बैठे रहने से हृदय रोगों की संभावना 80 प्रतिशत तक बढ़ जाती हैं.
जंक फूड, मांसाहार, ज्यादा तेल और ज्यादा नमक वाला खाने से हृदय रोगों और हार्ट अटैक का खतरा लगभग 35-40 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.

हृदय रोगों के मुख्य कारण
(Causes of Heart Diseases)-

  • हाई ब्लड प्रेशर (ब्लड प्रेशर 80/120 होना चाहिए).
  • डायबिटीज (डायबिटीज धीरे-धीरे हृदय रोगों को भी जन्म देने लगती है).
  • धूम्रपान, शराब (Smoking, Alcohol)
  • जंक फूड या गलत खानपान (Junk food)
  • मांसाहार (हृदय रोगों से मांसाहारी लोगों की मौत ज्यादा होती है)
  • ज्यादा तेल वाला खाना (Oily food)
  • ज्यादा नमक वाला खाना
  • ज्यादा तनाव (ज्यादा दिनों तक लगातार तनाव में रहने से हृदय की धमनियों में सूजन आने लगती है, जिससे इनमें खून के थक्के जमने लगते हैं)
  • गलत लाइफस्टाइल (Wrong Lifestyle)
  • घंटों तक बैठे रहना और एक्सरसाइज न करना (लेकिन एक्सरसाइज भी उचित मात्रा में ही करना चाहिए, यानी किसी भी जरूरी चीज की कमी और अधिकता, दोनों ही नुकसानदेह है. स्वस्थ रहने के लिए ज्यादा एक्सरसाइज की नहीं, बल्कि रेगुलर एक्सरसाइज और सही खानपान की जरूरत है)
  • ज्यादा मात्रा में दवाइयां
  • वजन या मोटापे का ध्यान न रखना (पुरुषों में 36 इंच और महिलाओं में 32 इंच से ज्यादा कमर का साइज हृदय रोगों का कारण बन सकता है).
  • खाने के बाद ठीक से कुल्ला न करना
  • समय-समय पर सही चेकअप न कराना
  • प्रदूषण (Pollution)

♦ मेडिकल जर्नल द लैंसेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वायु प्रदूषण की वजह से दुनियाभर में 40 लाख मौतें हो जाती हैं, जिनमें से 60 प्रतिशत लोग हृदय रोगों से पीड़ित होते हैं. दरअसल, हवा में मौजूद धूल के बारीक कण हृदय की धमनियों में जाकर जम जाते हैं, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.


हार्ट अटैक और उसके लक्षण
(Heart Attack Symptoms)

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♦ एक स्टडी में अनुसार, अगर सीने में थोड़ी देर के लिए दर्द उठे, तो यह दिल की बीमारी का संकेत होता है. चलते समय सीने में दर्द और आराम करने पर दर्द का रुक जाना हृदय रोग की तरफ इशारा करता है. ऐसे में तुरंत सही डॉक्टर को दिखाना चाहिए. लेकिन इसके लिए न तो तनाव पालना चाहिए और न ही इसे नजरअंदाज करना चाहिए, बल्कि समय रहते इसका सही इलाज करवा लेना चाहिए, जिससे यह समस्या बढ़ न सके.

♦ हार्ट अटैक के पहले का एक घंटा जीवन बचाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. इसी के साथ, हर व्यक्ति को CPC का ज्ञान जरूर होना चाहिए. यह किसी सही डॉक्टर से सीख लेना चाहिए.

Cardiopulmonary resuscitation (CPR)

♦ दिल के दौरे या हार्ट अटैक को कोरोनरी थ्रोम्बिसिस (Coronary Thrombosis) कहा जाता है. हार्ट अटैक तब आता है, जब हृदय की रक्त (खून) वाहिकाओं के अंदर जब थक्के बनते हैं, जिससे खून की चाल रुक जाती है और हृदय की ऑक्सीजन की मांसपेशियों को भूखा रहना पड़ता है. नतीजतन, हृदय के ऊतक (Tissue) मरने लगते हैं.

♦ थक्के के स्थान के आधार पर हार्ट अटैक के कुछ मुख्य लक्षण दिखाई दे सकते हैं या नहीं भी दिखाई दे सकते हैं, लेकिन आमतौर पर ये सामान्य चेतावनी के संकेत होते हैं-

(पुरुषों में हार्ट अटैक के लक्षण)-
• जी मिचलाना
• पसीना आना
• ठंडा पसीना
• सांस फूलना
• अचानक एक अनजाना डर
• शरीर में कंपकंपी होना
• अचानक सीने में दर्द
• बाएं हाथ में शूटिंग दर्द
• ऊपरी शरीर के अन्य हिस्सों में बेचैनी
• सीने में जकड़न का महसूस होना.

♦ महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण-

पुरुषों और महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण समान होते हैं. हालांकि, रिकॉर्ड के अनुसार पुरुषों और महिलाओं में हृदय रोग और दिल के दौरे के लक्षण अलग-अलग भी होते हैं. महिलाओं में विशेष रूप से ये संकेत देखने को मिलते हैं-
• अचानक चिंता (Anxiety)
• छाती में दर्द
• Light-headedness
• (छाती से) जबड़ा और हाथ दर्द
• (छाती से) पेट में दर्द/असुविधा

♦ यह जरूरी नहीं कि हार्ट अटैक के समय सीने में दर्द ही उठे. जकड़न महसूस होना, अचानक तेज पसीना आना, सांस लेने में दिक्कत होना, शरीर के किसी अंग में अचानक दर्द उठना जैसे लक्षण होने पर तुरंत अलर्ट हो जाना चाहिए. ऐसे में तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए.

हार्ट अटैक की जांच के लिए बनाया गया मॉडल-

• मरीज की उम्र कितनी है
• हार्ट अटैक के समय सीने में दर्द हुआ या नहीं
• मरीज कितनी देर में अस्पताल पहुंचा
• हीमोग्लोबिन का लेवल क्या है (13 से ऊपर के लेवल को हृदय के लिए अच्छा माना जाता है).
• हार्ट की पंपिग का लेवल (Ejection-Fraction) क्या है (अगर इसका रिजल्ट 25 से कम है तो खतरा बड़ा माना जाता है).
• कोलेस्ट्रॉल लेवल कितना है
• हाई ब्लड प्रेशर
• डायबिटीज
• परिवार में किसी को दिल की बीमारी है या नहीं
• एक्सरसाइज का स्तर क्या है.


कोलेस्ट्रॉल क्या है
(What is cholesterol)

कोलेस्ट्रॉल मोम या वसा जैसा पदार्थ या स्टेरॉयड है, जो मुख्य रूप से जानवरों और मनुष्यों की कोशिकाओं (Cells) में पाया जाता है. सभी कोशिकाओं और शरीर के अन्य तरल पदार्थों में कुछ कोलेस्ट्रॉल होता है, या तो स्वतंत्र रूप में या स्टोरेज के रूप में. कोलेस्ट्रॉल का लेवल खून के प्रति डेसीलीटर (DL) कोलेस्ट्रॉल के मिलीग्राम में मापा जाता है. कोलेस्ट्रॉल का औसत लेवल 200-300 मिलीग्राम/डीएल के बीच होना चाहिए.

कोलेस्ट्रॉल खून में अघुलनशील (Insoluble) होता है, क्योंकि खून पानी जैसा तरल पदार्थ होता है, जबकि कोलेस्ट्रॉल तेल जैसा तरल पदार्थ होता है. इसलिए, जैसे ही कोलेस्ट्रॉल खून में प्रवेश करता है, यह गांठों में जम जाता है, जिसे प्लाक कहा जाता है. कोलेस्ट्रॉल जितनी मात्रा में प्राकृतिक रूप में पाया जाता है, उतना तो यह हमारी सेहत के लिए ठीक है, लेकिन अगर इसकी मात्रा उससे ज्यादा हो जाए, तो यह बहुत हानिकारक है.

कोलेस्ट्रॉल मुख्य रूप से दो तरह से शरीर में पहुंचता है- यकृत (लिवर से) और हमारे खानपान से. खाने की जिन चीजों में कोलेस्ट्रॉल पाया जाता है, उनका ज्यादा मात्रा में सेवन करना हानिकारक होता है. इसीलिए ज्यादातर अंकुरित अनाज, वसा रहित (Fat-free) और कम वसा वाले डेयरी प्रोडक्ट, ताजे फल, सब्जियां और फाइबर वाले खानपान की सलाह दी जाती है.

लिपोप्रोटीन की दर के अनुसार, कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार का होता है-

• HDL कोलेस्ट्रॉल (अच्छा कोलेस्ट्रॉल) और
• LDL कोलेस्ट्रॉल (खराब कोलेस्ट्रॉल)

खराब कोलेस्ट्रॉल (Bad cholesterol) खून के थक्के बनाता है और खून की चाल में रुकावट डालता है. दिल के पास रक्त वाहिकाओं (Blood vessels) में थक्का या गांठ (Clot or Lumps) बनने से हार्ट अटैक आ सकता है. इसीलिए  कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ना हृदय रोगों की वजह बनता है और हार्ट अटैक का भी खतरा बढ़ जाता है. LDL कोलेस्ट्रॉल का लेवल 100 से कम होना चाहिए, जबकि HDL कोलेस्ट्रॉल का लेवल 40 से ज्यादा होना चाहिए.

लीवर और आंतें हमारी ब्लड सेल्स में खराब कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कंट्रोल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसीलिए हृदय के लिए लीवर और आंतों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. ऐसे खानपान से पचना चाहिए, जो आंतों और लीवर को नुकसान पहुंचाते हैं.

खराब कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने का सबसे अच्छा तरीका संतुलित आहार, उम्र के मुताबिक नियमित व्यायाम, स्वस्थ BMI बनाए रखना और तंबाकू और शराब के सेवन से बचना है. खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए-
खाने में ताजे फल-सब्जियों का जूस, गुनगुना नींबू पानी, फाइबर युक्त पदार्थ, कम वसा वाला खाना, अंकुरित अनाज, सलाद आदि का सेवन करना.
रोज 20-30 मिनट तक एक्सरसाइज, वॉकिंग या सूर्य नमस्कार आदि.
शराब और स्मोकिंग बिल्कुल छोड़ दें.


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल-

क्या योग से हृदय रोग के खतरों को कम किया जा सकता है?

हां, योग का अभ्यास करने से ब्लड प्रेशर, शुगर लेवल, कोलेस्ट्रॉल और यहां तक ​​कि हृदय गति में सुधार करने में मदद मिल सकती है. योग तंत्रिका तंत्र (Nervous System) को शांत करता है और तनाव को कम करता है.

धर्म और आध्यात्म से करें बीमारियों को अलविदा

अपने दिल के लिए कृपया नास्तिक और नेगेटिव लोगों से दूर ही रहें. हमारे पूजा-पाठ करने, मंत्र जप करने, या भक्ति करने से भगवान को कोई फायदा नहीं होता, इन सब चीजों का पॉजिटिव असर हम पर ही आता है. कई स्टडी और अनुभव यह बताते हैं कि रोज भगवान के किसी न किसी मंत्र या गायत्री मंत्र आदि का जप करके, आध्यात्मिकता और प्रकृति से जुड़कर शरीर को हृदय रोगों सहित गंभीर बीमारियों से दूर रखा जा सकता है.

रामचरितमानस, भगवद गीता, रामरक्षा स्तोत्र, दुर्गा कवच, गजेंद्र मोक्ष आदि का पाठ करना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा बताया गया है. आस्तिक होना और भगवान की भक्ति अंधविश्वास नहीं होता, बल्कि यह स्वस्थ रहने का एक साधन है. यह करोड़ों लोगों का एक्सपीरियंस भी है.


खून गंदा होने की मुख्य वजह-

आयुर्वेद के अनुसार, लगभग 90 प्रतिशत बीमारियां पेट से ही होती हैं. अगर आपका पेट साफ है, खून साफ है, तो आपके अंदर बीमारियों की संभावना भी बहुत कम हो जाती है. अगर हमारा पेट ठीक होगा तो हमारे बाल, आंखें, नाक, दांत वगैरह भी ठीक रहेंगे. दरअसल, जब हमारी आंतें साफ नहीं होतीं, हमारे खून में गंदगी आ जाती है, तो हमारा खून भारी या मोटा हो जाता है. इससे वह हमारे शरीर के किसी भी जरूरी हिस्से में ठीक से नहीं पहुंच पाता है, ब्लड सर्कुलेशन (Blood Circulation) पर असर पड़ता है. तो इससे न केवल हृदय रोग, बल्कि सिर से भी जुड़ीं कई समस्याएं पैदा होने लगती हैं.

हमारे पेट और खून के गंदे होने की मुख्य वजहें हैं-

बाहर का या पैकेट बंद खाना, तली-भुनी या देर से पचने वाली चीजें ज्यादा खाना, जूस या तरल पदार्थ कम लेना, पानी कम पीना, मांसाहार, स्मोकिंग, शराब, एल्कोहल लेना, एक्सरसाइज या वॉकिंग न करना, सुबह-सुबह की सूर्य की रोशनी न लेना, प्रदूषण (Pollution) के बीच रहना, बहुत खाना या बिल्कुल व्रत-उपवास न करना, तनाव आदि. पैकेट बंद खाना, या ज्यादा ऑयली और मसालेदार खाना हमारी आंतों की दीवारों से चिपककर सड़ता रहता है, साथ ही खून को भी गंदा कर देता है.

जानिए-

कब्ज दूर करने और पेट को साफ करने के उपाय

सूर्य से कौन-कौन सी बीमारियां दूर की जा सकती हैं

खाना बनाने के आयुर्वेदिक नियम

हस्त मुद्रा चिकत्सा

डायबिटीज या मधुमेह से बचने के उपाय


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1 Comment

  1. इस प्रकार की सभी जानकारी मुझे भी लगातार चाहिए

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