Mango Importance : भारत में आम को क्यों कहते हैं ‘फलों का राजा’

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फलों का राजा आम

Mango Tree Uses in India

स्वाद के मामले में आम (Mango) फलों में सर्वश्रेष्ठ है. भारत में आम को फलों का राजा (King of Fruits) कहा जाता है. उपयोगिता की दृष्टि से आम भारत का ही नहीं, बल्कि समस्त उष्णकटिबंध के फलों का राजा है. इसे ‘अमृतफल’ (Amritphal) भी माना जाता है. संस्कृत भाषा में इसे ‘आम्रः’ कहा जाता है. वनस्पति वैज्ञानिक वर्गीकरण के अनुसार आम ऐनाकार्डियेसी कुल (Anacardiaceae Family) का वृक्ष है. आम भारत का राष्ट्रीय फल है.

आम का इतिहास अत्यंत प्राचीन है. भारत के निवासियों में बहुत प्राचीन काल से आम के उपवन लगाने का प्रेम है. वेदों और शतपथ ब्राह्मण आदि में आम की चर्चा इसकी वैदिक कालीन महत्ता के प्रमाण हैं. कालिदास ने इसका गुणगान किया है. भारतवर्ष में आम से संबंधित अनेक लोकगीत, आख्यायिकाएँ प्रचलित हैं और हमारे रीति-रिवाज, हवन, यज्ञ, पूजा, कथा, त्योहार और सभी मांगलिक कार्यों में आम की लकड़ी, पत्तियों, फूल या एक न एक भाग प्राय: काम आता है. कवियों ने आम के बौर की उपमा वसंतद्त से और मंजरी की मन्मथतीर से दी है.

आम अत्यंत उपयोगी, दीर्घजीवी, सघन, हितकारी, फूलदार, बड़ा स्थलीय विशाल वृक्ष है, जो भारत में दक्षिण में कन्याकुमारी से उत्तर में हिमालय की तराई तक, पश्चिम में पंजाब से पूर्व में असम तक अधिकता से होता है. आम लक्ष्मीपतियों के भोजन की शोभा तथा गरीबों की उदरपूर्ति का अति उत्तम साधन है. इसे विलास का प्रतीक भी कहा गया है. भारत में गर्मियों की शुरुआत से ही आम पकने का इन्तजार होने लगता है. पके फल अत्यंत स्वादिष्ट होते हैं और लोग बड़े चाव से खाते हैं. ये पाचक, रेचक और बलप्रद होते हैं.

हमारे भारत में आम का पेड़ एक विशेष ही स्थान रखता है. सावन में आम के पेड़ों पर झूला झूलने, कोयल की मीठी आवाज सुनने आदि का अलग ही आनंद है. आम के पेड़ की छाया शीतल और आरामदायक होती है. आम के पेड़ के सभी अंग उपयोगी होते हैं. आयुर्वेद मतानुसार आम के पंचांग (पाँच अंग) काम आते हैं. आम के कोमल पत्ते, आम्रमंजरी (फूल), आम्रवृक्ष की छाल और आम की गुठली इन सभी का अलग-अलग उपयोग होता है.

आम के पेड़ की उपयोगिता को देखते हुए हमारे देश में आम के वृक्ष को पूजनीय भी माना जाता रहा है. हमारे यहां के पूजा-अनुष्ठानों या शुभ अवसरों पर आम की पत्तियों का खूब प्रयोग किया जाता है, जैसे कलश स्थापना, बंदनवार आदि. आम के पेड़ की गीली लकड़ी हवन आदि में काम आती है. माना जाता है कि मुख्य द्वार पर आम के पत्तों की बंदनवार लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है.

आम का पेड़ (Mango Tree)

आम उष्णकटिबंध का महत्वपूर्ण फल है. पूरे विश्व में आम की पैदावार सबसे ज्यादा हमारे भारत में ही है. भारत में हर साल एक करोड़ टन आम पैदा होता है. इस फल की प्रजाति पहले केवल भारतीय उपमहाद्वीप में मिलती थी, इसके बाद धीरे धीरे अन्य देशों में फैलने लगी. गर्म नमी वाली जलवायु और नदी के बाढ़ के द्वारा लाई गई मिट्टी वाली उपजाऊ रसाल जमीन इसके लिए ज्यादा अनुकूल रहती है.

आमतौर पर आम का पेड़ 30-40 फीट ऊंचा होता है. अनुकूल जलवायु मिलने पर 50-60 फुट की ऊँचाई तक पहुँच जाता है. इसका तना लम्बा एवं मजबूत होता है. इसके पत्ते 5-6 इंच लंबे, 1-2 इंच चौड़े और नोंकदार होते हैं. बसंत ऋतु में आम के पेड़ पर लाल रंग के कोमल पत्ते और फूल लगते हैं. इसके फूल छोटे-छोटे एवं समूह में रहते हैं. ये फूल ‘आम्रमंजरी’ के रूप में जाने जाते हैं. मंजरी खिलने के बाद आम के पत्ते लाल रंग को छोड़कर हरा रंग धारण कर लेते हैं और मंजरियाँ अम्बियां में बदल जाती हैं.

जो आम के पेड़ जंगलों में अपने आप ही तैयार जाते हैं, उन्हें जंगली आम कहते हैं. खेतों और बगीचों में गुठली बोकर जो आम के पेड़ लगाए जाते हैं, उसे ‘देसी आम’ कहते हैं. अच्छी नस्ल के आम के पेड़ से कलम करके जो आम के पेड़ लगाए जाते हैं, उन्हें ‘कलमी आम’ कहते हैं. जंगली आम, देसी आम और कलमी आम को क्रमशः कौशाम्र, रसाल और राजाम्र के नाम से भी जाना जाता है.

आम का पेड़ सैकड़ों वर्षों तक बना रहता है. यूं तो सामान्यता आम का पेड़ 8-9 वर्षों में फल देता है, पर उत्तम किस्म का आम का पेड़ लगभग 5 वर्ष में फल देता है. वैशाख से जेष्ठ या आषाढ़ मास तक (वर्षा आने के समय तक) आम का सही मौसम माना जाता है. इसके बाद तो ज्यों-ज्यों बरसात होती है, आम खराब होने लगते हैं.

आम की अनेक किस्में हैं. किसी आम का आकार गोल होता है, तो किसी का लंबगोल. कोई आम छोटा होता है, तो कोई बड़ा भारी. किसी आम में रस अधिक होता है तो किसी आम में रेशे, जैसे देशी आम की गुठलियों में रेशे अधिक होते हैं. कलमी पेड़ के आम की गुठलियों में अधिक रेशे नहीं होते. आम के रंगों में भी विविधता पायी जाती है. जैसे- पीला, हल्का पीला, गुलाबी, सफेद हरा, लाल-पीला आदि.

कई आधारों पर भारत में 700 से 800 किस्म के आम होते हैं. जैसे-

उत्तरी भारत का लंगड़ा, बादामी, बनारसी, दाड़िमी, करंजिया, सरदार, दशहरी, सफेदा, मालदा, सिंदुरिया, मोहनभोग आदि. दक्षिण भारत का नीलम, तोतापुरी, बैंगलोर, सुंदरशाह, लालवार, रुमाली, बानमनापल्ली आदि.

इसके अलावा हाफूस, पायरी, शैन्दर्या, काला, ईसाड़, केल्या, कावसजी पटेल, राजभोग, कृष्णभोग आदि इसकी प्रमुख किस्में है. गुजरात में हाफूस, पायरी, गोवा, मलगोवा, कपूरिया, दाड़िमी, केसर, जमादार, काला जमादार, लंगड़ा, सरदार, राजापुरी और तोतापुरी आदि किस्में होती हैं.

इनमें सबसे अच्छी किस्म का आम कौन सा है, इस विषय में भिन्न-भिन्न मत हैं. सामान्यता केसर को सर्वोत्तम आम माना जाता है. मुंबई-महाराष्ट्र में हाफूस और पायरी, रत्नागिरी में तोतापुरी, उत्तरी भारत में बनारसी, लंगड़ा, किशनभोग और सफेद लखनवी आम उत्तम माना जाता है.

दक्षिण भारत में शेवप्पा, खोवरे, सुंदरी, कारले और केसरिया उत्तम आम माने जाते हैं. गुजरात में बलसाड का बलसाड़ी, महुआ का जमादार और जूनागढ़ का शक्करिया आम उत्तम होता है. तमिलनाडु के कृष्णगिरि के आम बहुत ही स्वादिष्ट होते हैं और दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं.

स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से कलमी आम की अपेक्षा देशी आम ज्यादा अच्छे माने जाते हैं. देशी आम ज्यादा गुणकारी भी होते हैं. इनका रस जल्दी पच जाता है. खट्टे आमों की तुलना में मीठे आम ज्यादा अच्छे और फायदेमंद होते हैं. जिन आमों में रेशे कम होते हैं, मीठे, पके, अच्छे गर्भवाले (ज्यादा गूदेदार) और पतली गुठली वाले होते हैं, वे आम अधिक गुणकारी होते हैं.

कच्चे आम (Raw Mango)

कच्चे और पके दोनों आमों का प्रयोग किया जाता है. दोनों ही आम स्वादिष्ट होते हैं और दोनों का अपनी-अपनी जगह विशेष स्थान है. कच्चे आमों से चटनी, कचूमर, रायता और पना आदि बनाया जाता है. कच्चे आम का अचार लगभग सभी घरों में खाने के साथ बहुत पसंद किया जाता है. गर्मियों में कच्चे आम का पना बहुत फायदेमंद होता है. इसे पीने से लू नहीं लगती और शरीर के अंदर की गर्मी निकल जाती है.

घरों में पानी पूरी बनाते समय लोग इमली की जगह कच्चे आम का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं. कच्चे आम के छिलके निकालकर सुखा देने से अमचुर बनता है. यह दाल साग में खटाई लाने के लिए इमली के स्थान पर प्रयोग किया जाता है. इमली की अपेक्षा यह ज्यादा पथ्य और रुचिकर होता है. कच्चे आम में गुड़ डालकर साग बनाया जाता है.

क्रमशः

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