Spinach Benefits for Health : जानिये सुपरफूड पालक के गुण, फायदे और सावधानियां

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पालक के गुण, फायदे और सावधानियां

Spinach Benefits for Health

सभी पत्तेदार सब्जियों में पालक या स्पीनेच (Spinach or Palak) एक प्रसिद्ध भाजी है, जिसे लगभग हर कोई खाना पसंद करता है, क्योंकि इसकी अनेक स्वादिष्ट रेसिपी बनाई जाती हैं, साथ ही यह बहुत सेहतमंद है. सेहत के मामले में पालक की जितनी तारीफ की जाए, कम है. अपनी पौष्टिकता के कारण यह सुपरफूड मानी जाती है. आयुर्वेद (Ayurveda) में पालक को स्वास्थ्य की उत्तम औषधियों में से एक माना गया है. पालक में विटामिन्स और मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. आज हम पालक से जुड़ी कुछ मुख्य बातों को जानते हैं-

पालक का वानस्पतिक नाम स्पाइनेसिया ओलेरेसिया (Spinacia Oleracea) है. हमारे भारत में तो पालक की खेती और इस्तेमाल प्राचीनकाल से ही होता आ रहा है. भारत के अलावा यूरोप, अमेरिका और एशिया के अनेक हिस्सों में पालक की फसल होती है. गर्मियों में पालक का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होता है. भारत में पालक के कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं, जैसे-

पालक की सब्जी या साग, पालक की कढ़ी, पालक की भजिया या पकोड़े, पालक का सूप-जूस, पालक के परांठे, चीले, पालक की पूरी, पालक पनीर, आलू पालक, पालक कोफ्ता, पालक कॉर्न, पालक दाल, दलिया, खिचड़ी आदि. बहुत से लोग पालक की सलाद खाना पसंद करते हैं. ताजी पालक की सलाद बहुत ही अच्छी लगती है.

पालक की खेती (Spinach farming)-

पालक जल्दी तैयार होने वाली सब्जी है. इसे घर पर गमले में आसानी से उगाया जा सकता है. यह लगभग 30-35 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इसकी खेती में लागत भी कम लगती है. रेतीली जमीन को छोड़कर बाकी सभी प्रकार की जमीन इसके लिए अनुकूल होती है.

पालक के पौधे करीब एक बालिश्त से एक फीट तक ऊंचे होते हैं. इसका तना पोला और कोने वाला होता है. इसके पत्ते मुलायम, मोटे, मांसल, हरे रंग के होते हैं. इसके पत्तों की सलाई लम्बी होती है और फूल अत्यंत छोटे, गुच्छेदार और हरे-पीले रंग के होते हैं.

पालक की बोआई साल में अनेक बार होती है. जिन प्रदेशों में तापमान सम रहता हो, वहां करीब सालभर पालक उगाई जा सकती है. पालक के बीज की बोआई का मुख्य समय वर्षा के बाद है और बोआई लगातार नंवबर तक चलती है. आश्विन-कार्तिक महीने में इसके बीज हाथों से छिड़ककर बोये जाते हैं.

बोने के बाद तीन-चार हफ्तों में ही भाजी तैयार हो जाती है. बार-बार बोने से चैत्र-वैशाख तक भाजी मिलती रहती है. गर्मियों में बोयी हुई फसल को बीजदंड जल्दी आता है और पत्तों की एक ही फसल मिलती है. इसके पत्ते जितने काटे जाते हैं उतनी ही तेजी से बढ़ते हैं.

पालक के गुण

पालक की अनेक किस्में होती हैं. जिस पालक के पत्ते कोमल हों, प्रत्येक कटाई के बाद जिसके नये पत्तों की फसल अच्छी और तेजी से प्राप्त होती हो, और जिसमें बीजदण्ड देरी से निकलता हो, ऐसी किस्म की पालक अच्छी मानी जाती है. आयुर्वेद में पालक के पत्ते और बीज का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है.

पालक सबसे स्वास्थ्यवर्धक भाजियों में से एक है. इसके पत्तों में पर्याप्त औषधीय गुण होते हैं. पालक में जो गुण पाए जाते है, वे आमतौर पर अन्य सब्जियों में नहीं पाए जाते. पालक में आयरन का अंश बहुत ज्यादा होता है, जो शरीर द्वारा आसानी से सोख लिया जाता है. इसलिए पालक खाने से खून के लाल कणों की संख्या बढ़ती है.

पालक में विटामिन A,B,C और E, प्रोटीन, फाइबर, सोडियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस, क्लोरीन, और आयरन है. पालक में प्रोटीन उत्पादक एमीनो एसिड भी होता है. पालक के सेवन से खाना अच्छी तरह से पचने में मदद मिलती है. इसके हरे पत्तों में ऐसा तत्व होता है, जो शरीर की वृद्धि और विकास में सहायक है. यह बुद्धि बढ़ाने (मस्तिष्क का विकास) में भी मददगार है. पालक की तासीर ठंडी और तर होती है.

पालक खाने के फायदे (Spinach Benefits for Health)

सुश्रुत ने पालक को पित्त और कफ में हितकारी बताया है. पालक में चिकनापन होता है. पालक आँतों को एक्टिव रखती है और आँतों में स्थित मल को बाहर निकालने में मदद करती है. पालक मलाशय को साफ करने में और शरीर की हानिकारक चीजों को पेशाब के रास्ते बाहर निकालने में मदद करती है. इसलिए कब्ज में पालक फायदेमंद मानी जाती है.

पालक में रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले विटामिन और खनिज होते हैं. पालक में भरपूर मात्रा में लौह तत्व पाया जाता है. इसमें रक्त की मात्रा बढ़ाने का अच्छा गुण है. खून की कमी को दूर करने के लिए पालक बहुत जरूरी है. यह रक्त को शुद्ध करती है, स्किन में चमक बढ़ाती और हड्डियों को मजबूती भी देती है.

यदि पौष्टिकता की कमी या किसी बीमारी के वजह से कमजोरी आ गई हो, तो शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए रोजाना उचित मात्रा में पालक के पत्तों के रस या जूस या सूप का सेवन करने से आराम होता है. इससे शरीर में खून की कमी दूर होती है और शरीर को नई एनर्जी मिलती है.

पालक का सेवन करने से आँखों की थकान और सिरदर्द में आराम होता है. यह आँखों से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मददगार है.

डायबिटीज, पीलिया, यकृतरोग आदि में भी पालक फायदेमंद है. पालक लीवर की सूजन को कम करने में मदद करती है. कफ और श्वांस संबंधी रोगों में भी पालक हितकारी है.

पालक के पत्तों को उबालकर उसके पानी से गरारे करने से गले की जलन में आराम होता है. फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं में भी पालक फायदेमंद है.

पालक के जूस को कभी भी पीया जा सकता है, लेकिन जूस ताजा और अच्छे पत्तों का ही पीना चाहिए. सुबह नाश्ते के समय पालक का जूस लिया जा सकता है.

कई लोग पालक, टमाटर, गाजर, चुकंदर, अदरक, नींबू, आंवला आदि का मिक्सर जूस पीते हैं. यह काफी पौष्टिक होता है.

पालक के सेवन से शरीर में होने वाली विटामिन्स और मिनरल्स की कमी को प्राकृतिक रूप से पूरा किया जा सकता है. गर्भवती महिलाओं के लिए पालक का सेवन फायदेमंद है.

कब और किन्हें नहीं करना चाहिए पालक का सेवन

हरी पत्तेदार सब्जियां स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होती हैं. ये शरीर में पौष्टिकता की कमी को पूरा करती हैं. जो लोग या बच्चे दूध का सेवन पर्याप्त मात्रा में नहीं कर पाते, उनके लिए पालक सहित हरी पत्तेदार सब्जियां बहुत फायदेमंद हैं.

लेकिन कोई भी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से पहले एक बात का अच्छे से ध्यान रखें कि सभी पत्तेदार सब्जियों को अच्छे से देखकर और गर्म पानी से अच्छे से धोकर ही इस्तेमाल करें. हमेशा ताजे पत्ते ही लें और जिनमें छोटे-छोटे छिद्र न हों, या जिनमें कोई रोग या कीड़े न लगे हों. बारिश के मौसम में पत्तेदार सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए.

पालक की भाजी को वायुकारक बताया जाता है. हालाँकि सही तरीके से और उचित मात्रा में सेवन करने से पालक के कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं. किसी विशेष बीमारी में ही पालक से परहेज किया जाता है, जैसे-

जिन लोगों को बार-बार दस्त लग रहे हों, वे पालक का सेवन न करें.

अल्सर की समस्या या आँतों में सूजन या इंफेक्शन हो, तो पालक का सेवन न करें.

क्या पथरी में पालक का सेवन किया जा सकता है?
(Can we eat spinach in kidney stone)

आयुर्वेद की कई पुरानी किताबों में पालक को पथरी के इलाज में सहायक बताया गया है. कहा गया है कि “उचित मात्रा में पालक का सेवन करने से, या पालक के पत्तों का स्वरस या क्वाथ देने से पथरी पिघल जाती है और मूत्रवृद्धि होकर उसके कण बाहर निकल आते हैं.”

लेकिन आज के डॉक्टर पथरी में पालक का सेवन करने से साफ मना करते हैं, क्योंकि डॉक्टर्स का कहना है कि पालक में ऑक्सालिक एसिड होता है. इसलिए पालक अधिक खाने से कैल्शियम-ऑक्सालेट बनने लगता है, जिसके कारण स्टोन बढ़ता है.

आप वही करें जो आपके डॉक्टर आपसे करने को कहें. यदि डॉक्टर्स पथरी की समस्या में पालक का सेवन करने से मना करते हैं, तो उनके बताए अनुसार पालक का सेवन न करें.

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