Kali Mirch Benefits in Hindi
मसालों में काली मिर्च (Black Pepper or Kali Mirch) का स्थान सबसे अलग है. इसका इस्तेमाल जितनी चीजों में होता है और इसके जितने फायदे हैं, उसी से इसे ‘मसालों की रानी’ (Queen of Spices) कहा जाता है. काली मिर्च का इस्तेमाल तो लगभग हर रसोई में रोज होता है, इसलिए इसके बारे में तो सब जानते ही हैं.
सर्दियों और बारिश के मौसम में बहुत से घरों में काली मिर्च के बिना तो चाय बनती ही नहीं. बहुत से लोग खाने में या सलाद में इसे ऊपर से डालकर खाना पसंद करते हैं. वहीं, कई लोग अपना गला साफ और सुरीला रखने के लिए जब-तब इसके दो-तीन दानों को ऐसे ही चबाते रहते हैं. आइए जानते हैं काली मिर्च से जुड़ीं महत्वपूर्ण बातें-
काली मिर्च के फायदे (Kali mirch benefits)
आयुर्वेद (Ayurveda) में काली मिर्च को ‘युक्त्या चैव रसायनम’ कहा गया है. काली मिर्च किसी औषधि से कम नहीं और इसका सही तरीके से इस्तेमाल करने पर यह बहुत बड़े फायदे देती है. बाकी मिर्चों की तुलना में काली और सफेद मिर्च ज्यादा गुणकारी और फायदेमंद होती हैं. इसका स्वाद तीखा होने पर भी इसे खाने से जलन नहीं होती.
काली मिर्च पेट की बीमारियों और गले की समस्याओं को दूर कर देती है. काली मिर्च सर्दी-जुकाम, खांसी, कफ, सांस की बीमारी, सिरदर्द, संक्रमण या वायरल फीवर, एलर्जी, त्वचा रोगों, मलेरिया, कब्ज, गैस, अपच, अफारा, पेट के कीड़े, अतिसार आदि जैसी समस्याओं को दूर करने में मददगार है.
काली मिर्च का उत्पादन
काली मिर्च की पैदावार मुख्य रूप से दक्षिण भारत में होती है. भारत में तो इसका इस्तेमाल प्राचीनकाल से ही होता आ रहा है. दुनिया में सबसे अच्छी किस्म की काली मिर्च मालाबार से आती है. पंद्रहवीं शताब्दी में (1498) वास्कोडिगामा द्वारा भारत के मालाबार के तटवर्ती इलाकों की खोज की मुख्य वजह भी काली मिर्च के व्यापार का आर्थिक महत्व ही था.
त्रावणकोर और मालाबार के जंगलों में काली मिर्च का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है. वहीं, श्रीलंका, इंडोनेशिया, बोर्नियो में भी इसकी खेती की जाती है. लेकिन दुनियाभर में काली मिर्च मुख्य रूप से भारत से ही पहुंचाई जाती है. मालूम हो कि हमारे भारत को ‘मसालों का देश’ (Country of Spices) भी कहा जाता है.
काली मिर्च की खेती (Kali mirch cultivation)
काली मिर्च के पौधे बारहमासी होते हैं और 25 से 30 सालों तक फलते-फूलते रहते हैं. कही-कहीं तो ये 60 सालों से ऊपर के भी हो जाते हैं. कर्नाटक और केरल के जंगलों में काली मिर्च के पौधों या बेलों को सुपारी के पेड़ों पर चढ़ा दिया जाता है. काली मिर्च की बेल को अगर बढ़ने दिया जाए तो वह लगभग 30 से 45 फीट तक लंबी हो जाती है, लेकिन इनकी बेलों को बार-बार ऊपर से काट दिया जाता है.
काली मिर्च की बोआई नागरबेल की तरह या कलम लगाकर की जाती है. इसके पत्ते भी नागरबेल के जैसे ही दिखते हैं. बेलों पर गुच्छेदार फल-मंजरियां लगती हैं, जिन्हें ही काली मिर्च कहा जाता है. हर एक गुच्छे पर लगभग 50-60 दाने लगते हैं. एक बेल से करीब 6 किलोग्राम काली मिर्च प्राप्त हो जाती हैं.
काली मिर्च की मुख्य रूप से दो किस्में होती हैं- काली और सफेद. जब काली मिर्च पूरी तरह पक जाती हैं, तब उनके छिलके आसानी से उतर जाते हैं और सफेद गोल दाने निकल आते हैं, जिन्हें सफेद मिर्च कहते हैं. सफेद मिर्च काली मिर्च से भी ज्यादा अच्छी मानी जाती है.
काली मिर्च के फायदे और इस्तेमाल-
♥ खाने की बहुत सी चीजों में स्वाद बढ़ाने या खाने को और भी सेहतमंद बनाने के लिए काली मिर्च का इस्तेमाल किया जाता है. किसी भी तरह की सब्जी-भाजी में, सलाद में, दाल का पानी, किसी भी तरह के सूप, मसाला कॉर्न, नमकीन या स्नैक्स, सादा चाय, लेमन टी, नींबू पानी, पुदीने के शरबत, ठंडाई, दही या छाछ में, हलवे में, दूध आदि में काली मिर्च डाली जाती है.
♥ काली मिर्च को पीसकर रखने की बजाय, जब भी उसकी जरूरत पड़े, तब ही पीसकर इस्तेमाल करना चाहिए.
♦ काली मिर्च के दो दानें रोज खा लेने से पेट और गले की समस्याओं से बचाव होता रहता है.
♦ गरिष्ठ भोजन में काली मिर्च डालकर खाने से खाना पचने में आसानी होती है.
♦ जुकाम, खांसी, कफ या सांस की बीमारी में काली मिर्च का सेवन करना बहुत फायदेमंद है. सर्दी-जुकाम या कफ में सोंठ की तुलना में काली मिर्च का सेवन करना ज्यादा अच्छा होता है.
♦ बारिश और सर्दियों के मौसम में रोजाना चाय (Tea) में काली मिर्च का (उचित मात्रा में ही) इस्तेमाल करना अच्छा होता है. तुलसी और काली मिर्च डालकर बनाई गई चाय सर्दी-जुकाम, खांसी और कफ से राहत दिलाती है.
♦ तुलसी और काली मिर्च का मेल (Tulsi-Kali mirch) एक उत्तम आयुर्वेदिक औषधि है. बारिश और सर्दियों के मौसम में हफ्ते में एक बार तुलसी और काली मिर्च को पीसकर बनाई गई 2-4 गोलियों का सेवन करना अच्छा होता है. कई तरह के संक्रमण और एलर्जी से बचाव होता है.
♦ तुलसी-काली मिर्च की गोलियों का सेवन करने से मलेरिया और वायरल फीवर में आराम होता है.
♦ सर्दियों या तेज बारिश (या खराब मौसम) के दौरान तुलसी-काली मिर्च का एक कप काढ़ा पीने से तेज सर्दी-जुकाम, कफ, वायरल फीवर और उससे होने वाली एलर्जी में आराम होता है. (काढ़ा एकदम गर्म-गर्म नहीं पीना चाहिए, गुनगुना पीना चाहिए).
♦ गुड़ के साथ काली मिर्च का सेवन करने से भी जुकाम में आराम होता है.
♦ अगर बहुत काम करने से शरीर में गर्मी बढ़ गई हो, या आंखों या सिर में दर्द हो रहा हो, तो बताशों या मिश्री या किशमिश को शुद्ध घी में डालकर भूनें और उसमें पिसी काली मिर्च डालकर पकाएं. इसमें बादाम भी डालकर भूने जा सकते हैं. गुनगुना होने पर खाएं, आराम मिलेगा. इससे आंखों की रोशनी में भी फायदा होता है.
♦ नींबू के आधे टुकड़े पर काली मिर्च (Lemon-kali mirch) और सेंधा या काला नमक डालकर चूसने से- जी मचलाना, उल्टी आना, चक्कर आना, अजीर्ण, अपच, अफारा, बदहजमी, पेट की गैस आदि में आराम होता है, साथ ही मुंह का स्वाद भी अच्छा होता है (किसी भी लंबी यात्रा के बीच यह प्रयोग बहुत काम आता है).
♦ एक गिलास गुनगुने पानी में आधा या एक नींबू का रस, सेंधा या काला नमक, पिसी काली मिर्च, और चुटकीभर खाने वाला सोडा डालकर पीने से पुरानी कब्ज दूर हो जाती है और पेट साफ हो जाता है.
♦ टमाटर (Tomato) में काली मिर्च और सेंधा नमक डालकर खाने से पेट की कई समस्याएं जैसे- कब्ज, अपच, गैस आदि दूर होती हैं.
♦ शहद में काली मिर्च (Shahad-Kali mirch) डालकर चाटने से खांसी और सांस की बीमारी में आराम होता है.
♦ दूध में काली मिर्च डालकर गर्म करें (अगर चाहें तो मौसम के अनुसार इसमें चुटकीभर हल्दी और थोड़ा सा गुड़ भी मिलाएं). इस दूध को पीने से-
–वायरल फीवर उतरता है,
–खांसी और जुकाम में आराम होता है,
–कमजोरी दूर होती है और ताकत आती है.
♦ ताजा छाछ में काली मिर्च डालकर पीने से पेचिश और पेट के कीड़े दूर होते हैं.
♦ घी में पिसी काली मिर्च डालकर चाटने से शीतपित्त मिटता है.
♦ काली मिर्च एक्सट्रा फैट को भी कम करने में मददगार है. इसलिए मोटापा घटाने में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.
♦ काली मिर्च ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करने में मददगार है.
♦ काली मिर्च हृदय रोगों में भी फायदेमंद है.
♦ कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, काली मिर्च कैंसर को भी दूर रखने में मदद करती है.
♦ दांतों और मसूढ़ों के लिए भी काली मिर्च बहुत फायदेमंद है.
♦ काली मिर्च को पानी में घिसकर फुंसी पर लगाने से फुंसी बैठ जाती है.
♦ कुत्ते के काटने पर प्राथमिक उपचार के रूप में उसके घाव पर पिसी काली मिर्च डाल देने से जहर का असर कम होता है, फिर तुरंत ही डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
♦ आधासीसी या सूर्योदय के साथ होने वाले सिरदर्द के लिए काली मिर्च के कुछ दानों को मिश्री के साथ पीसकर खाएं, आराम मिलेगा.
काली मिर्च के सेवन में सावधानियां-
काली मिर्च का सेवन बहुत फायदेमंद है, लेकिन इसका भी ज्यादा मात्रा में सेवन कर लेने से आंतों में जलन, पेट में दर्द, किडनी में कुछ समस्या आदि हो सकती है. काली मिर्च का सेवन सही मात्रा में किया जाए तो यह कई बड़े रोगों को दूर कर देती है और बहुत फायदे देती है, लेकिन ज्यादा मात्रा में सेवन करने से नुकसान भी पहुंचा सकती है.
नोट- काली मिर्च में मिलावट से सावधान रहें. इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और कई किताबों पर आधारित है. इन पर अमल करने से पहले डॉक्टर या जानकार की सलाह ले लें.
Copyrighted Material © 2019 - 2024 Prinsli.com - All rights reserved
All content on this website is copyrighted. It is prohibited to copy, publish or distribute the content and images of this website through any website, book, newspaper, software, videos, YouTube Channel or any other medium without written permission. You are not authorized to alter, obscure or remove any proprietary information, copyright or logo from this Website in any way. If any of these rules are violated, it will be strongly protested and legal action will be taken.
Be the first to comment