maharshi valmiki ki kahani, valmiki brahman shudra, valmiki ramayan ki rachna, महर्षि वाल्मीकि, वाल्मीकि रामायण की रचना, वाल्मीकि ब्राह्मण थे या शूद्र
धर्म और अध्यात्म

Valmiki Ramayan ki Rachna : आदिकवि महर्षि वाल्मीकि और रामायण की रचना?

“रघुकुलनन्दन! में प्रचेता (वरुण) का दसवां पुत्र हूँ. मेरे मुंह से आज तक कोई झूठी बात नहीं निकली है. मैंने कई हजार वर्षों तक भारी तपस्या की है. मैंने मन, वाणी और क्रिया द्वारा भी पहले कभी कोई पाप नहीं किया है.” […]

sita agni pariksha valmiki ramayana yuddha kanda, सीता जी की अग्नि परीक्षा
ब्लॉग

Valmiki Ramayana : श्रीराम ने क्यों ली थी सीताजी की अग्नि परीक्षा?

पूरी रामायण में श्रीराम को जब भी किसी की बात गलत लगी, तब श्रीराम ने सबकी बात तथ्यों और तर्कों के साथ काटी है. कहीं भी वे चुप नहीं रहे, पर सीता जी की अग्निपरीक्षा में उनका एक अलग ही व्यवहार देखने को मिलता है. […]

ramayana creative freedom, difference between valmiki ramayana and ramcharitmanas, valmiki ramayana, tulsidas ramcharitmanas, ramayana and ramcharitmanas difference, वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास जी की रामचरितमानस में अंतर
ब्लॉग

Creative Freedom : रामकथा में आजादी

आज कुछ लोग प्राचीन भारत के ऐतिहासिक तथ्य भी इस प्रकार से ढूंढकर लाते हैं कि द्रौपदी के पांच पति थे तो इसका मतलब कि उस समय बहुपति विवाह प्रचलित था. राजा दशरथ की तीन रानियां थीं, तो इसका मतलब जनसामान्य में भी बहुपत्नी विवाह प्रचलित होगा … […]

hanuman ji ka roop kaisa hai, hanuman ne suraj ko kaise nigla, hanuman ji ki kripa kaise paye, hanuman ji ki kripa pane ke upay, hanuman ji me kitni takat shakti bal hai
धर्म और अध्यात्म

हनुमान जी में कितना बल है : जब जाम्बवान्‌ ने याद दिलाईं हनुमान जी की शक्तियां

‘संसार में कौन सा ऐसा कठिन काम है जो तुमसे न हो सके. तुम युद्ध में किसी अस्त्र-शस्त्र से मारे नहीं जा सकते हो. मृत्यु तुम्हारी इच्छा के अधीन है. जब तुम चाहोगे …’ […]

meat eating in valmiki ramayana, shri ram sita lakshman, ramayan panchvati, ramayan aranya kand, shri ram sita in panchvati, shri ram food vanvas
धर्म और अध्यात्म

Ramayan Panchvati : जब श्रीराम ने लक्ष्मण जी को कहा ‘पिता और पुत्र के समान’

महर्षि अगस्त्य ने अपने सभी श्रेष्ठ आयुध श्रीराम और लक्ष्मणजी को सौंप दिए थे. ऋषि अगस्त्य सीता जी के धर्म और गुणों की बहुत प्रशंसा करते हैं. इसके बाद श्रीराम महर्षि अगस्त्य से पूछते हैं कि … […]

shri ram ramayan in world, valmiki ramayan mansahar sanskrit hindi shri ram charitmanas, shri ram ko 14 varsh ka vanvas
धर्म और अध्यात्म

Ramayan : माता कैकेयी ने श्रीराम के लिए 14 वर्षों का वनवास क्यों माँगा था?

माता कैकेयी बोलीं- “मन्थरे! यह तो तुमने बड़ा ही प्रिय समाचार सुनाया. तुमने मुझे जो बात बताई, उसके बदले मैं तुम पर क्या उपकार करूँ? कल महाराज मेरे राम का राजतिलक करने वाले हैं, यह सुनकर मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई. मैं राम और भरत में कोई भेद नहीं समझती…” […]

shri ram ramayan in world, valmiki ramayan mansahar sanskrit hindi shri ram charitmanas, shri ram ko 14 varsh ka vanvas
धर्म और अध्यात्म

Ramayan : जब श्रीराम पूछते हैं- ‘माँ! क्या अनजाने में मुझसे कोई अपराध हो गया है…?’

“देवी! राम को राज्य का लोभ नहीं है और भरत पर उनका बड़ा ही प्रेम है. मैं ही अपने मन में बड़े-छोटे का विचार करके राजनीति का पालन कर रहा था. मुझे भरत का राज्याभिषेक स्वीकार है, पर राम को वनवास क्यों? राम ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है…?” […]

shri ram sita vanvas, ram sita love story prem kahani, why sita went to vanvas, श्रीराम और सीता जी का वनवास
धर्म और अध्यात्म
ravan mandodari samvad ramayan, ramcharitmanas lanka kand, रावण को मंदोदरी की सीख, रावण मंदोदरी संवाद
धर्म और अध्यात्म

“काल दंड गहि काहु न मारा। हरइ धर्म बल बुद्धि बिचारा”, रावण को मंदोदरी की सीख

“यदि इस समय मैं आपकी आँखों पर बंधी अहंकार की पट्टी खोलकर वास्तविक सत्य के दर्शन न कराऊँ तो मैं अपने कर्तव्य पालन से वंचित रह जाऊंगी, क्योंकि हर पत्नी का यह धर्म है कि कुमार्ग पर भटके पति को सत्य की राह पर ले आये.” […]

shri ram ramayan in world, valmiki ramayan mansahar sanskrit hindi shri ram charitmanas, shri ram ko 14 varsh ka vanvas
धर्म और अध्यात्म

Ramayan in World : दुनियाभर में हैं कितनी रामायण और कहां-कहां मिल चुके हैं श्रीराम के निशान

जापान, कम्बोडिया, मलेशिया, थाईलैंड, ईराक, इंडोनेशिया, बर्मा, पाकिस्तान, भूटान, बाली, जावा, सुमात्रा आदि अनेक देशों में तो पुरातन भित्ति चित्रों, मंदिरों और संग्रहालयों में रामकथा (Ram Katha) मौजूद है. […]