वाल्मीकि रामायण का उत्तरकाण्ड – माता सीता का त्याग और शम्बूक का वध…
वाल्मीकि रामायण के बाद सबसे प्रमाणिक मानी जाने वाली गोस्वामी तुलसीदास जी की रामचरितमानस में भी उत्तरकाण्ड है, लेकिन .. […]
वाल्मीकि रामायण के बाद सबसे प्रमाणिक मानी जाने वाली गोस्वामी तुलसीदास जी की रामचरितमानस में भी उत्तरकाण्ड है, लेकिन .. […]
इस चौपाई में अगर हम ‘ताड़ना’ का अर्थ “मारना, पीटना, दंड देना, प्रताड़ित करना” आदि से लगाएंगे, तो … […]
भगवान श्रीराम कोई भी बात दो बार नहीं कहते. […]
अगर रावण उस समय अपने पुत्र मेघनाद और सभा में बैठे अन्य चापलूसों की बात न मानकर, अपनी पत्नी मंदोदरी और अपने भाई विभीषण आदि की बात मान लेता, तो वह कुल सहित नष्ट न होता. […]
अयोध्या नगरी (Ayodhya) इंद्र की पुरी के समान बड़ी सुंदर ढंग से बसी हुई थी. उसके आठ कोने थे. बड़ी सुंदर लंबी-चौड़ी सड़कें बनी हुई थीं. नगरी की प्रधान सड़कें तो बहुत ही लंबी-चौड़ी थीं, जिन पर रोज सुगंधित फूल बिखेरे जाते थे. सड़कों के दोनों ओर सुंदर वृक्ष लगे हुए थे. […]
श्रीरामचरितमानस (Ramcharitmanas) में गोस्वामी तुलसीदास जी (Goswami Tulsidas) लिखते हैं कि, “श्रीराम का तीर लगने के बाद बाली व्याकुल होकर धरती पर गिर पड़ा, लेकिन प्रभु श्रीराम को आगे देखकर वह फिर उठ बैठा.” […]
श्रीराम लक्ष्मण जी से कहते हैं कि, “भविष्य को जानने के फेर में मत पड़ो, वर्तमान का जो धर्म या कर्तव्य है उसे निभाओ, भविष्य तो स्वयं ही नतमस्तक होकर तुम्हारे सामने आ जाएगा, क्योंकि होनी तो होगी ही, लेकिन तुम अपने धर्म या कर्तव्य पर दृढ़ रहो.” […]
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