Uttar Pradesh : उत्तर ही नहीं, उत्तम प्रदेश है UP

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) भारत की सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है, साथ ही इसी राज्य की सीमाएं देश के सबसे ज्यादा प्रदेशों से मिलती हैं, इसलिए यहां भारत का हर रंग देखने को मिलता है. केवल नदियों का ही नहीं, भारत की कला, संस्कृति और आस्था का संगम भी यहीं होता है. इसीलिए किसी लेखक ने कहा है कि “जिसने विविधताओं से भरा उत्तर प्रदेश जैसा खूबसूरत राज्य देख लिया, समझो उसने पूरा भारत ही देख लिया”.

उत्तर प्रदेश का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व

अपने अतीत और गौरवशाली इतिहास के कारण यह राज्य देश ही नहीं, पूरी दुनिया में एक अलग स्थान रखता है. पौराणिक काल हो या आधुनिक इतिहास, इस राज्य की हर बात गर्व करने योग्य है. समय-समय पर अनेक महान विभूतियों का जन्म या वास यहीं हुआ है. यही वह स्थान है, जहां अलग-अलग युगों में भगवान भी अलग-अलग अवतार लेकर उतरे हैं.

उत्तर प्रदेश ही वह पवित्र स्थान है, जहां भगवान शिव द्वारा बसाई गई नगरी काशी है, तो भगवान श्रीराम और कान्हा जी की जन्मभूमि भी यहीं है. भागीरथ और हरिश्चंद्र जैसे पराक्रमी और सत्यवादी राजाओं की धरती यही है. युगों-युगों से मानव की पथप्रदर्शक रही रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने यहीं की, तो रामचरितमानस जैसे महान ग्रन्थ की रचना और उसके रचियता गोस्वामी तुलसीदास का जन्म भी यहीं हुआ है.

यहीं पर सूरदास ने अपने कान्हा की बाल लीलाओं और सौंदर्य का वर्णन किया, तो भगवान बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश यहीं दिया. संत और समाज सुधारक कबीर और भक्त मीराबाई के गुरु संत रैदास की जन्मस्थली भी यही है. इतना ही नहीं, भारत के नवजागरण काल की शुरुआत भी यहीं से हुई. देश के स्वतंत्रता संग्राम का दीप भी यहीं से जला, क्योंकि अंग्रेजों के खिलाफ तलवार उठाने वाली महारानी लक्ष्मीबाई की जन्मभूमि और कर्मभूमि भी यही उत्तर प्रदेश ही है. यहां की सभी पौराणिक और ऐतिहासिक निशानियां यहां आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं.

हर क्षेत्र में आगे है उत्तर प्रदेश

स्वतंत्रता के बाद भी देश के उत्थान और विकास में इस राज्य के लोगों ने अपना अभूतपूर्व योगदान दिया है. देश को सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री इसी राज्य ने दिए हैं. उत्तर प्रदेश की धरती पर ही ध्यानचंद जैसे बेहतरीन खिलाड़ियों का जन्म हुआ. यहां के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ने का सपना हर छात्र देखता है. यानी राजनीति हो या खेल, शिक्षा हो या संस्कृति, हर मामले में उत्तर प्रदेश भारत का अग्रणी राज्य रहा है.

बनारस की साड़ियां, फिरोजाबाद की चूड़ियां, लखनऊ के कपड़ों पर चिकन की कढ़ाई, पिलखुवा की हैंड ब्लाक प्रिंट की चादरें, सहारनपुर का काष्ठ शिल्प, रामपुर का पैचवर्क, मुरादाबाद के पीतल के बर्तन, अलीगढ़ का ताला, औरंगाबाद का टेराकोटा और मेरठ की कैंची आदि उत्तर प्रदेश को शिल्पकला में भी ‘प्रथम’ बनाते हैं.

उत्तर प्रदेश का धार्मिक महत्व

उत्तर प्रदेश की पहचान एक धार्मिक राज्य के रूप में है. हिंदू धर्म के सात पवित्रतम नगरों में से तीन- अयोध्या, मथुरा और काशी उत्तर प्रदेश में ही हैं. इसी से यहां के त्योहारों और उनपर लगने वाले मेलों में भी एक अलग ही रौनक होती है. महाशिवरात्रि हो या रामनवमी, जन्माष्टमी हो या दीपावली या होली, लोग ऐसे दिनों में उत्तर प्रदेश में ही रहना बड़े सौभाग्य की बात समझते हैं.

नदियों के किनारों पर बसे नगरों और पवित्र स्थानों पर जिन धार्मिक, सांस्कृतिक, वैचारिक और बौद्धिक परम्पराओं का विकास हुआ, उसने पूरे विश्व को एक नई दिशा दी है. हर एक व्यक्ति इन नगरों में अपना कदम रखने की कामना रखता है. यहां की अलग-अलग संस्कृति, त्योहारों, स्मारकों और प्राचीन धार्मिक स्थलों और विहारों के लिए देश-दुनिया की लाखों पर्यटक हर साल यहां आते हैं.

उत्तर प्रदेश का प्राकृतिक महत्व

नदियों के मामले में तो उत्तर प्रदेश जैसा धनी राज्य और कोई नहीं. संसार की सबसे पवित्र नदी गंगा का सबसे बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश में ही है. प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का करीब 90 प्रतिशत हिस्सा गंगा के मैदान में है. इसी से यहां की मिट्टी बेहद उपजाऊ है. यानी कृषि के लिए भी यहां की धरती किसी वरदान से कम नहीं.

गंगा के साथ-साथ यहां यमुना, सरयू, गोमती, मंदाकिनी, केन, चंबल, बेतवा और शारदा जैसी कल-कल करतीं नदियों के मनभावन तट हैं, तो गंगा-यमुना और सरस्वती का संगम भी यहीं है, जहां पर लगने वाला कुम्भ मेला पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है और देश की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है. दुधवा, कतरनिया, सोहेलवा और चित्रकूट जैसे अभयारण्य और मनमोहक वन हैं, तो नवाबगंज और बेंती जैसे अनेक पक्षी विहार भी यहां की शोभा बढ़ाते हैं. प्रकृति की अनुपम रचना के सुंदर और एक से बढ़कर एक मनोरम दृश्य यहां देखने मिलते हैं, जिनका अनुभव यहां आकर ही किया जा सकता है.



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