रत्नों का स्वास्थ्य पर कैसे पड़ता है असर, किस रत्न से कौन सी बीमारी दूर होती है?

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Gemstones Effect on Health

Gemstones Effect on Health

रत्नों (Gemstones) को प्रकृति की तरफ से दिया गया अमूल्य उपहार माना जाता है. ज्योतिष की दुनिया में तो रत्नों का विशेष महत्व है. अलग-अलग रत्नों को धारण करके किसी व्यक्ति के जीवन में ग्रहों की दशा को सुधारा जा सकता है. जहां रत्न हमारी सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं, वहीं अलग-अलग तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को भी दूर कर सकते हैं. रत्नों का शरीर पर क्या असर पड़ता है, इसे लेकर कई वैज्ञानिक शोध भी हो चुके हैं, जिनमें देखा गया है कि रत्नों में बीमारियों से लड़ने की भी अद्भुत क्षमता होती है.

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कई मामलों में सेहत पर रत्नों का अच्छा असर देखने को मिलता है. प्रसिद्ध आयुर्वेद पुस्तक ‘चरक संहिता’ में भी रत्नों का उल्लेख हुआ है. इसके अलावा अग्नि पुराण, भागवत पुराण, गरुण पुराण और महाभारत आदि अनेक ग्रंथों में भी रत्नों का उल्लेख मिलता है. ऋग्वेद और अथर्ववेद में भी रत्नों का जिक्र किया गया है. दरअसल, रत्न किसी ना किसी ग्रह का प्रतिनिधित्व करते हैं. वे किसी ग्रह की शक्ति को घटा सकते हैं और बढ़ा भी सकते हैं.

रत्नों में होती है ग्रहों की शक्तियों को खींचने की क्षमता

रत्नों में ग्रहों (Planets) की किरणों, रंगों और चुंबकत्व की शक्ति (Magnetism) होती है. इनमें अपने से संबंधित ग्रहों की शक्ति को खींचने या व्यक्ति की नकारात्मक शक्ति को बाहर करने की क्षमता होती है. जैसे- अगर किसी व्यक्ति का कोई ग्रह कमजोर है तो उस ग्रह को मजबूत करने के लिए उसे उसी ग्रह से जुड़ा रत्न पहनाया जाता है. इससे वह रत्न उस ग्रह की शक्ति को खींचकर उस व्यक्ति तक पहुंचाने का काम करता है. रत्न ग्रहों के विपरीत प्रभाव को कम करके उनकी शक्ति को बढ़ाते हैं.

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शरीर, मन और कार्यों पर रत्नों का असर

इसी के साथ, व्यक्ति के स्वास्थ्य पर रंगों (Colors) का भी बहुत असर पड़ता है, क्योंकि हमारा शरीर कई रंगों से मिलकर बना होता है और इन रंगों में भी संतुलन बना रहना चाहिए. आयुर्वेद के अनुसार, पित्त, वात और कफ की तरह ही शरीर में रंगों के घटने-बढ़ने से अलग-अलग तरह की बीमारियां जन्म लेने लगती हैं. इन रंगों पर रत्नों का भी बहुत असर पड़ता है. अलग-अलग रंगों के रत्नों के इस्तेमाल से व्यक्ति की मानसिक हालत में काफी बदलाव आ सकते हैं. जैसे माणिक्य (Ruby) पहनने से व्यक्ति के मन से बुरे विचार दूर होते हैं, वहीं मोती (Pearl) धारण करने से गुस्सा कम होता है और एकाग्रता बढ़ती है.

दवाइयां बनाने में भी होता है रत्नों का इस्तेमाल

इस तरह व्यक्ति के मन और कार्यों पर रत्नों का बहुत असर पड़ता है. अगर मन सही दिशा में लगता है और काम करने की क्षमता बढ़ जाती है, तो सफलता मिलते देर नहीं लगती. इन सबके आलावा, रत्नों में अलग-अलग तरह के जरूरी और रासायनिक तत्व पाए जाते हैं, इसलिए इनका इस्तेमाल कई तरह की दवाइयों को बनाने में भी किया जाता है. जैसे- मोती का इस्तेमाल कॉस्मेटिक्स, भस्म, च्यवनप्राश और टॉनिक बनाने में किया जाता है. मोती के भस्म का सेवन करने से पथरी की बीमारी में आराम मिलता है, साथ ही यह शरीर की ताकत को भी बढ़ाता है.

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भारतीय मान्यता के अनुसार, अब तक 84 रत्नों की पहचान की गई है, जिनमें से 9 रत्नों का विशेष महत्व है. आइए जानते हैं कि कौन से रत्न को कौन सी बीमारी में फायदेमंद माना जाता है-

1. हीरा (Diamond)

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रत्नों के सम्राट हीरा शुक्र ग्रह (Venus) का रत्न है. अगर किसी व्यक्ति का शुक्र ग्रह अच्छा है तो उसे जीवन की सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं. इसमें हीरा बहुत मदद कर सकता है. माना जाता है कि हीरे के असर से डायबिटीज, चर्मरोगों (Skin Diseases) और आंखों से जुड़ीं बीमारियों में राहत मिलती है, साथ ही उम्र भी बढ़ती है. अगर बहुत ज्यादा नींद आने की समस्या हो तो हीरा पहनना फायदेमंद होता है. यह वात रोगों पर भी नियंत्रण रखता है, साथ ही इससे पाचन शक्ति से जुड़ी समस्याओं को भी दूर किया जा सकता है. वहीं, हीरे की भस्म से भी कई तरह की बीमारियों का इलाज किया जाता है.

2. मोती (Pearl)

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मोती चंद्रमा (Moon) का रत्न है. जिन लोगों को बहुत ज्यादा गुस्सा आता हो, उन्हें मोती पहनना चाहिए. इसे पहनने से मन शांत रहता है और एकाग्रता बढ़ती है, जिससे कार्य क्षमता में सुधार होता है. मोती की भस्म कई तरह की बीमारियों में दवाई का काम करती है. इसका इस्तेमाल कई तरह के कॉस्मेटिक्स में भी किया जाता है. मोती की भस्म के इस्तेमाल से दांतों का पीलापन और धब्बे दूर करने, साथ ही चेहरे की चमक बढ़ाने में भी सहायता मिलती है.

आंखों से जुड़ीं बीमारियों, भेंगापन, तपेदिक, खांसी, टॉन्सिल्स, बवासीर, सर्दी-जुकाम, ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, कफ, छाती के रोग, ट्यूमर, रतौंधी, कैल्शियम की कमी, ब्लड से जुड़ी समस्या, पेट और गैस से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मोती का इस्तेमाल किया जा सकता है. पथरी की शिकायत होने पर भी व्यक्ति को शहद के साथ इसकी भस्म का सेवन करने की सलाह दी जाती है. मोती पहनने से कई तरह की मानसिक समस्याओं जैसे मिर्गी, डिप्रेशन आदि से छुटकारा पाया जा सकता है.

3. माणिक्य (Ruby)

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माणिक्य सूर्य (Sun) से जुड़ा रत्न है. कहते हैं कि अगर किसी व्यक्ति पर कोई संकट आ रहा हो, तो उसके पहने हुए माणिक्य का रंग बदल जाता है. इससे उस व्यक्ति को संकट आने की सूचना पहले ही मिल जाती है. जिन लोगों में खून की कमी होती है, उन्हें माणिक्य पहनने से राहत मिल सकती है. माणिक्य के असर से पेट और गैस से जुड़ी समस्या, तपेदिक आदि में भी राहत मिलती है. इसी के साथ, हृदय रोग, ब्लड प्रेशर, बेचैनी और घबराहट, आंखों से जुड़ी समस्या, दिल की असामान्य धड़कन, किसी चीज से डर लगने की समस्या, शारीरिक ताकत में कमी, डायबिटीज, हड्डियों से जुड़े रोग, बुखार, फेफड़े के रोग, मानसिक रोग और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों में राहत पाने के लिए भी माणिक्य का इस्तेमाल किया जाता है.

4. मूंगा (Coral)

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मूंगा मंगल ग्रह (Mars) से जुड़ा हुआ रत्न है. यह आलस को दूर करता है, साथ ही साहस को बढ़ाते हुए फैसले लेने की क्षमता में भी सुधार करता है. मूंगा खून से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है. मिर्गी और पीलिया के मरीजों के लिए मूंगा पहनना काफी फायदेमंद माना जाता है. मूंगे का इस्तेमाल खून की खराबी, खून की कमी, मानसिक स्वास्थ्य, कब्ज, हड्डियों और आंतों से जुड़ी समस्या को दूर करने, अस्थमा, घाव, जलन, कान के रोग, चर्मरोग, भूख-प्यास में कमी और कुपोषण की समस्या को दूर करने में भी किया जाता है. महिलाओं में खून की कमी और ब्लड प्रेशर जैसी परेशानियों को दूर करने के लिए भी उन्हें मूंगा पहनाया जाता है. मूंगा पहनने से शुगर लेवल को भी कंट्रोल करने में सहायता मिलती है, साथ ही मांसपेशियों से जुड़ी परेशानियों को भी दूर करने में मूंगा काफी फायदेमंद है.

6. पुखराज (Topaz)

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पुखराज बृहस्पति (Jupiter) से जुड़ा रत्न है, इसलिए इसे ‘गुरु रत्न’ भी कहा जाता हैं, क्योंकि बृहस्पति को ‘गुरु ग्रह’ भी कहते हैं. यह रत्न मन को शांति देता है. इसे आंखों की रोशनी बढ़ाने वाला माना गया है. आयुर्वेद में पुखराज को पाचन शक्ति को सुधारने वाला, जहर के असर को कम करने वाला, वात रोगों और बवासीर में फायदेमंद, बुद्धि और चेहरे की चमक बढ़ाने वाला बताया गया है. पुखराज पहनने से हड्डियों के दर्द, काली खांसी, बुखार और पीलिया जैसी बीमारियों में राहत मिलती है. कुष्ठ रोगों (Leprosy) और चर्मरोगों को भी दूर करने में पुखराज काफी फायदेमंद माना गया है. इसके अलावा पुखराज से पेट में गैस की समस्या भी दूर हो सकती है.

7. नीलम (Sapphire)

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नीलम का प्रभाव बहुत तेज माना गया है. कहते हैं कि यह राजा को रंक और रंक को राजा बना सकता है, इसलिए इसे पूरी तरह जांच-पड़ताल के बाद ही पहनने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह जिसके लिए फायदेमंद नहीं होता, उसका बेहद नुकसान करा देता है, लेकिन जिसके लिए फायदेमंद होता है, उसे कभी कहीं भी हार का सामना नहीं करना पड़ता.

नीलम को कई बड़ी बीमारियों का इलाज करने में भी कारगर माना गया है. सांस से जुड़ी समस्या, बुखार आदि में नीलम पहनने से राहत मिलती है. इसी के साथ, खून से जुड़ी समस्याएं, खांसी, कुपोषण, बुद्धि में कमी, सुनने में परेशानी और गंजापन आदि को दूर करने में भी नीलम काफी फायदेमंद माना जाता है. नीलम पहनने से कम दिखाई देने और कम सुनाई देने की शक्ति में सुधार आता है. पागलपन या मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं में नीलम की भस्म चमत्कारी असर दिखाती है.

5. पन्ना (Emerald)

Emerald

पन्ना गहरे हरे रंग का रत्न होता है, जो बुध ग्रह (Mercury) से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है. कहते हैं कि अगर कोई पन्ना गिफ्ट में दे दे, तो यह अच्छे भाग्य का संकेत होता है. पन्ना पहनने से दिमाग की ताकत बढ़ती है, जिससे पढ़ाई-लिखाई और काम में मन लगने लगता है. पन्ना गर्भवती महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. कहते हैं कि इसे पहनने से प्रसव या डिलीवरी के समय ज्यादा तकलीफ नहीं होती. इसी के साथ, यह ब्लड प्रेशर को सही रखता है और मानसिक तनाव को भी कम करता है.

8. गोमेद (Onyx)

Onyx

काले रंग का रत्न गोमेद या ओनेक्स राहु (Rahu) का रत्न है. इस रत्न में राहु की शक्तियां और गुण मौजूद होते हैं. गोमेद राहु की नेगेटिव ऊर्जा को पॉजिटिव ऊर्जा में बदल देता है, जिससे राहु के बुरे असर से रक्षा होती है. इसी के साथ यह कालसर्प दोष से भी बचाता है. कहते हैं कि जिन लोगों का स्वास्थ्य अक्सर खराब रहता है, उन्हें गोमेद पहनना चाहिए, इससे कई तरह की बीमारियां जल्दी ठीक हो जाती हैं और सेहत में सुधार आता है. इसी के साथ, गोमेद पहनने से डर लगने की समस्या भी दूर होती है, आत्मविश्वास बढ़ता है और काम करने की ताकत मिलती है. गोमेद से पेट और पाचन से जुड़ी समस्या, चर्मरोग, क्षय रोग और कफ-पित्त की समस्या से भी राहत मिलती है. आयुर्वेद के अनुसार, गोमेद के भस्म का सेवन करने से शारीरिक ताकत बढ़ती है और बुद्धि का विकास होता है.

9. लहसुनिया (Cat’s eye Chrysoberyl)

Cat's eye Chrysoberyl

जैसे राहु के बुरे प्रभावों को कम करने के लिए गोमेद, उसी तरह केतु (Ketu) के अच्छे प्रभाव प्राप्त करने के लिए लहसुनिया (Lehsunia) पहना जाता है. यह रत्न मन को शांति देने वाला माना गया है. इससे तनाव दूर होता है और दिमाग बढ़ता है. लहसुनिया के असर से मानसिक और शारीरिक कष्ट दूर होते हैं, साथ ही डिप्रेशन, लकवा, ठंड लगने की समस्या, अस्थमा और कैंसर जैसी बीमारियों में भी यह फायदेमंद माना जाता है. इसे पहनने से रात में डरावने सपने नहीं आते.

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About Sonam Agarwal 237 Articles
LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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