क्या प्राचीन भारत में कोई मनुष्य मांस नहीं खाता था? मांसाहार को लेकर क्या थे नियम?
ब्राह्मण ने व्याध से कहा- “तात! यह मांस बेचने का काम निश्चय ही तुम्हारे योग्य नहीं है. मुझे तो तुम्हारे इस घोर कर्म से बहुत संताप हो रहा है…” […]
ब्राह्मण ने व्याध से कहा- “तात! यह मांस बेचने का काम निश्चय ही तुम्हारे योग्य नहीं है. मुझे तो तुम्हारे इस घोर कर्म से बहुत संताप हो रहा है…” […]
“पुष्कर जाना कठिन है, पुष्कर में तप करना अत्यंत कठिन है, और पुष्कर में दान देने का सुयोग तो और भी कठिन है, और उसमें निवास का सौभाग्य तो अत्यंत ही कठिन है….” […]
एक वर्ष को चार ऋतुओं में बांटा गया है- वसंत, ग्रीष्म, शरद ऋतु और सर्दी (Spring, Summer, Autumn and Winter). गर्मी सबसे लंबे दिनों और सबसे गर्म तापमान वाला मौसम है, जबकि सर्दी इसके विपरीत होती है. […]
20वीं सदी के प्रसिद्ध खगोलशास्त्री एडविन पॉवेल हबल (Edwin Powell Hubble) ने भी यही कहा कि ब्रह्मांड स्थिर नहीं है, बल्कि इसका विस्तार हो रहा है. समय बीतने के साथ-साथ आकाशगंगाएं एक-दूसरे से दूर हो रही हैं. […]
अनेक स्थानों पर यह भी कहा गया है कि वेद पहले एक ही था, और महर्षि वेदव्यासजी ने उसके चार भाग किये थे. महाभारत तथा पुराणों में कई स्थानों पर इस ऐतिहासिक तथ्य का उद्घाटन किया गया है. […]
विज्ञान का एक अन्य सिद्धांत यह बताता है कि ब्रह्माण्ड का विस्तार (Expansion of universe) ही समय बीतने का या समय के आगे बढ़ने का कारण है. जैसे-जैसे ब्रह्मांड का विस्तार होता है, यह समय को अपने साथ खींचता है… […]
कार्य में सिद्धि प्राप्त होगी या असिद्धि, ऐसा संदेह मन में लेकर कर्म ही न किया जाए, तो यह उचित नहीं है, क्योंकि कई कारण एकत्र होने पर ही कर्म में सफलता मिलती है. पुरुषार्थ करने पर भी यदि सिद्धि प्राप्त न हो, तो इस बात को लेकर खिन्न नहीं होना चाहिए, क्योंकि फल की सिद्धि में पुरुषार्थ के सिवा दो और भी कारण होते हैं – […]
भीम हनुमान जी पूछते हैं- “वीर! आज आपके इस विराट स्वरूप को देखकर मुझे एक बात पर बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि आपके निकट रहते हुए भी भगवान् श्रीराम को क्यों रावण का सामना करना पड़ा? जबकि आप तो अकेले ही सभी योद्धाओं और वाहनों सहित समूची लंका को क्षणभर में नष्ट कर सकते थे. […]
“राजन्! पांडवों को इस भारतवर्ष के साम्राज्य का लोभ नहीं है. दुर्योधन तथा सुबलपुत्र शकुनि ही इसके लिए बहुत ललचाये हुए हैं. विभिन्न जनपदों के स्वामी भी इस भारतवर्ष के प्रति …. […]
चीलों (Eagle) को ऊँचाई से ही प्रेम है, धरातल से नहीं. ये जमीन की ओर तभी दृष्टिपात करते हैं, जब इन्हें कोई शिकार करना होता है. ये बड़े और शक्तिशाली शिकारी पक्षी हैं, जिनके भारी सिर और चोंच होते हैं… […]
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