Ozone Layer : ओजोन परत क्षरण के कारण, प्रभाव और समाधान
ध्रुवीय समतापमंडलीय बादलों को लंबे समय से अंटार्कटिक ओजोन विनाश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है. ये उच्च ऊंचाई वाले बादल केवल बहुत कम तापमान पर बनते हैं. […]
ध्रुवीय समतापमंडलीय बादलों को लंबे समय से अंटार्कटिक ओजोन विनाश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है. ये उच्च ऊंचाई वाले बादल केवल बहुत कम तापमान पर बनते हैं. […]
हवा द्वारा जलवाष्प को ग्रहण करने की क्षमता तापमान (Temperature) पर निर्भर होती है. हवा के तापमान के बदलने के साथ ही आर्द्रता को ग्रहण करने की क्षमता बढ़ती या घटती है. […]
आकाश का रंग नीला क्यों है? समुद्र का रंग नीला क्यों होता है? सूर्योदय या सूर्यास्त के समय आकाश लाल क्यों दिखाई देता है? क्या अन्य ग्रहों पर भी आकाश नीला है? […]
भारत ने 22 अक्टूबर 2008 को पहले चंद्र मिशन के तहत चंद्रयान-1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था. इस मिशन से पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चन्द्रमा के रहस्यों को जानने में न सिर्फ भारत को मदद मिली, बल्कि दुनिया के वैज्ञानिकों के ज्ञान में भी विस्तार हुआ. […]
प्राचीन वेद धर्मग्रन्थ वैदिक संस्कृत (Sanskrit) में लिखे गए हैं, जो कि सबसे प्राचीन प्रामाणिक भाषा है. संस्कृत का सबसे प्राचीन अर्थात वेदकालीन व्याकरण ‘वैदिक व्याकरण’ कहलाता है. यह पाणिनी की व्याकरण से कुछ अलग था. […]
उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone) बड़े विनाशकारी होते हैं. ये ग्रीष्मकाल में उत्पन्न होते हैं. ग्रीष्म काल के उत्तरार्ध या शरद ऋतु के पूर्वार्ध में ये भारत के तटीय भागों में बहुत हानि पहुंचाते हैं. समुद्री मछुआरों के जान-माल की बड़ी क्षति होती है. […]
28 मई, 2023 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने भारत के नये संसद भवन का उद्घाटन किया, जो सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है. […]
अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग मात्रा में लवणता पाई जाती है. भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर सामान्य रूप में लवणता में कमी आती जाती है. वॉन झील तथा मृत सागर में अधिक लवणता के कारण जल का घनत्व इतना बढ़ गया है कि यहां मनुष्य डूब नहीं सकता. […]
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा इस किले में जिन निर्धारित स्थानों पर खुदाई और सर्वेक्षण का कार्य इस समय चल रहा है, उसमें यह पता चला है कि दिल्ली के पुराने किले का प्राचीन अस्तित्व महाभारत काल के समय का हो सकता है. […]
लहरें एक-दूसरे को धकेलती हुई आगे बढ़ती हुई दिखाई देती हैं, जबकि ये लहरें अपनी ही जगह पर ऊपर-नीचे होती रहती हैं. ये केवल तटों पर आगे बढ़कर समाप्त हो जाती हैं. […]
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