Ganesh Chaturthi Puja Vidhi : घर पर भगवान गणेश जी की स्थापना और पूजा से पायें आशीर्वाद

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गणेश चतुर्थी स्थापना विधि

Ganesh Chaturthi Puja Vidhi

गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का पर्व भाद्रपद शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. इसी दिन माता पार्वती जी ने भगवान श्री गणेश जी को अपने पुत्र रूप में प्रकट किया था. गणेश चतुर्थी पूजा की अवधि करीब 10 दिन की होती है. यह अवधि अनंत चतुर्दशी तक चलती है.

इस दौरान भगवान श्री गणेश जी पृथ्वी पर निवास करते हैं, इसलिए इस समय का सदुपयोग करते हुए ये दस दिन भगवान गणेश जी की उपासना-आराधना में लगाना चाहिए. भगवान गणेश जी की मन से की गई पूजा कभी खाली नहीं जाती.

जानिए- भगवान गणेश जी का स्वरूप

भगवान गणेश जी की पूजा बहुत सरल होती है. गणेश जी को मनाना भी बहुत आसान होता है. ये भक्तों के प्रेम और श्रृद्धा से बड़ी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. बस, गणेश जी की पूजा में सात्विकता और आचरण का ध्यान रखना है. हो सके तो गणेश जी के लिए सभी प्रसाद घर पर ही बनाएं और बहुत प्रेम से पूजा कर बड़े प्रेम से भोग लगाएं.

अगर घर पर गणेश जी की स्थापना कर रहे हैं, तो जितने दिन गणेश जी को बिठाएं, उतने दिन गणेश जी को अकेला न छोड़ें और अखंड दीपक का ध्यान रखें. रोज सुबह-शाम गणेश जी की पूजा और आरती करें.

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भगवान गणेश जी की प्रतिमा और पूजन सामग्री
अगर घर पर भगवान गणेश जी की स्थापना कर रहे हैं, तो मूर्ति बहुत बड़ी नहीं होनी चाहिए. मूर्ति पूरी तरह प्राकृतिक सामग्री से ही बनी होनी चाहिए. स्वयं मिट्टी के गणेश जी बनाकर उनकी पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है.

भगवान श्री गणेश जी की पीले रंग की मूर्ति और लाल रंग या रक्त वर्ण की मूर्ति सबसे शुभ मानी जाती है. चार भुजाओं वाले लाल रंग के गणपति को ‘संकटहरण गणपति’ कहा जाता है. इनकी पूजा से संकटों का नाश होता है.

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गणेश जी की प्रतिमा को सुबह या दोपहर में स्थापित करें और पूजा में कलश भी जरूर स्थापित करें. गणेशजी की चौकी उत्तर-पूर्व दिशा में ही रखें. कलश को उत्तर दिशा में रखना चाहिए. चतुर्थी की रात चंद्रमा को अर्घ्य देते समय चन्द्रमा को देखें नहीं.

गणेश जी को पीले गेंदे के फूल, गुड़हल के फूल चढ़ाएं. गणेश जी को मोदक, मोतीचूर के लड्डू, पंचमेवा, गुड़ और घी, दूर्वा, पान, सुपारी आदि चढ़ाएं.

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गणेश चतुर्थी की पूजा-विधि
(Ganesh Chaturthi Puja Vidhi)

सुबह नहा-धोकर, साफ वस्त्र पहनकर पूजा स्थान को यथाशक्ति सजाएं. जिस स्थान पर गणेश जी की स्थापना करनी है, वहां आटे से एक अल्पना या रंगोली बनाए (जिसे चौक पूरना भी कहते हैं). उस रंगोली के ऊपर एक चौकी या पटा रखें. उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं. इसके बाद चौकी पर एक मुट्ठी चावल रखें और उस पर अपने भगवान गणेश जी को प्रेम से बिठाएं.

कलश स्थापना- अब गणेश जी के एक तरफ चावल का ढेर बनाकर उस पर कलश स्थापना करें. इसके लिए कलश पर स्वास्तिक जरूर बनाएं, उस पर मौली या कलावा बांधें. इस कलश को चावल के ढेर पर रख दें. इसके बाद कलश में जल भरें और कुछ बूंदें गंगाजल की भी डालें. उसमें एक सुपारी डालें, एक सिक्का डालें, एक हल्दी की गांठ डालें. इसके बाद कलश में 5 या 7 आम के पत्ते डालें और उस पर नारियल रखें. नारियल में भी कलावा बांधें और रोली से तिलक या टीका लगाएं और हाथ जोड़कर प्रार्थना करें.

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आचमन- पूजा शुरू करने से पहले हाथ जोड़कर मन ही मन अपने गुरु का ध्यान करें (अगर कोई गुरु नहीं है, तो गायत्री माता का ध्यान किया जा सकता है और श्री गणेश जी तो हैं ही प्रथम देवता). इसके बाद तीन बार आचमन करें. इसके लिए अपने मंदिर में रखे जल में से एक चम्मच जल लेकर अपनी दायीं हथेली पर डालें और उसे श्रद्धापूर्वक पी लें. ऐसा तीन बार करें. इस दौरान ‘ॐ गं गणपतये नमः’ या ‘ॐ श्री गणेशाय नम:’ आदि मंत्रों का जप करें. इसके बाद हाथों से माथे और कानों को छूकर प्रणाम करें.

पूजा का संकल्प- इसके बाद अपनी उस हथेली को धोकर उसी हथेली में थोड़े से चावल, जल और फूल लें और आँखें बंद करके भगवान श्रीगणेश जी का ध्यान करें और पूजा का संकल्प लें. आँखें बंदकर अपना नाम, गोत्र आदि बोलकर भगवान श्रीगणेश जी से प्रार्थना करें कि, “मैं पूरे विधि-विधान से आपकी पूजा-अर्चना करना चाहती/चाहता हूं. कृपया मेरी प्रार्थना स्वीकार करें.” (दरअसल, भगवान की पूजा करना बड़े भाग्य की बात होती है).

इसके बाद गणपति जी को गंगाजल से स्नान कराएं (एक गेंदे के फूल से गणेश जी पर जल के छींटे डालें). उन्हें वस्त्र, आभूषण, मौली, जनेऊ आदि अर्पित करें. उन्हें कुमकुम और अक्षत का तिलक लगाएं. गणेश जी को पंचमेवा का भोग लगाएं. गणेश जी को पांच मौसमी फल अर्पित करें. गणेश जी को केला और दूर्वा जरूर अर्पित करें. (गणेश जी की पूजा में तुलसी की प्रयोग नहीं करना चाहिए).

भगवान गणेश जी को मोदक, मोतीचूर के लड्डू, इलायची आदि अर्पित करें. गणेश जी को सुपारी भी जरूर अर्पित करें, क्योंकि सुपारी को गणेश जी का ही प्रतीक माना जाता है. पान के पत्ते में सुपारी रखिए और उसे लौंग से बंद करके गणेश जी को अर्पित करें. गणेश को पीले फूल या गेंदे के फूलों से बनी माला और पुष्प अर्पित करें.पूरी पूजा करने के दौरान ‘ॐ गं गणपतये नमः’ या ‘ॐ श्री गणेशाय नम:’ आदि मंत्रों का जप करते रहें.

गणेश जी के दायीं तरफ कुछ चावल रखकर उस पर एक अखंड दीपक जलाएं और प्रार्थना करें कि गणपति जी आपके घर में पधारें और आपके घर को खुशियों से भर दें. पूजा स्थान पर धूपबत्ती भी जलाएं और फिर गणेश जी की आरती करें. पूजा के अंत में हाथ जोड़कर गणेश जी से मन ही मन प्रार्थना करें कि, ‘अगर जाने-अनजाने पूजा में कोई भूल हो गई हो, तो उसके लिए क्षमा करें’. भगवान गणेश जी से अपनी मनोकामनाएं कहें, उनसे बुद्धि का वरदान मांगें और प्रार्थना करें कि हर साल उनकी पूजा करने का अवसर मिलता रहे.

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जानिए- रोज की पूजा में ध्यान रखी जाने वाली बातें


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