Parker Solar Probe : पार्कर ने सूर्य की दहलीज को किया पार, जानिए इस मिशन की महत्वपूर्ण बातें

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Parker Solar Probe

NASA Parker Solar Probe Mission in Hindi-

जिस धधकते सूर्य (Sun) से करोड़ों किलोमीटर दूर से भी कोई आंख नहीं मिला सकता, जिसके तेज प्रकाश या कड़ी धूप में धरती पर भी खड़ा होना मुश्किल होता है, आज इंसान की बनाई एक चीज ने उसी सूरज की दहलीज को पार कर लिया है… और अभी भी वह चीज रुकी नहीं, बल्कि सूर्य की सभी चुनौतियों से लड़ते हुए उसकी तरफ बढ़ती चली जा रही है.

ये चीज है, NASA का बनाया हुआ पार्कर यान (Parker Solar Probe), जो सूर्य के बारे में जानकारियां जुटाने के लिए साल 2018 में पृथ्वी से उड़ चला था और तब से वह बड़ी तेज रफ्तार से दौड़ लगाते हुए करोड़ों किलोमीटर की यात्रा कर सूर्य के नजदीक जाने की लगातार कोशिश कर रहा है, ताकि वहां से हमारे लिए सूर्य की ढेर सारी तस्वीरें और जानकारियां भेज सके.

हमसे करोड़ों किलोमीटर दूर जा चुका है पार्कर- 15 दिसंबर 2021 को नासा ने बताया कि उसके पार्कर यान ने सूर्य के वायुमंडल की ऊपरी परत ‘कोरोना’ में प्रवेश कर लिया है, जहां का तापमान लगभग 20 लाख डिग्री सेल्सियस है. अभी यह यान सूर्य से करीब 2.4 करोड़ किलोमीटर दूर है, जबकि पृथ्वी से सूर्य की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है. अब आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि पार्कर यान साल 2018 से अब तक अंतरिक्ष में कितनी लंबी दूरी तय कर चुका है. अभी इस यान का सूर्य की सतह के और करीब जाना बाकी है.

Parker Solar Probe

पार्कर को सूर्य के पास क्यों भेजा गया?

पार्कर वह पहली मानव निर्मित वस्तु है, जिसने सूर्य के कोरोना (Corona) में प्रवेश किया है. आप कह सकते हैं कि पार्कर ने धधकते सूर्य को छू लिया है. मानव इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है. पार्कर यान को सूर्य के पास भेजने के पीछे वैज्ञानिकों का उद्देश्य सूर्य से जुड़ी उन अनसुलझी पहेलियों को हल करना है, जिनका जवाब आज तक नहीं मिल पाया है.

दरअसल, ये बात आज तक सभी वैज्ञानिकों को परेशान कर रही है, कि जब सूर्य की सतह का तापमान करीब 6,000 डिग्री सेल्सियस है, तो उसके वातावरण या वायुमंडल की सबसे ऊपरी परत ‘कोरोना’ का तापमान लगभग 20 लाख डिग्री सेल्सियस कैसे है? सूर्य से जुड़े कुछ ऐसे ही और भी सवाल हैं, जिनका पता आज तक वैज्ञानिकों को नहीं चल पाया है.

सूर्य से जुड़ीं इन्हीं पहेलियों को सुलझाने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने साल 2018 में अपना पार्कर सोलर प्रोब मिशन (Parker Solar Probe mission) लॉन्च किया था. पार्कर सोलर प्रोब यान सूर्य के नजदीक पहुंचने वाला पहला मानव निर्मित यान बन चुका है, जो सूर्य की करीब से तस्वीरें भेजकर उससे जुड़े कई सवालों का जवाब ढूंढने में मदद करेगा. आइए अब इसके बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं-

पार्कर सोलर प्रोब मिशन (Parker Solar Probe Mission)

मजबूत धातुओं से बनाकर मजबूती से कवर किया गया है यह यान- पार्कर सोलर प्रोब नासा की तरफ से अंतरिक्ष में चुंबकीय बल, सूर्य के कोरोना और सौर हवाओं या सौर तूफानों का रहस्य जानने के लिए भेजा गया एक अंतरिक्ष यान (Spacecraft) है. इस यान की लंबाई 1 मीटर, ऊंचाई 2.5 मीटर, चौड़ाई 3 मीटर और वजन 684.92 किलोग्राम है.

इस यान का कप टंगस्टन, नियोबियम और मालिब्डेनम जैसी मजबूत धातुओं से तैयार किया गया है. सूर्य के अत्यधिक ताप से बचाने के लिए इस यान को स्पेशल धातु के 4.5 इंच मोटे कवच से कवर भी किया गया है. इसका शील्ड, फाइबर और ठोस कार्बन ग्रेफाइट से तैयार किया गया है.

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सबसे मजबूत रॉकेट से भेजा गया था पार्कर को- यह यान साल 2015 में भेजा जाना था, लेकिन देरियों के चलते यह 12 अगस्त 2018 को अंतरिक्ष में भेज दिया गया. इस मिशन को फ्लोरिडा में स्थित नासा के केप केनेडी स्पेस सेंटर से दुनिया के सबसे मजबूत रॉकेट में शामिल डेल्टा-4 की मदद से लॉन्च किया गया था. पार्कर सोलर प्रोब से मिलीं जानकारियां सूर्य को समझने में मदद करेंगी, जिससे सूर्य और पृथ्वी के बीच के कई पहलुओं को समझने में सहायता मिल सकती है.

नासा के ‘लिविंग विद ए स्टार’ का हिस्सा है पार्कर- नासा के इस यान का नाम पहली बार किसी जीवित वैज्ञानिक (फिजिसिस्‍ट यूजीन न्‍यूमैन पार्कर) के नाम पर रखा गया है. दरअसल, यूजीन पार्कर ने ही सबसे पहले साल 1958 में अंतरिक्ष के सौर तूफानों के बारे में बताया था. पहले इस यान का नाम सोलर प्रोब प्लस (Solar Probe Plus) रखा गया था. पार्कर सोलर प्रोब मिशन नासा के ‘लिविंग विद ए स्टार’ (Living with a Star) प्रोग्राम का हिस्सा है.

पार्कर 28 अप्रैल को कोरोना से होकर गुजरा था…

पार्कर यान से मिले डेटा के आधार पर नासा ने बताया है कि पार्कर 28 अप्रैल को कम से कम तीन बार सूर्य के कोरोना से होकर गुजरा था. एक बार तो वह 5 घंटे वहीं रहा था. वहां से आए डेटा का पहले पूरा एनालिसिस किया गया, जिसके बाद ही इस उपलब्धि को सार्वजनिक किया गया है. 14 दिसंबर को नासा ने यह बताया है कि उनके पार्कर यान ने सूर्य के कोरोना में सफलतापूर्वक प्रवेश कर लिया है.

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Credits : NASA’s Goddard Space Flight Center/Mary P. Hrybyk-Keith

पार्कर की स्पीड- अप्रैल 2021 में पार्कर यान की रफ्तार (Speed) 147.7 किलोमीटर प्रति सेकेंड थी, नवंबर 2021 में इसकी स्पीड 163 किलोमीटर प्रति सेकेंड थी…. और साल 2024 में पार्कर की स्पीड 192 किलोमीटर प्रति सेकेंड होने की संभावना है.

अभी और आगे तक जाना है पार्कर को- सूर्य के नजदीक पहुंचने के लिए पार्कर यान शुक्र ग्रह (सूर्य से दूसरे नंबर का और सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह) के 7 चक्कर लगाएगा. पार्कर सोलर प्रोब साल 2025 में सूर्य की सतह से बेहद नजदीक होगा. उस समय यह सूर्य की सतह से करीब 61.6 लाख किलोमीटर दूर होगा….तब पार्कर का क्या होगा, ये अभी नासा ने नहीं बताया है.


सूर्य (Sun) से जुड़ीं कुछ मुख्य बातें-

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हमारे सौरमंडल (Solar System) में मुख्य रूप से सूर्य, 8 ग्रह और उनके उपग्रह हैं. सूर्य सौरमंडल के केंद्र में है और यही सौरमंडल का सबसे बड़ा पिंड (Largest Body in Solar System) है. सभी आठों ग्रह इसकी परिक्रमा करते रहते हैं. सभी ग्रहों में बुध सूर्य के सबसे नजदीक है और वरुण सूर्य से सबसे दूर.

सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational force) के कारण सौरमंडल के सभी ग्रह, उपग्रह और अन्य पिंड उससे बंधे हुए हैं और उसके चारों तरफ परिक्रमा करते रहते हैं. सूर्य को सभी ग्रहों का राजा (King of planets) कहा जाता है.

सूर्य का व्यास (Diameter) करीब 13 लाख 92 हजार 700 किलोमीटर है, जो पृथ्वी से लगभग 109 गुना ज्यादा है. सूर्य पृथ्वी के सबसे निकट का तारा है.

सूर्य पृथ्वी से 14 करोड़ 95 लाख 98 हजार 900 किलोमीटर दूर है. 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड की तेज रफ्तार से चलते हुए सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने में 8 मिनट 20 सेकंड का समय लगता है.

सूर्य 251 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से दौड़ लगाते हुए हमारी आकाशगंगा मिल्की-वे (Milky Way Galaxy) के केंद्र की परिक्रमा कर रहा है. सूर्य को मिल्की-वे की एक परिक्रमा पूरी करने में 22 से 25 करोड़ साल लग जाते हैं.

sun internal structure
Sun Internal Structure

क्या है सूर्य का कोरोना- सूर्य का चमकता हुआ भाग जो हमें दिखाई देता है, उसे प्रकाशमंडल (Photosphere) या सूर्य की सतह कहते हैं. इसका तापमान 6,000 डिग्री सेल्सियस होता है. प्रकाशमंडल (सूर्य की सतह) की ऊपरी सतह से सूर्य के वायुमंडल या वर्णमंडल (Chromosphere) की शुरुआत होती है.

सूर्य का सबसे बाहरी भाग प्रभामंडल या कोरोना (Corona) या ‘सूर्य किरीट’ वर्णमंडल (सूर्य का वायुमंडल) के ऊपर होता है. कोरोना का तापमान करीब 20 लाख डिग्री सेल्सियस है. सूर्य का कोरोना बाहरी अंतरिक्ष में लाखों किलोमीटर तक फैला हुआ है और इसे सूर्य ग्रहण के समय आसानी से देखा जाता है.

क्या हैं सौर तूफान- सूर्य की सतह पर बड़े पैमाने के विस्फोट होते हैं. इस दौरान कुछ हिस्से बेहद तेज प्रकाश के साथ बहुत सारी मात्रा में ऊर्जा या एनर्जी छोड़ते हैं, इसे ‘सन फ्लेयर’ कहा जाता है. सूरज की सतह से निकलने वाली ये ऊर्जा या हवा पूरे अंतरिक्ष में फैल जाती है. इसे ही सौर तूफान (Solar Storm) कहा जाता है. इस ऊर्जा में जबरदस्त न्यूक्लियर रेडिएशन होता है, जो इसे सबसे ज्यादा खतरनाक बनाता है.

हालांकि, पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र ऐसे सौर तूफानों से धरती की रक्षा करता है. सौर तूफान का असर पूरे सौरमंडल पर भी देखा गया है. इस तरह की घटना के अध्ययन से वैज्ञानिकों को सूर्य, सौरमंडल और ब्रह्मांड को समझने में मदद मिल सकती है.


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About Sonam Agarwal 237 Articles
LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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