क्या है मोदी सरकार की चार धाम परियोजना, इस प्रोजेक्ट से क्या हैं लाभ और क्या था मुख्य विवाद

All Weather Road Project, Char Dham Project is to connect the Chardham pilgrimage centers in the Himalayas or the Char Dhams of Uttarakhand- Kedarnath, Badrinath, Gangotri and Yamunotri through highways
Char Dham project

Char Dham Project in Hindi-

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार की लगभग 900 किलोमीटर लंबी चार धाम परियोजना (Char Dham project) को अनुमति दे दी है. इस फैसले के बाद उत्तराखंड में चीन की सीमा तक डबल लेन हाईवे बनाने का रास्ता साफ हो गया है. केंद्र सरकार ने अपनी इस परियोजना को लेकर छोटा चार धाम में कनेक्टिविटी में सुधार के साथ-साथ सीमा सुरक्षा का भी हवाला दिया था. सरकार ने चीन की सीमा तक पहुंच को आसान बनाने के लिए तीन सड़कों को चौड़ा करने की अनुमति मांगी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि “राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी परियोजनाओं की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती है. ‘ऑल वेदर हाईवे प्रोजेक्ट’ के तहत सड़क की चौड़ाई बढ़ाने (5.5 मीटर से बढ़ाकर 10 मीटर करने की) और डबल लेन हाईवे बनाने में रक्षा मंत्रालय की कोई दुर्भावना नहीं है”. वहीं, केंद्र सरकार ने भी कहा है कि “इस प्रोजेक्ट को लेकर जो भी पर्यावरणीय चिंताएं हैं, उनका पूरा ध्यान रखा जाएगा. पर्यावरण की रक्षा के लिए दिए गए सभी सुझावों का पालन किया जाएगा”.

चारधाम परियोजना (Chardham Project)

ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट (All Weather Road Project) या चार धाम परियोजना का उद्देश्य हिमालय में चारधाम तीर्थस्थलों (उत्तराखंड के चार धाम) केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को हाईवे के जरिए आपस में जोड़ना और कनेक्टिविटी में सुधार करना है. इससे इन धामों की यात्रा सुरक्षित, तेज और ज्यादा सुविधाजनक तरीके से हो सकेगी. इस पूरे प्रोजेक्ट पर 12 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे.

बता दें कि ‘ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट’ का ही नाम बदलकर ‘चारधाम प्रोजेक्ट’ कर दिया गया है. इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 27 दिसंबर 2016 में हुई थी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने देहरादून के परेड ग्राउंड में इस परियोजना की आधारशिला रखी थी.

इस प्रोजेक्ट के तहत, तीर्थ स्थलों और कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग (नेशनल हाईवे-125) के टनकपुर-पिथौरागढ़ सेक्शन को जोड़ने वालीं लगभग 900 किलोमीटर (889 किलोमीटर) सड़कों को बनाया और हाईवे को चौड़ा किया जा रहा है. 900 किलोमीटर लंबी इस सड़क पर कई बाईपास, छोटे-बड़े पुल, पुलिया और फ्लाई ओवर बनाए जा रहे हैं. इस प्रोजेक्ट से उत्तराखंड (Uttarakhand) में सड़कों का जाल बिछ जाएगा.

इस प्रोजेक्ट के तहत, ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग तक 140 किलोमीटर, रुद्रप्रयाग से माणा गांव तक 160, ऋषिकेश से धरासू तक 144, धरासू से गंगोत्री तक 124, धरासू से यमुनोत्री तक 95, रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड तक 76 और टनकपुर से पिथौरागढ़ तक 150 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण किया जाना है.

इस प्रोजेक्ट के तहत अब तक- 637 किलोमीटर लंबी सड़क को बनाए जाने की अनुमति दी जा चुकी है. 560 किलोमीटर दूरी का सड़क निर्माण काम पूरा हो चुका है और 252 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कार्य रुका रहा था. रक्षा मंत्रालय ने अपनी याचिका में गंगोत्री, बद्रीनाथ और पिथौरागढ़ नेशनल हाईवे के सामरिक महत्व को बताया है, जिस कारण ही सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट के लिए अनुमति दे दी.

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चार धाम प्रोजेक्ट के लाभ-

राष्ट्रीय सुरक्षा में भूमिका- इस प्रोजेक्ट से चौड़ी और अच्छी क्वालिटी की सड़कों से चीन की सीमा (China Border) तक सुरक्षा बलों की पहुंच आसान हो जाएगी. सड़क को इस तरह बनाया जा रहा है कि सेना किसी भी मौसम में बॉर्डर तक पहुंच जाएगी. यानी इस प्रोजेक्ट से भारतीय सेना चीनी सीमा पर तेजी से तैनाती कर सकती है, जिससे सीमा सुरक्षा में सुधार हो सकता है.

सेना की भारी मशीनों और हथियारों को सड़क के रास्ते जल्द ले जाया सकेगा. इससे किसी भी आपात स्थिति से निपटने में सहायता मिलेगी. यह प्रोजेक्ट रणनीतिक सड़कों (strategic road) के रूप में काम कर सकता है, जो भारत-चीन सीमा को देहरादून और मेरठ में सेना के कैंपों से जोड़ती है, जहां मिसाइल बेस और भारी मशीनरी मौजूद हैं.

हम इन सड़कों के निर्माण में नहीं डाल सकते रुकावट : सुप्रीम कोर्ट

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि “तीनों हाईवे देहरादून और मेरठ के आर्मी कैंप (Army Camps) को चीन की सीमा से जोड़ते हैं. यानी किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए हमें पहले से ही तैयार रहने की जरूरत है. हम 1962 की तरह सोए नहीं रह सकते”. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “पहाड़ी इलाकों में बन रहीं जिन सड़कों का इस्तेमाल सेना या सशस्त्र बल करेंगे, वे सड़कें बाकी सड़कों की तरह नहीं हैं. इसलिए हम इन सड़कों के बनाए जाने में रुकावट नहीं डाल सकते.”

पर्यटन को बढ़ावा, यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित- इस प्रोजेक्ट से, सड़क बन जाने से चारों धामों की कनेक्टिविटी में सुधार होगा, जिससे यात्री अपने ही साधन से चार धाम की यात्रा कर सकेंगे. इस परियोजना से उत्तराखंड में पर्यटकों, तीर्थयात्रियों और अन्य यात्रियों की संख्या बढ़ जाएगी, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. छोटा चार धाम में पर्यटकों, तीर्थयात्रियों और अन्य यात्रियों की बड़ी संख्या हर साल आती है. उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा सड़कों और राजमार्गों (highways) में सुधार होगा.

चार धाम प्रोजेक्ट को लेकर क्या था विवाद-

चार धाम प्रोजेक्ट को लेकर एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) ‘सिटीजन फॉर ग्रीन दून’ और अन्य NGOs ने पर्यावरण से जुड़ीं चिंताओं का हवाला देते हुए सड़कों के विस्तार का विरोध किया था और इसे लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में याचिका दायर की थी. इसके बाद NGOs ने साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.

NGOs का कहना है कि इस प्रोजेक्ट से पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए प्रोफेसर रवि चोपड़ा की अध्यक्षता में 25 सदस्यों की हाई पॉवर कमेटी (HPC) की नियुक्ति कर दी थी. इस संगठन का कहना है कि-

♣ इस प्रोजेक्ट से लगभग 55,000 पेड़ों के साथ करीब 690 हेक्टेयर वनों के खत्म होने की संभावना है, साथ ही 20 मिलियन क्यूबिक मीटर मिट्टी भी प्रभावित हो सकती है.

♣ सड़कों के विस्तार से पेड़ों की कटाई होगी, जिससे जैव विविधता और क्षेत्रीय पारिस्थितिकी के लिए खतरा पैदा हो सकता है. यहां कई पक्षियों की अलग-अलग प्रजातियां पाई जाती हैं, उनके लिए भी खतरा उत्पन्न हो सकता है.

♣ हालांकि, NGO ने माना कि हाल ही में घटी चमोली की ग्लेशियर हादसे का चारधाम प्रोजेक्ट से कोई संबंध नहीं है, लेकिन सड़क निर्माण के चलते मिट्टी और चट्टानों में दरारें आ जाती हैं, जिससे भविष्य में बाढ़ की संभावना बढ़ सकती है.

♣ हालांकि, सरकार ने इस प्रोजेक्ट में लगे ठेकेदारों को अगले निर्माण स्थल पर जाने से पहले ढलानों का इलाज करने का आदेश दिया था, लेकिन यह पाया गया कि ज्यादातर ने ऐसा नहीं किया था. इससे बार-बार भूस्खलन (Landslides) की संभावना बढ़ गई थी.

छोटा चारधाम (Chota Chardham)

छोटा चारधाम (Chhota Chardham) या हिमालय में चारधाम या उत्तराखंड के चार धाम हिमालय पर्वतों में स्थित पवित्र तीर्थस्थलों में से एक हैं. ये उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल डिवीजन में उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों में स्थित हैं. इस सर्किट के चार धाम हैं- बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री, जिनमें से बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham), भारत के चार मुख्य धामों (पुरी, रामेश्‍वरम, द्वारका और बद्रीनाथ) का भी उत्तरी धाम है. इन चारों धामों की ही यात्रा बेहद कठिन है, जिसके लिए करीब 4 हजार मीटर से भी ज्‍यादा ऊंचाई तक की चढ़ाई करनी पड़ती है.

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