Jalebi : श्रीराम के जन्म के समय राज्यभर में बंटवाई गई थीं ‘कर्णशष्कुलिका’, जानिए ये रोचक इतिहास

jalebi khane ke fayde, jalebi ka itihaas, jalebi benefits in hindi, shri ram jalebi, jalebi history in hindi, jalebi banane ki vidhi
Jalebi History and Jalebi Benefits : भगवान श्रीराम और जलेबी

Jalebi ka Itihaas or Jalebi khane ke fayde

जलेबी (Jalebi) प्राचीन समय से ही भारतीयों की सबसे पसंदीदा मिठाइयों में से एक रही है. यह भारत की ही मिठाई है और यहीं से पूरी दुनिया में लोकप्रिय हुई. जलेबी कितनी पुरानी मिठाई है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि भारत की कई प्राचीन किताबों में अलग-अलग नामों से जलेबी का जिक्र जरूर किया गया है. कई संतों ने जलेबी का रिश्ता आदिकाल से बताया है. दुनिया के सबसे पवित्र नगरों में से एक अयोध्या (Ayodhya) में तो जलेबी हमेशा से ही बेहद लोकप्रिय रही है, क्योंकि यह कोई ऐसी-वैसी मिठाई नहीं, बल्कि भगवान श्रीराम जी (Shri Ram) की पसंदीदा मिठाइयों में से एक है.

भगवान श्रीराम को भी बहुत पसंद है ‘कर्णशष्कुलिका’

जब-जब अयोध्या में खुशियां छाईं, तब-तब वहां के निवासियों ने जलेबियों से ही अपना मुंह मीठा किया है, फिर चाहे भगवान श्रीराम का जन्म हो, या उनके द्वारा रावण का वध करके वापस अयोध्या लौटना हो. कहा जाता है कि भगवान श्रीराम के जन्म के समय महल में बनीं ‘कर्णशष्कुलिका’ (Karnashkulika) पूरे राज्य में बंटवाई गई थीं…. और स्वयं श्रीराम को भी ‘कर्णशष्कुलिका’ का स्वाद बहुत पसंद है. पुराने समय में ‘कर्णशष्कुलिका’ या ‘शष्कुली’, जलेबियों को ही कहा जाता था.

‘शष्कुली’ खाए बिना अधूरा है दशहरे का त्योहार

कई पौराणिक कथाओं में भी इस बात का जिक्र मिलता है कि ‘कुण्डलिनी’ या ‘शष्कुली’ भगवान श्रीराम की पसंदीदा मिठाइयों में से एक थी. इसीलिए जब श्रीराम रावण का वध करके अयोध्या वापस आए, तो लोगों ने उन्हीं की पसंदीदा मिठाई से मुंह मीठा किया और ‘जय श्रीराम’ के जयकारे लगाए… और तभी से दशहरे (Dussehra) पर भी जलेबी खाने का रिवाज बन गया. उत्तर और मध्य भारत में रावण दहन के बाद लोग जलेबी खाना नहीं भूलते. कहते हैं कि जलेबी खाए बिना दशहरा अधूरा है.

jalebi making

किन-किन किताबों में जलेबी का किन नामों से हुआ जिक्र?

भोजनकुतूहल- मराठा ब्राह्मण पंडित रघुनाथ सूरी ने 17वीं शताब्दी में ‘भोजनकुतूहल’ (Bhojankutuhalam) नाम से एक किताब लिखी थी, जिसमें भोजन से संबंधित सभी जानकारियां दी गई हैं और यह किताब पाक कला और आयुर्वेद का एक आदर्श मिश्रण मानी जाती है. इस किताब में भी श्रीरामजन्म के समय प्रजा में जलेबियां बंटवाने का जिक्र किया गया है. कई जगह जलेबी को ‘शष्कुली’ (Shashkuli) ही लिखा गया है.

भावप्रकाश- प्राचीन भारतीय औषधि-शास्त्र के अंतिम आचार्य कहे जाने वाले भाव मिश्र द्वारा लिखे गए प्रसिद्ध आयुर्वेदिक ग्रन्थ ‘भावप्रकाश’ (Bhavprakash) के कुछ श्लोकों में जलेबी को बनाने की विधि और उसके फायदों के बारे में बताया गया है. भावप्रकाश के अनुसार, “जलेबी कुण्डलिनी को जगाने वाली, पुष्टि, कांति और बल देने वाली, धातुवर्धक, वीर्यवर्धक, रुचिकारक और इंद्रिय सुख और रसेंद्रिय को तृप्त करने वाली होती है”.

Bhavprakash jalebi

घुमंतू लेखक शरदचंद्र पेंढारकर ने भी जलेबी का प्राचीन भारतीय नाम ‘कुण्डलिका’ (Kundalika) बताया है. संस्कृत में लिखी ‘गुण्यगुणबोधिनी’ किताब में भी जलेबी बनाने की विधि बताई गई है. जैन धर्म के ग्रन्थ ‘कर्णपकथा’ में जलेबी भगवान महावीर को नैवेद्य लगाने वाली मिठाई बताया गया है. वहीं, तुर्की के मोहम्मद बिन हसन की तरफ से अरबी भाषा में लिखी गई ‘किताब-अल-तबिक’ में जलेबी को ‘जलाबिया’ लिखा गया है.

एक जलेबी के इतने नाम…

जलेबी से ही पता चलता है कि कभी-कभी उलझनें भी कितनी मीठी होती हैं. जलेबी हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं, हालांकि, अब तो यह अंतरराष्ट्रीय व्यंजन या मिठाई बन चुकी है. लगभग हर जगह के लोग दूध, दही या रबड़ी के साथ रसभरी, गोल-गोल घुमावदार जलेबियां बड़े चाव से खाते हैं.

बंगाल में पनीर की, बिहार में आलू की, मध्य प्रदेश में मावा की जलेबी बहुत पसंद की जाती है. वहीं, आजकल कई जगहों पर उड़द की दाल और चावल के आटे की जलेबियों का भी बहुत चलन है. इंदौर की भारी और ज्यादा घुमावदार जलेबी पूरे भारत में प्रसिद्ध है…. लेकिन बनाने के तरीकों से भी कहीं ज्यादा इसके नाम हैं… जैसे जिसे जो ठीक लगा सो कह दिया.

हिंदी में जलेबी को ‘जलवल्लिका’ कहा जाता है, यानी ये भी इसका भारतीय नाम है. जलेबी को संस्कृत में ‘कुण्डलिनी’, आदिकाल में ‘शष्कुली’, अंग्रेजी में ‘सिरप फील्ड रिंग‘, महाराष्ट्र में ‘जिलबी’, बंगाल में ‘जिलपी’ और अरबी में ‘जलेबी’ ही कहा जाता है. कहते हैं कि जलेबी में जल तत्व की अधिकता होने से इसे ‘जलेबी’ नाम दिया गया है.

जलेबी खाने के बताए गए हैं ये आश्चर्यजनक फायदे (Jalebi khane ke fayde)

doodh jalebi

क्या मीठा खाने के भी फायदे हो सकते हैं? हां… हो सकते हैं, लेकिन तभी जब मीठा लिमिट में और सही तरीके से खाया जाए. और फिर हर तरह की मिठाई तो सेहत के लिए फायदेमंद नहीं होती, लेकिन पुराने समय में जलेबियों को बनाने का जो तरीका बताया गया है, वह सेहत के लिए अच्छा माना गया है. कई प्राचीन किताबों में जलेबी को औषधीय मिठाई का दर्जा दिया गया है. इसे खाने के कई तरह के शारीरिक, मानसिक और अध्यात्मिक फायदे बताए गए हैं-

जलेबी खाने के अध्यात्मिक फायदे- जलेबी (जल+एबी) शरीर में मौजूद जल के ऐब यानी दोष को दूर करती है. इसकी बनावट शरीर की कुण्डलिनी चक्र के जैसी होती है. अघोरी संतों के अनुसार, जलेबी खाने से शरीर में अध्यात्मिक शक्ति, सिद्धि और ऊर्जा का विकास होता है, जिससे स्वाधिष्ठान चक्र को जगाने में सहायता मिलती है.

ये भी कहा गया है कि जलेबी खाने से मन में दया, उदारता बढ़ती है, आत्मविश्वास बढ़ता है और पहचान भी बनती है. यहां तक कहा गया है कि जलेबी खाने से पंचमुखी महादेव, पांच फनवाले शेषनाग और पंचमुखी हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है.

कई बीमारियों में जलेबी खाने के फायदे- गांवों में लोग सुबह-सुबह गरमागरम दूध-जलेबी (Doodh-Jalebi) का नाश्ता करना पसंद करते हैं. कहा जाता है कि शुद्ध घी में बनीं गरमागरम दूध-जलेबी का सेवन करने से जुकाम में आराम होता है. दूध या दही के साथ गर्म जलेबियां त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ को दूर करने में सहायक हैं.

जिन लोगों को सिरदर्द की समस्या रहती हो, वे सुबह गर्म जलेबियों का सेवन करें और तुरंत पानी न पीयें तो उनके सभी तरह के मानसिक दोष खत्म हो जाते हैं. सुबह जलेबियों का सेवन करने से पीलिया और पांडुरोगों में भी आराम होता है.

गर्म जलेबियों को चर्म रोगों में भी फायदेमंद बताया गया है. पैरों की एड़ियां या बिवाई फटने की परेशानी में लगातार 21 दिनों तक जलेबियों का सेवन करने से आराम होता है.

आयुर्वेदिक ग्रन्थ ‘भावप्रकाश’ में जलेबी को कुण्डलिनी को जगाने वाली, शरीर को कांति और बल देने वाली और मन को प्रसन्न करने वाली मिठाई बताया गया है.

नोट- इस लेख में दी गई जानकारी कई किताबों पर आधारित है. कृपया, जिन लोगों का शुगर लेवल ज्यादा हो, या डायबिटीज के मरीज जलेबियों का सेवन न करें या, डॉक्टर या सही जानकार की सलाह से ही करें. इसी के साथ, किसी भी अच्छी चीज का सेवन सही मात्रा में ही करें. किसी भी चीज की अधिकता फायदे की जगह नुकसान ही पहुंचाती है.


Tags : jalebi khane ke fayde, jalebi ka itihaas, jalebi benefits in hindi, shri ram jalebi, jalebi history in hindi, jalebi banane ki vidhi, jalebi recipe, jalebi in ayodhya, jalebi on dussehra, indian sweet jalebi, indian sweet names, shashkuli in hindi, भगवान श्रीराम और जलेबी, जलेबी खाने के फायदे, जलेबी का इतिहास, जलेबी के नाम, जलेबी के नाम, जलेबी बनाने की विधि, जलेबी कैसे बनाते हैं



Copyrighted Material © 2019 - 2024 Prinsli.com - All rights reserved

All content on this website is copyrighted. It is prohibited to copy, publish or distribute the content and images of this website through any website, book, newspaper, software, videos, YouTube Channel or any other medium without written permission. You are not authorized to alter, obscure or remove any proprietary information, copyright or logo from this Website in any way. If any of these rules are violated, it will be strongly protested and legal action will be taken.



About Sonam Agarwal 238 Articles
LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*