मटर : हरी-हरी मटर के छोटे-छोटे दानों को स्वाद ले-लेकर खाने के हैं बड़े फायदे

hari matar

Matar khane ke fayde – दलहनों में मटर (Peas or Matar) का महत्वपूर्ण स्थान है. सर्दियों में धूप में बैठकर हरी-हरी मटर को छीलकर उसके एक-एक दाने का स्वाद लेना सबको पसंद है. मटर के मौसम में इस तरह से मटर खाना सेहत के लिए भी अच्छा होता है. जब मटर का मौसम होता है, तब लगभग कोई भी सब्जी बनाते समय उसे भी सबके साथ शामिल कर लिया जाता है.

चाहे आलू की सब्जी हो या पनीर की, समोसे हों पुलाव, सबमें हरी-हरी मटर (Hari Matar) का इस्तेमाल कर ही लिया जाता है. किसी भी सब्जी, खिचड़ी या चावल, परांठे आदि में हरी-हरी मटर के दाने डालकर बनाने से उन सभी का स्वाद और पौष्टिकता, दोनों ही बढ़ जाते हैं.

मटर के हरे-हरे दानों को तलकर या बिना छिली हुई मटर को भी भूनकर बड़े चाव से खाया जाता है. वहीं, जब मटर का मौसम ना हो तो उन दिनों सूखी मटर की दाल को अपनी अलग-अलग रेसिपी में शामिल कर लिया जाता है. कच्ची हरी मटर के दाने धीरे-धीरे चबाकर खाने से ये मीठे तो लगते ही हैं, साथ ही सेहत से जुड़ीं कई समस्याओं को भी दूर करते हैं. इसके आलावा, मटर के पत्तों की भी सब्जी बनाई जाती है.

मटर की खेती (Pea Farming)

मटर की गिनती मोटे अनाज या दलहनों में होती है. मटर लगभग हर तरह की जमीन में पैदा हो जाती है, लेकिन अच्छी निथारवाली मोटी बेसर जमीन में इसका उत्पादन अच्छा होता है. इसमें भी रेतीली बेसर जमीन में मटर की जल्दी तैयार होने वाली किस्म और बेसन जमीन में देर से तैयार होने वाली किस्म अच्छी होती है. मटर की बोआई साल में दो बार होती है- बारिश की फसल के लिए जून-जुलाई में और सर्दियों की फसल के लिए अक्टूबर-नवंबर में मटर बोई जाती है.

peas farming

मटर की कई किस्में उगाई जाती हैं. जो मटर हम सब्जी में इस्तेमाल करते हैं, उसकी खेती हमारे देश के मैदानी इलाकों में सर्दियों में और पहाड़ी इलाकों में गर्मियों में की जाती है. मटर की कुछ किस्मों के पौधे लगभग एक फीट की ऊंचाई तक के ही होते हैं और उन पर फलियां जल्दी आती हैं. इन पौधों को कोई आधार देने की जरूरत नहीं पड़ती. वहीं, दूसरी किस्म की मटर के पौधे कुछ और ऊंचाई वाले होते हैं और उन्हें ऊपर उठने के लिए कुछ आधार की जरूरत होती है. इन पौधों में फलियां भी देर से लगती हैं.

फलियां निकलने के बाद हरे और सूखे पौधों को जानवरों के चारे के रूप में इस्तेमाल कर लिया जाता है. वहीं, हरी मटर के दानों को निकालने के बाद उनके छिलकों को भी जानवरों के चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. चूंकि मटर दलहनी फसल है, इसलिए इसकी खेती से मिट्टी का उपजाऊपन बढ़ता है.

मटर के गुण

मटर में फॉस्फोरस, पोटेशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, सल्फर, कॉपर, आयरन होता है. इसमें प्रोटीन की भी अच्छी मात्रा होती है, साथ ही कार्बोहाइड्रेट, विटामिन-A और विटामिन-C और खनिज तत्वों की भी पर्याप्त मात्रा पाई जाती है. इस तरह से मटर शरीर को काफी पोषण देती है. मटर के दानों को अच्छे से सुखाकर इसे लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है.

हरी ताजी मटर की सब्जी बनाई जाती है या दूसरी सब्जियों को बनाते समय उसमें भी डाल दी जाती है. मटर पनीर का जोड़ा तो सभी जानते हैं. इससे सब्जी और स्वादिष्ट और पौष्टिक हो जाती है. मटर का गरमागरम सूप भी बनाया जाता है.

peas rice

मटर को तलकर खाने या उसकी सब्जी बनाने से ज्यादा हरी मटर के दानों को ऐसे ही खाना ज्यादा फायदेमंद माना जाता है. दरअसल, मटर के पक जाने पर उसमें विटामिन-सी की मात्रा कम हो जाती है.

मटर के फायदे और इस्तेमाल (Matar khane ke fayde)

अच्छी हरी-हरी मटर को चबा-चबाकर खाने से पेट साफ होता है और कब्ज दूर होती है. हरी मटर का रोज सेवन करने से खून और मांस बढ़ता है.

मटर के मौसम में रोज हरी मटर का सेवन करने से प्रोटीन (Protein) की कमी पूरी होती है.

एक रिपोर्ट के अनुसार, मटर में एंटी-रिंकल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण भी पाए जाते हैं, इसलिए त्वचा (Skin) के लिए भी मटर का सेवन अच्छा माना जाता है.

मटर में कैल्शियम की भी अच्छी मात्रा होती है, इसलिए यह हड्डियों के लिए भी फायदेमंद है.

कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मटर में एंटी-कैंसर के भी गुण पाए जाते हैं.

मटर में प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में होता है. रोज 100 ग्राम हरी मटर के दाने चबा-चबाकर खाने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन मिलता है. इससे शारीरिक कमजोरी दूर होती है. इसके अलावा, शुद्ध घी में मटर के दानों को भूनकर खाने से भी कमजोरी और दुर्बलता दूर होती है.

हरी मटर के दानों में विटामिन-C (Vitamin-C) होता है, इसलिए इन्हें खाने से रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ती है और शरीर को शक्ति मिलती है. यह आंखों के लिए भी अच्छा होता है.

मटर के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ नष्ट होते हैं.

मटर की दाल या ताजी हरी मटर का सेवन करने से माताओं के दूध में वृद्धि होती है.

अगर मासिक धर्म (Menstruation) में कष्ट होता हो तो रोज हरी ताजी मटर खाने से आराम होता है.

पानी में भीगते रहने या कड़ाके की ठंड में अगर उंगलियों पर सूजन आ गई हो, तो मटर को उबालकर इसके पानी में एक चम्मच तिल या जैतून का तेल डालकर उंगलियों की सिकाई करने से सूजन में आराम होता है.

आग या गर्म पानी या चाय, कॉफी आदि से जल जाने पर या शरीर में कहीं भी जलन होने पर हरी मटर के दानों को पीसकर उसका लेप करने से जलन शांत होती है.

मटर के दानों को भूनकर उन्हें संतरे के सूखे छिलकों और दूध के साथ पीसकर पेस्ट तैयार करें. इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और करीब आधे घंटे बाद चेहरा धो लें. इससे चेहरे पर निखार आता है.

हरी मटर को पानी में भिगोकर और पीसकर बारीक पेस्ट तैयार कर लें. इसमें नींबू का रस मिलाकर त्वचा पर उबटन की तरह लगाएं और आधे घंटे बाद धो लें. इससे त्वचा का रंग निखरता है.

नोट- मटर सेहत के लिए अच्छी है, लेकिन यह वातकारक भी होती है, इसलिए इसका सेवन भी उचित मात्रा में ही करें. इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और कई किताबों पर आधारित है. इन पर अमल करने से पहले डॉक्टर या जानकार की सलाह ले लें.



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