S-400 Missile Defense System : भारत को मिला ‘महाकवच’, जानिए इससे जुड़ीं महत्वपूर्ण बातें

S-400 Missile Defense System
S-400 Missile Defense System

जब दो देशों के बीच युद्ध होता है, तो तरह-तरह की मिसाइलों से हमले किए जाते हैं. इन मिसाइलों से बचने और उन्हें नष्ट करने के लिए ताकतवर देश मिसाइल डिफेंस सिस्टम (Missile Defense System) की तैनाती करते हैं. S-400 ऐसा ही मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जो दुश्मन की मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर सकता है. यानी यह सिस्टम दुश्मन के हवाई हमलों को नाकाम करने में सक्षम है.

रूस से भारत को S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम (S-400 air defense missile system) की पहली खेप मिल गई है. S-400 की पहली स्क्वॉड्रन को पंजाब सेक्टर में तैनात किया जा रहा है, जहां से यह चीन, पाकिस्तान की तरफ से हर तरह के हवाई हमले को रोककर देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. S-400 की दूसरी खेप जून 2022 तक भारत पहुंच सकती है.

सबसे आधुनिक और सबसे खतरनाक हथियारों में शामिल

भारत को S-400 के रूप में ऐसी मारक क्षमता मिली है, जिसका जवाब फिलहाल किसी देश के पास नहीं है. इसे दुनिया के सबसे आधुनिक और सबसे खतरनाक हथियारों में गिना जाता है. भारत की सीमा से जिस तरह के देश लगे हुए हैं, उससे भारत के लिए इस तरह के एयर डिफेंस सिस्टम की बहुत जरूरत है. रूस की तरफ से डिजाइन की गई S-400 ट्रायम्फ एक गतिशील और सतह से हवा में मार सकने वाली मिसाइल सिस्टम (Surface-to-Air Missile System-SAM) है.

अमेरिका और चीन के पास भी नहीं है ऐसी मारक क्षमता

S-400 सतह से हवा में मार करने वाला दुनिया का सबसे सक्षम मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जिसे अमेरिका की तरफ से तैयार की गई ‘टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस सिस्टम’ (THAAD) से भी बेहतर माना जाता है. एक खास बात ये भी है कि चीन को भी रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम मिले हैं, लेकिन उनकी मारक क्षमता अधिकतम 250 किलोमीटर ही है, जबकि जो डिफेन्स सिस्टम भारत ने खरीदा है, उनकी मारक क्षमता अधिकतम 400 किलोमीटर है.

S-400 की मुख्य विशेषताएं-

S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-300 का अपडेटेड वर्जन है. S-400 में चार अलग-अलग तरह की मिसाइलें हैं और इनकी रेंज 40 किमी, 100 किमी, 200 किमी और 400 किमी के बीच है. S-400 मिसाइल सिस्टम ऑटोनॉमस डिटेक्शन और टारगेटिंग सिस्टम के साथ इंटीग्रेटेड मल्टीफंक्शन रडार के साथ आता है.

मुख्य रूप से S-400 के तीन भाग हैं- मिसाइल लॉन्चर, राडार और कमांड सेंटर. इस सिस्टम का कमान सेंटर 600 किलोमीटर दूर से ही हमलावर मिसाइल या लड़ाकू विमान (एयरक्राफ्ट) का पता लगाकर उसे तबाह कर सकता है. यानी यह 600 किलोमीटर दूर से ही अपने दुश्मन को पहचान सकता है और रेंज में आते ही उसे नष्ट कर सकता है.

यह सिस्टम एक बार में 80 टारगेट्स का पता लगा सकता है और रेंज में आने पर उन्हें तबाह भी कर सकता है. यह एक साथ 300 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है. इसी के साथ, S-400 अपने लक्ष्य वाले किसी भी विमान से इलेक्ट्रॉनिक डेटा भी इकठ्ठा कर लेता है.

S-400 के जरिए मिसाइल, रॉकेट्स, लड़ाकू विमानों और ड्रोन हमलों से बचाव किया जा सकता है. ये सिस्टम ऑर्डर मिलने के 5 से 10 मिनट में ही ऑपरेशन के लिए रेडी हो जाता है. यह एक ही बार में 36 वार करने में सक्षम है और एक साथ तीन मिसाइलों को दाग सकता है. इसकी अधिकतम टारगेट स्पीड 4.8 किमी/सेकेंड (17,000 किमी/घंटा) है.

S-400 मिसाइल डिफेन्स सिस्टम 30 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर 400 किलोमीटर की सीमा के अंदर विमान, मानव रहित हवाई वाहन (Unmanned Aerial Vehicles-UAV) और बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों समेत सभी तरह के हवाई लक्ष्यों (Air Targets) को भेद सकती है. यह 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को भी खत्म कर देने में सक्षम है.

अमेरिका की धमकी के बावजूद भारत ने किया समझौता

S-400 के लिए भारत ने रूस के साथ 5 अक्टूबर 2018 को 5.43 अरब डॉलर (करीब 40 हजार करोड़ रुपए) का समझौता किया था. इस समझौते के तहत भारत को रूस से S-400 की पांच रेजिमेंट्स मिलनी हैं. यहां एक बड़ी बात ये भी है कि भारत और रूस के इस समझौते पर अमेरिका ने कड़ी आपत्ति जताई थी, साथ ही CAATSA एक्ट ​के तहत भारत पर प्रतिबंध लगाने की धमकी भी दी थी. लेकिन भारत ने अपने फैसले से पीछे हटे बिना ये साफ कर दिया था कि वह अपनी रक्षा जरूरतों के फैसलों पर किसी भी तरह के नियंत्रण या प्रतिबंधों को स्वीकार नहीं करेगा.

नोट- CAATSA अमेरिका का संघीय कानून (Federal Law) है, जिसे 2017 में बनाया गया था. इस कानून के तहत, अमेरिका अपने विरोधी देशों और विरोधियों से सबंध रखने वाले सभी देशों की फर्मों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाता है. जैसे- दिसंबर 2020 में, अमेरिका ने तुर्की को अपने उन्नत विमान F-35 की बिक्री रोक दी थी, क्योंकि तुर्की ने S-400 खरीदने के लिए रूस के साथ एक समझौता किया था.



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