duryodhan in mahabharat, ahalya draupadi kunti tara mandodari, who is panchakanya, panchakanya shlok, panchakanya kaun hain, 5 kanya ke naam
ब्लॉग

Mahabharat ka Yuddh : द्रौपदी की हंसी और महाभारत का युद्ध?

युधिष्ठिर कहते हैं, “विदुर जी! मेरे मन में जुआ खेलने की इच्छा नहीं है. यदि मुझे विजयशील राजा धृतराष्ट्र का निमंत्रण न होता तो मैं शकुनि के साथ कभी जुआ न खेलता. किन्तु बुलाने पर मैं कभी पीछे न हटूंगा.” […]

beef meat eating in mahabharata, non veg bhishma pitamah, bhishma pitamah yudhishthir, mahabharat anushasan parva shlok
धर्म और अध्यात्म

Mansahar in Mahabharat : मांस-भक्षण को लेकर भीष्म पितामह ने क्या कहा है

भीष्म पितामह आगे कहते हैं कि ‘नृपश्रेष्ठ! जैसे मनुष्य को अपने प्राण प्रिय होते हैं, उसी प्रकार समस्त प्राणियों को अपने-अपने प्राण प्रिय होते हैं. जब अपने कल्याण की इच्छा रखने वाले विद्वानों को भी मृत्यु का भय बना रहता है, तब … […]

history of sengol rajdand parliament house of india
Knowledge

History of Sengol or Rajdand : क्या है सेंगोल या राजदण्ड का इतिहास

28 मई, 2023 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने भारत के नये संसद भवन का उद्घाटन किया, जो सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है. […]

mahabharata era evidence in delhi purana qila asi report, हुमायूं के पुराने किले की खुदाई में गणेश जी, गजलक्ष्मी, विष्णु जी की मूर्तियां, महाभारत काल के प्रमाण
Knowledge

Purana Qila Delhi : हुमायूं के पुराने किले की खुदाई में हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां और प्रतीक

भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा इस किले में जिन निर्धारित स्थानों पर खुदाई और सर्वेक्षण का कार्य इस समय चल रहा है, उसमें यह पता चला है कि दिल्ली के पुराने किले का प्राचीन अस्तित्व महाभारत काल के समय का हो सकता है. […]

bhagavad gita, bhagwat geeta adhyay 1, bharat in mahabharat, mahabharat kab hua tha date kalyug kab start hua, mahabharat ka yuddh kyon hua, कब हुआ था महाभारत का युद्ध?, gita 6 atma sanyam yog, satvik rajsik tamasik, geeta chapter 15 shlok
ब्लॉग

महाभारत (Mahabharat) की ऐतिहासिकता : कब हुआ था महाभारत का युद्ध?

डॉ. बीबी लाल अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “महाभारत की ऐतिहासिकता” में लिखते हैं कि, “महाभारत को लेकर अन्वेषण में एक बड़ी समस्या यह है कि समय-समय पर इसमें श्लोकों की अभिवृद्धि हुई, जिसने मूल सन्दर्भ को अपनी छाया से ढक लिया है….” […]